This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरा नाम मानव सिंह है, मैं गुजरात के बड़ोदरा शहर का रहने वाला हूँ। आज करीब चार साल से ज्यादा का समय हो गया है.. जब से मैं अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर हिंदी सेक्स की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ।
मैं अपने बारे में बताते हुए सिर्फ इतना लिखना चाहूँगा कि मैं 22 वर्ष का लड़का हूँ.. एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ। मैं शारीरिक तौर पर मज़बूत हूँ और सेक्स में काफी रुचि रखता हूँ। मैं मजाकिया स्वभाव का होने की वजह से लोगों से आसानी से घुल-मिल जाता हूँ।
जो कहानी मैं आज आप लोगों के सामने रख रहा हूँ, वो करीब चार महीने पहले की है। मेरे कई अच्छे दोस्तों में से एक का जन्मदिन था और जाहिर सी बात है कि मेरे दोस्त ने मेरे अलावा कई और लोगों को न्यौता दिया था। उन्हीं कई लोगों में से एक का नाम था रितु!
रितु एक साधारण सी दिखने वाली देसी लड़की थी… ऐसा वो लोग कहेंगे जो इंसान को चेहरे से परखते हैं। मेरे मामले में चेहरा उतनी अहमियत नहीं रखता.. पर रितु शारीरिक रूप से काफी आकर्षक थी। मेरी उसमें रुचि बढ़ने लगी.. तो मैंने अपने दोस्त से रितु के साथ जान-पहचान करवाने की गुजारिश की।
हमारा फॉर्मल इंट्रोडक्शन हुआ.. मैंने उसे अपने बारे में बताया और उसने मुझे अपने बारे में बताया।
जैसे कि मैंने पहले ही बताया था कि मैं एक मजाकिया मिजाज़ का इंसान हूँ तो मुझे उससे घुलने-मिलने में कोई दिक्कत नहीं हुई। उस शाम मैंने हमारी मुलाक़ात को वहीं तक सीमित रखना बेहतर समझा।
उसी रात मैंने रितु को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और चौथे दिन उसने मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। मैंने उसे पिंग किया.. तो उसने भी रिप्लाई किया। मैंने उसका नंबर फेसबुक चैट के दरमियान ही मांगा और उसने कोई खास ऐतराज़ जताए बिना मुझे अपना नंबर दे दिया।
अब हमारी व्हाट्सऐप पर रोजाना करीब 12-12 बजे तक चैटिंग होने लगी। हम हर तरह की बातें करने लगे थे, हर तरह की ‘बात’ का मतलब सेक्स चैट… आप समझ गए होंगे।
एक बार उसने मुझे बताया कि उसे घूमने-फिरने का काफी शौक है। मैंने पूछा- आज तक कौन-कौन सी जगह देखी हैं? उसने जगहों के नाम बताने शुरू किए।
मेरे मजाकिया दिमाग में मज़ाक सूझा और मैंने पूछा- कभी जंगल देखा है? उसने कहा- नहीं देखा। मैंने पूछा- देखना चाहती हो? उसने कहा- हाँ, क्यूँ नहीं?
जो लोग बड़ोदरा में रहते हैं या बड़ोदरा को जानते हैं.. उन्हें पता होगा कि बड़ोदरा के बाहरी इलाकों में आबादी न होने के कारण उन इलाकों में आपको घने जंगलों सा अनुभव मिलता है। मैंने उन्हीं में से एक जगह दिखाने का उसे वादा किया और इस तरह मैंने उसे मेरे साथ अकेले एक लगभग सुनसान जगह चलने के लिए मना लिया।
हम रविवार को मिले.. वो मेरे साथ मेरी बाइक के पीछे बैठ गई और हम चल दिए। करीब 30 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद मुझे एक शरारत सूझी। मैंने उससे पूछा- तूने कभी बाइक चलाई है? उसने कहा- ना, कभी नहीं। मैंने कहा- ले आज चला ले!
उसने मना कर दिया.. पर मुझे भी अपनी बात मनवाने आती है। आखिर उसने मेरी ज़िद मान ली। मैंने बाइक के आगे की सीट पर उसे बिठा दिया और खुद पीछे बैठ गया।
अब उसे तो बाइक चलाने आती नहीं थी.. तो मेरा काम हैंडल संभालने में उसकी मदद करना हो गया था। ऐसा करने के लिए मुझे पूरी तरह से उससे चिपकना पड़ रहा था। काश.. मैं आपको वह अनुभव शब्दों में समझा सकता।
अब किसी लड़के की ऐसी परिस्थिति में क्या हालत हो सकती है.. आप अनुमान ही लगा सकते हैं। उसकी गांड से चिपकने से मेरा भी लंड खड़ा हो गया था। दोस्तों लंड इतनी बेहतरीन तरीके से उसके पिछले हिस्से में गांड को छू रहा था कि मैं क्या बताऊँ।
अचानक उसने कहा- अब मुझे बाइक नहीं चलानी। मैं डर गया.. मुझे लगा कि शायद उसे इस बात का बुरा लग गया होगा। मैंने बिना कुछ कहे चुपचाप उसे पीछे बैठा लिया और हम आगे बढ़ गए।
कुछ दूर आगे जाने के बाद अचानक उसने कहा- रूक जरा.. वो देख सामने वाले खेत में पेड़ के पास एक कुआं है.. मुझे वो कुआं देखना है। मैंने कहा- ठीक है.. चलो चलते हैं।
हम दोनों वहाँ पहुँचे।
मैंने कहा- इस कुएं में देखने लायक ऐसा क्या है? उसने कहा- तुम चुप रहो, तुम्हें कुछ नहीं पता।
अब मैं क्या कहता.. सो चुप हो गया।
वो कुएं के आस-पास घूमने लगी.. जैसे वो कुएं को हर तरफ से देख लेना चाहती हो। अचानक उसकी चीख सुनाई दी.. जब मैंने उसे देखा तो वो अपना दाहिना पैर पकड़ कर ज़मीन पर बैठी रो रही थी। मैं दौड़ कर उसके पास गया.. देखा तो उसके पैर में करीब एक इंच लंबा काँटा करीब एक तिहाई अन्दर तक घुस गया था।
उसकी हालत खराब होती जा रही थी, मैंने सोचा- अब मुझे ही ये काँटा एक झटके से निकालना पड़ेगा और अगर मैंने अपनी कांटे को निकालने की तरकीब के बारे में रितु को बताया तो शायद उसकी हालत और ख़राब हो जाएगी।
मैंने जल्दी से उसका पैर पकड़ा और पूरी ताकत से एक झटके में वो काँटा खींच लिया। उसकी एक तेज़ चीख निकली.. पर काँटा पैरों से बाहर देख उसका रोना कम हो गया।
मैंने कहा- चलो अब हमें घर चलना चाहिए। उसने कहा- अभी कैसे जाएं? क्या तुम देख नहीं सकते कि मेरी हालत कितनी ख़राब है?
मुझे क्या करना चाहिए.. मैं समझ नहीं पा रहा था। मैंने उसे धीरे से अपनी गोद में उठाया और कुएं के पास वाले पेड़ के पास उसे अपनी गोद में ही लेकर बैठ गया। मैं बड़ी बेबसी से उसकी मासूमियत के साथ उसके बहते हुए आंसुओं को देखने लगा।
उसने मुझसे पूछा- तुम क्या देख रहे हो? तो मैंने उत्तर दिया- सब मेरी गलती है.. मुझे तुम्हें यहाँ लाना ही नहीं चाहिए था।
वो मुझे कुछ सेकंड्स के लिए एकटक देखती रही और अचानक उसने अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए। कुछ पलों के लिए तो मैं स्तब्ध रह गया और सोचने लगा कि ये मेरे साथ क्या हो रहा है।
जब हमारे होंठ अलग हुए तब रितु ने कहा- तुम्हारी कोई गलती नहीं है, आई लव यू! मैं फिर से कुछ पलों के लिए स्तब्ध रह गया और सोचने लगा कि क्या ये मेरे साथ सच में हो रहा है।
अब मैंने आव देखा न ताव और रितु को अपनी बाँहों में जकड़ने लगा और अपने होंठों से उसके होंठों की संवेदना को नापने लगा। क्योंकि वो एक सुनसान इलाका था.. सो हमें किसी बात की चिंता न थी।
रितु का रोना अब बंद हो चुका था और मेरा लंड भी खेल के मैदान में कूदने के लिए मचल रहा था। इस सुनसान इलाके में हम दोनों के चुम्बनों की आवाजें ही गूंज रही थीं।
मेरी हथेलियां कब उसकी कमर से उसके मम्मों पर आ गईं.. मुझे इस बात का पता ही नहीं चला। पर अब चुम्बनों के साथ-साथ मेरे कानों में उसकी हल्की सिस्कारियां भी पहुँच रही थी। मेरे हाथ उसके हर अंग को महसूस कर रहे थे। उसी तरह मैं रितु की हथेलियों को भी अपनी पीठ के हर हिस्से में महसूस कर सकता था।
कुछ मिनट के लगातार चुम्बन के बाद हम दोनों अलग हुए। हम दोनों काफी उत्साहित थे। रितु ने मुझसे कहा- कभी इस रास्ते पर चले हो? मैं मुस्कुराया और कहा- नहीं, पर तुम जैसा साथी साथ देने को होगा तो मैं किसी भी रास्ते पर चलने को तैयार हूँ।
वो थोड़ा मुस्कुराई और हम फिर से एक-दूसरे को चूमने लगे। फिर करीब दो मिनट बाद हम अलग हुए और मैंने उसकी पैंट और पेंटी दोनों उतार दी, रितु के साथ मिलन का द्वार मेरे सामने था। किसी पवित्र द्वार की चौखट की तरह मैं उसे चूमने लगा।
चूत को चूमना कब चाटने में बदल गया.. पता न लगा। अचानक वो स्खलित हो गई.. पर मैं अपने काम में लगा रहा। थोड़ी देर बाद वो कहने लगी- बस करो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मैंने कहा- अभी कहाँ जानेमन.. अभी तो तुम्हारी बारी है।
मैं अपना लंड उसके होंठों पर लगाने लगा था.. पर वो मना करने लगी।
जैसा कि आप जानते हैं मुझे अपनी बात मनवाने अच्छी तरह आती है। उसने अंततः मेरा लंड अपने मुँह में ले ही लिया। फिर क्या था.. मैं जन्नत की सैर करने लगा। कुछ मिनट के मुख मैथुन के बाद मैं झड़ने ही वाला था.. पर मैंने रितु को यह नहीं बताया और उसके मुख में ही स्खलित हो गया।
अब मैं वहीं उसके बगल में लेट कर सुस्ताने लगा। करीब 5 मिनट के बाद मैं फिर तैयार था। इस बार मैंने उसका टॉप भी अलग कर दिया और उसकी चूत पर लंड टिका दिया।
मैंने तीन बार कोशिश की.. पर उसकी चूत चिकनी और कसी हुई होने के कारण मेरा लंड इधर-उधर फिसले जा रहा था। चौथी बार मैंने धीरे-धीरे.. बड़े ही आराम से अपने लंड को घुसाने की कोशिश की और जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर जाने लगा, रितु की सिसकारियां ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ बढ़ने लगीं।
हालांकि उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे.. पर मैं जानता था कि ये आंसू क्षण भर के थे। इसी लिए मैंने उसके आंसुओं को न चाहते हुए भी नज़रंदाज़ कर दिया। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मेरा लंड पूरी तरह अन्दर जा चुका था और अब मैं धक्के लगाने के लिए तैयार था। मैंने रितु की तरफ देखा और पूछा- क्या तुम ठीक हो? उसने बिना कुछ कहे ‘हाँ’ का इशारा किया।
मैंने लंड को आगे-पीछे करना शुरू किया। मैं शुरूआती गति को आगे बढ़ाता रहा और करीब दस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही स्खलित हो गए।
हम दोनों ने अलग-अलग सम्भोग-मुद्राओं में संभोग किया। हम सभी जानते हैं कि संभोग क्रिया क्या होती है.. सो मैं उसका ज्यादा विवरण नहीं दे रहा हूँ। उस दिन, हमने दो घंटे में करीब तीन बार चुदाई की।
अब शाम ढलने लगी थी.. सो मैंने कहा- अब हमें चलना चाहिए?
उसने अपनी सहमति दी.. और हमने घर के लिए वापसी की। वापसी में मैं उसे अपने बाइक के शीशे से देख रहा था, वो थोड़ी थकी हुई.. पर खुश दिख रही थी।
आज भी जब मैं ‘जंगल..’ शब्द कहता हूँ तो वो शर्मा जाती है। हमारे बीच हुए इस वाकिये के बारे में केवल दो व्यक्ति जानते हैं.. यानि सिर्फ हम दो। पर दोस्तो, उस दिन के बाद हमें दुबारा कभी जंगल नहीं जाना पड़ा। उस दिन के बाद शायद ही कोई हफ्ता ऐसा रहा होगा.. जब हम लोगों ने संभोग नहीं किया होगा, सिवाए तब के जिस हफ्ते मैं बड़ोदरा नहीं होता या रितु का मासिक चल रहा होता है।
हालांकि मेरी कहानी किसी और औसत कहानियों से ज्यादा अलग नहीं है.. पर मैंने आप लोगों से इस कहानी को शेयर करना बेहतर समझा। मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
[email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000