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अब तक आपने पढ़ा.. ग्रुप सेक्स में शामिल होने वाले सभी लोगों को मैं बारी-बारी फोन लगा कर बुलाने लगा पर मेरी नजर भावना पर थी। भावना की चूचियां नाईटी के ऊपर से ही दिख रही थीं। मेरा लौड़ा तो खड़ा ही हो चुका था। अब आगे..
मैंने फोन पर ही सबको अलग-अलग काम बता दिया था। काव्या और निशा को अपने घर से सब्जी रोटी और चावल बना कर लाने को कहा था, वैभव और सनत को मिक्चर पापड़ सलाद और आईसक्रीम ले कर आने को कहा था।
मैंने सबको पहले ही बता दिया था कि जिस किसी की नशे की आदत हो वो बाहर से ही नशा करके आए। काव्या और निशा आठ बजे तक पहुंचे। फिर साढ़े आठ तक वैभव सनत को लेकर पहुंच गया।
हम सब भावना के घर के ऊपर वाले हॉल में बैठे थे। चूंकि इतने लोगों की चुदाई एक साथ किसी भी कमरे में नहीं हो सकती थी.. इसलिए मैंने हॉल में ही चुदाई का कार्यक्रम तय किया था।
उधर काली चरण भी दरवाजा अच्छे से बंद करके हमारे पास आ गया.. पर वो और भावना एक-दूसरे से नजरें नहीं मिला रहे थे।
मैं तो आज के सामूहिक चुदाई के बारे में सब जानता था। पर सभी के मन में एक ही सवाल था कि शुरूआत कैसे होगी? सबकी परेशानी दूर करने के लिए मैंने कहा- सबसे पहले हमें अपना-अपना परिचय देना चाहिए ताकि जान-पहचान हो सके.. तभी चुदाई में मजा आएगा।
‘चुदाई..’ शब्द सुनते ही सब इधर-उधर देखने लगे, सनत और निशा एक-दूसरे को घूर रहे थे। वैसे सभी एक-दूसरे को चोर निगाहों से देख रहे थे। सबने अपना-अपना परिचय दिया।
फिर भी माहौल शांत ही था.. तो मैंने भावना से कहा- एक तकिया ले आओ.. आज हम लोग एक खेल खेलेंगे। भावना ने तकिया लाकर दिया और पूछने लगी- कौन सा खेल? मैंने कहा- हम ये तकिया एक गाने के साथ दूसरे को देने वाला खेल खेलेंगे.. जब गाना रुकेगा तो ये तकिया जिसके पास भी रहेगा.. हम उससे जो बोलेंगे वो उसे करना पड़ेगा।
अब पहली बार सनत ने कहा- जो बोलेंगे वो नहीं.. उसको सीधे-सीधे अपने शरीर का एक कपड़ा हटाना पड़ेगा। वैभव ने कहा- एक कपड़ा ही क्यों.. पूरा नंगा होना पड़ेगा.. पूरी रात इसी खेल में निकालेंगे.. तो चुदाई का खेल कब खेलेंगे?
इतना सुनते ही भावना ने अपनी नाइटी को एक झटके में उतार दिया और बोली- लो मैंने तो बिना खेल के ही उतार दिया।
अब सब चुप हो गए। सब कामुक नजरों से दूध सी गोरी भावना का संगमरमरी शरीर काले रंग की ब्रा-पेंटी में देखते ही एकदम गरमा गए। भावना ने काव्या से कहा- चल उठ कुतिया.. तू अपनी चूत चुदाने के लिए मरी जा रही थी न और नौटंकी ऐसे कर रही है मानो सती सावित्री हो।
यह कहते हुए भावना ने उसके नीले दुपट्टे को अपने हाथों से खींच दिया। अब काव्या ने भी हिम्मत दिखाते हुए अपनी कसी हुई पीले रंग की कुर्ती ऊपर उठाई।
तभी भावना ने उसके पीले ही रंग की ढीली पजामी का नाड़ा खींच दिया। एक ही झटके में काव्या पूरे कपड़ों से ब्रा-पेंटी में आ गई।
काव्या ने गुलाबी रंग की सैट वाली ब्रा-पेंटी पहन रखी थी। अब काव्या का शरीर भरा हुआ लग रहा था। दूधिया रंग का चिकना शरीर सबके लौड़ों को सलामी देने पर मजबूर कर रहा था।
काव्या की पेंटी चूत से चिपक गई थी और सबकी नजर उसकी चिकनी खूबसूरत टाँगों से होते हुए चूत तक जा ही रही थी क्योंकि पेंटी में से उसकी कयामत भरी चूत स्पष्ट उभरी हुई झलक रही थी।
वैभव ने तुरंत कहा- मैं काव्या को ही चोदूँगा। तभी सनत बोल बैठा- और मैं भावना को चोदूंगा। इतना सुनते ही निशा उठी और रोते हुए बोली- मैं तुम्हारे लिए आई थी सनत.. अब मैं यहाँ क्यों रुकूँ.. मैं जा रही हूँ।
वो जाने लगी.. मैंने तुरंत उसे जाने से रोका और कहा- यहाँ हम सामूहिक चुदाई करने ही तो आए हैं.. चोदने दो उसे जिसे चोदना है.. तुम भी उसके सामने दूसरे से चुदवा कर उसे जला सकती हो। उसने कहा- तुम ठीक कहते हो।
जब मैंने निशा को रोकने के लिए पकड़ा तो मुझे अहसास हुआ कि निशा ब्रा नहीं पहने है।
निशा यहाँ जीन्स टी-शर्ट में आई थी। निशा दोनों लड़कियों से कम गोरी थी.. पर उसका शरीर गठीला था। उसे छूते ही मैं समझ गया कि सबसे अच्छी चोदने लायक माल यही है।
निशा वापस अपनी जगह पर आई तो सनत ने माफी मांगनी चाही पर निशा ने कहा- जाओ अपनी भावना के पास.. अब देखना मैं कैसे चुदवाती हूँ।
अब सबके सामने निशा का नया रूप आया.. वो एकदम से बेबाक और बेशर्म हो गई थी। उसने अपनी टी-शर्ट उतार कर सनत के मुँह पर दे मारी। अरे तेरी.. सच में निशा ब्रा नहीं पहनी थी।
वो अपने भरे हुए कसे उरोजों को अपने ही हाथों मसलने लगी और दांतों से होंठ काटते हुए बोली- पहले मुझे सब अपना लंड दिखाओ.. जिसका बड़ा होगा मैं उसी से अपनी सील तुड़वाऊँगी।
इतना सुनते ही हम लड़कों ने एक झटके में अपने कपड़े फेंक दिए। सबका लौड़ा तना हुआ था.. पर निशा सनत के पास गई और बोली- सनत, जाओ अपनी लुल्ली अपनी गांड में डाल लो.. मुझे नहीं चुदना तेरे इस पिंचू से लंड से.. वो मेरे पास आकर मुझे चूमने लगी।
निशा को चूमते हुए मेरी नजर कालीचरण के लौड़े पर गई तो मैंने निशा के कान में धीरे से कहा- निशा तुमने कहा है तुम सबसे बड़े लौड़े से अपना सील तुड़वाओगी और यहाँ तो सबसे बड़ा लौड़ा कालीचरण का है.. शायद किसी गधे के लंड के नाप का होगा अगर इससे सील तुड़वाओगी तो तुम तो मर ही जाओगी।
निशा ने कहा- हाँ संदीप मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी का लौड़ा इतना बड़ा भी होता होगा। अब मैं क्या करूँ? मैंने कहा- तुम फिक्र मत करो मैं कुछ करता हूँ।
फिर मैंने सबसे कहा- हम लोग यहाँ चार लौड़े और तीन चूत हैं। वैभव और सनत ने अपनी पसंद भी जाहिर कर दी है। इसलिए अब निशा को मैं और कालीचरण मिल कर चोदेंगे और पहले राउंड के बाद कोई भी जोड़ी बदल कर या एक साथ मिलकर चुदाई कर सकता है।
सबने ‘हाँ’ कहा। फिर मैंने कहा- अभी लड़कियों के शरीर में कपड़े बाकी है.. पर उन्हें हम नहीं निकालेंगे। वे अपने कपड़े स्वंय निकालेंगी.. पर थोड़े अलग सेक्सी से अंदाज से। सबने मेरी ओर देखा तो मैंने कहा- रूको अभी बताता हूँ।
फिर मैंने पास रखे लकड़ी की एक टेबल को खींचा और कहा- सभी लड़कियां एक-एक करके इस पर चढ़ कर अपने जिस्म की नुमाइश करते हुए शरीर से कपड़ा निकालेंगी.. बाकी सब नीचे से देख कर ताली बजाएंगे।
सबसे पहले भावना ने काव्या को जाने कहा.. काव्या टेबल पर चढ़ गई।
जैसा कि मैंने पहले बताया था कि काव्या की हाईट अच्छी है और अब दवाई की मालिश से कूल्हे और उरोज भी सुडौल और आकर्षक हो गए थे। उसकी सुन्दरता भी अप्सराओं जैसी है।
कुल मिला कर हम नीचे खड़े होकर एक परी का नंगी होने का इंतजार कर रहे थे।
काव्या टेबल की चारों दिशाओं में अलग-अलग अंदाज से घूमी। अपने दोनों हाथों को उठाकर बाल को और बिखराया बिल्कुल वैसे ही जैसे मॉडल्स करती हैं। उसकी बगलों में बिल्कुल भी बाल नहीं थे.. शायद वो तैयारी करके आई थी।
अब वो हमारी ओर मुड़कर झुकी और हम सबको ब्रा के भीतर से ही अपने भरे हुए सुंदर कोमल चूचों के दर्शन कराए।
फिर वैसे ही झुकी रह कर अपने हाथ पीछे की ओर ले जाकर उसने अपनी पेंटी नीचे सरका दी और अपने बिखरे बालों से चेहरे को ढक कर खड़ी हो गई।
मैंने तुरंत पास खड़ी निशा को नीचे बैठाया और लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्योंकि काव्या का ये अंदाज देख कर अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। काव्या ने अब हमारी ओर पीठ की तब तक काली चरण ने निशा के हाथ में लौड़ा पकड़ा दिया।
उधर वैभव और सनत भावना से लौड़ा चूसवाने लगे।
काव्या ने इसी स्थिति में अपने ब्रा का हुक खोला और बड़ी नजाकत से मुड़ कर हमारी ओर देखा.. सबके मुँह से एक साथ ‘आह..’ निकल गई।
काव्या के गुलाबी निप्पल.. कांच जैसा चिकना शरीर.. खिलता गोरा रंग.. चिकनी चूत.. उस पर प्रीकम की चमकती शबनम की बूँदें बहुत ही कामुक नजारा पेश कर रही थीं। ये देखकर तो नामर्दों के भी लौड़े खड़े हो जाते।
अब काव्या ने अपने दोनों उरोजों को अपने हाथों से जोड़कर एक घाटी बनाई और अपने होंठों को दांतों से काटकर हम सबको दिखाते हुए आंख मारी।
सबने तालियाँ बजाते हुए एक साथ कहा- बस कर काव्या.. हमारी तो जान ही निकल जाएगी। काव्या हँसते हुए उतर गई और मेरे पास आकर मुझे चूमते हुए बोली- थैंक्स.. ये सब तुम्हारी बदौलत है। वो भावना की जगह बैठकर वैभव और सनत का लंड चूसने लगी।
अब भावना टेबल पर अपना जलवा बिखेरने के लिए चढ़ी, भावना ने अपने कपड़े उतार कर माहौल को हल्का किया और कामुक हरकतें शुरू कर दीं। आज भावना ज्यादा ही खुल कर पेश आ रही थी, उसे देख कर साफ पता चल रहा था कि वो अपनी सहेली काव्या से जल रही थी।
वैसे भावना काव्या से ज्यादा सुंदर थी.. पर हाईट की वजह से काव्या मॉडल लगती थी।
भावना ने हमें दिखाते हुए अपनी पेंटी में हाथ डाला और अपनी चूत में उंगली घुसा ली। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
हम लोगों को पेंटी के ऊपर से ही उसके इस काम का पता चल गया और फिर उसने हाथ निकाला और अपनी उंगली मुँह में डाल कर चूसने लगी।
उसकी कामुक हरकत को देख कर हम सबका लौड़ा एक साथ फुंफकारने लगा। फिर उसने सीधी खड़ी होकर अपने काले रंग की ब्रा का बिना हुक खोले.. अपने उरोजों के ऊपर चढ़ा ली। उसके ऐसा करने से उसके उरोज बहुत कड़े और चिकने दिख रहे थे। उरोजो पर तने हुए भूरे निप्पल उसके चूचों का और आकर्षण बढ़ा रहे थे।
दूसरे ही पल भावना ने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोला और ब्रा को हमारी तरफ उछाल दिया। अब भावना ने अपने उरोजों को पकड़ कर हिलाया और एक तरफ के उरोजों को हाथ से ऊपर की ओर चढ़ा कर अपनी जीभ से कामुक अंदाज से अपने एक निप्पल को चाटा।
यह देख कर लंड चुसवा रहे वैभव ने काव्या का सर थामा और लंड जोर-जोर उसके मुँह में आगे-पीछे करने लगा। मैंने भी निशा के साथ ऐसा ही किया.. पर निशा की सांसें उखड़ने लगीं। मुझे अहसास हुआ कि निशा नहीं सह पाएगी इसलिए मैंने लंड बाहर निकाल दिया, अब वो मेरे और काली चरण का लंड दोनों हाथों में पकड़ कर चाट रही थी।
उधर भावना अब हमारी ओर गांड करके झुकी और उसने अपनी पेंटी धीरे-धीरे सरकाते हुए अलग कर दी। उसके ऐसा करने से गुलाब की तरह खिली हुई मखमली अनुभवी चूत हमें साफ दिखने लगी।
अब भावना ने अपनी दो उंगलियों को चूत में घुसा दिया और वो अपने उरोजों को अपने एक हाथ से थाम रखी थी। सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं। अब भावना ने अपनी उंगली चूत से निकाल कर चूत के मुहाने में फंसा कर दोनों फांकों को फैलाया।
चूत के अन्दर लाल रंग के गोश्त के ऊपर चमकती कामरस की शबनम की बूंदों को देख कर सनत अपने आपको रोक ही नहीं पाया। वह लपक कर भावना के पास आया और उसकी चूत में अपना जीभ को घुसा दिया।
सामूहिक चुदाई का बाकी आनन्द अगली कहानी में विस्तार से पेश करूँगा। आप अपने मेल अवश्य करें।
[email protected] तीन चूत चार लंड के ग्रुप सेक्स की यह कहानी जारी है।
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