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मेरे प्यारे दोस्तो, रेनू भाभी की प्यार भरी नमस्ते, आप लोगों के ई मेल से पता चलता है कि आपको मेरी कहानियां काफी पसंद आती हैं, ईमेल करने के लिये शुक्रिया। यह कहानी मेरे पति रवि की है पिछले ही दिनों उन्होंने यह सच्चाई मेरे सामने कबूल की। अब आगे की कहानी रवि की जुबानी…
नई नौकरी.. नया शहर.. मन में ढेर सारी उमंगों के साथ मैं इंदौर के लिये रवाना हो गया। एक ब्रीफकेस साथ में था जिसमें दो जोड़ी कपड़े रखे थे, घऱ वालों ने कहा था कि जब ठौर ठिकाना बन जाये तो बाकी सामान ले जाना।
इंदौर में रिश्ते की एक भाभी का घर था लेकिन घर वालों ने साफ कह दिया था कि रुकने के लिये अलग ठिकाना देखना!
ट्रेन से उतर कर सीधे रति भाभी के घर गया, वो मुझे देख कर काफी खुश हुई, मैंने भी उन्हें काफी समय बाद देखा था, दो बच्चे होने के बाद भी रति भाभी की जवानी पागल करने वाली थी। उन्हें देखकर मेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा था। अब समझ में आया कि घर वालों ने उनके घर रूकने से क्यों मना किया था।
भाभी ने अपने घर ही रुकने के लिये कहा लेकिन मैंने कहा- भाभी, नया शहर है जहां नौकरी करनी है उसी जगह के पास घर दिला दो। रति भाभी से ही पता चला कि भैया इंदौर से बाहर नौकरी करते हैं महीने में एक दो दिन के लिये आते हैं।
भाभी ने मुझे अपने एक परिचित का घर दिला दिया, यह नया घर खाली था, मकान मालिक कहीं बाहर रहते थे, उन्हें घर की देखरेख के लिये एक भरोसेमंद आदमी की जरूरत थी। इस घर का एक कमरा मेरा ठिकाना बन गया।
कमरे के बाहर चौड़ी सी जगह थी जहां मैं धूप खा सकता था। यहां आकर मैंने रोजमर्रा का थोड़ा सामान भी खरीद लिया। खाली घर.. खाली समय.. मैं मोबाइल पर रोजाना चुदाई के वीडियो देखने लगा।
छः दिन के बाद छुट्टी मिली तो भाभी ने जोर देकर अपने घर बुला लिया। मेरी आंखों के सामने भाभी की जवानी नाच रही थी। भाभी के घर पहुंचा तो घंटी बजाने पर दरवाजा भैया ने खोला। वो मुझे देखकर खुशी से बोले- आओ रवि… बेकार में किराये के मकान में रहते हो.. यहां रहते तो रति की थोड़ी मदद भी कर देते!
मैं मन ही मन भैया को कोसने लगा… पूरा मूड खराब हो गया था लेकिन कहना ही पड़ा- भैया.. मेरा दफ्तर वहां से पास है और भाभी जब भी कोई काम बताएंगी तो मैं आ जाऊंगा।
घर में दोनों बच्चे हुड़दंग मचा रहे थे।
किचन से भाभी बाहर निकलीं तो सिर पर साड़ी का पल्ला रखा हुआ था… आदर्श भारतीय नारी! खैर किसी तरह दिन बिताया।
अगले हफ्ते में मैं बिना बताये सुबह सुबह भाभी के घर पहुंच गया, इस बार भाभी ने दरवाजा खोला, वो नाइटी में थीं, मुझे देखकर अपनी जवानी छुपाते हुए बोलीं- अरे तू था.. मुझे लगा दूध वाला आ गया।
मेरा माथा ठनक गया! क्या रे ऊपर वाले.. दूध वाले की ऐसी किस्मत… भाभी ने नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैं सोचने लगा कि जब झुक कर दूध लेती होंगी तो दूध वाले का क्या हाल होता होगा।
मेरे लंड में हरकत होने लगी थी। मैंने भाभी की चूचियों पर से निगाह हटाते हुए कहा- भैया कहां हैं? भाभी ने कहा- इस बार नहीं आये हैं।
बच्चे घर में ही थे। मजा तो आ रहा था लेकिन घबराहट भी थी इसलिये चाय पीकर घर से निकल आया।
भाभी से मिले हुए दो हफ्ते बीत गये थे, आज छुट्टी का दिन था इसलिये अपने तीनों जोड़ी कपड़े धोकर सूखने के लिये डाल दिये। मैं कमरे में अंडरवियर पहन कर लेटा हुआ सेक्सी वीडियो देख रहा था।
अचानक दरवाजे को किसी से खटखटाया, मुझे लगा राजीव आ गया है, राजीव मेरे बचपन का दोस्त था.. हम दोनों की छुट्टी एक साथ कटती थी और दोनों एक साथ सेक्सी वीडियो का मजा लेते थे।
मैंने उठकर दरवाजा खोल दिया। लेकिन यह क्या.. दरवाजे पर रति भाभी खड़ीं थी, उनके कपड़े कीचड़ से सने हुए थे। मैंने हकलाते हुए भाभी से पूछा- आप कैसे गंदी हो गईं?
भाभी ने मुस्कराते हुए कहा- इधर से निकल रही थी, अचानक कीचड़ में गिर गई। कपड़े साफ करने के लिये तेरे घऱ से अच्छी और करीब जगह नहीं थी। लेकिन तू क्यों इतना घबरा रहा है? मैंने कहा- नहीं भाभी, मेरा साथी राजीव आने वाला था, मैंने राजीव की सोच कर ही दरवाजा खोला था।
भाभी ने मेरे तने हुए अंडरवियर को देखते हुए पूछा- तो क्या कमरे में ऐसा ही रहता है? मैंने कहा- नहीं भाभी, अभी मेरे पास तीन जोड़ी कपड़े हैं, छुट्टी वाले दिन तीनों को धो देता हूं। पहनने के लिये सिर्फ अंडरवियर ही बचा था। अब मैंने बिस्तर पर बिछी चादर ओढ़ ली थी।
भाभी बोली- बाथरूम में कपड़े धो लेती हूं.. तेरे पास कुछ पहनने को है क्या? मैंने कहा- भाभी मेरे तो तीनों जोड़ी कपड़े धुल गये हैं, अभी गीले हैं.. सिर्फ अंडरवियर और चादर बची है.. औऱ एक बनियान छोटे भाई की है, गलती से मेरे साथ आ गई थी, मुझे टाइट आती है इसलिये पहनता नहीं हूं।
भाभी बोलीं- ठीक है, पहले कपड़े धो लेती हूं।
भाभी बाथरूम के अंदर चली गईं और कपड़े धोने लगीं। थोड़ी देर बाद उन्होंने बाथरूम के भीतर से ही अपना हाथ बाहर निकाल कर कहा- मेरे कपड़े धुल गये हैं.. ओढ़ने के लिये चादर और बनियान दे दे। मैंने दोनों कपड़े भाभी को दे दिये।
थोड़ी देर में भाभी की फिर आवाज आई- यह चादर कैसी है… कभी धोता नहीं है क्या? सारी जवानी इसी पर निकाल रखी है। बेशर्म कहीं का.. और मुझे यह चादर ओढ़ने के दे दी है। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मेरी सांस अंदर की अंदर रह गई। पता नहीं इस चादर पर कितनी बार अपनी लंड की गर्मी निकाली थी। भाभी अनुभवी थीं इसलिये देखते ही पकड़ लिया।
अब भाभी ने बाथरूम का थोड़ा सा दरवाजा खोल कर अंदर से आवाज लगाई- ले ये मेरे कपड़े सुखा दे…
मैंने उनके कपड़े लिये और कमरे के बाहर सुखाने के लिये फैलाने लगा। भाभी ने अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट के साथ ब्रा और पेंटी भी सुखाने के लिये दे दी थी। उनकी ब्रा और पेंटी छूते ही लंड फनफनाने लगा, एकदम सिल्की ब्रा-पेंटी थी, मैं काफी देर तक उनकी पेंटी का सूंघता रहा.. उससे निकल रही एक अजीब सी महक मुझे पागल बना रही थी.. मेरा लंड अंडरवियर से बाहर निकलने को मचलने लगा था।
मुझे पता था कि बाथरूम के भीतर भाभी के पास मेरे छोटे भाई की बनियान के अलावा कोई कपड़ा नहीं है। इस बार भाभी ने मुझे चादर सुखाने को कहा।
मैंने शर्माते हुए चादर ले ली और उसे भी सुखा दिया। भीतर से भाभी कहने लगीं- जवानी बहुत काम की चीज होती है.. इसका सोच समझ कर इस्तेमाल किया कर!
मैंने भी कहा- हां भाभी… नया शहर है.. अभी किसी से जान-पहचान भी नहीं हुई है।
फिलहाल हालत यह थी कि बाथरूम के भीतर भाभी बनियान में थीं और बाहर में अंडरवियर में। मैं किसी तरह भाभी की जवानी के दीदार करना चाहता था, मैंने भाभी से कहा- भीतर रहोगी तो ठंड खा जाओगी। भाभी ने जवाब दिया- एक बनियान में बाहर कैसे आऊं… मुझे शर्म आ रही है। मैंने कहा- भाभी, मेरा अंडरवियर भी पहन लो।
भाभी ने हैरानी से कहा- तो तू क्या पहनेगा? मैंने कहा- क्या हुआ भाभी.. हम मर्द लोग वैसे भी बेशर्म होते हैं और फिर भाभियों से कैसी शर्म… भैया को भी तो आपने नंगा देखा होगा।
भाभी ने कहा- ठीक है… मुझे अपना अंडरवियर ही दे दे। भाभी ने इस बार भी थोड़ा सा दरवाजा खोल कर अंडरवियर ले लिया।
मेरा लंड पूरी तरह से फनफनाया हुआ था और दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, मैं बाथरूम की तरफ पीठ करके खड़ा हो गया।
थोड़ी देर में बाथरूम का दरवाजा खुला और उसमें से भाभी के बाहर निकलने की आवाज आई, वो मेरे पास आकर बोलीं- बड़ी शर्म लग रही है… अभी तो कह रहे थे कि मर्द बेशर्म होते हैं.. अब क्या हो गया? मैं भाभी की तरफ घूम गया।
छोटे भाई की बनियाइऩ में भाभी की चूचियां तनी हुईं थीं, मुझे लगा उनके चूचुक बनियान को फाड़ देंगे। मेरी निगाह भाभी के पैरों की तरफ पड़ी तो उनकी चिकनी चूत नजर आई। मैं हड़बड़ा गया, मैंने भाभी से कहा- आपने मेरा अंडरवियर नहीं पहना? भाभी ने मुस्कराते हुए कहा- उसमें भी तेरी जवानी चिपक रही थी और तेरे इस लंड को क्या हुआ है? लगता है कई दिनों का भूखा है… देख कैसे तना हुआ है।
उन्होंने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ लिया, मैं हड़बड़ा कर पीछे हट गया।
लेकिन भाभी फिर आगे आईं और बोलीं- भूख लगी है न.. चल थोड़ा बूबू पी ले। मेरी चूत भी कई दिन की प्यासी है अपने लंड से इसकी प्यास बुझा देना। जब तू मेरी पेंटी को सूंघ रहा था, तभी मैं समझ गई थी कि तेरी निगाह मेरी चूत पर है।
मैंने भाभी की चूचियों पर हाथ फेरा… उनके चू्चुक काफी सख्त हो गये थे… मैंने बनियान के ऊपर से ही चूचक को मसलना शुरू कर दिया।
भाभी के मुंह से सिसकारी निकल रही थी, भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया, उनकी चूचियां मेरी सीने को दबा रहीं थी और मेरा लंड उनकी चूत में घुसने का रास्ता तलाश रहा था।
मैंने नीचे झुक कर भाभी की चूचियां पीनी शुरू कर दी, भाभी के मुंह से एक जोरदार आह निकली… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैंने भाभी से पूछा- कितने दिन हो गये… भाई ने कब आपका दूध पिया था?
भाभी बोली- भैया तो आते ही चूत पर जुट जाते हैं, चूची पिलाने का मजा तो बहुत दिनों बाद मिल रहा है। मैंने भाभी की चूचियों पर अपना जोर बढ़ा दिया, उनका एक चूचुक मेरे मुंह में था और दूसरे को मैं अपने हाथों से मसल रहा था। भाभी की सिसकारी तेज होती जा रही थी।
थोड़ी देर में भाभी बोली- पेट भर गया हो तो मुझे भी कुछ करने दे? मेरे पीछे हटते ही उन्होंने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। लंड पीने में भाभी पूरी उस्ताद थीं… लंड पीते पीते भाभी बोली- बहुत दिनों बाद फूला हुआ लंड मिला है। तेरे भैया का लंड तो अब इतना पतला हो गया है कि पीने में मजा ही नहीं आता।
मेरा लंड भाभी के मुंह में था और मैं अपने दोनों हाथों से उनकी चूचियों की मालिश कर रहा था।
लंड पीते पीते जब भाभी थक गईं तो उन्होंने बिस्तर पर लेटने का इशारा किया। मैं समझ गया था कि अब उनकी चूत पूरी तरह से तैयार थी। लेकिन अभी मैं उनको और गर्म करना चाहता था, मैंने अपनी जीभ भाभी की चूत में घुसा दी और उसे चाटने लगा।
भाभी की सांस काफी तेज हो गई थी… कहने लगीं- मार डालेगा क्या.. कितनी लड़कियों की चुदाई की है… तू तो पूरा खिलाड़ी निकला। अब कंट्रोल नहीं हो रहा है।
मैंने हल्के से अपने लंड भाभी की चूत में सटाया और जोर डालने लगा लेकिन भाभी के लिये अब और रुकना मुश्किल हो गया था… उन्होंने नीचे से एक जोरदार झटका दिया और एक ही बार में पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया था। अब मैंने भी रफ्तार तेज कर दी थी।
भाभी की चूत में पानी भरा हुआ था, उससे फच.. फच की आवाज आ रही थी और एक तेज झटके के साथ भाभी का शरीर ढीला पड़ गया… उनकी चूत झड़ गई थी… लेकिन मेरा लंड अभी और झटके मांग रहा था.. मैं पूरी ताकत के साथ भाभी की चूत को झटके मारने लगा।
भाभी के मुंह से घुटी घुटी आवाज निकल रही थी- छोड़ दे.. मार देगा क्या… अब इस चूत में इतनी जान नहीं है! मैंने भाभी की एक नहीं सुनी.. लंड को शांत किये बिना मैं रुकने वाला भी नहीं था और करीब पंद्रह बीस दमदार झटकों को बाद मेरे लंड से धार निकल पड़ी। मैं भाभी के बगल में गिर पड़ा।
हम दोनों कब गहरी नींद में सो गये पता नहीं चला! [email protected]
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