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प्रिय अन्तर्वासना पाठको जनवरी महीने में प्रकाशित कहानियों में से पाठकों की पसंद की पांच कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
मैंने अपनी एक दूर की बड़ी बहन की चूत और गांड चोदी। यह चचेरी बहन लखनऊ के ‘पत्रकार पुरम’ में रहती है और उसका नाम सपना है। इसके घर में इसका पति यानि मेरा जीजा और इसकी सास और एक 7 साल का बच्चा है। दीदी की शादी को 8 साल हो चुके हैं फिलहाल वो 32 साल की है। आप सब जानते ही होंगे कि 32 साल की शादी-शुदा औरत का फिगर कैसा होता है और उसको चोदने का मज़ा क्या होता है।
मेरी यह चचेरी बहन भी भरपूर सेक्स से भरी हुई थी और इसका गदराया बदन देख कर मेरा लंड हमेशा टाइट होता है। मैंने ना जाने कितनी बार इसके नाम की मुट्ठ मारी होगी।
खैर.. अब वो उस चचेरी बहन की चूत चोदने का दिन भी आ गया.. जिसका मुझे हमेशा से इंतज़ार था।
हुआ यूं कि अभी नवंबर के अंत में उसके पति और सास 5 दिन के लिए जौनपुर के पास अपने गाँव चले गए।
घर में बस दीदी और उसका बच्चा ही थे। मैं गोमती नगर में ही रहता था तो जीजा ने मुझे अपने घर पर रहने को कह दिया ताकि मैं घर के छोटे-मोटे काम और बाबू को स्कूल छोड़ने और लेने का काम कर दूँ।
मैं मन ही मन खुश था कि 5 दिन तक रोज इसकी ब्रा में मुट्ठ मारूँगा लेकिन मुझे क्या पता था कि मुझे तो इसकी चूत ही मिलने वाली है।
उन लोगों के जाने के 2 दिन तक मैं अपनी तरफ से छोटी-छोटी कोशिश करता रहता था.. जैसे कम्बल के अन्दर पैर लड़ाना, आते-जाते टकरा जाना या छूने की कोशिश करना.. यही सब चलाया लेकिन 2 दिन तक मुझे कोई रिस्पांस समझ में नहीं आया।
तीसरे दिन जब मैं बाबू को स्कूल छोड़ कर आया और वहीं दीवान पर लेट गया तो 5 मिनट में वो आई और मुझसे खिसकने को बोल कर मेरे ही कम्बल में घुस कर लेट गई। अब तो उसका टच मिलते ही मेरा लौड़ा एक एकदम कड़क हो उठा। ऊपर से उसके जिस्म से आती हुई मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।
खैर.. मैंने थोड़ा कण्ट्रोल किया.. और उसकी तरफ पीठ करके लेट गया ताकि उसको मेरे खड़े होते लंड का अंदाज़ा ना मिले। लेकिन फिर उसने अपना एक पैर मेरी जांघों पर चढ़ा दिया और हाथ मेरी कमर पर रख दिया। अब तो मेरी और हालात ख़राब हो गई। मैंने सोचा जब इसने इतना कर दिया है.. तो हम भी थोड़ा हिम्मत करते हैं.. अगर मिल गई तो चुदाई.. वरना गांड फड़वाई।
मैंने धीरे-धीरे करवट ली और उसकी तरफ घूम गया लेकिन उसने अपना हाथ और पैर नहीं हटाया..
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
आप सभी पाठकों का धन्यवाद.. जिन्होंने मेरी हिन्दी सेक्स स्टोरी को इतना ज्यादा पंसद किया, धन्यवाद।
पिछली कहानी को पढ़ने के बाद आप लोगों को तो पता ही है कि मैं अपनी गांड में अभी भी ब्वॉयफ्रेंड का वीर्य लेकर पार्टी में घूम रही थी। वीर्य की धार अब टपकते हुए मेरी जांघों के बीच आ गई थी.. और धीरे-धीरे नीचे की ओर आ रही थी। शायद वीर्य के कारण मेरी गांड के होल के पास स्कर्ट भी गीली हो गई थी। लेकिन इस बात को लेकर मैं थोड़ी सी भी चितिंत नहीं थी।
अब दो लंड लेने के बाद मैं बेशर्म हो चुकी थी।
मैं काफी थक गई थी.. पूरा बदन दर्द से टूट रहा था। भला टूटे भी क्यों ना.. एक ही दिन में चूत और गांड दोनों की सील तुड़वा चुकी थी। अब बस मेरा शरीर आराम चाह रहा था.. मन हो रहा था कि जाकर सो जाऊँ। लेकिन मॉम से वीडियो कॉल भी करनी थी। इसलिए मैरिज हॉल की ओर चल दी। थोड़ी देर में मैं मैरिज हॉल में पहुँची और मॉम को शादी की वीडियो दिखा दी।
शादी भी खत्म होने वाली ही थी इसलिए मैंने सोचा कि जाकर सो जाती हूँ। तभी एक छोटी सी लड़की मेरे पास आई और बोली- दीदी, आपको वह दीदी बुला रही हैं। उसने अपने हाथ का इशारा दुल्हन की ओर करते हुए कहा।
अब तक वीर्य की धार मेरी जांघों से नीचे आ गई थी। फिर भी मैंने चलते-चलते दोनों टांगों से आपस में रगड़ कर वीर्य को पोंछ लिया ताकि कोई देख ना पाए। संतोष के वीर्य से एक अजब सी सुगंध आ रही थी।
मैं अपनी सहेली के पास आकर जैसे तैसे बैठ गई, शादी खत्म हो चुकी थी, सब लोग मेरी सहेली को उठा कर कमरे की तरफ ले गए.. साथ ही मुझे भी उसके साथ चलने को बोले।
मैंने मना कर दिया और कहा- आप लोग जाओ.. मैं जीजू के पास ही हूँ। मैंने सोचा कि इन लोगों के जाते ही मैं सोने चली जाऊँगी।
सारे लोग दुल्हन को लेकर चले गए, मैं और आभा जीजू के साथ थी और मेरी गांड से निकलते वीर्य की महक थी।
आभा किसी और से बात करने लगी। इस समय मैं और जीजू अकेले थे। आभा के साइड होते ही जीजू मेरे से बोले- साली साहिबा बहुत हॉट लग रही हो। काश तुम मुझे शादी के पहले मिल गई होतीं.. तो अभी हम पति-पत्नी होते।
मैं इठलाते हुए बोली- अच्छा जी.. लाइन मार रहे हो। वह मुझे खा जाने वाली नजरों से घूर रहे थे और मुझसे सेक्सी बातें कर रहे थे। तभी बातों-बातों में उनकी नजर मेरी गांड के होल के पास पहुँच गई।
तब वह बोले- ये दाग कहाँ से लगवा कर आई हो? मैं बोली- कौन सा दाग?
तब तक उन्होंने बिना बताए मेरी गांड पर हाथ लगा दिया। उनका हाथ मेरी गांड पर लगते ही वह सब कुछ समझ गए और मौके का फायदा उठाते हुए उन्होंने मेरी गांड दबा दी।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
मैं आपको बताना चाहती हूँ कि मेरे दिल में सबसे पहले सेक्स का ख्याल कैसे आया और कैसे मैं धीरे धीरे करके सेक्स के प्रति आकर्षित हुई।
बात काफी पुरानी है, एक दिन मैं स्कूल से वापिस आ रही थी, पापा के पीछे स्कूटर पर बैठी थी। रास्ते में मैंने एक जगह कुत्ते और कुतिया को सेक्स करते देखा। भीड़ के कारण स्कूटर 2 मिनट के लिए रुका, और वो दो मिनट मैं उन कुत्ते और कुतिया को ही देखती रही। कुतिया आराम से खड़ी थी, और कुत्ता पीछे से धक्के पे धक्के मार रहा था। हम घर आ गए।
रात को सोते हुये मुझे वही सपना आया, मैंने फिर कुत्ते और कुतिया को सेक्स करते देखा। मेरी नींद खुल गई, मैं सोचने लगी, ऐसे ये क्या करते होंगे। इतना तो समझ में आ गया था कि कुत्ते ने अपनी पेशाब वाली जगह, कुतिया के पीछे डाली थी। मैं सोचने लगी, क्या इंसान भी ऐसे ही करते होंगे?
मैंने अपने दायें हाथ की एक उंगली अपनी छोटी सी चूत पे रखी, अभी मेरी ये चूत नहीं बनी थी, पता नहीं तब इसे क्या कहते थे। अभी बाल नहीं उगे थे, मैंने अपनी उंगली अंदर डालने की कोशिश की, थोड़ी सी तो अंदर चली गई, मगर ज़्यादा नहीं गई। मुझे लगा जैसे आगे मेरा सुराख और तंग है, जिसमें मेरी उंगली नहीं घुस सकती।
एक बार मैं अपने मामा के घर गई थी, तब रात को सोते हुये मेरे मामा के लड़के ने मेरे बूब्स दबाये, मेरे होंठ चूमे, और मेरी चूत को भी छुआ।
सच कहती हूँ, मैं तो पत्थर की हो गई, बहुत मज़ा आया। मैं चाहती थी कि वो और छूए, मगर वो बस थोड़ा सा सहला कर ही सो गया। आधी रात के करीब मैं उठी, बाथरूम गई, जब वापिस आई, तो मैंने भी उसके साथ छेड़खानी करने की सोची और उसके पाजामे के ऊपर से ही उसकी लुल्ली पकड़ कर देखी।
मेरे थोड़ा सा पकड़ने से ही वो सख्त हो गई, शायद भैया जाग गए, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने पाजामे में डाल दिया और मुझे अपनी लुल्ली पकड़ा दी।
गरम और सख्त… मैंने पकड़ तो ली मगर मन ही मन डर रही थी।
अब जबकि हम दोनों जाग रहे थे तो मामा के लड़के ने मेरी स्कर्ट ऊपर उठा कर मेरी चड्डी उतार दी, और मेरे दोनों बूबू टॉप से बाहर निकाल लिए, उसने दोनों बूबू दबाये और चूसे।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
मेरे परिवार में मैं, मेरी मॉम और पापा हम 3 लोग हैं। मेरी मॉम का नाम सौम्या है, 40-41 की उम्र की वो औरत एक बेहद कामुक बदन की मालकिन है, 34-30-34 की फिगर, गोरा रंग और वासना से भरी हुई!
मेरे स्कूल में हम सब दोस्त अक्सर आपस में बैठ कर सेक्स और चुदाई की बातें किया करते और अक्सर एक दूसरे की माओं पर भी तंज कसते। हर महीने के आखिरी शनिवार को जब स्कूल में parent-teacher meet होती तब हम सब की मम्मियां हमारे स्कूल आती और हम भी उन सारी कुत्तियों को देख-देख कर अपनी आँखें गरम करते और एक दूसरे को चिढ़ाया करते।
धीरे-धीरे मेरी यह आदत और ज्यादा बढ़ती गई और मैं रात के समय चोरी-चोरी अपने मॉम-बाप की चूत चुदाई देखने लगा। मेरा बाप रोज रात को मेरी मॉम को कुत्ती बना कर उसे बुरी तरह पेलता और अक्सर चुदाई के दर्द से मेरी मॉम की आँखों में आँसू आ जाते और उस छिनाल की ऐसी हालत देख कर मेरा लौड़ा पूरी तरह गर्म और कड़क हो जाता।
अब तो सपनों में भी मुझे मेरा बाप मेरी मॉम को ठेलते हुए नज़र आता। खैर इसी तरह करते करते काफी वक़्त गुज़र गया और अब मेरे लिए यह सामान्य सी बात हो गई।
एक दिन मेरे स्कूल में किसी सम्मेलन का आयोजन था तो हम सब दोस्तों ने मिलकर चुपके से स्कूल से भागने का सोचा, सब चुपचाप पिछले गेट से होकर निकल गये और अपनी खास जगह पर पहुँच गये।
इससे पहले कि हम अपनी महफ़िल जमा पाते, बारिश ने हमारा सारा खेल बिगाड़ दिया। स्कूल तो वापस जा नहीं सकते थे तो सब अपने अपने घर की तरफ भाग गये।
मैं पूरी तरह भीगा हुआ घर पहुंचा और अभी बैग भी नहीं उतारा था कि मॉम की कामुक सिसकारियों की आवाज़ मेरे कानों में गूँज उठी। मैंने सोचा- ओह्ह्ह ! लगता है आज पापा जल्दी लौट आये और आते ही मां की चूत चोदने का काम चालू कर दिया।
मैं उत्तेज़ना से भरा हुआ फ़ौरन अपनी मॉम के कमरे की ओर बढ़ा और दरवाज़े के ऊपर बने रोशनदान से देखने लगा। लेकिन जैसे ही अंदर का नज़ारा मेरी आँखों के सामने आया, मेरी तो आंखें फटी की फटी ही रह गई, मेरी मॉम मेरे बाप के नहीं बल्कि हमारे मोहल्ले के लेडीज टेलर मोहन के नीचे अपनी फुद्दी मरवा रही थी।
यह देखकर मेरी तो सारी ठरक छूमन्तर हो गई और दिमाग गुस्से के मारे उबलने लगा ‘साली राण्ड छिनाल कुतिया कहीं की… रात को पापा और दिन को इस मुहल्ले के टेलर से अपना भोसड़ा पेलवा रही है? उफ्फ…फ्फ… कितनी चुदक्कड़ है मेरी मां साली!’
मॉम फर्श पर खड़ी थी, अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर आगे की तरफ झुकी हुई थी और वो साला हरामी पीछे से उसकी फुद्दी में अपना लौड़ा ठूंस रहा था।
मॉम- आह्ह अह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… साले भड़वे जल्दी जल्दी चोद ले, किसी ने देख लिया तो आफत आ जाएगी। मोहन- चुप कर साली हराम की जनी, रोज नखरे दिखाती है, आज तक कभी ठीक से चूत चुदवाई भी है? कभी बेटा आ जायेगा तो कभी पति के आने का टाइम हो गया है, हर रोज बस यही बहाना लेकिन आज नहीं, आज तो तेरी गांड भी पेल के जाऊंगा हरामजादी।
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मेरे पापा मुझे बहुत प्यार करते और मेरी हर फरमाईश को पूरा करते। बदले में मैंने उनको अपना मासूम गोरा नाज़ुक शरीर सौंप दिया था। पापा मुझे हॉस्टल से सैटरडे नाईट को ले जाते.. हमारी शाम किसी डिस्को में या किसी होटल के कमरे में गुज़रती.. उन्होंने ही मुझे धीरे-धीरे शराब पीना सिखा दिया था।
मम्मी इन सबसे अंजान ही थीं। सच बोलूँ तो वह खुश थीं कि सौतेला बाप होकर भी वो मुझे और मैं उनको इतना प्यार करती थी।
फिलहाल यह कहानी आपको मेरे पापा की जुबानी सुननी होगी। मेरी एक जवान होती कमसिन मासूम बेटी है। जिसके बारे में आपको पिछली कहानी में मालूम पड़ ही गया होगा कि वह कितनी चंचल और जिद्दी है।
फिलहाल हम दोनों बाप बेटी में जल्द ही दोस्ती वाला रिश्ता बन गया था। हम अक्सर राधिका को बिना किसी बात को बताए हुए.. सैटरडे नाईट को सारी रात तरह तरह से एन्जॉय किया करते थे। कभी हम दोनों बाप-बेटी नाईट क्लब में जाकर डांस करते ड्रिंक करते थे।
मैं अपनी बेटी मेघा को बेहद कामुक ड्रेस पहनाता.. ताकि पार्टी में सब मेरी बेटी को ही देखें। कभी शॉर्ट्स, कभी गाउन, कभी मिनी स्कर्ट.. उसको इन सब ड्रेस में देखा कर जवान लड़के ही नहीं पचास से साठ साल के बुड्ढे भी उसके मिनी स्कर्ट से झाँकती ट्रांसपेरेंट पैन्टी को देखकर उसको लाइन मारते थे।
वह मेरे सामने ही उनके साथ फ़्लर्ट करती.. वो जानती थी कि मैं इन सबसे उत्तेजित होता हूँ। कच्ची उम्र में ही उसके अन्दर गज़ब का सेन्स आ गया था। वह दिखने में बेहद मासूम और छोटी सी थी.. लेकिन अन्दर से किसी जंगली बिल्ली से कम नहीं थी।
एक दिन कानपुर में मेरे बड़े भाई की बेटे राहुल की शादी थी। मेघा मेरे और मेरी पत्नी राधिका के साथ साथ शादी में लाल रंग का लहंगा चोली पहन कर गई थी। जिसकी चोली पीछे से बैकलेस थी.. सिर्फ दो डोरियाँ ही उसके छोटे से ब्लाउज को रोके हुए थीं।
हमारी शादी के बाद खानदान भर में कई लोगों ने मेरी जवान बेटी को पहली बार देखा था। उसने बेहद भड़काऊ सुर्ख लिपस्टिक के साथ अपने कमसिन सुडौल मम्मों को बैकलेस ब्लाउज से बिल्कुल बाहर को निकाला हुआ था। जिससे कि उसकी क्लीवेज दिख रही थी।
उसका लहंगा कमर से इतना नीचे बंधा था कि जयमाला से पहले सबके साथ डांस करते हुए उसकी पैंटी की स्ट्रिप बाहर दिख रही थी। शादी में आई बाकी की लड़कियों को मेरी बेटी से जलन सी हो रही थी, वे उसकी पैंटी की स्ट्रिप को देखकर खुसुर-पुसुर कर रही थीं।
जवान लड़के तो उसके आस-पास ही मंडरा रहे थे, हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था।
‘क्या माल है गुरु.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… लहंगे के नीचे इसकी मजेदार जन्नत होगी..’ ‘इतनी कम उम्र में भी जन्नत का मज़ा देगी.. दिल्ली की जवानी है.. न जाने कितने लड़कों को इसने अपना गुलाम बनाकर चटवाई होगी।’
चार लड़के मेरी बेटी मेघा को देखकर आपस में बातें कर रहे थे। मैं पास ही खड़ा था.. वो नहीं जानते थे कि मैं उसका बाप हूँ।
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