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मेरा नाम अजय है, मैं उत्तर प्रदेश में रहता हूँ। मेरी उम्र 20 साल है। अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर यह मेरी पहली कहानी है।
बात दो साल पहले की है.. जब मैं स्कूल में पढ़ता था। उस समय तक मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं थी। उम्र के इस दौर के शुरू होने पर अब मुझे जो भी लड़की दिखती.. तो मेरे मन में बस उसे चोदने का ख्याल आता था।
मेरी इस चाहत को ऊपर वाले ने सुन लिया। जिस क्लास में मैं पढ़ता था.. उसमें एक बहुत ही चुदक्कड़ लड़की पढ़ती थी, उसका नाम शिवानी था, उसका फिगर 34-28-30 का था।
मेरा स्कूल गाँव में था। वहाँ कोई स्कूल ड्रेस में नहीं आता था। शिवानी हमेशा कसी हुई सलवार सूट पहन कर आती थी।
एक बार मैं और मेरे दोस्त चुदाई की बातें कर रहे थे.. तो उसने सुन ली। उस दिन से वो मुझे कुछ ज्यादा देखने लगी लेकिन मैं कुछ कर नहीं पाया।
फिर एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ कुछ बात कर रहा था.. वो अपनी सहेलियों के साथ मेरे बगल वाली सीट पर बैठी थी। बात करते करते हम दोनों की नजरें मिलीं.. तो उसने स्माइल पास की।
मैं थोड़ा सा चौंक गया लेकिन मैंने अपने दोस्तों में किसी को ये पता नहीं चलने दिया। कुछ देर बाद इंटरवल में वो मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई। मेरी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई.. लेकिन मेरे बगल में मेरी कॉपी रखी थी। मैंने उस पर अपना नंबर लिख दिया और क्लास से बाहर निकल गया।
शाम को एक नंबर से मिस कॉल आई तो मैंने कॉल बैक किया। मुझे जैसी उम्मीद थी.. वो नंबर शिवानी का ही था। पहले उसने अपना नाम बताया, उसके बारे में मुझे सब कुछ पता था.. तो मैंने सीधे-सीधे उससे पूछा- चूत देगी?
उसने कहा- हाँ.. लेकिन मैं जो भी कहूँगी, वो करना पड़ेगा। ‘क्या करना पड़ेगा?’ ‘तुम्हें मेरा गुलाम बनना होगा।’ मैं तो चूत के लिए कुछ भी करने को तैयार था.. मैंने ‘हाँ’ कर दी।
अगले दिन जब मैं क्लास में गया तो कुछ देर तक यूं बैठा रहा। जब प्रार्थना की घंटी बजी.. तो मैं क्लास के बाहर आ गया और एक तरफ जा कर रुक हुआ गया, वो भी मेरे साथ बाहर आकर रुक गई।
जब सब लोग प्रार्थना के लिए जा चुके तो थोड़ी देर बाद हम दोनों अन्दर आ गए। सुनसान देख कर मैंने आव देखा न ताव.. तुरन्त उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसकी चूचियां दबाने लगा।
उसको मैंने बैंच पर लिटा दिया और अपनी पैन्ट की चैन खोलकर लंड उसके सामने कर दिया और कहा- लो चूसो इसे।
उसने मेरा लौड़ा चूसना शुरू कर दिया। मैं बता नहीं सकता.. मुझे कितना मजा आ रहा था।
कुछ ही देर में मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने उसे लिटा कर पीछे की तरफ किया और उसका शर्ट उठा कर उसकी सलवार के गांड वाले हिस्से पर पूरा माल गिरा कर रगड़ दिया जिससे उसका पिछला हिस्सा पूरा भीग गया।
इससे वो थोड़ा नाराज हो गई और बोली- ये क्या किया? मैंने कहा- अभी तो मैंने कुछ नहीं किया।
तब तक प्रार्थना ख़त्म हो चुकी थी, सभी छात्र क्लास में आने वाले थे। उसने जल्दी से कहा- छुट्टी में मेरे पीछे पीछे आना।
वो जाकर अपनी सीट पर बैठ गई और पूरा दिन अपनी सीट पर बैठी रही क्योंकि उसकी सलवार पर मेरे माल का धब्बा बन गया था।
छुट्टी में जब वो उठी तो मैंने देखा उसकी गांड पर मेरा माल सूख कर सफ़ेद दाग बन गया था.. जो साफ़ दिख रहा था।
फिर बाहर निकलने पर मैंने उसका इंतजार किया। उसके आते ही मैं उसके पीछे-पीछे चल पड़ा। वो नहर की तरफ जा रही थी, वहाँ कोई आता-जाता नहीं था।
वहाँ पहुँच कर उसने कहा- मेरे कपड़े उतारो। मैंने उसका शर्ट उतारा और जैसे ही सलवार उतारने लगा.. उसने कहा- अपने मुँह से उतार भोसड़ी के!
मैंने अपने मुँह से नाड़ा खोला.. लेकिन सलवार का नाड़ा काफी टाइट बंधा था.. जो मुँह से उतारना बहुत मुश्किल था। मैं किसी तरह उसकी सलवार को यूं ही खींच कर उसके घुटनों तक ही ला पाया।
उसने कहा- मैंने तुमसे पहले कहा था जो मैं कहूँगी.. वो करना होगा। वो सलवार ऊपर करके जाने लगी तो मैं उससे माफ़ी मांगने लगा। उसने कहा- ठीक है लेकिन इसकी सजा मिलेगी। मैंने कहा- जो कहोगी.. करूँगा।
उसने सलवार और समीज उतारी और कहा- अपने मुँह से मेरी कच्छी उतारो। मैंने कच्छी उतारना शुरू किया। उसकी कच्छी की महक मुझे पागल कर रही थी। मैंने ख़ुशी-ख़ुशी उसकी कच्छी उतार दी।
अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी। फिर उसने मुझे लिटाया और चूत मेरे मुँह पर रखकर बोली- मुँह खोल! मैंने अपना मुँह खोला तो उसने मूतना शुरू किया, पहले तो मैं अचकचा गया.. पर फिर मैंने उसका मूत पी लिया।
उसने कहा- तुमने जो मेरी सलवार ख़राब की थी.. ये उसकी सजा है। अभी तो बहुत कुछ करना है। मुझे तो ये सब अच्छा लग रहा था, मैंने कहा- तुम जैसा कहोगी मैं वैसा ही करूँगा। फिर उसने कहा- चल अब अपने कपड़े उतार! मैंने तुरंत उतार दिए।
फिर वो चूत मेरे मुँह पर करके बोली- चाट इसे। मैंने चाटना शुरू किया, उसकी चूत थोड़ी गीली हो रही थी।
मैंने करीब दस मिनट उसकी चूत चाटी तो वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए मेरे मुँह और शरीर पर झड़ गई.. मैं भीग गया था। उसने कहा- मजा आया.. मैंने मुस्कुरा कर सर हिला दिया।
फिर उसने अपनी गांड में उंगली डाली और मेरे मुँह के पास लाई। उसकी उंगली में उसका गू लगा था। मैंने बिना कुछ कहे अपना मुँह खोल दिया.. उसने वो उंगली मेरे मुँह में डाल दी। उसकी टट्टी का स्वाद कसैला था। उसके बाद उसने मेरा लन्ड पकड़ा और चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद बोली- अब चोदो मुझे।
मैंने इससे पहले कभी सेक्स नहीं किया था तो थोड़ा नर्वस था। उसने मेरा लंड पकड़ा और चूत पर रखकर बोली- धक्का मार मादरचोद.. इतना बड़ा लौड़ा लिए घूमता है और तुझे चोदना नहीं आता।
मैंने पूरी ताकत से धक्का मारा तो मेरी ही चीख निकली.. मुझे ऐसा लगा कि मेरा लंड छिल गया है जबकि उसके मुँह से हल्की सी ‘आह..’ निकली। वो बोली- अबे भोसड़ी के.. चोद रहा है या चुदवा रहा है।
मैंने जोश में आकर और धक्के लगाए। करीब दस मिनट बाद जब मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ? उसने कहा- मेरे मुँह में गिराना।
लेकिन इतनी देर में कहते-कहते उसका शरीर अकड़ गया और वो झड़ गई। मैंने तुरंत अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया और झड़ गया। वो पूरा वीर्य पी गई। उसके बाद हम दोनों वहीं पांच मिनट तक नंगे पड़े रहे।
मैं जाने के लिए उठा तो उसने कहा- अभी कहाँ जा रहा है.. अभी तो मुझे गांड भी मरवानी है। मैंने कहा- अब क्या मुरझाए लंड से गांड मारूंगा? वो बोली- इसे मैं खड़ा कर दूंगी।
उसने अपनी गांड आगे करके कहा- इसे चाट! अब मेरा मन तो नहीं कर रहा था लेकिन मैंने चाटना शुरू किया। उसकी गांड के आस-पास थोड़ी सी गंदगी लगी थी। थोड़ी देर बाद मुझे ये सब अच्छा लगने लगा और मैंने उसकी पूरी गांड चाट कर साफ़ कर दी।
फिर उसने कहा- मेरी गांड में उंगली डाल के चाट! मैंने उंगली डाली, वैसे उसने पाद मारा।
अब मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया था सो कुछ देर बाद उसने गांड में लंड डालने को कहा। मैंने सुपारा जैसे अन्दर डाला.. उसके मुँह हल्की सी चीख निकल गई। मैं रुक गया तो वो बोली- रुको मत.. पेलते रहो।
मैंने एक बार में ही पूरा लंड पेल दिया उसके बाद करीब आधा घंटा मैंने उसकी गांड मारी और गांड में ही झड़ गया। उसके ऊपर ही पंद्रह-मिनट तक लेटा रहा।
फिर मुझे घर जाने को देर हो रही थी और उसे भी इसलिए हम दोनों ने एक-दूसरे को कपड़े पहनाए। मैंने उसकी कच्छी अपने पास रख ली। उसने कल आने का वादा किया और चली गई।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे ईमेल द्वारा बताइएगा। [email protected]
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