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अब तक आपने पढ़ा.. मेरे दोस्त गुल्लू की बीवी को मैंने अपने ऑफिस में काम पर रख लिया था और अब वो मुझसे चुदने को तैयार सी दिख रही थी। अब आगे..
‘वाह.. वाह.. रिया रानी.. तू तो बहुत ज्ञान की बातें करती है.. यह तो सच में मेरे दिल की बात कह दी तूने यार.. मुझे भी यही में असली सेक्स का मज़ा आता है। लेकिन रिया.. मेरी जान.. इतना सब होने के बाद अगर तेरा खड़ा हो गया तो.. कुछ तो करना पड़ेगा ना..!’
अब मैंने उसकी कमर पर दोनों हाथ रख कर पेट और नाभि को चूम लिया।
‘वो सब बाद में.. जो कुछ होना है हो ही जाता है.. कभी बहुत मस्ती चढ़ती है तो सड़का.. नहीं तो इसके बाद तो धमा-धम भी अच्छा लगने लगता है।’
रिया खूब मस्ती में थी, उसने अपनी शर्ट को जीन्स के बाहर खींच लिया और थोड़ा ऊपर उठा दिया.. जिससे उसकी मक्खन जैसी चिकनी-चिकनी पतली लम्बी कमर.. पेट.. और नाभि नंगी हो गई जो मुझे इशारा कर रही थी कि इसको चूस कर.. चूम कर मज़ा ले लो।
उसकी जीन्स भी थोड़ा नीचे खिसक गई और पेड़ू भी नंगा हो गया था, मैं उसके पेट नाभि कमर और पेड़ू पर चूमने लगा। वो सिसियाने लगी ‘सी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… हा… सर उई.. बहुत मज़ा आ रहा है.. बस आज तो आपके साथ ऑफिस में काम करने का असली आनन्द मिल रहा है..’
उसने भी अपना हाथ मेरी जीन्स के उभार पर रख दिए ‘कमल सर.. आपने मेरा साइज तो बता दिया.. पर आपका साइज क्या है?’ रिया ने मेरा सर पकड़ कर अपने पेट पर दबा लिया। ‘तुझे क्या लगता है.. मेरा साइज क्या है?’ मैंने उसका पेड़ू चाटते हुए कहा और दोनों हाथ से उसके मुलायम चूतड़ पकड़ कर नाभि में जीभ चलाने लगा।
‘हाय राम कमल सर मुझे क्या पता.. लगता है 5 इंच का होगा.. गुल्लू का तो 4 इंच का है। वो तो मैंने नाप कर देखा है.. अब आप अपना दिखा दो.. तो पता चलेगा कि इसका साइज क्या है? रिया अब खूब मस्ती में थी।
‘अरे मेरी रानी.. मैं दिखा दूँगा, पर तुझे भी अपना माल दिखाना पड़ेगा। मैंने उसकी जीन्स को थोड़ा और नीचे खींचते हुए कहा।
‘हाय राम.. कमल सर आप सच में बहुत चालू हो.. आपके छूने में जादू है.. आपके छूते ही सारा बदन मस्ती में नाच रहा है… रग-रग से रस निकल कर नीचे आ रहा है।
उसने अपनी जीन्स का बटन खोल कर नीचे कर दी। आहह.. अब उसकी केले जैसी चिकनी-चिकनी जांघ और बिना बाल की चूत दिख रही थी, पैंटी चूत पर गीली हो रही थी।
‘अब आप भी अपना दिखा दो सर!’ रिया ने लंड को दबाते हुए होंठों पर चूमते हुए कहा।
मेरा लंड भी बहुत टाइट हो गया था, मैंने अपनी जीन्स खोल ब्रीफ नीचे कर दी, मेरा 7 इंच का मस्तराम.. गोरा-गोरा उछल कर रिया के सामने तन कर सिपाही की तरह खड़ा हो गया।
रिया देख कर चौंक गई ‘उहहह.. वा..ओ कमल सर.. आपका तो बहुत मोटा तगड़ा सुन्दर है।’
नीचे झुक कर रिया ने लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया। मैंने उसको पकड़ कर अपनी जांघ पर बैठा लिया और उसके रसीले होंठ चूमने लगा.. एक हाथ उसकी जांघ पर और कमर पर चल रहा था। दूसरा हाथ उसके पेट से होते हुए मैंने पैंटी में घुसा दिया और उंगली से चूत की घुंडी को रगड़ दिया।
रिया मस्ती में उछल पड़ी ‘हाय.. सी.. सी.. मर गई.. अह्ह.. यहहहीं सारा ही निकल जाएगा..’ यह हिंदी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
रिया मस्ती में सिसिया कर लंड को हाथ में पकड़े ऊपर-नीचे कर रही थी ‘कमल सर.. इस ऑफिस के प्यार में बहुत मज़ा आ रहा है। अपनी चूत तो एकदम गीली हो गई है.. हाय दबा दो… चूस लो न सर.. कुछ कर डालो न सर..’
‘देख मैंने कहा था ना जब खड़ा होता है.. तो धपाधप सेक्स में ही मज़ा आता है रानी।’ ‘हाय राम.. तो कर दो ना धपा-धप.. आपका लंड भी क्या मस्त तन कर खड़ा है और मेरी चूत भी मस्ती में पानी छोड़ने वाली है।’
रिया अपनी चूची मेरी छाती से रगड़ रही थी, मेरे होंठों को चूम रही थी और हाथ में लंड पकड़ कर अपनी चूत पर पैंटी के ऊपर रगड़ रही थी।
‘तो फिर निकाल अपनी जीन्स और पैंटी.. चढ़ जा मेरे खड़े लंड पर और कर ले जो करना है.. नहीं तो कहेगी मैंने धपा-धप कर डाला।’ ‘हाय राम कमल सर.. यहीं पर करोगे चुदाई.. आपके बेडरूम में चलते हैं ना सर..’ ‘क्यों यहाँ क्या है.. मेरी रानी.. ऑफिस सेक्स का तो ऐसे मज़ा आता है।’
रिया पूरी तरह चुदासी हो रही थी.. हाथ में मस्त लंड.. चूत में जवानी का पानी निकल रहा था…. उसने उठ कर झट से अपनी शर्ट, ब्रा, जीन्स और पैंटी निकाल डाली और नंगी हो गई।
‘उफ़… वाओ.. रिया क्या मस्त मुलायम रुई जैसे चूतड़ है यार तेरे..’ मैंने दोनों हाथ से उसके चूतड़ पकड़ कर उसकी नंगी चूत पर चूम लिया। जीभ से चूत की घुंडी को रगड़ दिया।
रिया उछल पड़ी- हाय… उई… मर जाऊँगी सर.. चूत का पानी ऐसे ही निकल जाएगा.. जरा सा तो अपने इस मस्त मोटे तगड़े लंड का स्वाद इस चुदासी चूत को भी लेने दो।’
वो अपनी दोनों टांगें पूरी तरह खोल कर खड़े लंड के ऊपर खड़ी हो गई और लंड अपनी गीली-गीली चूत के खुले होंठों के बीच रगड़ कर टोपे को गीला कर दिया।
एक हाथ से अपनी चूत के होंठ खोल कर धीरे से टोपे को घुसा लिया.. और फिर अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख कर धीरे-धीरे उस पर बैठ गई।
मेरा लंड पत्थर की तरह कड़क और गीला था। उसकी चूत से रस बह रहा था। मेरा पूरा मोटा-तगड़ा लौड़ा कसी जवान रस से भरी चूत में ‘दन्न..’ से घुस गया।
रिया चिल्ला पड़ी- हाय.. हाय मर गई सर.. फट.. गई मेरी चूत.. उफ़… आपका.. बहुत मोटा है.. उई.. उई..उह्ह..
रिया ने अपने होंठ दाँतों में दबा कर अपनी बाँहें मेरे गले में डाल कर मुझसे छिपकली की तरह लिपट गई। उसकी मुलायम चूचियां मेरे सीने में गड़ गईं। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर चिपका दिए।
‘उफ़. कमल सर.. अपनी इस चुदाई के दर्द में बहुत मज़ा आ रहा है.. उफ़ यह कैसा जवानी का नशा है सर.. दर्द भी और मज़ा भी है।’ ‘इसी का नाम तो जवानी है मेरी जान.. जब चढ़ती है तो दर्द भी मज़ा लगने लगता है।’ मैंने अपने हाथ उसके चूतड़ मसलते हुए कहा और नीचे से एक झटका मार दिया।
‘उइइ.. ईईए.. मर…गई कमल जी.. बस.. उफ़.. गई.. ना.. हां.. पूरा ठोक दिया.. हां.. गई.. गई..’ रिया खुद अपने चूतड़ हिला-हिला कर चुदाई का मज़ा लेते हुए अकड़ गई। उसने अपनी जांघें मेरी कमर पर कस लीं और चिल्ला कर झटके मारते हुए झड़ गई और उसने मेरे कंधे पर दाँत गड़ा दिए।
‘उई.. उई.. मार दिया सर..आह्ह..’
‘यह क्या.. साली बदमाश बस इतना ही जोश था ऑफिस चुदाई का.. दो ही झटकों में मैदान छोड़ दिया.. अपनी बारी तो अभी शुरू भी नहीं हुई मेरी जान।’
‘उफ़…सच में.. कमल सर आप बहुत चोदू हो.. क्या मोटा तगड़ा लौड़ा घुसा कर अन्दर तक ठोक दिया.. तो चूत ने तो पानी छोड़ना ही था.. पर सच में राजा मज़ा आ गया। आप अपनी धकापेल चालू रखो.. आपकी बारी अभी देती हूँ.. जरा साँस ले लूँ।’
‘ऐसे नहीं मेरी जान.. अपनी बारी तो घोड़ी चुदाई से शुरू करेंगे।’
‘हाय राम कमल सर ऐसे ही चोद डालो ना.. उफ्फ्फ.. एई.. क्या मस्त घुसा है.. चूत को एकदम जाम कर रखा है आपके लौड़े ने..’ ‘तू फ़िक्र मत कर रिया रानी.. अपना मस्त राम पीछे से घुस कर भी तेरी इस कसी चूत को पूरा जाम कर देगा।’
मैं रिया के चूतड़ पकड़ कर उठ गया और उसको जमीन पर खड़ा करके टेबल की तरफ घुमा दिया और आगे को झुका कर खुद उसके मस्त रेशमी चूतड़ देख कर मज़ा ले रहा था।
‘हाय कमल राजा अब ऐसे क्या देख रहे हो उफ़.. अपनी चूत तो बहुत फड़क रही है! अब जल्दी से घुसा दो ना.. अपना यह मूसल जैसा लंड.. इस झड़ी हुई चूत में..आह्ह..’ रिया मस्त और चुदास में सिसिया रही थी, उसने अपने चूतड़ उठा कर टाँगें खोल कर गीली-गीली चमकती गुलाबी चूत को पीछे धकेल दिया।
‘उफ़ मेरी रानी.. क्या सुन्दर लग रही है तेरी रस से भरी चूत।’
मैंने अपने रस से गीले लंड को उसकी चूत पर सैट किया और टोपा अन्दर घुसा दिया। फिर एक हाथ से उसकी चूची पकड़ कर और दूसरे से उसके चूत के दाने को रगड़ते हुए एक जोरदार धक्का लगा कर ‘दन्न..’ से उसकी बहती हुई चूत में पीछे से कड़क लंड पेल दिया।
रिया मस्ती में सिसिया-सिसिया कर बड़बड़ा रही थी ‘हाँ.. हाँ.. पेल दो राजा.. फाड़.. दो.. चीर डालो.. उई.. उई.. बहुत मज़ा आ रहा है.. मैं फिर से झड़ने वाली हूँ।’
फिर कुछ मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैंने रफ़्तार तेज़ कर दी। रिया के साथ मैंने उसकी चूत की गहराई में पिचकारी मार दी और दोनों साथ-साथ झड़ गए।
हम दोनों की साँसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.. दोनों पसीना-पसीना हो रहे थे। थोड़ी देर मैं रिया को अपनी बांहों में दबोचे हुए ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा।
‘उफ़ रिया रानी.. मेरी जान.. तू तो बहुत गर्म माल है यार.. तूने तो मुझे निचोड़ डाला..’ मैंने उसे उठाते हुए उसके गर्दन और कंधों पर चूमते हुए कहा।
‘हाय राम.. कमल सर आप बहुत चोदू हो.. मैंने निचोड़ डाला या अपने मेरी चूत का बाजा बजा दिया। क्या साली चप-चप कर रही थी और चूतड़.. उफ़.. आपकी.. मार से धप-धप कर रहे थे। सच में सर आज असली जवानी की मस्त चुदाई का मज़ा आ गया।
हम दोनों अलग होकर बाथरूम में अपनी सफाई करके एक-दूसरे को चूम रहे थे। बाहर आकर हम दोनों अपने कपड़े पहन कर अपनी कुर्सी पर बैठ गए।
रिया बहुत खुश नज़र आ रही थी ‘बस सर.. अब तो आपने इस मस्त चुदाई का स्वाद भी चखा दिया.. अब तो रोज मज़ा देना पड़ेगा।’ ‘तू फ़िक्र ना कर मेरी जान.. रोज़ क्या हर दिन दो-तीन बार मज़ा दूँगा।
इसके बाद रिया और मैं रोज़ ही ऑफिस चुदाई का मज़ा लूटने लगे।
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