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हमने माहौल को कामुक बनाया और सामूहिक चुदाई की शुरूआत कर दी। अब आगे..
निशा के शरीर में बालों से होते हुए स्तनों और पेट, कमर से होते हुए जांघों में पानी बहने लगा और वह इस वजह से वो बहुत ही उत्तेजक और कामुक लगने लगी।
वैसे मैं और कालीचरण भी भीग गए थे.. पर वासना के कारण शरीर का पानी भाप बन कर उड़ने लगा।
अब निशा रोने लगी और मैंने भावना से कहा- भावना, अगर तुम कालीचरण से अपनी गांड नहीं फड़वाना चाहती तो चुपचाप वैभव का लंड गांड में डलवा लो.. नहीं तो क्या होगा ये तुम देख ही रही हो। वैभव तुम भी अपने लंड में तेल लगा कर पेलना ताकि भावना को तकलीफ ना हो।
भावना ने रुआंसे होते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया उधर मौके को ताड़ कर सनत नीचे लेट गया और भावना को अपने ऊपर चढ़ा लिया।
वैभव ने अपने लंड पर तेल लगा कर गांड के छेद से लंड टिका दिया।
उसने काली चरण को देखा और कालीचरण ने लंड थोड़ा बाहर खींचते हुए वैभव को देखा।
दोनों एक साथ मुस्कुराये और एक साथ ही पूरी ताकत से अपने अपने लंड उन दोनों की गांडों में पेल दिए, दोनों एक साथ चीख उठीं- आआआहह कोई बचाओ रे.. आआहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह आहह.. उनकी आवाज बहुत तेज थी।
भावना की गांड में वैभव का तेल लगा लंड घुसा था.. इसलिए खून नहीं निकला.. पर सील टूटने के दर्द से भावना भी बिलख उठी। अब वो दोनों रोती रहीं और हम चारों के लौड़े उनकी गांड और चूत को फाड़ते रहे।
यह सब देखकर काव्या खुश तो थी कि वो दर्द सहने से बच गई.. पर भीषण चुदाई देखकर वो बहुत कामुक भी हो गई थी। उसने अपने उरोजों को मसलना चालू कर दिया। वो मेरे चेहरे के दोनों तरफ टांगें फैलाकर मेरे मुँह में अपनी चूत चाटने को दे दी।
अब धीरे-धीरे भावना और निशा को भी दो लौड़ों से चुदाने में मजा आने लगा और वो भी साथ देने लगीं। पूरे हॉल में सबकी कामुक ध्वनियां गूँजने लगीं। निशा बड़बड़ा रही थी- मार डाला रे.. पर आज तक ऐसी चुदाई भी नहीं हुई थी.. मजा आ गया.. भले ही मेरी जान निकल जाए.. पर ऐसे ही चोदते रहो.. हहायय.. आगे-पीछे दोनों छेदों में क्या लौड़ा घुसा है रे.. ऊऊऊ ईईईई..
उधर भावना भी कहे जा रही थी- आह्ह.. चोदो कमीनों.. चोदो मन भर के चोदो.. ऐसी चुदाई तो किस्मत वालों को नसीब होती है। साले सनत तेरा लौड़ा छोटा क्यों है बे.. तू चोद रे वैभव.. ये मादरचोद तो किसी काम का नहीं है.. ऊऊहहह आहहह.. मजा आ गयया रे.. भले ह..ही गांड की सील तुड़वाने में दर्द हुआ.. पर अब बहुत मजा आ रहा है.. और चोद और जोररर से.. आहहहह..
इधर मेरे मुँह पर अपनी चूत टिकाए हुए काव्या भी ‘हिस्स्स ऊऊउन्ह.. आहह..’ कर रही थी।
निशा तो कई बार पानी छोड़ चुकी थी और अब मैं भी अकड़ने लगा ‘आह साली रंडी.. क्या चूत है रे मादरचोद..’ ये कहते हुए मैं झड़ गया।
उधर वैभव भावना की टाईट गांड में लंड डालने की वजह से झड़ने लगा, वैभव झड़ने से पहले सिसियाने लगा- आह्ह.. कमीनी.. क्या चुदवाती है साली.. रंडी बन जा.. बहुत कमाएगी.. ये कहते हुए वैभव ने भावना की गांड में कई चपत लगा दीं। भावना की गांड लाल हो गई और थोड़े-थोड़े अंतराल में सनत भावना और वैभव झड़ गए।
सनत अपने छोटे लंड के कारण कुछ नहीं बोल रहा था। वो बेचारा अपना मजा लेकर चुप बैठा रहा।
अब निशा चुदवाते हुए फिर बेहोशी की हालत में आने लगी। पर अभी तो काली चरण पूरे शबाब में था। उसके चोदने के लिए भावना और काव्या अभी बाकी थे इसलिए उसने निशा पर रहम खाकर उसे छोड़ दिया, गांड में से मूसल निकल गया तो निशा वहीं पसर गई।
काली चरण अपना खड़ा लंड लेकर भावना की ओर बढ़ा। कालीचरण को अपनी ओर बढ़ता देख भावना ने डर के कहा- साले चूत मारनी है तो आ जाओ.. मैं सह लूंगी और गांड बजानी है.. तो अभी काव्या की गांड बाकी है सील तुड़वाने के लिए।
काली चरण सील तोड़ने के लालच में काव्या की ओर बढ़ने लगा, मैंने कालीचरण से कहा- रुको.. मुझे बात करने दो.. फिर कर लेना। मैंने काव्या से कहा- क्यों काव्या तुम अपनी गांड का उद्घाटन नहीं कराओगी?
काव्या ने मेरी आंखों में आँखें डालकर देखा और कहा- संदीप, मैं यहाँ सामूहिक चुदाई का मजा लेने नहीं आई हूँ। मैं यहाँ सिर्फ तुम्हारे चेहरे पर खुशी देखने आई हूँ। तुम जैसा चाहो कर लो.. करा लो, मुझे सब मंजूर है। काली चरण तो क्या मैं तुम्हारे लिए किसी राक्षस से भी चुदाने को तैयार हूँ।
मैं उसको प्यार से देख रहा था। उसने कहा- मुझे पता है तुम भावना के हो.. पर मैंने अपना सब कुछ तुम्हें सौंप दिया है। इतनी बातें सुनकर मैंने काव्या को गले लगा लिया, भावना भी उठ कर पास आ गई और हम तीनों एक साथ चिपक गए।
भावना ने कहा- अब से हम दोनों ही संदीप की गर्लफ्रेंड हैं। भविष्य में क्या होगा.. मैं नहीं जानती, पर जब तक पढ़ाई चल रही है.. हम ऐसे ही साथ रह लेंगे।
पीछे से कालीचरण की आवाज से शांति भंग हुई- प्यार मुँहब्बत बाद में करना.. अभी बताओ कि मेरे लौड़े का क्या होगा? भावना ने हिम्मत करके कहा- चल कमीने.. तुझसे मैं चुदवाती हूँ। जैसे चोदना है चोद ले। अब देख एक लड़की जब चुदाने पर आ जाए तो मर्द की मर्दानगी कहाँ जाती है।
वैसे भावना कुछ ज्यादा ही बोल गई थी.. क्योंकि कालीचरण का लौड़ा मूसल से कम नहीं था। इधर काव्या ने मुझसे कहा- चलो जान तुम लेटो.. आज अपनी गांड की सील मैं खुद तुड़वाऊँगी। मैं लेट गया।
काव्या ने दोनों टांगें मेरे चेहरे के दोनों तरफ फैला कर अपनी चूत चाटने दे दी। मैं अब अपनी जीभ चूत से आगे बढ़ कर काव्या की गांड भी चाटने लगा।
उधर निशा उठ गई थी और वो अब मेरे लौड़े को थूक लगा-लगा कर चूसती और फिर गीला कर रही थी। मानो वह मेरे लंड को गांड में घुसने लायक बना रही हो.. क्योंकि अभी अभी उसने दर्द झेला था।
उधर भावना को कुतिया बना कर कालीचरण ने लौड़ा टिकाया और भावना के मुँह में वैभव ने लंड डाल दिया। सनत ने निशा की चूत चाटनी चाही.. तो निशा ने उसे एक लात मार के गिरा दिया।
तब मैंने ही कहा- निशा अब माफ भी कर दो.. तुम्हें जब भी चुदना होगा हमसे चुद लेना और ब्वायफ्रेंड के नाम पर सनत को बना रहने दो। तो उसने इशारे से उसे वापस बुला लिया।
अब काली चरण ने एक जोर का धक्का लगाया, उसका लंड जड़ तक सरसराता चला गया। चूंकि लंड में निशा का पानी और खून लगा था.. इसलिए लंड घुस तो गया, पर भावना की गांड से भी खून की धारा बह निकली।
मूसल के गांड में घुस जाने से भावना लगभग बेहोश सी हो गई थी.. पर कालीचरण उस पर टूट पड़ा था- ले मादरचोदी.. बहुत बात कर रही थी ना.. अब खा मेरा लौड़ा।
भावना रोए जा रही थी। उधर मुँह में वैभव का लौड़ा घुसा था। दोनों तरफ से दनदनाती चुदाई शुरू हो गई.. उनको देख कर काव्या डरने लगी। मैंने काव्या को डरते हुए देख कर कहा- गांड नहीं चुदानी तो रहने दो.. कोई जबरदस्ती नहीं है। वो सच में मेरे मुँह पर से उतर गई।
मैं खुद को कोस रहा था कि हाथ आए माल को गंवा दिया। पर काव्या अपने पर्स तक ही गई और पर्स से दो रूमाल ले कर आई.. दोनों सफेद रंग के रूमाल थे.. वो आकर फिर मेरे ऊपर चढ़ गई।
मैंने पूछा- रूमाल का क्या करोगी? काव्या तो उसने कहा- जब पहली बार तुमने मेरे चूत की सील तोड़ी.. उस समय मैं अपनी पहली चुदाई की कोई निशानी नहीं रख पाई थी, पर आज मुझे पहले से शक था कि मेरे पिछवाड़े की सील टूट सकती है। मुझे ये भी उम्मीद थी कि इसे भी तुम ही तोड़ोगे, इसलिए मैं ये सफेद रूमाल लाई हूँ ताकि हमारे मिलन की निशानी खून को इसमे पोंछ कर हमेशा अपने पास रख सकूं।
खुशी के मारे मेरी आँखों से आंसू आ गए मैंने कहा- और दूसरा किस लिए? तो उसने कहा- ये इसलिए… उसने रूमाल को फोल्ड करके अपने मुँह में दांतों के बीच दबा कर मेरे लंड को अपनी गांड के छेद में टिकाया और अपना पूरा जोर लगा दिया।
उसकी आंखों से आंसू बहने लगे और वो आंसू दर्द के तो थे ही.. पर खुशी के भी थे क्योंकि उसके आँखों में कुछ पा लेने वाली चमक थी।
उसकी गांड में लौड़ा आधा घुसा था और उसने मुँह में रखे रूमाल को भींचते हुए और जोर लगाया। उसकी आँखें बड़ी हो गईं.. उसकी गांड से निकली हुई खून की लकीर मेरी जांघों पर बहने लगा। लेकिन काव्या ने लंड को जड़ तक अपनी गांड में घुसा लिया।
लंड के पूरा गांड में घुस जाने के बाद काव्या ने मुँह से रूमाल निकाला और हाँफने लगी। वो थोड़ी देर ऐसे ही पड़ी रही। फिर जब थोड़ा सामान्य हुई तो मुझे चूमते हुए उसने अपनी कमर हल्के-हल्के हिला कर लंड को फिसलने लायक जगह बनाई। उसने मुझे ‘आई लव यू संदीप.. आई लव यू सो मच..’ कहने लगी।
वो मेरे हाथों को पकड़ कर अपने उरोजों पर ले गई। मैं उसके चूचे मसलने लगा और अब कामुक आवाजों के साथ चुदाई शुरू हो गई।
इधर काव्या कमर उछाल-उछाल कर अपनी गांड फड़वा रही थी.. तो उधर अब भावना भी संभल चुकी थी।
मैंने नजर घुमा कर देखा तो भावना वैभव और कालीचरण तीनों खड़े होकर चुदाई कर रहे थे।
भावना ने अपना पैर वैभव के कंधे पर रख दिया था और वैभव का लंड भावना की चूत में घुसा हुआ था। काली चरण का लौड़ा भावना की गांड में घुसा हुआ था। कालीचरण भावना की कमर को पकड़ कर दम से भावना की गांड मार रहा था।
सब वासना में बड़बड़ा रहे थे.. उधर सनत ने अपने छोटे लंड से मजा देने का उपाय खोज लिया था। वो निशा को लिटा कर उसकी चूत में अपने लंड के साथ अपनी दो उंगली भी डाले हुए था.. जिससे निशा को अलग तरीके का आनन्द आ रहा था। अब पूरा हॉल ‘ऊऊऊँ आआहह.. ईईईई हिस्स्स्..’ की आवाजों से गूंज रहा था।
सबसे पहले सनत का माल निशा की चूत में गिर गया.. पर निशा अभी नहीं झड़ी थी, तो वैभव ने उसे जाकर चोदा। चूंकि वैभव और निशा आपस में पहली बार चुदाई कर रहे थे.. इसलिए दोनों जोश के साथ भिड़ गए।
कुछ देर सबकी चुदाई के बाद मैं और काव्या, वैभव और निशा और कालीचरण सब एक साथ झड़ने वाले हो गए थे। तो हमने सब लड़कियों को एक साथ नीचे बिठाया और अपना माल उनके मुँह और चेहरों पर गिरा दिया। वो सब लंडों के माल को चाटने और शरीर पर मलने लगीं।
तभी भावना ने कहा- मैं अभी नहीं झड़ी हूँ.. क्या मुझे प्यासी ही छोड़ोगे? सब एक साथ हँस पड़े। कालीचरण ने कहा- थोड़ा इंतजार कर लो.. फिर बताते हैं।
फिर मैंने सबको खाना खाने के लिए कहा। उसके बाद सबने एक राउंड और चुदाई की। दूसरे राउंड में हम सबने भावना को एक साथ चोदा.. तब जाकर उसकी प्यास बुझी।
फिर दोनों लड़कियों काव्या और निशा को दो-दो लोगों ने मिलकर चोदा। इसके बाद सब थक कर सो गए।
यह तो कहना पड़ेगा कि सच में औरत चुदने पे आ जाए.. तो कोई मर्द उसकी आग नहीं बुझा सकता। ये सिलसिला उसके दूसरे दिन भी चलता रहा। फिर भावना के मम्मी-पापा के आने के पहले ही हम वहाँ से निकल गए।
अब जब भी मौका मिलता है.. हम ऐसी पार्टी कर लेते हैं।
मैं अब भी भावना को चाहता हूँ.. पर अब काव्या भी मेरी जिंदगी में आ चुकी है।
काव्या ने अपनी गांड का खून जिस रूमाल में पोंछ कर रखा था.. मैंने उसके दो हिस्से किए। एक हिस्सा मेरे पास आज भी है.. पता नहीं उसके पास है या नहीं।
आपको कहानी कैसी मेल करें। [email protected]
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