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अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम। मैं चुदाई के इस मैदान में एक नया खिलाड़ी हूँ। इसलिए दोस्तो, अगर मुझसे कोई भूल हो जाए तो माफ़ कर देना।
यह कहानी मेरी मामी के गाँव की है।
मेरे मामा मेरे घर में ही रहते थे, मामा की उम्र और मेरी उम्र में कोई ज़्यादा फ़र्क नहीं है। मेरे मामा की नई-नई सगाई हुई थी, सगाई के बाद एक बार मेरे मामा के ससुराल वालों ने उनको ससुराल आने का न्यौता दिया। मेरे मामा बहुत शर्मीले इंसान हैं.. तो उन्होंने अकेले जाने से मना कर दिया।
मेरी दादी को जब मालूम हुआ तो उन्होंने मुझे उनके साथ जाने को कहा.. तो मैं तैयार हो गया।
दूसरे दिन हम दोनों मामा की ससुराल पहुँच गए। वहाँ मामा की ससुराल वालों ने हमारा बहुत अच्छी तरह से स्वागत किया। मामाजी की नज़र मामीजी को खोज रही थीं, मामी शायद बाहर गई हुई थीं।
थोड़ी देर के बाद मामी घर आईं तो मामाजी उनको देखते ही रह गए। मामी को देख कर मेरी हालत तो मामाजी से भी ज़्यादा खराब हो गई थी। सच में वो बहुत खूबसूरत लग रही थीं.. जैसे कोई संगमरमर की मूरत हों.. वे एकदम दूध सी गोरी थीं। उनके जिस्म के ऊपर वाले हिस्से में दो खिले हुए फूल.. जो किसी पिंजरे में कैद थे। काश मैं उन्हें आज़ाद कर सकता।
मामी ने हम दोनों को पहचाना नहीं था और वे हमारे सामने आकर बैठ गईं। जब उन्हें असलियत का पता चला तो एकदम से दूसरे कमरे में भाग गईं।
शाम को हम लोग वापस हमारे घर जाने की तैयारी करने लगे तो मैं मामी की एक बार झलक देखने को बेताब था.. पर मामी जी लज्जा के मारे कमरे से बाहर ही नहीं निकलीं।
हम लोग वहाँ से चल दिए।
तीन दिन बाद मामाजी अपनी ट्रेनिंग के लिए एक महीने के लिए दिल्ली चले गए।
थोड़े दिन के बाद मामाजी के ससुर ने मेरे दादाजी को फोन किया। उन्हें सरकारी कामकाज से तीन दिन के लिए अहमदाबाद जाना था.. तो उनके खेतों में ध्यान रखने वाला कोई नहीं था इसलिए उन्होंने मामाजी को कुछ दिन लिए अपने घर रहने के लिए फोन किया था।
लेकिन मामाजी के घर पर ना होने के कारण दादाजी ने मुझे जाने का कह दिया।
मेरे तो जैसे नसीब खुल गए, मामी को पाने की तमन्ना में मैं झट से तैयार हो गया और अगली सुबह ही घर से निकल गया।
दोपहर को मैं मामी के घर पहुँच गया, सब लोगों ने मेरा अच्छा स्वागत किया।
शाम को मामी के पिताजी ने कहा- मनीष बेटे, तुम एक बार आशा के साथ खेत जाकर देख आओ और कोई भी सामान की ज़रूरत लगे तो आशा को बोल देना। मुझे आज रात को अहमदाबाद जाना पड़ेगा।
मैंने कहा- बाबा, आप अपना काम शांति से पूरा करके आइए.. खेत की फ़िक्र ना करें.. मैं सब संभाल लूँगा।
शाम को मैं और मेरी मामी आशा खेत देखने गए, हम बाइक पर थे, मामी हमारे पीछे बैठी थी। जब कच्ची सड़क आई तो मैंने कहा- मामी जी ज़रा कसके पकड़ना.. कहीं गिर ना जाना।
तो मामी अपना एक हाथ मेरी कमर में और दूसरा हाथ मेरे कंधे पर कस कर पकड़ कर बैठ गईं। हम लोग खेत तक आ गए थे.. लेकिन अन्दर जाने का रास्ता खराब होने की वजह से हमारी बाइक स्लिप हो गई और हम दोनों नीचे गिर गए। मामी के दूध के ऊपर मेरा हाथ आ गया था।
हम दोनों चिपके हुए थे। मामी की साड़ी उनकी जाँघों तक आ गई थी। मामी ने होश संभाला और झट से खड़ी गईं।
उन्होंने अपने कपड़े सही किए और मुझसे कहने लगीं- मनीष, कहीं चोट तो नहीं आई? मैंने कहा- मामी कमर पर थोड़ा दर्द है।
मामी मुझे अपने कंधे के सहारे खेत की बनी कुटिया में ले गईं। वहाँ एक खाट पहले से पड़ी थी, उस पर मामी ने मुझे लिटा दिया और कहने लगीं- बताओ कहाँ दर्द हो रहा है? मैं दर्द का नाटक कर रहा था, मैंने मामी से कहा- मुझे बताने में शर्म आ रही है। मामी ने कहा- अपनी मामी से क्या शर्माना?
उन्होंने अपने हाथ से मेरी शर्ट को खोल दिया और कमर को देखने लगीं। फिर वो वहाँ पर रखी उनके पिताजी की जोड़ों के दर्द की दवाई लेकर आ गईं।
अब वो मेरी कमर की मालिश करने लगीं। जैसे ही उनका हाथ मेरी कमर को टच हुआ.. मेरा छोटा भाई यानि कि मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। जैसे-जैसे मामी मेरी कमर मालिश करती जा रही थीं वैसे-वैसे मेरा लंड सख़्त होता जा रहा था।
जब मामी ने मेरा तन्नाता हुआ लंड देखा तो वो मन ही मन मुस्कुराने लगीं।
मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था, लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा होऊँ।
मामी बोलीं- अब अपनी पैन्ट उतारो.. मुझे कमर के नीचे मालिश करने में दिक्कत हो रही है। तो मैंने कहा- आप खुद ही निकाल दो।
मामी ने मेरी पैन्ट खोल दी।
अब मैं केवल चड्डी में था। मामी ने अपनी मालिश चालू कर दी। मैंने नोट किया कि वो मालिश करते टाइम मेरे लंड को टच कर रही थीं।
मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने मामी को पकड़कर जोर से उनके होंठों को चूम लिया, वो भी मेरा साथ देने लगीं तो मैं पागलों की तरह उनके ऊपर टूट पड़ा।
वो बोलीं- जो भी करना है.. शांति से करो.. यहाँ हमें किसी का डर नहीं है। यहाँ कोई नहीं आएगा।
मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी उनके बदन से अलग कर दी। उनकी नुकीली चूचियों को देखकर तो मैं पागल ही हो गया, अब मैं फटाफट उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा।
वो लाल रंग की जालीदार ब्रा में क्या पटाखा माल लग रही थीं। उनके दोनों आमों को मैं बेसब्री से सहलाने लगा। मामी भी मस्ती में आ गई थीं।
मैंने उनकी चूचियों को ब्रा से आज़ाद कर दिया और दबाने लगा, वो मस्ती में मेरे लंड को अपने हाथों से मसल रही थीं।
कुछ देर की चुदास में ही मामी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी थीं। वो अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं और एक हाथ से अपनी चूत मसल रही थीं।
मैंने मामी से कहा- मामी आपने कभी अपनी चुदाई करवाई है? मामी पहले तो हिचकिचाईं.. पर मेरे जोर देने पर उन्होंने बता दिया- मेरे स्कूल के मास्टर ज़ी ने मुझे दो बार चोदा था।
मैंने देखा कि मामी की पैन्टी गीली हो गई है। मैंने मामी का पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे सरका दिया और पैन्टी भी उतार दी।
मामी की चिकनी चूत गजब लग रही थी। उसके ऊपर एक भी बाल नहीं था। एकदम मक्खन जैसी मुलायम चूत देख कर मैं तो बौरा सा गया।
अब मैंने मामी को खाट के बीच में लेटा दिया और उनकी दोनों टाँगें फैला दीं। उनकी लपलपाती चूत देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी जीभ से उनकी चूत को चाटने लगा, चूत के रस का पान करने लगा, क्या टेस्टी चूत थी!
मामी भी अब मेरे छोटे भाई को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही थीं। आख़िरकार मैंने अपने लंड का सुपारा मामी की चूत पर रख कर चूत पर निशाना लगाया और एक ज़ोर का झटका लगा दिया। ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मामी दर्द के मारे मेरे सिर के बाल पकड़ कर खींचने लगीं।
लेकिन मैंने उनकी तकलीफ को कुछ भी ध्यान न देते हुए फिर से एक धमाकेदार धक्का लगा दिया। इस बार मेरा पूरा लंड मामी की चूत की घुफ़ा में घुस गया।
एक पल के लिए मामी की चीख निकल गई और वो रो दीं.. लेकिन चूत चुदी हुई थी.. तो जल्द ही चूत ने लंड को सैट कर लिया।
अब मैं लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। मामी को भी मज़ा आ रहा था, वो भी अपने चूतड़ों को उछाल कर चूत चुदवा रही थीं।
हमारे इस चुदाई के खेल में खाट में से खिंचड़-पिंचड़ की आवाज़ आ रही थी।
आख़िरकार जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों संतुष्ट हो गए। कुछ देर आराम करके हम दोनों कपड़े पहन कर घर आ गए।
उस रात घर पर भी मैंने मामी को दो बार चोदा।
आज मामा की उनसे शादी हो गई है और मामी मामा जी हमारे घर पर ही रहते हैं। अब हम दोनों मौक़ा पाते ही चूत लंड की चुदाई मज़ा लेते हैं।
आपकी राय का स्वागत है। [email protected]
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