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अब तक आपने पढ़ा.. काव्या के कमरे की दिक्कत हो जाने पर मैंने भावना को अपने कमरे में लाकर चोदने की स्कीम फिट की पर मेरा रूम मेट भावना को चोदना चाहता था जिस वजह से मुझे भावना से कहना पड़ा कि मजबूरी हुई तो रूममेट से चुदना पड़ सकता है। भावना वैभव से चुदने के लिए राजी तो गई पर उसकी इच्छा नहीं थी। अब आगे..
भावना की आँखों में आंसू थे। उसने मुझसे कहा- ठीक है.. पर सिर्फ तुम्हारी खातिर मैं ये सब कर रही हूँ। प्लान के मुताबिक जब वैभव घर पर नहीं था.. तब मैंने भावना को बुलाया।
भावना के आते ही हम एक-दूसरे पर टूट पड़े, बहुत कम समय में हमारे शरीर से कपड़े अलग हो गए थे। भावना मजे लेकर लौड़े को चूस रही थी। मैं उसके उरोजों को दबा रहा था। तभी दरवाजे से आवाज आई, भावना ने अपने आपको अपने हाथों से ढकने की नाकाम कोशिश की पर वैभव की आँखें फटी की फटी रह गईं। मैंने कहा- अबे, दरवाजा तो बंद कर! तो उसने जल्दी से दरवाजा बंद किया।
वैभव के हाथ में सामान था, उसने सामान रखा और भावना के पास आकर सीधे भावना के उरोज को दबाते हुए बोला- मतलब तुम मुझसे चुदवाने के लिए राजी हो ना?
भावना ने अनजान बनते हुए कहा- ये क्या बोल रहे हो..? चलो हटो मुझे जाने दो। वैभव थोड़ा चौंका.. लेकिन उसने भावना को जकड़ लिया और चूमते हुए कहा- एक बार चुदवा कर तो देख मेरी जान.. तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी हो जाएगी।
भावना मुझे देख रही थी, मैंने आंख मारी और इशारे से ही मजे लेने को कहा, फिर भी भावना ने नौटंकी चालू रखी। वैभव ने कहा- इतना क्यों भाव खा रही है.. तुझे क्या लगता है मेरे लौड़े में कांटे लगे हैं? यह कहते हुए अपना लौड़ा निकाल लिया।
भावना उसके लम्बे और तने हुए लौड़े को देखती रह गई। वैभव का लंड सुंदर.. गोरा चिकना सा लौड़ा साइज में भी मेरे लंड के जैसा ही मस्त था.. पर उसका लंड मुझसे मोटा कुछ ज्यादा लगा।
भावना ने कहा तो कुछ नहीं.. पर मैं उसकी खुशी उसके चेहरे में पढ़ सकता था।
‘चल आ कुतिया.. चूस मेरा लौड़ा..’ यह कहते हुए वैभव ने लौड़ा हाथ में पकड़ कर भावना के मुँह के सामने लहराया। भावना ने भी किसी गुलाम की तरह जाकर उसके पैरों के नीचे बैठ कर उसके लंड मुँह में भर लिया।
वैभव का लंड कुछ मोटा था.. इसलिए भावना सिर्फ ऊपर-ऊपर से चाट पा रही थी, पर वैभव तो बेचैन था ‘साली कब से तुझे चोदने के सपने देख रहा हूँ.. ले अन्दर ले कर चूस ना..’ यह कहते हुए अपना लंड उसने भावना के गले तक ठेल दिया। भावना ‘गूं गूं.. ऊऊं..’ करने लगी।
मेरा लंड भी अकड़ रहा था, मैंने पास जाकर अपना लौड़ा भावना के हाथ में पकड़ा दिया। भावना मेरे लंड को आगे-पीछे कर रही थी और वैभव भावना के मुँह को ही चोदे जा रहा था। वासना में डूबी भावना दो-दो लंड के मजे एक साथ ले रही थी।
तभी वैभव ने भावना का सिर पकड़ा और लौड़ा जोर-जोर से ठेलने लगा। भावना को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी। लौड़ा मुँह में पूरा घुस जाने की वजह से भावना की आँखें जीभ सब बाहर आ गए थे। वो तो अच्छा हुआ कि वैभव का इसी समय स्खलन हो गया.. नहीं तो शायद भावना लस्त ही हो जाती।
वैभव ने स्खलन के बाद भी भावना का सर नहीं छोड़ा.. वो उसके गले तक लौड़ा ठेल कर आराम से आँखें बंद करके झड़ता रहा।
जब झड़ने के बाद लौड़ा सिकुड़ने लगा.. तब जाकर वैभव ने उसे छोड़ा। लेकिन इधर मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने भावना को इशारों में ही उसकी हालत पूछी.. उसने आंसू पोंछते हुए सिर हिला कर ठीक होने के संकेत दिए। फिर मैंने उसे एक प्यार भरा चुम्बन दिया और बिस्तर पर लेटा दिया।
अबकी बार मैंने उसके मुँह में अपना लौड़ा दे दिया। भावना मेरे लंड की आदी थी.. इसलिए उसने बड़े मजे से मेरा लंड चूस लिया।
उधर वैभव भावना की टाँगों के बीच बैठ गया और बड़े प्यार से भावना के गीली हो चुकी मखमली चूत को सहलाते हुए तारीफें करने लगा।
‘कसम से यार.. क्या चूत है तुम्हारी.. इतनी इतनी कोमल, चिकनी गद्देदार और कितनी सुन्दर गुलाबी फांकें हैं। आज तो तुम्हें जी भरके चोदूँगा रानी।’ यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! ये कहते हुए वैभव चूत पर जीभ फिराने लगा। वैभव को चूत चाटने की आदत नहीं थी.. इसलिए वो झिझकते हुए धीरे-धीरे चूत चाट रहा था।
जिन लड़कियों ने अपनी चूत चटवाई है.. उन्हें पता होगा कि धीरे चटवाने से उत्तेजना और बढ़ जाती है। ऐसा ही हुआ, भावना और उत्तेजित होकर मेरा लंड चूसने लगी। हम सबकी आवाज और आँखों में वासना हावी हो चुकी थी।
अब मेरा समंदर भी छलक ही गया। मैंने भी भावना के मुँह में माल छोड़ दिया। मैंने भावना से माल मुँह में छोड़ने के लिए माफी मांगी तो उसने कहा- कोई बात नहीं.. वैभव ने तो वीर्य पिलाने की शुरूआत कर ही दी है.. अब शायद मुझे भी आदत डाल लेनी चाहिए।
तभी भावना की आवाज भी लड़खड़ाने लगी, वैभव के चूत चाटने और उंगली घुसाने से भावना ‘हिस्स्सकस.. आहहह.. ईईईई.. मजा आ गया..’ कहती हुई झड़ गई।
मैं और भावना तो अभी-अभी झड़े थे.. पर वैभव को झड़े बहुत समय हो गया था। भावना की चूत चाटते-चाटते उसका लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था।
पर अभी भावना तैयार नहीं थी, फिर भी वैभव ने चूत को पीटते हुए अपना लंड सही जगह रख कर धक्का दे दिया। उसका लंड मोटा था.. इसलिए भावना कराह उठी.. पर चुदाई का बहुत अनुभव होने के कारण तुरंत संभल गई और पूरा लौड़ा गटक गई।
मैं भावना के बड़े-बड़े गोरे उरोजों को दबा रहा था, भावना भी जल्द ही वैभव का साथ देने लगी। मैंने अपना सोया लंड भावना के मुँह में दे दिया, उसके चूसने से मेरे लंड में फिर से जान आने लगी।
कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद वैभव लेट गया और भावना को अपने ऊपर चढ़ा कर चोदने लगा। भावना ‘ऊऊह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह..’ कर रही थी और चुदाई से ‘फच्च.. फच्च.. पकपक..’ की मादक आवाज आ रही थी।
अब मैंने खड़े होकर अपना लंड भावना के मुँह में दे दिया। भावना तो गरम हो ही चुकी थी। वो अब अपने हाथों से ही अपने उरोजों को मसलने लगी और चिल्ला-चिल्ला कर उछलने लगी- ओहहह ईईई ऊऊऊऊ.. चोदो मुझे.. ये साली चूत बहुत तंग करती है.. फाड़ डालो इसे.. ओहह चोद दे राजा.. चोद और जोर से चोद.. उउहस आहहह.. वो मजा लेते हुए सीत्कारने लगी।
उधर वैभव ‘ऊंह.. आहहह.. ऊंह ऊंह..’ करके धक्के तेज मारने लगा और फिर अकड़ने लगा- ओह रानी.. मैं तो गया.. यह कहते हुए वो झड़ गया।
भावना बेचैन हो उठी- नहीं.. अभी मेरी प्यास बाकी है.. साले ऐसे अधूरा मत छोड़ो साले.. कमीनों.. दो-दो लोग मिलकर मेरी प्यास नहीं बुझा सकते क्या?’
उसके मुँह से ऐसा सुनते ही मैं ताव में आ गया और मैंने भावना को नीचे खड़े करके उसकी एक टांग अपने कंधों पर टांग ले ली। ऐसा करने से उसकी चूत पूरी खुल गई और उसकी चूत में मैंने खड़े-खड़े ही अपना पूरा लंड डाल दिया।
फिर उसके मुँह को दबाते हुए मैंने बेरहमी से अपने हाथ का अंगूठा उसके मुँह में चूसने के लिए डाल दिया ‘और ले मादरचोद रंडी.. अब झेल मेरा लौड़ा..’ कहते हुए मैंने भावना की चूत की ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी।
वो ‘गूं गूं गूं.. ऊऊ ऊऊ..’ करके चुदवा रही थी। मैंने अपना अंगूठा जैसे ही उसके मुँह से निकाला.. वो भी बकने लगी ‘हाँ रे मादरचोद.. ऐसे ही चोद.. तूने ही तो मुझे रंडी बनाया है ना भोसड़ी के.. तो देख अब तेरी रंडी कैसे चुदती है.. आह्ह.. पेल..’ हम दोनों की घमासान चुदाई चल रही थी।
तभी वैभव ने कहा- वाह क्या चुदाई है यार.. काश हम ग्रुप में और ज्यादा लोगों के साथ चुदाई करते। भावना ने कहा- साले एक चूत तो पहले बजा लो.. फिर किसी और की सोचना। इतने में मैंने कहा- आज तो सच में तुझे ऐसे चोदेंगे कि तू चल भी नहीं पाएगी कुतिया.. ले.. खा मेरा लंड.. ऊन्ह..’
चुदाई के चलते-चलते ही मैंने वैभव से पूछा- कोई सामूहिक चुदाई की कोई तरकीब भी है या ऐसे ही बोल रहा है? वैभव ने कहा- अगर भावना चाहे तो हम काव्या और निशा को भी साथ मिला सकते हैं। भावना वासना में डूबी थी ‘वाह रे स्वार्थी लड़कों.. तुम लोगों के लिए तीन चूत.. और हमारे लिए दो ही लौड़े..’ तो मैंने चूत में लंड जोर से पेलते हुए कहा- तुम्हारे लिए भी बहुत से लंड ला देंगे रानी..
तभी ‘ओओहहह.. मेरे राजा.. लंडों की बात सुनकर मेरी चूत बह गई रेरर..’ कहते हुए भावना झड़ने लगी। पर अभी मेरा तो हुआ नहीं था.. तो मैंने धक्के और तेज कर दिए।
चूंकि भावना झड़ गई थी इसलिए अब उसे दर्द होने लगा ‘बस संदीप.. मेरी चूत फट जाएगी यार..’ मेरी आवाज भी कांप रही थी- ललेए ना.. मादरचोदीईई.. अब औररर चुदवाओ ना.. भोसड़ी वाली.. ले.. उउहहह ओहहहह ईईईई हिस्स्..’ यह कहते हुए मैंने भावना को और रगड़ कर चोदा। भावना की हालत खराब हो गई थी।
तभी मैंने भावना को बैठने कहा और कांपते हुए उसके मुँह में अपना लावा उगल दिया.. उसने सारी मलाई चाट ली।
तभी वैभव ने भावना को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और अपने फिर खड़े हो चुके लंड से बहुत देर तक भावना को चोदा। भावना अब ज्यादा कुछ बोल भी नहीं पा रही थी।
इस तरह की चुदाई से भावना कई बार झड़ी और उसका शरीर भी दुखने लगा था। बड़ी मुश्किल से वैभव का पानी निकला और हम थक कर ऐसे ही नंगे लेट हुए बात करने लगे।
‘क्यों भावना कैसा लगा?’ भावना ने शरमा कर ‘अच्छा लगा..’ कहा और मेरे सीने में मुँह छुपा लिया।
अब तक की कहानी कैसी लगी लिखिएगा। आगे सामूहिक चुदाई के लिए भी बहुत कुछ मस्त होने वाला है। मेरे साथ हिंदी सेक्स स्टोरी की इस मस्त साईट अन्तर्वासना से जुड़े रहिएगा और अपने मेल जरूर करें। [email protected] जवान लड़की की चूत की चुदाई की कहानी जारी है।
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