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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मेरा नाम संजय है.. मेरी उम्र 20 वर्ष है। मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है.. रंग गोरा है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मैं दिखने में आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है.. मैं उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को पसंद आएगी।
बात लगभग 6 महीने पहले की है। मेरी एक फ्रेण्ड है, जिसका नाम शालिनी है। शालिनी दिखने में एकदम गोरी-चिट्टी है। उसकी 5 फुट 3 इंच की हाइट है। बड़ी-बड़ी काली आँखें हैं.. उसकी फिगर साइज 32-26-34 की है। कहने का आशय ये है कि वो इतनी सुंदर थी कि कोई भी लड़का उसको एक बार देख ले तो देखता ही रह जाएगा।
वो दिल्ली की रहने वाली थी। मैं उससे एक चैटिंग साइट पर मिला था। शुरू में हम दोनों ने नार्मल बातें की थीं लेकिन धीरे-धीरे हम सेक्स चैट करने लगे, इसके बाद हम फोन सेक्स भी करने लगे, हम दोनों ने एक दूसरे के साथ अपनी पिक्स भी शेयर की हुई हैं।
एक दिन मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारे साथ रीयल में सेक्स करना चाहता हूँ। उसने कहा- चाहती तो मैं भी हूँ.. लेकिन मैंने पहले कभी नहीं किया है.. इसलिए मैं थोड़ा डरती हूँ।
मैंने उसको जैसे-तैसे मना लिया और एक दिन प्लान बनाकर उससे मिलने चला गया।
वो बस स्टैंड पर मुझे रिसीव करने आई थी। जब मैंने पहली बार उसको देखा तो देखता ही रह गया, उसने ब्लू जीन्स और पिंक टॉप पहना था, वो एकदम परी जैसी दिख रही थी।
उसने मुझे एक प्यारी सी स्माइल दी। फिर हम पास ही एक रेस्टॉरेंट चले गए, वहाँ थोड़ा नाश्ता किया.. फिर एक होटल में आ गए, मैंने होटल में रूम बुक किया।
कमरे में अन्दर जाते ही मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया। वो बोली- इतनी जल्दी क्या है.. छोड़ो भी। लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगा।
वो कसमसाने लगी थी, मैंने देर ना करते हुए उसको बिस्तर पर लिटा दिया। अब हम दोनों गर्म होने लगे थे, हमारी साँसें बहुत तेज हो चुकी थीं, मैंने अपने होंठ फिर से उसके रसीले गुलाबी होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा। उसके हाथ मेरी गर्दन पर थे, मैं उसकी गरम साँसों को महसूस कर सकता था।
उफ्फ.. क्या बताऊँ दोस्तो.. एक अजीब सा नशा था उसके होंठों में.. मैं उन्हें लगातार चूस रहा था, वो मेरी बाहों में मचल रही थी।
अब मैं उसके होंठों से होकर उसको गालों को चूमने लगा, उसके कानों की लौ को चूसने लगा। वो पूरी तरह मस्त हो चुकी थी।
इसी दौरान मैंने उसका टॉप उतार दिया। आह.. अन्दर का नज़ारा देखकर मेरा लंड झटके खाने लगा। उसकी काली ब्रा में गोरे-गोरे चूचे क़यामत ढा रहे थे।
मैं उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही बुरी तरह मसलने लगा.. साथ में मैं उसको कान के नीचे हल्का-हल्का काट भी रहा था।
इसी बीच मैंने अपनी शर्ट और बनियान भी उतार दी, मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल दिया और ज़िप खोलकर उसकी जीन्स नीचे खिसकाने लगा। उसने अपने चूतड़ों ऊपर उठाकर जीन्स उतारने में मेरी मदद की।
जैसे-जैसे उसकी जीन्स को मैं नीचे सरका रहा था.. मेरे हाथ उसकी गोरी चिकनी जांघों से रगड़ खा रहे थे। उसकी गुलाबी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी और उसकी चूत की मादक खूशबू मुझे और अधिक पागल कर रही थी। वो सीत्कार करने लगी थी.. उसके मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें निकल रही थीं।
अब मैं फिर से उसके ऊपर आ गया, मैं उसके मम्मों को मसलने के साथ-साथ उसकी गर्दन पर बाईट करने लगा। वो मेरी गर्म साँसों को अपनी गर्दन पर फील कर रही थी।
मैंने उसकी गर्दन पर ‘लव बाईट’ करते हुए वहाँ धीरे से फूँक मारी। उसको हल्की सी ठण्ड का एहसास हुआ.. जिससे उसको अच्छा लगा।
उसके हाथ लगातार मेरी पीठ पर चल रहे थे और वो सीत्कार कर रही थी। उसकी आँखें गुलाबी हो चुकी थी और चेहरा पूरा लाल हो गया था। फिर मैं अपने हाथ उसकी ब्रा के हुक्स पर ले गया और जैसे ही मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले.. उसके तने हुए चूचे जैसे एकदम से आज़ाद हो गए।
उसके दूध जैसे गोरे मम्मों के ऊपर गुलाबी चूचुकों ने तो मुझे पूरा पागल कर दिया। मैं पागल होकर उनको चूसने लगा और वो मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी। मैं उसके एक निप्पल को चूसने लगा तथा दूसरे को एक हाथ से मसलने लगा। कभी मैं दाएं मम्मे को चूसता.. तो कभी बाएँ को.. साथ में मैं उनको हल्का-हल्का काट भी लेता था.. जिससे वो मस्ती और दर्द से कराह उठती थी।
वो अपने एक हाथ से मेरे पैंट की ज़िप खोलने लगी। मैंने खड़े होकर अपना पैन्ट भी उतार दिया। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। मेरा लंड खड़ा था और अंडरवियर फाड़ने को बेताब हो रहा था।
मैं वापस बिस्तर पर आया और उसके मम्मों को चूसने लगा, उसने एक हाथ से मेरी अंडरवियर उतार दी।
जैसे ही मेरा लम्बा और मोटा कड़क लंड बाहर आया.. वो चौंक कर रह गई, बोली- बाप रे.. इतना बड़ा लंड.. मैं ये अपने अन्दर नहीं ले पाऊँगी। मैंने कहा- बस देखती जाओ।
उसको थोड़ी घबराहट भी हो रही थी। मेरे लंड पर प्री-कम लगा हुआ था.. जिसकी वजह से वो चिकना हो रहा था। वो मेरे लंड को हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगी।
अब मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में घुसेड़ दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी पैंटी के अन्दर गया.. तो उसकी क्लीन शेव्ड चूत के गीली होने की वजह से फिसल कर और नीचे चला गया, वो एकदम से उछली।
फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, उसने शर्म के मारे एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया। अब वो पूरी नंगी मेरी बाँहों में थी, सफ़ेद रोशनी में उसका पूरा शरीर चमक रहा था.. वो एकदम जन्नत की हूर लग रही थी।
मैं उसको देखकर बेकाबू हो रहा था, मेरा लंड पूरे जोश में आकर जैसे फटने वाला था। उसके मम्मों से नीचे आकर मैं उसकी नाभि को चूमने लगा। वो पूरी मस्ती में चिल्ला रही थी.. मैं अपनी जीभ से उसकी नाभि की गहराई को चाट रहा था।
फिर मैं और नीचे आया और अपनी उंगली से उसकी गुलाबी चूत के दोनों होंठों को अलग कर दिया.. जो पानी छोड़ रही थी। ऐसा करने से वो चिहुंक उठी।
अब तक हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे। मैं अपना मुँह उसकी चूत के नज़दीक लाकर सूंघने लगा.. वहाँ से पानी रिस रहा था। तभी मैंने अपनी जीभ उसकी गुलाबी चूत की फाँकों में घुसा दी और चूत के अन्दर गोल-गोल घुमाने लगा। वो अपनी जांघों को आपस में रगड़ने लगी और अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी।
वो ज़ोर-ज़ोर से ‘आहें..’ भरने लगी थी। मैं उसके कामरस के स्वाद का दीवाना हो गया और उसकी चूत की मादक खूशबू मुझे पागल कर रही थी। मैं कभी-कभी उसकी क्लाइटोरिस को भी चूम लेता था।
वो अपनी चूत उछाल रही थी और बोल रही थी- संजय आई लव यू.. प्लीज फ़क मी नाओ..
मैं अपनी एक उंगली भी धीरे-धीरे उसकी चूत पर फेरने लगा था। तभी उसका पूरा शरीर अकड़ने लगा.. वो नीचे से तेज झटके मारते हुए झड़ गई। मैं उसका नमकीन पानी पूरा पी गया।
अब मैं बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गया और उसको अपना लंड चूसने को कहा। वो अभी भी शर्मा रही थी और उसका चेहरा पूरा लाल था। पहले तो उसने मना किया लेकिन मेरे फ़ोर्स करने पर वो मान गई और मेरा लंड हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगी। फिर वो मेरे लंड का सुपाड़ा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मेरा पूरा लंड उसके मुँह के अन्दर नहीं जा रहा था लेकिन वो अन्दर लेने की पूरी कोशिश कर रही थी। धीरे-धीरे वो मेरे लंड को अपने गले तक अन्दर लेने लगी।
फिर मैंने उसको बेड पर लेटने को कहा, मैं उसके ऊपर उल्टा लेट गया, उसकी टाँगें मेरे सर की ओर थी और मेरी टाँगें उसके सर की ओर थीं। हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थे।
हम लगभग 15 मिनट तक ऐसे ही चुसाई करते रहे। इसी बीच वो एक बार मेरे मुँह मैं झड़ चुकी थी। अब मैं भी झड़ने वाला था तो मैं उसके मुँह में तेज-तेज झटके मारने लगा और एक के बाद एक करके मैंने कई पिचकारियां उसके मुँह में छोड़ दीं और मेरे साथ वो फिर से झड़ गई। वो मेरे वीर्य की एक-एक बूँद पी गई।
अब तक वो तीन बार झड़ चुकी थी और मैं एक बार खल्लास हो चुका था।
अब हम दोनों की हालत बहुत ही ख़राब हो चुकी थी, शालिनी की आँखों में मेरे लंड के लिए एक अजीब तड़प थी, उसने कहा- प्लीज संजय अब चोद भी दो.. मुझसे अब और कंट्रोल नहीं होता.. फाड़ दो मेरी चूत।
मेरा लंड फिर से पूरे जोश में आ चुका था। मैंने उसको पीठ के बल बिस्तर पर लिटाकर उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया.. जिसकी वजह से उसकी चूत ऊपर को उठ गई। उसकी चूत तीन बार झड़ने के कारण पूरी गीली थी।
मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा। उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो झुंझलाकर बोली- अब चोद भी दे यार.. क्यों तड़फा रहा है।
वो ये कहते हुए नीचे से मेरे लंड पर दबाव डालने लगी। मैंने उसके होंठों को अपने मुँह में जकड़कर एक धक्का मारा.. लेकिन मेरा लंड बाजू में फिसल गया।
वो हँसने लगी.. लेकिन मुझे पता था कि जल्दी ही वो रोना भी शुरू कर देगी। मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और एक ज़ोरदार झटका मारा। अबकी बार मेरा लंड उसकी चूत में आधा करीब घुस गया था। उसने चिल्लाने की कोशिश की.. लेकिन उसके होंठ मेरे मुँह में होने के कारण उसकी आवाज़ बाहर नहीं आई।
वो मेरी बांहों में जल बिन मछली की तरह छटपटाने लगी.. लेकिन मैंने अपनी मज़बूत पकड़ बनाए रखी। साथ में मैं उसके मम्मों को भी सहलाता रहा। वो रोने लगी.. उसकी आँखों से आंसू आने लगे, मैंने कहा- ज्यादा देर दर्द नहीं होगा.. थोड़ा और सहन कर लो।
दो मिनट बाद जब वो थोड़ी नार्मल हुई.. तो मैंने फिर से एक जोरदार झटका मारा और मेरा लंड उसकी सील को तोड़ते हुए अन्दर घुसता चला गया। वो दर्द के मारे लगभग बेहोश सी हो गई। उसकी चूत से खून निकलने लगा।
उसने मरी सी आवाज में कहा- ओह्ह.. प्लीज छोड़ दो मुझे.. मैं मर जाऊँगी।
लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी। मैंने कहा- अब और दर्द नहीं होगा, बस जितना दर्द होना था हो गया। उसने कहा- दर्द अब भी हो रहा है.. मुझे नहीं चुदवाना.. प्लीज छोड़ दो मुझे।
मैं फिर से उसके होंठों को चूसते हुए उसके मम्मों को सहलाने लगा। धीरे-धीरे वो फिर से नार्मल होने लगी। कुछ मिनट बाद उसने नीचे से अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी। मैं समझ गया कि वो अब तैयार है।
मैं अपना लंड धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा। उसको अभी भी हल्का दर्द हो रहा था.. लेकिन साथ में वो खुश भी हो रही थी क्योंकि उसको लगा उसने पूरा लंड अन्दर ले लिया है।
थोड़ी देर chhoTe chhoTe धक्के मारने के बाद मैंने फिर से ज़ोरदार धक्का मारा। वो इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी.. इसलिए ज़ोर से चिल्लाई, उसने दर्द के मारे अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए। उसकी आँखों से फिर से आंसू आने लगे।
थोड़ी देर की चुदाई की वजह से वो बहुत गर्म हो गई थी.. इसलिए उसने ज्यादा मना नहीं किया और कुछ ही पलों बाद मेरा साथ देने लगी।
अभी भी उसको दर्द हो रहा था लेकिन साथ में मज़ा भी आ रहा था। धीरे-धीरे उसका पूरा दर्द गायब हो गया और सिर्फ मज़ा आने लगा।
अब हम दोनों पूरे जोश में आ चुके थे और शानदार तरीके से चुदाई में लगे हुए थे। इसी बीच वो झड़ गई और मुझे मना करने लगी.. लेकिन मैंने उसको इग्नोर किया और लगातार धक्के देता रहा।
कुछ धक्कों के बाद वो फिर से जोश में आ गई और मेरा साथ देने लगी। पूरे कमरे में चूत रस में लंड की ठोकरें लगने के कारण ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाज़ गूंज रही थीं।
जैसे ही मैं ऊपर से धक्का मारता.. वो नीचे से कमर उछालती। साथ में वो चिल्ला भी रही थी ‘आआह्ह्ह.. संजय.. उउफ्फ्फ.. और जोर से चोदो मुझे.. उम्म्म.. प्लीज मेरी चूत फाड़ दो।’
उसकी आवाज़ सुनकर मैं और भी ज्यादा जोश में आ गया और तेज-तेज धक्के मारने लगा। हम दोनों चुदाई का भरपूर आनन्द ले रहे थे। मैंने उसको लगातार कई मिनट तक चोदा। अब मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था.. जिस वजह से मैं उसको फुल स्पीड से चोदने लगा।
मैंने उससे पूछा- मेरा होने वाला है, कहाँ निकालूँ। तो वो बोली- मेरी चूत में ही छोड़ दो।
मैंने तेज झटके मारते हुए अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। मेरे साथ ही वो फिर एक बार झड़ गई।
मैंने उससे पूछा- मज़ा आया? वो बोली- संजय आज तुमने मुझे वो मज़ा दिया है.. जो मैं सोच भी नहीं सकती थी।
मेरा मन उसके साथ एक बार और सेक्स करने का था.. लेकिन उसको घर जाने की जल्दी थी। मैंने उसको उठाया, उसको अभी भी दर्द हो रहा था और ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। उसने फिर से मिलने का वादा किया।
फिर हमने एक लम्बा लिप किस किया और वहाँ से चल दिए। वो मुझे छोड़ने बस स्टैंड तक मेरे साथ आई.. फिर हमने एक-दूसरे को हग किया और जल्दी मिलने का वादा किया।
ये मेरी उससे आखिरी मुलाक़ात थी.. पता नहीं क्या हुआ उसको.. उसने अपना नंबर भी बदल लिया और साइट पर आना भी बंद कर दिया। उसके बाद मुझे कभी सेक्स का मौका नहीं मिला।
दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची कहानी, कैसी लगी आपको.. अपने विचार और सुझाव जरूर भेजें। [email protected]
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