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चुत चुदाई की मेरी पहली हिंदी सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि स्कूल में सर ने मेरी कुंवारी चुत चोद दी थी। मेरी कहानी में वही सब कुछ है जो मेरा साथ घटित हुआ है।
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पढ़ने वाले मेरे प्यार दोस्तो, अपनी सखी प्रिया का नमस्कार स्वीकार कीजिए। अभी मैं 24 वर्ष की हूँ, मेरा रंग गोरा.. चूचे 36″ के और कमर 28″ की है और चुत चिकनी फ़ूली हुई है।
यह मेरी दूसरी सेक्स कहानी है कि मैं कैसे एक सामान्य स्कूल गर्ल से चुदक्कड़ लड़की बन गई.. आशा है कि आपको मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी पसन्द आएगी।
अब मैं कॉलेज की पढ़ाई के लिए तैयारी कर रही थी, कॉलेज जाने तक मुझमें बहुत बदलाव हो चुका था। मेरे चूचे बड़े हो गए थे और मेरी चुत की आग बहुत बढ़ गई थी।
मुझे कॉलेज के लिए अपने चाचा के घर शिफ्ट होना पड़ा क्योंकि वहाँ से मेरा कॉलेज नज़दीक था।
मेरे चाचा दिखने में थोड़े मोटे हैं, वे जब भी हमारे घर आते हैं.. उनकी नज़र हमेशा मेरा ऊपर ही बनी रहती है। मुझे अजीब सा लगता था.. पर मैंने कभी इतना ध्यान नहीं दिया।
अब जब मैं उनके घर ही रहने लगी.. तो वो मज़ाक के बहाने अक्सर मेरे कंधों और हाथों को छूने की कोशिश करते।
पहले 2-3 दिन तो ठीक चला। फिर मैं एक दिन नहाने के लिए बाथरूम गई और तौलिया ले जाना भूल गई। इसलिए मैंने आवाज़ लगाई। मुझे लगा पहले चाची आएंगी.. इसलिए मैंने बाथरूम का दरवाजा खुला रखा।
मैं अपने आपको आईने में देख रही थी.. जो बाथरूम के एक कोने में लगा था। वहाँ से दरवाजा नहीं दिखता था। मैं आईने में देख ही रही थी.. कि इतने में मुझे अपनी गांड में किसी का हाथ महसूस हुआ। मैं एकदम से मुड़ी.. तो डर के मारे मेरी चीख निकलने ही वाली थी कि चाचाजी ने मेरा मुँह पकड़ लिया और ‘सारी’ कहने लगे।
मैं शांत रही.. उन्होंने कहा- किसी को बताना मत। मैं- चाचाजी ये आप क्या कर रहे थे? चाचाजी- सारी बेटा तुम्हें देख कर रहा नहीं गया.. पर तुम चाची को मत बताना।
मैं उनके हाथ से तौलिया लेते हुए बोली- ठीक है.. नहीं बताऊँगी.. अब आप बाहर जाइए।
मुझे उन पर बहुत गुस्सा आ रहा था.. पर जाने क्यों मेरी चुत में सिरहन सी होने लगी.. उनका मेरी गांड पर हाथ फेरना अच्छा लगा। शायद मैं 4 महीनों से चुदी नहीं थी.. इसलिए ऐसा लगा था। मेरे सर ने मुझे चुदने की गंदी आदत जो लगा रखी थी।
कुछ देर बाद मैं अब बाहर आई। अब मैं चाचा जी को तड़पाना चाहती थी इसलिए मैंने वी-नेक वाली टी-शर्ट पहनी.. जिसमें से मेरा क्लीवेज साफ दिखाई दे रहा था, नीचे एक बहुत टाइट जीन्स पहनी हुई थी।
मैं जब बाहर आई.. तो वो मेरे क्लीवेज को घूर रहे थे।
जैसे ही चाची आईं.. उन्होंने मेरे चूचों पर से अपनी नज़र हटा दीं और फिर हम दोनों बाहर चल दिए।
मुझे उनके साथ कॉलेज में दाखिला का फॉर्म भरने जाना था। हम दोनों को बाइक पर जाना था। उन्होंने बाहर आ कर बाइक स्टार्ट की और मैं उनके पीछे बैठ गई। मैं उनसे थोड़ी दूरी बना कर बैठी थी.. पर जैसे बाइक की स्पीड ज़्यादा होती गई, मुझे उनके पास कंधा पकड़ने आना पड़ा। अब मेरी चूचियां उनको टच हो रही थीं.. और वो आईने से बार-बार मुझे देख रहे थे.. मैंने भी उनको स्माइल दी।
फिर मैंने फॉर्म लिया.. एड्मिशन करवाया और घर आ गए।
मेरा कॉलेज शुरू नहीं हुआ था, इसमें अभी एक हफ़्ता बाकी था। इसलिए मुझे घर पर ही रहना था।
दूसरे दिन मैंने जानबूझ कर तौलिया बाहर छोड़ा और आवाज़ लगाई। मुझे मालूम था इस बार भी चाचाजी ही आएंगे। मैं आईने में देखने लगी तभी चाचाजी की आने की आहट सुनी और मेरी बेचैनी बढ़ गई।
उन्होंने फिर मेरे साथ वही किया.. जो कल किया गांड पर हाथ फेरने लगे। मैंने उनके कंधे से तौलिया लेने के बाद एक हँसी के साथ कहा- चाचाजी आप बहुत नॉटी हो। मैंने वैसे ही आपने जिस्म पर तौलिया रखा हुआ था।
चाचाजी- ऐसी भतीजी हो.. तो होश कहाँ रहता है। वो मेरे पास आकर किस करने लगे।
दो मिनट बाद हम दोनों अलग हो गए। मैं- चाचाजी.. ये आपने क्या किया.. चाची जी बाहर ही होंगी। चाचाजी- नहीं बेटा.. वो किचन में आमरस बना रही हैं.. पर तब तक मुझे अपने आमों को पीने दे।
चाचाजी ने मेरे सीने से तौलिया हटा दिया और मेरी चूचियां चूसने लगे, मैं भी अपनी चूचियों पर उनका सिर दबाने लगी।
मैं- आह्ह.. चाचाजी पी जाओ इनका पूरा रस.. म्म्म्मस.. चाचाजी- वो तो पियूंगा ही.. मेरी रांड जब तक तू यहाँ रहेगी.. इन पर मेरा ही हक है। वो पागलों की तरह ज़ोर-ज़ोर से मेरे मम्मों को चूसे जा रहे थे।
मैं- मुझे अपनी रंडी बना लो चाचा.. लो चूसो और ज़ोर से पियो.. आह्ह..
कुछ पल बाद वो नीचे बैठ गए और मेरी चुत पर किस किया, वे बोले- इसको तो मैं बहुत आराम से चोदूँगा.. पर तब तक थोड़ा चुत का रस पी लिया जाए।
उन्होंने मेरा एक पैर अपने कंधे पर रखा और मेरी चुत चूसने लगे। मैं- चाचाजी जल्दी कीजिए.. चाची आपको आवाज़ दे रही हैं।
उन्होंने जल्दी जल्दी चुत को चूस कर पानी निकाला.. और मुझे एक किस करके ये बोलते हुए बाहर चले गए ‘तुम्हारी चुत को जरूर चोदूँगा।’
मैं बाथरूम से बाहर आ गई और मैं अभी भी चाचाजी को और ललचाना चाहती थी.. इसलिए मैंने एक बिना गले का टाइट टॉप पहना और स्कर्ट जो कि मेरा घुटनों तक का ही था.. उसको पहना और बाहर आ गई।
मैंने देखा चाची और चाचा नाश्ता कर रहे थे, जैसे ही चाचाजी ने मुझे देखा तो उन्होंने चुपके से मुझे आँख मार दी।
चाची- तुम कहाँ रह गई थीं.. बाथरूम से निकलने में इतना वक़्त क्यों लग गया? मैं चाचाजी की तरफ देखते हुए बोली- व..वो चाची जी.. बाथरूम में एक कॉकरोच घुस गया था.. उसने मुझे परेशान ही कर दिया। चाची- तो चाचाजी इतनी देर से बाथरूम में कॉकरोच मार रहे थे।
मैं- जी चाची.. उन्होंने बड़े प्यार से हाथ फेर कर बाहर निकाल दिया। मैं चाचाजी की तरफ देखती हुई बोली। चाचाजी हंसते हुआ बोले- घर में बहुत कॉकरोच हो गए हैं.. कहीं से तुम्हारे अन्दर आ सकते हैं.. मेरा मतलब तुम्हारे रूम में..
इसके बाद मैं और चाची किचन में आ गए। मैं उनकी मदद करने के लिए आ गई थी। उन्होंने मुझे दो-तीन चीजें बनाना भी सिखाईं.. और चावल रखकर बाज़ार जाने के लिए निकल गईं।
चाची ने चाचा जी से कहा- मैं बाज़ार जा रही हूँ.. थोड़ी देर में आ जाऊँगी.. तब तक प्रिया का ध्यान रखना। चाचाजी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- हाँ मैं बहुत अच्छे से अपनी बिटिया रानी का ध्यान रखूँगा।
मैं फिर किचन में गैस बन्द करने चली गई। मैं अभी गैस बन्द ही कर रही थी कि चाचाजी ने मुझे पीछे से कसकर पकड़ा और गले पर चूमने लगे।
मैं- चाचाजी अभी नहीं.. चाची बाज़ार गई हैं.. वे थोड़ी देर में आ जाएंगी। चाचाजी- चाची को आने में आधा घंटा लगेगा.. तब तक बहुत कुछ हो चुका होगा।
चाचाज़ी ने मुझे सीधा घुमाया और किस करने लगे। उन्होंने मेरी स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया और मेरी गांड पर हाथ फेरने लगे। फिर उन्होंने स्कर्ट का हुक खोल दिया.. स्कर्ट पैरों पर गिर गया।
फिर उन्होंने मुझे उठाकर किचन की पट्टी पर बिठा दिया और मेरा टॉप भी निकाल दिया। मैं अब उनके सामने ब्रा-पेंटी में थी।
चाचाजी- ब्रा और पेंटी में एकदम रंडी जैसी मॉडल लग रही हो। वे घूर-घूर कर मुझे देख रहे थे। मैं- आप ऐसे मत देखिए.. मुझे शरम आ रही है।
चाचाजी- चल रंडी.. अभी बाथरूम में मेरा सिर अपनी चुत में घुसवा कर चुत चुसवा रही थी.. और बोल रही थी कि रंडी समझो मुझे.. तू जब तक यहाँ रहेगी.. मेरी रंडी बनके रहेगी।
ये कहते हुए उन्होंने मेरी ब्रा खींच कर फाड़ दी और मेरी चूचियों को चूसने लगे। कुछ पलों बाद पेंटी भी फाड़ दी। मैं- यह आप क्या कर रहे हो चाचाजी.. चाची कभी भी आ सकती हैं और आपने मुझे पूरी नंगी कर दिया है। चाचाजी- चुप छिनाल रांड.. जल्दी से अपनी चुत खोल।
मैंने किचन की पट्टी पर टाँगें फैला दीं और चाचाजी ने एक झटके में अपना मूसल जैसे लंड अन्दर पेल दिया। मैं- आअहह.. आहह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअहह एयाय.. उउइईई..
चाचाजी ने ज़रा सा लंड बाहर निकाल लिया- चुप रंडी.. तेरी चुत से खून नहीं निकला.. इसका मतलब तू किसी और से चुदवा चुकी है.. साली रंडी.. नाटक मत कर.. सच बोल किससे चुदी है? मैं- आप ये क्या कह रहे चाचाजी.. मुझे समझ नहीं आ रहा है।
चाचाजी- चुप रंडी.. भोली मत बन.. बता नहीं तो चुत से लंड निकाल दूँगा और तू प्यासी रह जाएगी। मैं- आप प्लीज़ लंड मत निकालिए.. मैं बताती हूँ। मैं अपने स्कूल के सर के साथ चुद चुकी हूँ। चाचाजी- तुम तो पैदाइशी रंडी हो.. मार्क्स के लिए चुदती है भोसड़ी वाली..
मैं- आप जरा जल्दी कीजिए.. चाची आती होंगी।
फिर उन्होंने धक्कों की स्पीड बढ़ाई और मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे। वे कुछ देर चोदने के बाद झड़ गए, मैं भी झड़ गई थी, उन्होंने सारा माल मेरे मुँह में निकाल दिया। मैं अपने कपड़े लेके फट से बाथरूम चली गई।
तभी दरवाज़े की घंटी बजी और चाची अन्दर आ गईं। मैंने चैन की साँस ली।
आगे कैसे चाचाजी ने मेरी चुत के साथ मस्ती चालू रखी और अपने दोस्तों से भी मेरी चुत चुदवाई। मेरे कॉलेज के पहले दिन ही मैंने अपने सर से कैसे अपनी चुत चुदवा ली। ये सब मैं आपको जरूर लिखूँगी। बस आप अपने ईमेल मुझे करते रहिएगा। [email protected]
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