दोस्त के साले सलहज की चूत चुदाई देखी

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बात इसी वर्ष गर्मी की है, मेरे एक घनिष्ठ मित्र चिंटू के ससुराल में शादी थी, हमारा उसके ससुराल वालों से भी अच्छा सम्बन्ध हो गया था, तो उन्होंने हमें भी बुलाया था। मैंने शादी में जाने के लिये हाँ कह दिया क्योंकि वहाँ पर उसके चचेरे साले की पत्नी रीना भाभी को मिल लेता और थोड़ी मस्ती कर लेता। पर चिंटू वहाँ पर 4 दिन पहले ही जाने वाला था और उसने मुझे भी उसके साथ ही चलने के लिये कहा तो मैं इसके लिये तैयार हो गया और घर वालों को भी मना लिया पर मेरी पत्नी इतने दिन पहले नहीं जाने दे रही थी क्योंकि मेरी तबीयत कुछ खराब थी, डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी थी।

पर जैसे तैसे मैंने उन्हें मनाया और चिंटू के साथ उसकी ससुराल पहुंच गया, वहाँ पर मेरी भी अच्छी जान-पहचान हो गई थी।

वो दिन तो निकल गया, अगले दिन हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तभी चिंटू रीना भाभी, जिसकी कहानी सुहागरात के 15 दिन बाद ही में हम दोनों ने उनकी चुदाई की थी, की बात करने लगा, पर तुरन्त ही हमने अनदेखा कर दिया क्योंकि भाभी (चिंटू की पत्नी) भी वहीं पर ही थी।

तभी रीना भाभी आई और हमसे हैलो किया, हमने भी उनका हैलो का जवाब दिया, वो तब साड़ी में ही थी। रीना भाभी चिंटू की पत्नी के कन्धे पर हाथ रखकर थोड़ी हंसी-मजाक करने लगी, मुझे उनकी बात सुनकर शर्म आने लगी तो मैं वहाँ से जाने लगा।

तभी कुछ देर बाद हमारी भेंट हुई भीम भाई साहब से जो रीना भाभी के पतिदेव हैं और चिंटू के चचेरे साले! हम कुछ देर उनसे बात करने लगे।

मैं भीम भाई के बारे में थोड़ा बताना चाहूँगा, उनकी उम्र 32-33 साल है, हाइट 6 फ़ीट, और शरीर का तो पूछिये ही मत! जैसा नाम वैसा ही उनका शरीर बिल्कुल भीम की तरह, या फिर कह सकते हैं मूवी अवेंजर्स के हल्क (hulk) की तरह और सुंदर भी बहुत हैं।हल्की मूछें और दाढ़ी भी रखते हैं, अगर कोई भी उनका शरीर देख ले तो बस देखता ही रह जाए, और किसी को भी मच्छर की तरह मसल कर रख दें। शायद रीना भाभी भी उनका शरीर पर ही फ़िदा हुई होंगीं।

हम उनसे बात करने में व्यस्त थे और वो बार बार चोरी छुपे नज़रों से रीना भाभी को देख रहे थे। चिंटू ने यह बात भांप ली थी तो वो उनको छेड़ने लगा था, वो भी शर्माने लगे थे।

पर सच में रीना भाभी खूबसूरत लग रही थीं और वो थोड़ी स्लिम भी हो गईं थी। किसी मॉडल की तरह तो नहीं पर जैसी की शादी के 2-3 माह बाद कोई औरत लगती हैं वैसी ही। और सबसे बड़ी और अच्छी बात मुझे उनमें यह लग रही थी कि उन्हें मेकअप करना पसन्द नहीं है वो अधिकांश बिना मेकअप के ही रहती हैं। वैसे अगर सच कहूँ तो भाई साहब भी आज बहुत ही सुंदर लग रहे थे और रीना भाभी भी उन्हें छुप छुप कर देख रही थी। भाईसाहब बार बार भाभी जी को कुछ इशारा कर रहे थे, भाभी उनके इशारे को समझ रही थी, उस समय वहाँ पर कोई भी नहीं था सब लोग खाना खाने गए हुए थे। पर उनके इशारे देख कर मेरे मन में भी खलबली मच गई।

भाई साहब जाने लगे और जाते हुए भाभी के चूतड़ पर एक चपत लगाते हुए उन्हें उनके पीछे आने का इशारा करते हुए निकल गए। चिंटू भी पता नहीं किधर निकल गया, मैं देख नहीं पाया क्योंकि मेरे ध्यान तो भाईसाहब की तरफ़ ही था।

कुछ देर बाद भाभी भी उनके पीछे चली गई और मैं भी चुपचाप उनके पीछे चला गया।

भाईसाहब वहाँ पर खड़े हुए उनका इन्तजार कर रहे थे, मैं उन्हें चुपके से ही देखने लगा। वो उनका हाथ पकड़कर एक कमरे में ले गए और दरवाजा बन्द कर दिया।

मैंने झाँक कर देखने की कोशिश की पर सफल नहीं हो पाया पर मुझे आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आःह्ह की आवाज अवश्य सुनाई दे रही थी। वो या तो भाभी की चूत को चाट रहे थे या फिर उनके मम्मों को चूस रहे थे।

मैं 10 मिनिट तक उनकी सिसकारी सुनता रहा, तब तक मेरा भी खड़ा हो चुका था। भाभी बार बार उनसे छोड़ने की विनती कर रही थी, भाईसाहब हाँफते हुए बोले- लव यू मेरी जान!

और फिर उन्होंने रात को कोई सी जगह पर आने के लिये बोला… पर कौन सी? यह नहीं पता।

तभी उन्होंने चलने के लिये कहा मैं वहाँ से चला आया, कुछ देर बाद भाभी और भाईसाहब दोनों ही एक साथ बाहर आये दोनों की आँखों में एक चमक और ख़ुशी दिख रही थी। भाईसाहब मेरे पास आकर बैठ गए और भाभी शर्माती हुई चली गईं।

कुछ देर बाद वो मुझे अपने घर ले गए और रीना भाभी से निम्बू पानी का बोला। कुछ देर बाद भाभी 2 ग्लास नींबू पानी ले आई क्योंकि उस समय बहुत ज़्यादा गर्मी थी। पर भाभी अभी भी शर्मा रहीं थीं।

दोनों ने ग्लास ले लिया पर जैसे ही भाभी वापस किचन में जाने लगी तो भाईसाहब ने उन्हें कसकर पकड़ लिया, भाभी भी उनसे छुटने की झूठी कोशिश कर रही थी, मुझे साफ़ दिख रहा था।

ये सब कुछ देखकर मुझे भी शर्म आने लगी तो मैं तुरन्त नींबू पानी पीकर जाने लगा तो उन्होंने मुझे रोक लिया, पहले तो मैं नहीं रुका, पर जब थोडा ज़ोर दिया तो रुक गया।

भाईसाहब भाभी से बिल्कुल चिपक कर खड़े हुए थे और अब भाभी कुछ नहीं बोल रही थी, भाईसाहब उनके लंड को भाभी की गांड पर रगड़ रहे थे और उनकी प्रशंशा भी कर रहे थे, भाभी शर्मा रही थी।

कुछ देर बाद वो उन्हें गोदी में लेकर ही बैठ गए मुझे ये सब देखकर बहुत शर्म आ रही थी। कुछ देर बाद मैं वहाँ से चला आया और भाईसाहब भी आ गए।

अब रात होने वाली थी, लगभग 8 बज चुके थे, क्योंकि वहाँ पर सारा कार्यक्रम तो दिन में ही हो गया था और खाना भी खा चुके थे। अब मैं चिंटू के पास गया पर वो काम में व्यस्त था।

मैं कुछ देर ऐसे ही घूमता रहा तभी मैं भाईसाहब के पास जाने वाला था उन्होंने भाभी को कुछ इशारा किया और कहीं चले गए।

मैं भी उनके पीछे चल दिया, वो अपने घर की तरफ जा रहे थे, वो कमरे में चले गए, मैं भी उन्हें छुपकर देखने लगा जहाँ से सारा दृश्य सरलता से दिख रहा था। उन्होंने कमरे की लाइट जला दी, तभी 10 मिनट बाद रीना भाभी भी आ गईं, उन्होंने दरवाजा बन्द कर दिया और भाईसाहब उन पर टूट पड़े, पागलों की तरह उन्हें चूमने चाटने लगे।

भाभी भी उनका साथ देने लगी, उन्होंने उनकी साड़ी निकाल दी अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी। भाईसाहब ने उनके बालों को खोल दिया और उनके बाल पकड़ कर किस करने लगे। और बीच में उनके गालों पर थप्पड़ भी लगा रहे थे। लगभग 10 मिनट वो एक दूसरे को किस करते रहे। तभी भाभी ने अपना पेटीकोट निकाल दिया और भाईसाहब के लंड को पैंट के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया, भाईसाहब उनके गले पर चूम रहे थे।

भाभी की आँखें बन्द हो चुकी थी, वो सिसकारी ले रही थी ‘आआह्हह आआह ह्हह ऊफ़्फ़ आआआ…’ गाल पर चूमने के बाद भाईसाहब फिर से भाभी के होंठों को किस करने लगे। भाभी भी बहुत गर्म हो चुकी थीं और कह रही थी- जल्दी कीजिये, सब्र नहीं हो रहा है।

भाईसाहब- करता हूँ मेरी जान, अभी इतने दिनों बाद तो मौका मिला है। और भाई साहब इतना बोलकर भाभी को किस करने लगे, तभी उन्होंने भाभी का ब्लाउज ऊपर कर दिया और उनके मम्मों को चूसने लगे, और शायद काट भी रहे थे, भाभी भी उनका पूरा साथ दे रही थी, पर यह भी बोल रही थी- मुझे अब सब्र नहीं हो रहा है।

भाईसाहब उनकी बातों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे थे, और उनके मम्मों को मसल रहे थे, तभी उन्होंने भाभी की पेंटी निकाल दी और बिस्तर पर लेटाकर उनकी चूत को चाटने लगे, और उनके मम्मों को भी मसल रहे थे। यह हिंदी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

भाभी ने अपनी गांड को ऊपर कर दिया और दोनों हाथ को चादर से भींच लिया और उनके मुँह से कामुक हंसी भी निकल रही थी। अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि उन्हें कितना आनन्द आ रहा होगा? भाईसाहब भाभी के मम्मों को तो बिल्कुल किसी रबर की तरह खींच कर मसल रहे थे, क्योंकि भाईसाहब के हाथ बहुत ही ज़्यादा सख्त हैं।

तभी भाभी का शरीर अकड़ा और बोलने लगी- मेरा निकल रहा है ‘आआहह एआईईई आअह्ह न्नीक्क्क्ल्ल रह्ह्हआआ हाईईईई’ भाभी का शरीर कुछ और ज्यादा अकड़ा और उनकी चूत से पानी निकल गया और भाईसाहब ने सारा रस पी लिया और फिर से उन्हें किस करने लगे, एक उंगली से उनकी चूत को चोद रहे थे और दूसरे हाथ से उनके निप्पल को मसल रहे थे।

कुछ देर बाद उन्होंने फिर से उनकी चूत को चाटना शुरू किया, भाभी बार बार उनसे चोदने के लिये बोल रही थी, पर भाभी जितना उनसे चोदने के लिये बोलती भाईसाहब ऊंट ही ज्यादा उन्हें तड़पाते!

जैसे ही भाईसाहब ने उनकी चूत को शुरू किया, उन्होंने भाईसाहब को दूर किया और बैठकर उनके गालों पर दोनों हाथों से थप्पड़ मारने लगी, भाईसाहब उन्हें ये सब करने से रोक रहे थे। भाभी उन्हें गालियाँ भी दे रही थी- मादरचोद, माँ के लौड़े, जब चोदना नहीं है तो मुझे बुलाया क्यों? और फिर रोने लगी।

भाईसाहब फिर से उनकी चूत को चाटने वाले थे तो भाभी ने फिर उनको दूर कर दिया।

भाईसाहब ने उन्हें कुछ नहीं कहा पर उनके हाथ और पैर उनकी ही साड़ी से बाँध दिए, भाभी ने भी उन्हें रोकने की कोशिश की पर भाभी असफल रहीं।

बाँधने के बाद भाईसाहब फिर से भाभी की चूत को चाटने लगे और भाभी अभी भी सिसक सिसक कर रो रही थी और वो उनके रोते हुए ही चूत को चाट रहे थे और उनकी प्रशंसा में भी पता नहीं क्या क्या बोल रहे थे।

भाभी बिना पानी की मछली की तरह तड़प रही थी जैसे कि किसी मछली को पानी से बाहर निकाल दो।

भाईसाहब ने 2 बार झड़ने तक उनकी चूत को चाटा और फिर उनके हाथ पैर खोले, लगभग आधे घण्टे तक उन्होंने भाभी को तड़पाया। भाभी जी ने फिर उनसे रोते हुए चूत चोदने की विनती की। भाईसाहब ने कहा- बस थोड़ी देर और मेरी जान, अब इसकी बारी है, 2 मिनट का और सब्र कर लो।

तभी भाईसाहब ने भाभी के ब्लाउज़ और ब्रा को भी निकाल दिया जो उनके मम्मों के ऊपर सरका हुआ था। भाईसाहब ने अपने भी पूरे कपड़े निकाल दिए और पूरे नंगे हो गए।

उनकी पीठ मेरी तरफ थी तो मैं उनके लंड को नहीं देख पाया था, पर उनका शरीर सच में hulk की तरह ही है, भाभी उनके लंड को चूसने लगी, 2 मिनट में ही उन्होंने कहा- प्लीज अब तो चोद दीजिये, कब तक इतना तड़पायेंगे? उनके आंसू अभी भी निकल रहे थे।

भाईसाहब – बस मेरी जान, एक बार और इसे मुँह में और ले लो। भाभी ने उनके लंड को मुँह में ले लिया और भाईसाहब उनके मुँह को चोदने लगे।

2 मिनट बाद भाईसाहब ने उनसे कहा- बस अब तैयार हो जाओ! यह बात सुनकर भाभी जी के चेहरे पर एक ख़ुशी आ गई।

भाईसाहब ने उन्हें बिस्तर पर इस तरह लेटाया कि मैं उन्हें ठीक से देख सकता था और जैसे ही भाईसाहब भी मुड़े, मेरी नजर उनके लंड पर ही गई, उसे देखकर तो मेरी साँसें ही रुक गई, मेरी आँखों के सामने अन्धेरा छाने लगा। जैसा उनका शरीर वैसा ही उनका लंड।

उनके लंड का आकर तो मेरे लंड से भी दोगुना मोटा और लम्बा है, उसे भाईसाहब ने दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था तब भी कुछ हिस्सा बाहर था।

अब मुझे समझ आया कि क्यों भाभी जब भी चिंटू के यहाँ आती हैं तो इतना लड़खड़ाती हैं, और क्यों वो ठीक तरह से बैठ नहीं पाती है, और कुछ पूछने पर शर्मा जाती हैं। पर एक सवाल भी मन में घूम रहा था कि जब भाईसाहब भाभी जी को इतना खुश और सुखी रखते हैं तो उन्होंने मेरे और चिंटू के साथ क्यों चूत चुदाई की?

भाभी उनके लंड को मुँह में लेने की कोशिश कर रही थीं और धीरे धीरे उन्होंने लंड के ऊपरी हिस्से को मुँह में ले लिया और फिर भाईसाहब उसे पूरा अंदर तक पहुँचा रहे थे, उनका लंड शायद भाभी के गले तक पहुँच गया था और उसके बाद भी उनका लंड बहुत बाहर था, फिर भी वो उसे और अंदर तक पहुँचा रहे थे पर जा नहीं पा रहा था और भाभी को खांसी भी आ रही थी।

भाईसाहब ने 5 मिनट तक भाभी के मुँह को चोदा, उसके बाद भाभी बोली- प्लीज, बहुत देर हो रही है, अब तो चोद दीजिये न!

इसके बाद भाईसाहब ने भाभी के दोनों पैरों को उनके कन्धे पर रखा और उन्हें पागलों की तरह किस करने लगे और किस करते हुए एक तकिया भाभी की चूत के नीचे रख दिया।

भाभी ने एक रूमाल अपने मुँह में फंसा लिया, भाभी के दोनों हाथों को भाईसाहब ने कलाइयों से पकड़ लिये और बोले- अब तैयार हो जाओ!

इतना बोलकर भाईसाहब ने लंड को भाभी की चूत पर रखा और फिर 2 तेज झटकों में लंड को पूरा उनकी चूत में डाल दिया, शायद भाभी की आँखों से आंसू निकल आये थे और रुमाल मुँह में होने से चीख नहीं निकल पा रही थी।

तभी भाईसाहब ने रुमाल को भाभी के मुँह से निकाला और उन्हें किस करने लगे और किस करते हुए उनकी चूत को चोद रहे थे। तभी उन्होंने किस करना बन्द कर दिया, और भाभी की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर तेज धक्के लगाने लगे।

2 मिनट तक भाईसाहब भाभी को इसी आसन में चोदते रहे और तभी भाभी का शरीर अकड़ा और भाभी बोली- मैं झड़ने वाली हूँ, एआईईईई आआह्हह आःह्ह्ह नीयक्क्ल्ल्लाआ! इतना बोलकर भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया।

भाईसाहब ने धक्के लगाना बन्द कर दिया और अब उन्होंने भाभी को घोड़ी बना कर लंड को उनकी गांड में डाल दिया। भाभी लंड को गांड से निकाल कर बोली- पहले मेरी चूत की आग को शांत कीजिये, उसके बाद ही गांड चोदने दूंगी।

भाईसाहब ने कुछ नहीं कहा और पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया और फिर लंड को बाहर निकालकर फिर एक झटके में ही पूरा लंड अंदर तक डाल दिया, भाभी भी दर्द से चीखने और तड़पने लगी पर भाईसाहब ने उन्हें इतनी कसकर पकड़ा हुआ था कि उनकी पकड़ से छूट पाना सम्भव नहीं था।

जब भाभी का दर्द कम हुआ तो भाईसाहब ने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिया। भाभी जी को भी अब इसमें आनन्द आने लगा था, अब भाईसाहब अब और भी तेज धक्के लगाने लगे थे, तभी भाभी बोली- मेरा निकलने वाला है। तभी भाभी दूसरी बार झड़ गई। अब भाईसाहब ने लंड को बाहर निकाला और भाभी के मुँह को चोदने लगे।

कुछ देर बाद भाईसाहब ने भाभी को फिर से कुतिया बनाया और फिर से उन्हें चोदने लगे, पहले तो उन्होंने आराम से चोदा फिर उसके बाद अचानक ही उन्होंने धक्के तेज कर दिए और पूरी ताकत से भाभी जी को चोदने लगे और भाभी जी की चीख बाहर नहीं निकले इसलिये उन्होंने मुँह में चादर दबा ली।

पर भाभी जी को भी शायद दर्द होने लगा था, वो बार बार भाईसाहब से रुकने के लिये बोल रही थी, पर भाईसाहब उन्हें बिल्कुल वहशी की तरह ही चोद रहे थे पूरी ताकत से, जैसे कोई शत्रुता निकाल रहे हो।

तभी भाभी बोली- मैं झड़ गई हूँ, प्लीज अब तो रुक जाओ! बहुत दर्द हो रहा है।

पर भाईसाहब नहीं रुके, अगर रुकते तो सिर्फ एक पल के लिये और फिर से चोदने लगते तीसरी बार झड़ने के बाद ही अचानक ही भाभी जी संतुलन खो बैठी और बिस्तर पर ही गिर गईं, तब भाईसाहब रुके।

अब भाई साहब ने भाभी को सीधा किया और थोड़ी देर उनके मुँह को चोदने के बाद भाभी जी को बिस्तर पर ही सीशी लेटाया और उनकी दोनों टांगों को उनके कन्धे पर रखकर उनकी चूत को चोदने लगे। भाईसाहब भाभी की चूत को पूरी ताकत से चोद रहे थे, भाभी ‘आह्ह्ह्ह आअह्ह चोदो, ऐसे ही तेज चोदो, बहुत आनन्द आ रहा है। आःह्ह्ह आआह्ह्ह! पर उनकी ये सिसकारी कुछ ही देर में दर्द में बदल जाती और कुछ ही देर में आनन्द में!

तभी भाभी बोली- मैं झड़ने वाली हूँ! और कुछ ही देर में भाभी जी चौथी बार झड़ गईं। कुछ ही देर बाद भाईसाहब भी बोले- मैं भी झड़ने वाला हूँ।

भाभी जी- नहीं, प्लीज अभी मत झड़ो, मुझे बहुत आनन्द आ रहा है।

भाईसाहब ने भी पूरी ताकत से उन्हें चोदा और कुछ देर में जैसे ही उन्होंने फिर से झड़ने के लिये बोला तो भाभी जी ने उन्हें जैसे तैसे धक्का देकर अलग किया और बैठकर उनके लंड को चूसने लगी।

भाईसाहब अब उंगली से भाभी की चूत को चोदने लगे। भाभी जी कुछ ज्यादा ही कामुक और गर्म हो रही थी तभी शायद भाभी जी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और भाईसाहब उनकी चूत रस से गीली उंगली मुँह में लेकर चाटने लगे।

लगभग पौने घण्टे घण्टे की चुदाई में भाभी 6 बार झड़ी। और जब भाईसाहब झड़े तो सारा रस भाभी ने उनके मुँह में ही लिया और भाईसाहब उनके दूध को पीने लगे। पर इस पौन घण्टे की एक ही चुदाई में भाभी चलने की हालत में नहीं थी, वो जैसे तैसे लड़खड़ाकर चल रही थी।

अब मैं चिंटू के पास आ गया, जब उसने मुझ से पूछा- कहाँ थे तुम? तब मैंने उसे सारा किस्सा बताया और उसने भी चुदाई देखने के लिये बोला।

हम दोनों दोबारा उनकी चूत चुदाई देखने गए तो भाभी जी उनसे एक बार और चुदाई के लिये बोल रही थी पर भाईसाहब ने कहा- सुबह करेंगे अब! भाभी भी मान गई।

सुबह हम दोनों जल्दी उठकर उनकी चुदाई देखने के लिए पहुंचे पर तब तक उनकी चुदाई लगभग पूरी हो चुकी थी और दोनों आपस में मस्ती कर रहे थे। चिंटू की आँखें भी भाईसाहब का लंड देखकर फ़ैली की फ़ैली रह गई थी।

क्योंकि सुबह का समय था और लोग भी उठने लगे थे तो हम दोनों वहाँ से जल्दी निकल आये।

जब मैंने उन दोनों की चूत चुदाई देखी थी तो मेरा हाथ मेरे लंड पर पहुंच गया था जिसका वर्णन करना मैंने आवश्यक नहीं समझा, क्योंकि वो तो किसी का भी अपने आप पहुंच जाता।

तो यह थी मेरी कहानी जिसमें मैंने मेरे दोस्त के चचेरे साले और उसकी पत्नी की चुदाई का दृश्य देखा।

आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे मेल कीजिये और हाँ गन्दे comments नहीं करें। आगे भी कहानी लिखता रहूंगा और मेरे मित्रों की भी कहानी और उनकी समस्याएं भी लिखता रहूंगा।

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