मौसेरी बहन की अन्तर्वासना चलती बस में शान्त की

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मैं भठिंडा पंजाब का रहने वाला हूँ। यह मेरी पहली हिंदी सेक्स स्टोरी है जो मैं आप सबके साथ बाँट रहा हूँ।

बात आज से तकरीबन बारह साल पहले की है जब मैं अपने नाना के घर रहने जा रहा था, दिसम्बर का आखिरी हफ़्ता था, मेरे साथ मेरी माँ थी, हमने सोचा कि मेरी मौसी को भी साथ ले चलते हैं, हमने उनको भी साथ चलने को कहा तो वो और उनकी बेटी भी हमारे साथ जाने को तैयार हो गई।

सर्दियों की शाम के चार बजे थे, हम बस चढ़ गए, तीन साढ़े तीन घन्टे का रास्ता था, मैं और मेरी मौसी की बेटी एक सीट और माँ और मौसी हमसे आगे वाली सीट पर बैठी। रास्ते में कुछ सवारी और मिल गईं, बस खचाखच भर गई। अब अंधेरा सा भी होने लगा था।

रास्ते में मुझे महसूस हुआ कि मेरी मौसी की लड़की मेरे बिल्कुल साथ लग कर बैठी हुई थी, मैं भी थोड़ा उसके पास हो गया, फिर मैंने अपनी बांह को उसके सिर के पीछे कर लिया!

अब मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रख कर मम्मे पर एक उंगली लगाई तो उसने कोई विरोध नहीं किया। फिर मैंने थोड़ी देर बाद अपनी दो उंगलियाँ उसके मम्मों पर रख दीं। अब उसने मेरी तरफ देखा तो मुझे लगा कि अब मेरी वॉट लगेगी और ये सभी को बता देगी। लेकिन उसने मेरी तरफ देखा और एक छोटी सी स्माइल दी। इससे मेरा हौसला और बढ़ गया।

अब तो मैंने अपना पूरा हाथ उसके मम्मे पर रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा। इससे उसे भी मज़ा आने लगा और मुझे तो पहले से ही आ रहा था।

जब मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा तो उसकी आँखें बंद थीं.. मतलब उसे बहुत मज़ा आ रहा था। थोड़ी देर सहलाने और दबाने के बाद मैंने अपना हाथ पीछे कर लिया तो वो मेरी तरफ देखने लगी।

मैंने उसे इशारा किया कि वो मेरी तरफ़ थोड़ी पीठ घुमा कर बैठ जाए। फिर मैंने उसके कमीज़ नीचे से उठाना शुरू किया। हालांकि मुझे डर भी था कि साइड से ड्राइवर ना देख ले और पीछे से हमारे घर वाले ना देख लें। मुझे सारा काम बड़ी ही सावधानी से करना था।

उसने भी मेरी मदद करते हुए अपने आपको थोड़ा आगे को झुका लिया। इस तरह से होने से उसके मम्मे कुछ अन्दर को हो गए।

अब मैंने बड़ी ही सावधानी से उसके कमीज़ को ऊपर को खींचना शुरू किया तो उसने भी मेरी मदद की और थोड़ा आगे होकर कमीज़ को ऊपर कर दिया। मैंने कमीज को सिर्फ़ इतना उठाया था कि मेरा हाथ साइड से उसकी कमीज़ के अन्दर चला जाए। मैंने कमीज़ के अन्दर हाथ डाला तो पता चला कि उसने ब्रा पहनी हुई थी और वो भी गुदगुदी थी।

मैंने उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया। बीच-बीच में मैं मम्मों को थोड़ा-थोड़ा दबा भी देता था। उसे फिर से मज़ा आने लगा तो उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

मैंने धीरे से उसकी ब्रा को ऊपर कर दिया ताकि उसके मम्मों को हाथ लगा सकूँ। जब मैंने उसके नंगे मम्मे को हाथ में पकड़ा तो मुझे लगा मैं तो स्वर्ग में ही पहुँच गया। उसका मुम्मा इतना सॉफ्ट था कि हाथ लगते ही मुझे लगा जैसे किसी रूई के गोले को पकड़ लिया हो।

मैंने उसे सहलाना जारी रखा। थोड़े टाइम के बाद मैंने महसूस किया कि उसका मुम्मा सख़्त होता जा रहा है। उसके निप्पल भी बड़े और कड़े हो चुके थे। मैंने हाथ थोड़ा सा आगे करके उसके मम्मे के निप्पल को पकड़ लिया और उसे अपनी उंगली और अंगूठे में पकड़ कर मसलने लगा। उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी तो मैंने उसे चुप रहने को बोला।

फिर मैंने अपना हाथ थोड़ा और आगे को करके उसका दूसरा मुम्मा भी पकड़ लिया और उसे भी मसाज देते हुए उसके निप्पल को रगड़ना शुरू कर दिया। उसे बहुत मज़ा आने लगा। इतने में मैंने पीछे देखा तो सब लोग अपनी-अपनी बातों में मस्त थे और किसी का हमारी तरफ ध्यान नहीं था। इससे मुझे अपना काम करने में थोड़ी सी आसानी हो गई।

थोड़ी देर बाद मौसी की लड़की ने मुझे रुकने को कहा और पीछे अपनी मम्मी को एक शाल देने को कहा- मुझे सर्दी लग रही है.. शाल दे दो।

उन्होंने उसे एक शाल दे दिया। उसने उस शाल को अपने ऊपर ले लिया और मुझे इशारा किया तो मैंने फिर से अपना हाथ उसके शॉल के अन्दर डाल दिया। अबकी बार तो मैं हैरान ही रह गया था कि उसने शाल के अन्दर से अपना कुरता और ब्रा को पूरा ऊपर उठा दिया था और उसके दोनों मम्मे बाहर थे।

मैंने थोड़ा सा उसकी तरफ मुड़ कर बाहर को देखने का दिखावा किया और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों मम्मों को पकड़ लिया। मेरे हाथ सर्दी होने के कारण ठंडे थे और उसके मम्मे इतने गरम थे जैसे किसी भट्टी से निकले हों। मुझे गरमी महसूस होने लगी ओर मेरा लंड खड़ा होकर सलामी देने लग गया था। लंड पैंट से बाहर आने को तड़फ़ रहा था।

मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो उसने हाथ हटा लिया और पहले शाल को थोड़ा आगे करके मेरे ऊपर कर दिया और फिर मेरे लंड को पकड़ लिया। आह्ह.. मुझे तो जन्नत मिल गई थी। ये मेरा पहला अवसर था जब किसी लड़की ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया था।

उसके मम्मों को मसलते हुए मैंने अपना एक हाथ नीचे की ओर लेकर जाना शुरू किया। मेरा हाथ उसकी सलवार के नाड़े तक पहुँच गया।

मैं उसकी सलवार के अन्दर हाथ डालने लगा तो पाया कि उसने बहुत कस कर सलवार का नाड़ा बांधा हुआ था। मैंने उसे खोलने के लिए जैसे ही नाड़ा अपने हाथ में लिया.. तो उसने मुझे रोक दिया।

मैंने फिर से उसके मम्मों को मसलना शुरू कर दिया। थोड़े टाइम बाद उसने अपने हाथ से मेरा हाथ अपने मम्मे के ऊपर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.. तो मुझे एहसास हुआ कि इसे चुदास की गर्मी चढ़नी शुरू हो गई है।

मैंने और ज़ोर-ज़ोर से उसके मम्मे मसलना शुरू कर दिए।

फिर उसने अपने एक हाथ से मेरा एक हाथ पकड़ कर नीचे ले जाना शुरू किया और सीधा अपनी सलवार के ऊपर फुद्दी वाली जगह पर रख दिया और सलवार के ऊपर से ही मसलवाना शुरू कर दिया। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

धीरे-धीरे सहलाने से उसका कामरस निकल कर मेरे हाथ पर लगाना शुरू हो गया।

मैंने उसका नाड़ा खोलने की कोशिश की तो उसने मुझे रोका और खुद ही अपना नाड़ा ढीला कर दिया। मुझे उसकी सलवार में अपना हाथ डालने में आसानी हो गई। सलवार के अन्दर हाथ डालने के बाद मैंने उसकी पैन्टी में भी हाथ डाल दिया और उसकी फुद्दी को सहलाना शुरू कर दिया।

उसकी फुद्दी के होंठ बिल्कुल एक-दूसरे के साथ चिपके हुए थे लेकिन कामरस निकलने के कारण मेरी उंगली आसानी से उसकी चूत में थोड़ी सी अन्दर-बाहर होने लगी थी।

थोड़ी देर सहलाने के बाद मैंने उसके दाने को सहलाना शुरू कर दिया.. तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर ज़ोर से अपनी फुद्दी पर रगड़ दिया। मैं एक हाथ से फिर से उसके मम्मे को रगड़ने लगा तो दूसरे हाथ को दाने के ऊपर रगड़ता रहा। फिर उसने मेरी उंगली पकड़ कर अपनी फुद्दी में डाल ली ओर अन्दर-बाहर करवाने लगी।

उंगली अन्दर डालते वक़्त उसने एक कामुक सिसकारी भरी उम्म्ह… अहह… हय… याह… और मेरे लंड को बहुत ज़ोर से दबा दिया।

उसने लंड को इतना ज़ोर से दबाया कि मेरे लंड में दर्द होना शुरू हो गया। मैंने उसकी फुद्दी में उंगली ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में उसका शरीर कांपना और अकड़ना शुरू हो गया और उसने मुझे बहुत ज़ोर से पकड़ लिया। उसने मेरे लंड को भी जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया। थोड़े ही टाइम में उसकी फुद्दी ने कामरस मेरे हाथ पर छोड़ दिया।

अब उसने थोड़े टाइम के लिए अपना शरीर हल्का छोड़ दिया और साँस लेने लगी। मैंने अपनी उंगली पर लगा कामरस हाथ बाहर निकालकर चाटना शुरू कर दिया.. तो उसने मुझे देखा और शर्मा गई।

उसने बड़े ही प्यार से मुझसे कहा- आई लव यू जान.. मुझे उसके चेहरे पर संतुष्टि दिखाई दे रही थी। मैंने भी उससे कहा- आई लव यू टू जान..

फिर उसने अपना नाड़ा दुबारा से बाँध लिया और अपने मम्मे ब्रा के अन्दर करके सूट ठीक कर लिया। इसके बाद उसने मेरे लंड को फिर से पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया.. तो मैंने उससे कहा- थोड़ा टाइम रूको.. और पहुँचने के बाद जन्नत की सैर करेंगे।

उसने पीछे देखकर बड़ी ही सावधानी से मेरे गाल पर चुम्मी कर दी और हल्के से कहा मुझे अपनी गोद में सुला लो मुझे तुम्हारा रस पीना है। मैंने उसको अपनी गोद में लिटा लिया उसने मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और मैंने उसके सर के ऊपर शाल उढ़ा दी। कुछ ही समय में मेरा लंड उसके मुँह को चोदने लगा.. और झड़ गया। उसने मेरी पैंट को गीली नहीं होने दिया और मेरा पूरा रस पी गई।

अब घर पहुँच कर उसकी चुदाई का खेल कैसे हुआ ये मैं आप सभी अपनी अगली कहानी में लिखूँगा। आपके ईमेल के इन्तजार में हूँ। [email protected]

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