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अब तक आपने पढ़ा.. मेरी नंगी बीवी नेहा डॉक्टर सचिन से मेरे सामने चुद रही थी और मैं अपना लंड सहला रहा था। अब आगे..
डॉक्टर सचिन नेहा को अपने ऊपर झुका कर उसकी चूचियों को मसलते जा रहे थे और उसके निप्पल चूसते जा रहे थे। पहले नेहा ने टाँगें फोल्ड कर रखी थीं.. पर अब उसने टाँगें खोल दी थीं और फैला दीं। नेहा दर्द से तड़फ कर बोली- ओह्ह.. अरे यार.. लगता है नस खिंच गई। फिर वो मेरे से बोली- साले चूतिया बहनचोद.. लंड सहलाता रहेगा.. इधर आ मेरे पैर और उसने पिंडलियां सहला!
अभी मैं उसकी पैर और उसने पिंडलियां सहला ही रहा था कि उसने अपने हाथ से मेरा सर पकड़ कर अपने पैर के पंजे पर लगा दिया। नेहा बोली- जीभ से चाट मेरे पैर के तलुओं को!
उधर डॉक्टर सचिन के लंड से नेहा की चूत की चुदाई चालू थी। नेहा जोर से बोल रही थी- देखो सचिन.. साला चूत का ढक्कन कैसे मेरे पैर चाट रहा है! वो फिर चीखी- जीभ निकाल के चाट न साले.. आह्ह मेरी जान सचिन, क्या मजा आ रहा है।
सचिन नेहा को ऊपर बैठा कर अपने लंड पर उछाल रहे थे.. जैसे वो फूल सी हो। ‘फच.. फच..’ की आवाज आवाज गूंजने लगी। नेहा बोली- आह्ह.. क्या उछाल-उछाल के चोद रहे हो मेरी जान.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… पूरे शरीर में ऐसा लग रहा है.. जैसे करंट दौड़ रहा हो।
अब सचिन ने नेहा को एक झटके से लंड डाले-डाले ही नीचे लिटा दिया और उसकी टाँगें कंधे पर रख लीं, सचिन ने मेरी बीवी की चूत में फिर धक्के पर धक्के देना शुरू कर दिए और धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा दी। नेहा ‘आह.. आह्ह्ह.. आहह..’ करती जा रही थी और नीचे से अपनी गांड उचका-उचका कर डॉक्टर साहब का लंड अपनी चूत में ले रही थी।
फिर वो मेरी तरफ देख कर बोली- जल्दी से तकिया ला कर दे ढक्कन! मैंने तकिया उठाया.. तो वो बोली- मेरी गांड के नीचे लगा! मैं एकदम रोबोट की तरह उसके इंस्ट्रक्शन का पालन कर रहा था।
थोड़ी देर ऐसे पेलने के बाद सचिन बोले- जानू तुम्हारी पीछे से पेलने का मन है.. मेरी जान ज़रा घूमो.. तुम्हारी गोरी-गोरी गांड पर हाथ मार के लाल करके चूत चोदने में बहुत मजा आता है। नेहा बोली- जैसे चोदना चाहो.. चोदो मेरी जान.. तुम्हारे लिए ही मेरी चूत खुली है मेरे पतिदेव.. बस इस हरामी से बोलो कि जब तुम चोद रहे होते हो उस वक्त ये मेरे पैर के तलवे चाटता रहे। डॉक्टर सचिन- तुम घूमो तो मेरी जान!
नेहा घूम कर लेट गई। डॉक्टर सचिन ने अपना लंड नेहा के पीछे से पेल दिया और पेट के नीचे हाथ डाल कर एक झटके में उसकी गांड उठा के घोड़ी बना दिया, फिर वो मुझसे बोले- सुन बे ढक्कन.. मैडम जो बोल रही हैं.. वैसा कर जल्दी से..
नेहा ने अपना सर बिस्तर से सटा दिया, डॉक्टर सचिन ने नेहा की गोरी गांड पर दोनों हाथों से तबला बजाना चालू कर दिया और जोरदार चुदाई चालू कर दी। अब कमरे में फिर से बहुत जोर जोर से ‘फट.. फट..’ की मधुर आवाज आने लगी।
नेहा की मस्त कामुक आवाजें आ रही थीं- आह्ह… धीरे पेलो.. तुम्हारा लंड बच्चेदानी पर लग रहा है.. प्लीज सचिन धीरे.. लग रही है। नेहा की गोरी गांड एकदम लाल हो गई थी। अब उन्होंने उसकी गांड पर हाथ मारना छोड़ कर चूची मसलने लगे और निप्पल निचोड़ने लगे।
नेहा की ‘आह.. आह..’ निकल रही थी, अब नेहा चुदाई से थक चुकी थी और वो भरभरा के झड़ गई।
डॉक्टर सचिन इतनी जल्दी कहाँ झड़ने वाले थे, उन्होंने उसको साइड से लिटा दिया और लंड डाल कर पेलना चालू कर दिया। नेहा बोली- आह.. सचिन छोड़ दो प्लीज यार.. छोड़ दो प्लीज यार.. पर सचिन लंड के धक्के नेहा की चूत में मशीन की तरह चालू थे ‘फच.. फच..’ की आवाज आ रही थी।
नेहा मदहोशी के आलम में ‘आह.. आह..’ चिल्लाए जा रही थी। वो बोलती जा रही थी- आह्ह सुजा दो चूत.. आह्ह.. चोद-चोद कर लाल कर दो.. आह्ह..
डॉक्टर सचिन का लंड फुल टाइट था, वो बोली- जान इस वक्त तो तुमको और मजा आएगा। तभी सचिन ने मुझको आवाज दी- अबे ढक्कन कहाँ गया.. जल्दी आ। मैं नेहा के पैर छोड़ कर बोला- क्या काम है?
सचिन बोले- अबे काम नहीं है.. बस तू मैडम की जो गोरी-गोरी गांड है न.. इस पर जीभ से चाट! मैंने कहा- जी सर.. मैं जीभ से नेहा की गांड चाटूं? यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
सचिन बोला- यहाँ कोई और भी है क्या चूतिए.. जल्दी अपनी जीभ निकाल और मेरी बीवी की गोरी-गोरी गांड देख रहा है न.. लाल हो गई है। इस पर जीभ से चाट। जब तक मैं न बोलूँ.. तब तक लगा रह!
मैंने नेहा की गांड पर जीभ मारना शुरू कर दी। नेहा बोली- अरे यार, ये क्या करवा रहे हो? डॉक्टर साहब बोले- तुम्हारा ढक्कन तुम्हारी गोरी गांड चाट रहा है.. तुमको मजा आ रहा है न मेरी जानू? नेहा बोली- प्लीज डाउन हो जाओ सचिन.. चोद-चोद कर पागल बना रखा है तुमने.. और प्लीज इस साले से चटवाना बंद करवाओ।
डॉक्टर सचिन ने मुझको धक्का दे दिया। वो बोले- चल उधर बैठ जा.. बेगम को तेरा चाटना पसंद नहीं आ रहा है। अब डॉक्टर साहब ने नेहा को पलट दिया। नेहा दर्द से कराहते हुए बोली- बस यार छोड़ दो.. अब आज फाड़ डालोगे?
डॉक्टर सचिन बोले- छोड़ देंगे मेरी जान.. जरा अपनी टाँगें फैलाओ। यह कहते हुए डॉक्टर साहब ने नेहा की टाँगें एकदम फैला दीं.. और पूरी स्पीड से लंड पेलने लगे। कमरे में फिर से तेज ‘फट.. फट..’ की आवाज आने लगी।
नेहा बोलती जा रही थी- सचिन प्लीज डाउन हो जाओ! उनका पेलना और ‘फट.. फट..’ की आवाज चालू थी।
अब नेहा से रहा नहीं गया.. तो उसने अपनी टाँगें सचिन की गांड के पीछे बांध लीं, सचिन नेहा की चूचियां दोनों हाथों से मसलने लगे।
नेहा ने सचिन के दोनों हाथों से कंधे पकड़ लिए और थोड़ी देर में सचिन ने अपनी पिचकारी नेहा की चूत में छोड़ दी और उसके ऊपर गिर पड़े। बहुत देर तक वो ऐसे ही नेहा के ऊपर पड़े रहे।
मैं हैण्ड टॉवल ले आया और नेहा से बोला- टॉवल ले लो। नेहा बोली- देखो पतिदेव.. मेरा ढक्कन कितना समझदार हो गया है। इसको मालूम है कि तुम ज्यादा पिचकारी छोड़ते हो।
डॉक्टर सचिन ने हँसते हुए टॉवल ले कर नेहा की चूत पर लगा दी और उसके ऊपर ही थोड़ी देर पड़े रहे। फिर साइड में लेट गए।
अब नेहा उनके कंधों पर सर रख के लेट गई और बोली- यार इतनी बुरी तरह से चोदते हो.. पूरा शरीर तोड़ देते हो। वो बोले- तुमको नहीं पसंद आता क्या? नेहा बोली- बहुत मजा आता है.. पर तुम्हारी चुदाई से चूत सूज जाती है पतिदेव। ‘हम्म..’
फिर नेहा मुझसे बोली- कम्बल ओढ़ाएगा? मैंने कम्बल उढ़ा दिया।
सचिन बोले- यार आज मेरे पैरों में दर्द हो रहा है। नेहा बोली- तुम्हारे पैरों में दर्द हो रहा था.. तब तो इतनी देर चोदा। मुझे तुम शाम को ही बता देते.. ये ढक्कन तुम्हारे पैरों को दबा देता और मालिश कर देता। ‘हम्म..’ ‘कोई बात नहीं.. अब मालिश करवा लो।’
सचिन बोले- छोड़ो यार। नेहा बोली- छोड़ो क्यों.. ये ढक्कन किस लिए है पतिदेव.. ये तुम्हारी सेवा के लिए ही है। अभी करवाती हूँ तुम्हारे पैरों की मालिश। अब नेहा मुझसे बोली- सुन! मैंने कहा- क्या हुआ? नेहा बोली- जा के तेल की बोतल ले आ और इनके पैरों में तेल लगा दे। मैंने कहा- मैं सोने जा रहा हूँ।
नेहा बोली- तुझे समझ नहीं आया? तू मुझको मना करेगा.. चुपचाप तेल की बोतल ला और इनके पैरों की मालिश कर ठीक से। मैंने कहा- ये ठीक है? वो बोली- ज्यादा जबान न चले.. सचिन उठ के इस साले को कमरे के बाहर धक्का मार दो और कमरा बंद कर लो।
मैंने कहा- अच्छा रुको ठीक है.. मैं कर देता हूँ। नेहा बोली- भोसड़ी के फिर नखरे क्यों कर कर रहा था.. वो भी इनके लिए?
अब डॉक्टर सचिन नेहा चिपकाए हुए लेटे थे। मैंने डॉक्टर सचिन के पैरों की मालिश करनी शुरू कर दी। नेहा डॉक्टर सचिन की जाँघों पर पैर रख कर लेटी थी। मेरा डॉक्टर साहब की जांघों पर हाथ गया.. तो नेहा की नंगी जांघों पर भी हाथ लगाने लगा।
नेहा ने अपने पैर साइड में कर लिए और बोली- साले.. तुझको ज्यादा मेरी जांघों पर हाथ लगाना है? मैंने कहा- नहीं। तो बोली- हाँ तब ठीक है.. ठीक से मालिश कर।
कुछ मिनट मालिश करने के बाद डॉक्टर सचिन बोले- चल हो गया.. जा सो जा।
वो दोनों नंगे चिपक कर सो गए। मैं भी किनारे पर सोने के लिए लेट गया।
कुछ दिन जब तक बच्चे अपनी नानी के यहाँ रहे.. डॉक्टर सचिन हमारे यहाँ ही रुके रहे और रोज रात को डॉक्टर सचिन नेहा को चोदते और वो दोनों ही नंगे चिपक कर सोते। कई बार दोनों साथ में ही नहाते और सेक्स करते। मुझको उन्होंने अपना नौकर जैसा बना दिया था।
कुछ दिनों बाद मेरा मुम्बई से दिल्ली ट्रांसफर हो गया।
नेहा और बच्चों को छोड़ कर मैं दिल्ली आ गया। मैं जब भी मुम्बई आता तो रात को डॉक्टर सचिन हमारे यहाँ रुकते और नेहा के साथ रात बिताते और रात भर उनका चुदाई कार्यक्रम चलता रहता। करवाचौथ वाले दिन भी नेहा डॉक्टर सचिन को बुला कर अपना व्रत खोलती।
दो साल बाद डॉक्टर सचिन की शादी तय हो गई, नेहा को इससे बहुत जबरदस्त धक्का लगा और वो डिप्रेशन का शिकार हो गई, वो गुमसुम रहती और उसने सबसे बात करना बंद कर दिया।
डॉक्टर सचिन को शादी के 6 महीने बाद हार्ट अटैक हुआ.. और नेहा एकदम से टूट गई। साल भर बाद नेहा की भी हार्ट अटैक से डेथ हो गई।
ये सब मेरी अपनी बीवी की चुदाई देखने के सिरफिरेपन से शुरू हुआ जिसमें किसी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में हूँ। [email protected]
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