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मेरा नाम प्रेम है, मैं आपको अपने दोस्त की कहानी बताने जा रहा हूँ, उसका नाम आयुष है, वो दिखने में सुन्दर व आकर्षक है। वो देखने में ऐसा है कि जो लड़की उसे एक बार देख ले.. उस पर मर मिटती है, वो ऐसा ही करिश्माई लड़का था।
आयुष कुछ दिन पहले एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में गांधीनगर गया हुआ था। उसकी कंपनी में उसके साथ काम करने वाली एक लोकल लड़की भी प्रोजेक्ट करने आई हुई थी।
पहली ही मुलाकात में वो मेरे दोस्त पर मर मिटी थी। आँखों ही आँखों में उसने मेरे दोस्त से कुछ कहना चाहा पर कह नहीं पाई।
ऐसे ही दो दिन गुजर गए। अगली शाम को क्या हुआ वो आपको आयुष ही बताएगा। आगे की दास्तान आयुष के शब्दों में..
उस शाम के कोई 8 बजे होंगे, मैं मेस में था। तभी मेरे बगल से आवाज आई- हाय.. मैं प्रिया हूँ.. क्या मैं आपके पास बैठ सकती हूँ? मैंने जरा नजर घुमाई तो देखा एक बहुत ही सुन्दर लड़की खड़ी थी। मैंने अपने आप पर काबू किया और बोला- जी जरूर। वो जल्दी से आकर मेरे सामने की ओर बैठ गई।
‘हाय.. मैं प्रिया दिल्ली से हूँ।’ मैंने कहा- मैं जानता हूँ।
क्या लग रही थी वो.. उसके एकदम पिंक होंठ.. हिरनी जैसी आँखें.. मुक्त हँसी थी उसकी.. बस जो भी देखे.. उसके मुँह से यही निकले कि वाह्ह क्या लड़की है।
मैंने किसी तरह खयालों से अपने आपको निकाला, उससे बात करनी शुरू की। वो मेरे हर सवाल का जवाब अपनी हँसी के साथ दे रही थी। मैं तो उसकी हँसमुख जवानी पर मर ही गया था।
फिर उसने अगले दिन एक होटल में मुझे खाने पर बुलाया और मैंने बहाने बनाते हुए ‘हाँ’ कर दी। उसे क्या पता कि मेरे अन्दर क्या लड्डू फूट रहे हैं। अगली दोपहर में जाना तय हुआ।
अगली सुबह में बिल्कुल तैयार होकर उसकी बताई जगह पर पहुँचा। वो पहले से ही वहाँ तैयार खड़ी थी। उसे देख कर मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
उसने रेड टॉप और ब्लैक स्कर्ट पहन रखा था। उसके मम्मे बहुत छोटे थे.. पर उसकी गांड बहुत बड़ी थी। क्या हूर की परी की तरह लग रही थी वो! वो अपना हाथ मेरे हाथ में डाल कर मुझे खींचते हुए रेस्टोरेंट के अन्दर ले गई।
हम दोनों अपनी टेबल पर बैठ गए थे, उसने खाना आर्डर किया और फिर हम बातों में लग गए। मैं अभी भी उसे ही देख रहा था।
बातों ही बातों में हम लोगों ने खाना कब खत्म किया.. पता ही नहीं चला। वो बोली- आई लव यू.. विल यू मैरी मी? ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मैं कुछ समझ ही नहीं पाया।
पर मैंने खुद को संभाला और बोला- वी आर गुड फ्रेंड नाओ.. अगर आगे हमें लगा कि हमें अपना रिलेशन आगे बढ़ाना है.. तो हम सोचेंगे। वो उदास सी हो गई और टेबल पर बिल के पैसे रख चली गई। मैं भी चला आया।
मैं रात भर सोचता रहा था कि मैंने उसे ऐसा क्या कह दिया।
अगली सुबह वो मुझे वर्कशॉप में मिली और मैं उससे बात करने गया.. पर पता नहीं.. वो मुझसे बात ही नहीं कर रही थी।
कैसे भी मैंने उसे मनाया और सॉरी बोला। ऐसे ही हमारे बीच फिर से बात शुरू हुई। अब तो हम घंटों फ़ोन पर बातें करने लगे।
फिर एक दिन उसने मुझसे बोला- मेरे रूम पर कोई नहीं है.. प्लीज तुम आ जाओ।
मैं इस मौके को हाथ से जाने नहीं दे सकता था, उससे मिलने से पहले मैंने एक मेडिकल से कंडोम और और टेबलेट लीं.. और उसके घर पहुँच गया।
उसे देख कर ऐसा लगा कि जैसे वो मेरा ही वेट कर रही थी। उसने वाइट टी-शर्ट और लाइट ब्लू-जीन्स पहन रखी थी। उसकी टी-शर्ट से उसकी ब्लैक ब्रा नजर आ रही थी। उसकी हसीन जवानी को देख कर फिर से मैं अपने होश खो बैठा था।
वो ही मुझे हिला कर होश में लाई और मुझे अन्दर लेकर गई। मुझे बैठा कर वो अन्दर गई और कॉफी लेकर आई, हम दोनों सोफे पर बैठ कर कॉफ़ी पीने लगे थे।
बातों ही बातों में हम रोमांटिक हो गए। उसकी आँखें बंद थीं.. और मेरे होंठ उसके होंठों पर लग गए थे, मुझे लग रहा था.. जैसे कि मैं जन्नत में हूँ। उसके होंठों से जैसे अमृत टपक रहा था, हम दोनों मदहोश हो चुके थे।
अब मेरा हाथ उसकी टी-शर्ट को उठा रहा था.. तभी उसने अचानक से मुझे धकेला। और बोली- नहीं.. मैं ये नहीं कर सकती। ये मेरे खड़े लंड पर धोखा था। मैं भी जल्दी से दरवाजे की तरफ बढ़ा और उससे बोला- मैं जा रहा हूँ। तभी वो पीछे से उठी और मेरे हाथ को पकड़ कर बोली- जान.. कहाँ जा रहे हो.. ऐसा मत करो, चलो मैं तो तुम्हारी ही हूँ.. जो करना कर लो।
मैं आपको बता दूँ कि वो सिर्फ नाटक कर रही थी। वो मुझे चूत के लिए तड़पता देखना चाहती थी पर मैंने उसे ऐसा करने नहीं दिया।
अब वो मेरी थी। मैं उसके होंठों से रस पी रहा था। मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी तो वो मेरे सामने काली ब्रा में थी। मैंने ब्रा भी उतार दी और उसके मम्मों को आजाद कर दिया।
जैसा कि मैंने आपको बताया था कि उसके मम्मे बहुत छोटे थे, मैं उन्हें दबा रहा था, वो जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसे मजा आ रहा था। पर मुझे बिल्कुल मजा नहीं आ रहा था.. क्योंकि आप जानते है कि आखिर खरबूजे का मजा निम्बू कैसे दे सकते हैं!
फिर भी मैं उसकी चूचियों को दबा रहा था। कुछ ही पलों बाद मैं उसके गले पर किस करने लगा था। अब उसे ऐसा लग रहा था.. जैसे उसे जन्नत मिल गई हो, वो इतनी मदहोश हो चुकी थी कि उसकी आँखें ही नहीं खुल रही थीं।
मुझे उसके मम्मों का भी सदुपयोग करना था.. तो मैं उसके मम्मे चूसने लगा। उसने मेरे बाल कसके पकड़ लिए और बस एक ही रट लगाने लगी- ओह्ह.. कम ऑन बेबी.. मैं भी उसे फुल मजे दे रहा था।
उसने अब तक मेरी टी-शर्ट निकाल दी थी। पता नहीं उसके हाथ बार-बार मेरे लंड पर क्यों घूम रहे थे, मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल उसकी पेंटी पर हाथ फिराना शुरू कर दिया। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
उसकी आँखें मुंद कर बंद हो गई थीं। हम दोनों को भरपूर मजा आ रहा था। उसने मेरी पैंट उतार दी और मैंने उसकी, मैं अब अंडरवियर में था और वो अपनी ब्लैक पेंटी में थी। वो मेरे सीने पर किस कर रही थी, मैं उस आनन्द को कभी नहीं भूल सकता, एकदम सुपर आनन्द मिल रहा था।
अब उसके हाथों ने झट से मेरे अंडरवियर निकाली और अगले ही पल उसके हाथों में मेरा लम्बा लंड था। वो तो मेरे खड़े लंड को देख कर अपनी आँखें फाड़ बैठी थी। उसने झट से मेरे लंड को अपने होंठों से एक सलामी दी और फिर मेरे गोले को अपनी मुँह के तोप में डाल दिया।
पहले वो धीरे.. फिर तेज-तेज मेरे लंड को चूस रही थी। लंड चुसाई से मेरी आँखें बंद हो गई थीं और दिमाग जन्नत के मजे लूट रहा था। कुछ ही मिनट बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और वो मेरा अमृत झट से पी गई.. जैसे कि शहद टपक रहा हो।
अब मेरी नजर उसकी तरफ थी। बुलंद इरादे लिए मैं उसकी पेंटी की तरफ बढ़ा और धीरे-धीरे उसकी पेंटी उतार दी।
मेरे सामने उसकी एकदम साफ़ बिना झांटों की गद्देदार चूत थी जिसकी याद मुझे मेरे सपनों में आती थी। मैंने बिना देर किए अपना मुँह उसकी योनि पर रखा और योनिरस का पान करने लगा। उसके मुँह से निकल रही आवाजों से पूरा रूम गूंज रहा था।
क्या चिकनी चूत थी भाई.. एकदम मस्त..
वो अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसकी चूत से दही जैसे टेस्ट का पानी निकल रहा था।
इतनी देर में मेरा जेट विमान उड़ान के लिए वापस तैयार हो चुका था, मैंने अपने होंठ चूत से हटा उसके होंठों पर रख दिए पर जब लंड लैंड करने वाला हो तो और कहीं कहाँ ध्यान रहता है, मैंने बिना देर किए अपनी लंड को उसकी चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया।
उसके हालात ऐसे थे.. जैसे अभी उसके प्राणः निकल जाएंगे, उसकी एक ही रट थी- अन्दर डालो ना.. प्लीज.. जब उससे रहा नहीं गया, तो उसने मेरे बाल खींचने शुरू कर दिए।
अब बिना देर किए मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और दबा दिया। वो जोर से चिल्लाने लगी और उसकी चूत से खून निकलने लगा। उसकी सील अब तक नहीं टूटी थी। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था।
फिर मैं रुक कर उससे बातें करने लगा और जब वो मेरे साथ बातों में मगन हो गई.. तब एक ही झटके में मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्ला रही थी.. पर मेरी एक्सप्रेस अब रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
थोड़ी देर बाद उसे भी मजा आने लग गया और अब वो भी मेरा बराबर साथ दे रही थी। भाई.. क्या मजा आ रहा था… बीच में हम किस कर रहे थे।
करीब 15 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था, तब तक वो दो बार झड़ चुकी थी। मैंने अपना लंड निकाल कर अपना माल उसके मुँह पर ही गिरा दिया और वो भी झट से उठ कर मेरे माल को चट कर गई।
उस दिन हमने दो बार चुदाई की।
यह था मेरी चुदाई का किस्सा.. और जाते जाते मेरी इस रांड के लिए कुछ लाइनें पेश हैं।
तेरी चूत का नमकीन पानी.. मेरे होंठों की जबानी.. चोदेंगे रांड
जब तक है शान.. जब तक है शान चाहे खर्च करनी पड़े पैसे की खदान पर चोदेंगे रांड
जब तक है शान, जब तक है शान पर चोदेंगे रांड
थैंक यू दोस्तो, आपका रोनित मुझे आप अपने सुझाव या संदेश मेल पर भेज सकते हैं। [email protected]
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