This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
साली जीजा से शादी करना चाहती थी-1
अब तक आपने पढ़ा.. मैं अपनी विवाहित साली के शहर में उसके साथ था और अब उसकी चूत मुझसे चुदने के लिए उतावली दिख रही थी अब आगे..
मेरी साली बोली- कल रात को तुम्हें नींद नहीं आ रही थी क्या? मैंने कहा- नहीं तो.. अच्छी नींद आई थी.. क्यों कोई बात है? वो बोली- नहीं.. मैंने तुम्हें रात में बालकनी में देखा था। मैंने कहा- हाँ अन्दर थोड़ी बेचैनी हो रही थी.. तो टहलने गया था।
फिर वो मुस्कुराने लगी तो मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ? वो बोली- अगर तुम मुझसे प्यार करते हो या मुझे चाहते हो तो मुझसे कह क्यों नहीं देते?
यह सुनते से ही मैं तो सकपका गया, मैंने कहा- नहीं पलक.. ऐसी कोई बात नहीं है। तो वो बोली- मेरे सर पर हाथ रख कर कसम खाओ और कहो कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते।
मैं बात को टालने लगा.. तभी वो उठ कर मेरे सामने खड़ी हो गई और उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर मुझे भी उठाया और मेरे गले में अपनी बाँहें डाल कर रोने लगी।
फिर मैंने भी अपने हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी कमर और उसके बालों को सहलाते हुए उसे चुप कराने लगा। मगर यह क्या, मेरे पैंट में फिर हलचल होने लगी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ।
फिर धीरे-धीरे मैं अपने मुँह को उसके महकते हुए बालों में उलझाने लगा और उसके कान के पास मैंने एक धीरे से किस कर लिया और हल्के से काट लिया।
वो अचानक से ‘आआहह..’ भरने लगी और बोली- मैं तुम्हें तभी से प्यार करती थी.. जब तुम्हारी शादी नहीं हुई थी मगर दीदी की वजह से कभी बोल नहीं पाई.. आज मैं तुम्हारी और सिर्फ़ तुम्हारी होना चाहती हूँ.. मुझे अपना बना लो डियर जीजा जी!
यह कहकर उसने अपने होंठ मेरे होंठों के सामने कर दिए। अब हम दोनों की गरम साँसें एक-दूसरे की सांसों में मिल रही थीं। उसकी आँखें बंद थीं.. उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था.. जो मैं अपने सीने पर महसूस कर पा रहा था।
फिर मैंने अपने होंठों को उसके काँपते हुए होंठों पर रख दिए और हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में और होंठों में खो गए।
धीरे धीरे अचानक से ही उसके हाथ मेरी गांड पर रेंग रहे थे और मैंने भी पाया कि मेरे हाथ उसकी पीठ, कमर, और उसकी गांड को सहला रहे हैं और वो नीचे से अपनी चूत वाले भाग को ज़ोर लगा कर मेरे लंड पर दबा रही थी।
तभी हम दोनों एक झटके से बिस्तर पर गिर पड़े.. जिससे वो मेरे ऊपर आ गई और मैं उसके नीचे आ गया।
वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। उसकी आँखों में वासना साफ़-साफ़ झलक रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो जाने कितने जन्मों से सेक्स की प्यासी हो।
वो मेरी शर्ट उतार कर मेरे निप्पल्स के आस-पास अपने होंठ फिराने लगी और हाथ नीचे ले जाकर मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने भी अपने हाथ उसकी नाइटी के अन्दर घुसेड़ दिए और अपने हाथ से मैं उसकी नंगी पीठ, कमर, और जाँघों को सहला रहा था। इसके साथ ही उसके मुँह से गर्म सिसकारियां निकल रही थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह….’
तभी मैंने पाया कि उसने तो पेंटी ही नहीं पहनी है, मैंने उससे पूछ ही लिया तो वो बोली- कल रात को एक चोर मेरी पेंटी चुरा के आज सुबह भाग गया था। यह कह कर उसने मेरी पैंट का हुक भी खोल दिया और वो मेरी पैंट को नीचे सरकाने लगी। अब मैं उसके सामने सिर्फ़ अंडरवियर में पड़ा हुआ था और वो बिस्तर पर मेरे दोनों तरफ टांगें करके मेरे ऊपर खड़ी हुई थी।
आअहह.. दोस्तो.. ऐसा लग रहा था कि मानो अगर ये अंडरवियर ना होती तो मेरा लंड उसे खड़े-खड़े ही चोद देता।
तभी मैं अपने हाथों को उसके पैरों पर सहलाते हुए धीरे-धीरे ऊपर ले जाने लगा और वो मेरे बाजू में आकर लेट गई। उसके मुँह से तरह-तरह की आवाजें आ रही थीं ‘आआअहह.. ओह.. आहउओ.. नाआआ.. छोड़ोऊ.. मत.. मुझे आज्ज्ज.. सस्स्स्सीईई.. उउफ्फ़..’
वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गई तो मैंने उसे पीछे से पकड़ा.. जिससे मेरा लंड उसकी गांड के ऊपर टिक गया और मैंने अपने हाथों से उसके मम्मों को उसकी नाइटी के ऊपर से ही पकड़ लिया और धीरे-धीरे उन्हें मसलने लगा। वो तड़पने लगी.. और मुझसे और ज्यादा पीठ चिपकाने लगी।
फिर अचानक वो पलटी और मेरे ऊपर अपनी टाँग डालकर अपनी चूत को मेरे लंड पर धकेलने लगी, मैंने उसके नाइटी को खींच कर उसके सिर के ऊपर से निकाल दिया।
अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में लेटी हुई थी, उसने अपनी बाँहें ऊपर उठा कर तकिए को ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी दोनों टांगें फैला कर मुझे मानो इन्वाइट किया कि आओ और खा जाओ मेरी मुनिया को!
मैंने भी खड़े होकर अपना अंडरवियर सरका दिया। मेरा लंड स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ गया।
उसे देख कर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं, वो बोलीं- हाइईई.. ये इतने सालों से इसे अब तक कहाँ छुपा के रखा था जीजू.. लाओ ये तो अब मेरा है।
यह कह कर वो उठ कर बैठ गई और मैं खड़े-खड़े ही उसके मुँह के सामने अपना लंड झुला रहा था। तभी उसने मेरी गोटियों को सहलाना शुरू किया और मेरे लंड को अपने मुँह में भरने लग गई।
‘आअहह.. पलकक्क.. आआहह.. लो नाअ.. चूसो नाअ.. अयाह..’ मैं अपने हाथों से उसके सिर को पकड़ कर अपने लंड की और खींचने लगा। उसने धीरे-धीरे करके मेरा पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया।
कुछ देर की लंड चुसाई के बाद मैंने उससे कहा- पलक, मैं अपना माल कहाँ निकालूँ? तो वो बोली- आज तो आप और आपका अपना सारा माल मेरा है जीजाजी.. निकाल दो.. जहाँ मर्ज़ी हो।
उसका इतना कहना था कि तभी ‘आआअहह.. ऊऊहह.. उम्म्म्म..’ एक ज़ोर के झटके से मैंने अपना माल उसके मुँह में ही निकाल दिया.. जिसे वो बड़े चाव से चूसते हुए और चाट कर साफ़ कर गई।
मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरे निप्पलों को चूसने में लग गई। कुछ ही मिनट में मेरे लंड में फिर जोश आ गया।
अब मैंने उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके दोनों दूध मेरे सामने अपने गुलाबी निप्पलों के साथ खड़े थे।
उसके निप्पलों को देख कर मैं कंट्रोल नहीं कर पाया और मैंने अपनी उंगलियों से उन्हें छेड़ना शुरू कर दिया, वो ‘आहें..’ भरने लगी और उसकी चूत भी रस छोड़ने लगी जिससे चादर पर भी बड़ा सा गीला दाग बन गया।
वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे मुँह में उसने अपना एक दूध भर दिया और कहा- काटो इसे राजा.. चाटो इसे.. मसल डालो इसको.. आआअहह.. बड़े परेशान करते हैं। मैं एक हाथ से उसके एक दूध को पकड़ कर मसलने लगा और दूसरे को अपने मुँह में भर कर चूसने-चाटने लगा।
फिर मैंने उसे पलटा लिया और वो मेरे सामने पैरों को उठा कर लेट गई.. जिससे कि उसकी चूत और गांड और बाहर को निकल आए। मैं उसकी चूत के नीचे घुस गया.. और अपनी जीभ से उसकी चूत के पानी और और उसकी चूत के आसपास उसकी जाँघों को चाटने लगा।
मैं अपने हाथों से उसकी गांड को मसलते हुए उसकी गांड में अपनी एक उंगली डालने की कोशिश भी करने लगा। वो अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगी।
मैंने अपनी दोनों उंगलियों से उसकी चूत को अच्छे से खोला और अपनी जीभ अन्दर डाल कर उसके जी-स्पॉट को छेड़ने लगा। उसका चना ऐसे मचल रहा था कि क्या बताऊँ ‘आआअहह.. ऊऊओह.. प्रथम.. आओ नाआ.. चाटोओ..नाअ.. प्लीज़.. उफफ्फ़.’
मैं पूरे मनोयोग से उसकी चूत को चाटने चूसने लगा और उसकी गांड में उंगली अन्दर-बाहर करने लगा। कुछ देर ऐसे ही उसकी चूत चाटी तो वो थोड़ी देर में झटके देने लगी। मैं समझ गया कि अब ये झड़ने वाली है और मैंने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी।
तभी एकदम से एक लंबी सी ‘आआआहह..’ के साथ वो मेरे मुँह में ही झड़ गई। ‘भल्ल..’ से उसकी चूत का रस मेरे मुँह में आने लगा। आह.. क्या स्वाद था नमकीन सा.. बिल्कुल खारे समुंदर के पानी जैसा।
तभी वो उठी और बोली- मैं बाथरूम से आती हूँ.. तुमने तो सब गंदा कर दिया है। तो मैंने कहा- अब काम ही गंदा कर रहे हैं तो गंदगी तो मचेगी ही.. कोई ज़रूरत नहीं बाथरूम जाने की.. जो करना है अब आज सब यहीं होगा।
यह कहकर मैंने फिर से उसकी चूत पर अपनी ज़ुबान लगा दी और उसे चाटने लगा। वो बोली- नहीं प्लीज़.. मत करो यार.. मैं यहीं सूसू कर दूँगी। मैंने कहा- आने दो रानी.. ज़ोर लगाओ और आज यहीं हो जाने दो।
‘आहह..प्रथमम्म्म.. उफ्फ़.. अब नहीं रोक पा रही हूँ..’ एक ‘सर्ररर..’ सी धार उसने मेरे चेहरे पर छोड़ दी। क्या गरम धार थी दोस्तों.. आआहह.. ऐसा लगा कि मैं तृप्त हो गया।
फिर वो निढाल होकर मेरे बाजू में ही लेट गई। वो बोली- छीईए.. गंदे.. क्या करवा दिया ये.. पूरा बिस्तर गीला करवा दिया। मैंने कहा- अभी तो बहुत टाइम है.. तब तक तो बिस्तर भी सूख जाएगा।
हम दोनों एक-दूसरे से चिपट गए और फिर धीरे-धीरे एक-दूसरे के शरीर की गर्मी से फिर हम दोनों तैयार होने लगे। अब मेरा लंड खड़ा होकर उसकी जाँघों के बीच में अपनी जगह बना रहा था।
उसने अपनी टांगें खोल कर मेरे ऊपर चढ़ा दीं और बोली- लो इसे इसकी सही जगह दिखाओ।
ये कहकर उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया। मैं पलटी मार के उसके ऊपर आ गया और मैंने उसकी दोनों टांगें खोल कर फैला दीं.. और अपने हाथों से उसकी चूत की दोनों फांकों को खोल कर फैला दिया। अब मैं धीरे-धीरे से अपने लंड से उसकी चूत के मुँह को सहलाने लगा।
उसने अपने हाथों से ही अपनी फांकों को और फैला कर अपनी चूत को मेरे लंड पर और थोड़ा ज़ोर लगा कर अन्दर धकेल दिया। आआआअह.. उसकी चूत की गर्माहट पाकर तो अन्दर जाकर लंड और भी बड़ा होने लगा।
‘उमम्म्म.. ऊऊऊओह.. ऊऊओफफ्फ़.. आहह..’ की आवाज़ से पूरा कमरे गूंजने लगा। फिर वो खुद ही नीचे से उछल-उछल कर धक्के मारने लगी ‘उउम्म्म्म.. आआओ.. नाअ.. ज़ाआनूउऊ चोद दो अपनी साली को..’
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों दूध पकड़ लिए और जोर से दबाने और मसलने लगा। हम दोनों के दोनों तरफ से धक्के लगने शुरू हो गए।
‘आआहह.. फकचह.. फकचह..’ की आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं। ‘ऊऊऊहह उम्म्म्म प्रथम.. चोदो नाअ.. अपनी इस रंडी साली को.. मैं आज से तुम्हारी रखैल हूँ.. आआहह..’ यह कह कर उसने मेरी कमर में अपनी दोनों टांगें लपेट लीं।
करीब 20 मिनट धकापेल चुदाई की मेहनत के बाद जब हम दोनों ने एक साथ एक-दूसरे को पूरी ताकत लगा कर अपना-अपना माल निकालने लगे तो कमरे में एक तेज़ आवाज आई ‘आआहह..उईई..उफ्फ्फ.. चुद गई रे.. कीमा बना दिया मेरी चूत का.. आह्ह..’ वो एकदम से शिथिल होती चली गई।
फिर हम दोनों ऐसे ही सो गए और शाम करीब 5 बजे उठे।
उसके बाद तो दोस्तों जब तक उसका पति नहीं आ गया.. हम दोनों ने ऐसी-ऐसी रास लीलाएं रचाईं.. कि पूछो मत!
मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़ने के लिए धन्यवाद।
आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000