सोई हुई को जेठ ने चोदा

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अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के पाठक दोस्तो, मैं आपकी चहेती सीमा सिंह आज आपको अपनी चुदाई का एक और अनुभव सुनाने जा रही हूँ। मेरी कहानियाँ पढ़ कर आप भी सोचते होंगे कि मैं भी कितनी चुदक्कड़ हूँ। अब हूँ तो हूँ… हर एक की अपनी अपनी सेक्स की फीलिंग होती है, किसी की कम, किसी की ज़्यादा… मेरी थोड़ी ज़्यादा है।

अगर मुझे मेरी पसंद से किसी से चुदने का मौका मिलता है तो मैं क्यों छोड़ूँ! ठीक है न! तो चलिये आज मैं आपको अपनी सेक्स की एक और कहानी बताती हूँ।

बात काफी पुरानी है, उस वक़्त मेरी शादी को हुये कुछ ही वक़्त हुआ था, एक दिन जेठजी ने हमसे पूछा कि वो एक यात्रा पर जा रहे हैं, अगर हम भी चलना चाहें तो बता दें, तो वो हमारी भी टिकटें बुक करवा देंगे।

हमने भी सलाह बना कर उनको बता दिया, टिकटें बुक हो गई और हम एक दिन उस यात्रा पर निकल पड़े। जेठ जी, जेठानी, उनकी 14 साल की बेटी, मेरे पति और मैं बस हम 5 जने ही थे।

रास्ते भर खूब मस्ती करते खाते पीते गए, सब को बहुत मज़ा आ रहा था घर से बाहर पूरी आजादी में घूमने का!

रास्ते में एक पड़ाव था, वहाँ से आगेबस नहीं जाती थी, उससे आगे कार से ही जाया जा सकता था, हम कार से गए।

उसके बाद जहां कार रुक गई, फिर पैदल जाना था। बेशक रास्ता अच्छा था, मगर पैदल चलने के कारण हम काफी थक गए थे।

रात को रुकने के लिए, हमने एक जगह कमरा लेना चाहा, मगर वहाँ सब कमरे पहले से ही बुक थे तो उन्होंने हमें एक हाल कमरा दिखाया, हमें तो सोना ही था, कमरा साफ सुथरा था, सारे कमरे में कार्पेट लगा था, हम खाना वाना खाकर नीचे ही बिस्तर लगा कर सो गए। पहले मेरे पति, फिर मैं, फिर मेरी जेठानी, फिर उनकी बेटी और उसके बाद मेरे जेठजी।

मौसम भी अच्छा था, सिर्फ हल्का सा पंखा चल रहा था।

खुद को थोड़ा आराम देने के लिए मैंने अपनी शर्ट के नीचे से, सोने से पहले ब्रा निकाल दी थी, मेरे शरीर पर सिर्फ शर्ट और लेग्गिंग्स ही थी, चड्डी भी मैंने नहीं पहनी थी। थके होने के कारण हम सब को बहुत जल्द नींद आ गई, थोड़ी ही देर में सब के सब गहरी नींद में सो गए।

करीब करीब आधी रात के बाद मुझे ऐसे एहसास हुआ हुआ जैसे मेरे ये (पति) पीछे से मेरे चूतड़ों पर अपना लिंग घिसा रहे हैं। ये अक्सर ऐसा करते हैं और मुझे इसकी आदत भी है, तो मैं भी आधी नींद में वैसे ही लेटी रही।

फिर इन्होंने मेरी शर्ट उठा कर मेरे दोनों बूब्स को दबाया, सहलाया और मेरे निप्पल अपने मुंह में लेकर चूसे। ये वैसे भी अक्सर सोते हुये मेरे बूब्स चूस लेते हैं, तो मैंने कोई नोटिस नहीं किया कि पी रहे हैं तो पीने दो।

मेरी लेग्गिंग्स के ऊपर से ही इन्होंने मेरी जांघें सहलाईं, मेरी चूत को भी सहलाया। मैं मस्त होकर लेटी रही, कि जो करते हैं, करने दो, मैं तो अपनी नींद लूँ।

फिर इन्होंने मेरी लेग्गिंग्स को नीचे को खींचा और काफी नीचे को सरका दी तो मैंने भी अपनी कमर उठा कर बाकी की लेग्गिंग्स उतारने में इनको सहयोग दे दिया।

जब लेग्गिंग्स मेरे घुटनो तक उतर गई, तो फिर इन्होंने अपना तना हुआ लिंग मेरे पीछे से मेरी चूत पे रखा। मेरा कोई मूड तो नहीं था, मैं तो थकी पड़ी थी, पर मैंने यह सोचा कि अगर इनका मूड है तो कर लेने दो।

इन्होंने मेरा एक चूतड़ ऊपर को उठाया और अपने लिंग का टोपा मेरी चूत पे रखा और अंदर को धकेला।

अब मैं कौन सा कुँवारी लड़की थी, शादीशुदा, खूब चुदी थी, सो इनके लिंग का टोपा मेरे अंदर घुस गया, उम्म्ह… अहह… हय… याह…मैं वैसे ही उनींदी सी लेटी रही, कि आप लगे रहो, मैं तो सो रही हूँ।

वो धकेलते रहे और उन्होंने अपना आधे के करीब लिंग पीछे से ही मेरी चूत में घुसा दिया और धीरे धीरे चोदने लगे। मैं सोई सोई चुदाई का मज़ा ले रही थी, कभी सो जाती कभी थोड़ी सी जाग जाती, मगर फिर भी इतनी नहीं जागी कि अपनी तरफ से इस चुदाई में कोई हरकत कर सकूँ।

यह हिंदी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! कितनी देर ये मुझे ऐसे ही पीछे से चोदते रहे, मैं भी मस्त हो कर सोती रही।

अपने हाथ से हल्के हल्के दबा कर ये मेरे बूब्स से मज़ा ले रहे थे और फिर मैंने वैसे ही मैंने अपना हाथ लेजा कर आगे रखा तो आगे भी कोई लेटा हुआ था, मैंने टटोल कर देखा, आँखें खोल कर अंधेरे में भी देखने की कोशिश की।

‘अरे… यह क्या?’ मेरे मन में एकदम से विचार कौंधा, मेरे पति तो ये मेरे सामने लेटे हैं, तो फिर पीछे से ये जो मुझे चोद रहा है, ये कौन है।

मैं थोड़ा सा पीछे को पलटी तो मेरी पीठ पर एक तोंद सी लगी। मेरे पति तो स्लिम हैं, उनके तो तोंद नहीं है, फिर ये? क्या जेठजी मुझे चोद रहे हैं?

मेरी तो नींद, थकावट सब फुर्र हो गई। मतलब मौके का फायदा उठा कर मेरे जेठ ने ही मुझे चोद दिया।

मैं सोचने लगी, अब मैं क्या करूँ, वो तो पीछे से अपना लिंग मेरी चूत में चलाये जा रहे थे, कल सुबह जब मैं उठूँगी तो अपने जेठजी का सामना कैसे करूंगी, मैं तो हमेशा उन्हे बड़े भैया, कह कर बुलाती थी, क्या अब मैं उनके पाँव छू सकूँगी, उन्हे बड़े भैया पुकार सकूँगी।

मेरे लिए तो बड़ा धर्म संकट हो गया, और अब अगर मैं उन्हें मना कर देती हूँ, या कोई बदतमीजी कर देती हूँ, तो वो यह भी तो कह सकते हैं कि इतनी देर से तो चुपचाप करवा रही थी, अब क्या हो गया।

और अगर मेरे शोर मचाने से बाकी सब भी जाग गए, तो मेरी कितनी बेइज्जती होगी।

मैं अभी इसी पाशोपेश में थी, के जेठजी ने ज़ोर ज़ोर से झटके मार के अपना लिंग मेरी चूत में चलाया और फिर मैंने महसूस किया के उनके वीर्य की पिचकारियाँ मेरी चूत के अंदर चल पड़ी।

‘हे भगवान, इन्होंने तो अंदर ही डिस्चार्ज कर दिया?’ मैंने सोचा- अगर कल को कुछ हो गया तो? और मैं अपनी डेट के दिन गिनने लगी कि कहीं मैं गर्भवती तो नहीं हो जाऊँगी।

मुझे चोदने के बाद जेठजी ने अपना लिंग मेरी चूत से निकाला और मेरी तरफ पीठ कर के सो गए।

मैं सोचने लगी- कितना कमीना है, अपना काम करके पीठ करके सो गया और अगर कल को मैं प्रेग्नेंट हो गई, तो बच्चे की ज़िम्मेदारी किसकी होगी? कितना मतलबी इंसान है।

और इसी तरह अपने जेठ को कोसते कोसते मैं सो गई।

सुबह उठे, तो मैं अपने जेठ से आँखें नहीं मिला पा रही थी। नहा धोकर तैयार होकर हम आगे बढ़े।

यात्रा का सारा कार्यक्रम समाप्त करके हम लोग घर वापिस आ गए। मगर इस दौरान मेरी अपनी जेठजी से कोई बात नहीं हुई, वो भी मुझसे नज़रें चुराते रहे।

मगर उस रात की याद मेरी सेक्स जीवन की एक सुनहरी याद बन कर मेरे मन में बस गई, किसी औरत को कैसे प्यार से सहला सहला कर चोदा जाता है, उस रात मैंने पहली बार महसूस किया।

कुछ दिन बाद जेठजी मेरे पास आए और बोले- मुझे माफ करना सीमा, उस रात ना जाने क्यों मैं बहक गया था, मुझे नहीं पता ऐसा क्यों हो गया, मैंने तुम्हारी दीदी से कहा था, उसने मना कर दिया। आधी रात को जब मैं पेशाब करने उठा तो जब वापिस आया तो मैंने बाथरूम से आ रही हल्की रोशनी में मैंने तुम्हारे खूबसूरत जिस्म को देखा। शायद तुम सो रही थी, तुम्हारी कमीज़ बिलकुल ऊपर उठी थी और स्किन फिट लेग्गिंग्स में तुम बहुत ही प्यारी लग रही थी। मैं खुद पर काबू नहीं रख पाया और जान बूझ कर आकर तुम्हारे साथ लेट गया और उसके बाद जो कुछ हुआ, तुम्हें पता ही है। मगर मैं इस सब से बहुत शर्मिंदा हूँ।

जेठजी तो बोल गए, मगर उस रात को याद करके ना जने क्यों मेरी चूत में फिर से खुजली होने लगी। जो भी था, पर धीरे धीरे सेक्स करने का अपना ही मज़ा है।

मैंने कहा- कोई बात नहीं बड़े भैया, इंसान से गलती हो जाती है, मैं भी उस रात आपको ये (मेरे पति) समझ बैठी और आपको रोक नहीं पाई। मुझे भी सब कुछ होने के बाद पता चला कि असल में हुआ क्या था, जितना दोषी आप खुद को मान रहे हो, मैं भी उतनी ही दोषी हूँ। आप मुझे भी क्षमा करें प्लीज़!

कह कर मैंने अपने जेठजी के पांव छूये तो उन्होंने मुझे उठा कर अपने गले से लगा लिया- नहीं बेटा, ऐसा नहीं कहते! जैसे ही उन्होने मुझे अपने सीने सा लगाया तो मैं भी उनसे चिपक गई और पता नहीं कैसे मेरा हाथ अपने आप आगे बढ़ा और मैंने पाजामे के ऊपर से ही उनका लिंग पकड़ लिया।

‘अरे बेटा, ये क्या?’ जेठजी बोले। मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया और जेठजी की आँखों में गहरा देखते हुये कहा- जिस गलती का किसी को कोई पश्चाताप न हो उसे दोबारा करने में क्या बुराई है? [email protected]

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