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इस कहानी में एक पति के cuckold मतलब वो व्याभिचारी पति जिसको अपनी बीवी को दूसरे से चुदते देखने में ख़ुशी मिलती है.. बनने की दास्तान है। कैसे एक बिल्कुल घरेलू बीवी पति के कहने पर चुदक्कड़ बीवी बन कर गैर मर्द के साथ दिल खोल कर सेक्स के मज़े लेती है। आइए सीधे उसी cuckold पति की जुबानी इस कहानी का आनन्द लेते हैं।
हैलो.. मेरा नाम मानव है और मेरी बीवी का नाम नेहा है.. वो बहुत ही सेक्सी है। हमारी शादी को 18 साल हो गए हैं और हमारे दो बच्चे हैं। शादी के 3-4 साल बाद ही मुझको अपनी बीवी को चुदते हुए देखने का मन करने लगा था।
मैं उससे जब किसी से चुदाई करवाने के लिए कहता तो वो कहती- तुम पागल हो क्या.. बेवकूफी की बातें मत किया करो.. जब तुम मुझे चोद सकते हो तो मुझे किसी और से चुदने की क्या जरूरत है.. मेरे लिए तुम ही ठीक हो।
जब भी मैं उसको चोदता.. तो उससे यही रिक्वेस्ट करता कि मेरा उसको चुदते देखने का बहुत मन है। वो अब पहले की तरह ज्यादा कुछ नहीं बोलती.. पर इस बात से उसकी चूत पानी छोड़ने लगती थी।
कुछ दिनों बाद ही उसने नेटवर्क मार्केटिंग का काम चालू किया और वो उसमें व्यस्त रहने लगी। एक दिन वो मुझको अपने नेटवर्किंग मार्केटिंग के फंक्शन में ले गई। वहाँ मैंने देखा कि वो एक डॉक्टर में बहुत दिलचस्पी ले रही है और वो भी उसमें बहुत दिलचस्पी ले रहा है।
रात को बिस्तर पर जब हम आए तो उसने उसका नाम डॉक्टर कबीर बताया वो काफी खूबसूरत था। मैंने वही चुदाई वाली बात करनी शुरू की.. तो उसने कहा- तुम पागल हो और बेकार की बात करते हो।
पर अब जब भी वो अपने नेटवर्क मार्केटिंग के फंक्शन में जाती तो बन-ठन कर जाती। मैं समझ गया कि उसकी चूत में अब थोड़ी खुजली शुरू हो गई है।
मैंने फिर वही डॉक्टर कबीर से चुदाई की बात करनी चालू कर दी। धीरे-धीरे अब उसने कहना शुरू कर दिया कि कबीर ऐसा नहीं है और उसका ध्यान काम पर रहता है।
एक दिन उसने शाम के टाइम कहा- मुझे डॉक्टर कबीर के घर जाना है.. मुझे उससे कोई सीडी लेनी है। उसने जाने से पहले डिनर भी पैक किया। मैंने पूछा तो उसने बताया- डॉक्टर कबीर की बीवी अपने मायके गई है। मैं समझ गया कि जल्दी ही मेरा सपना पूरा होने वाला है।
मैं उसको घर ले कर गया.. कबीर निक्कर और टी-शर्ट में था। उसने हमारा स्वागत किया.. मैं जल्दी ही अपना सपना पूरा होते देखना चाहता था.. इसलिए मैंने उन दोनों को अकेला छोड़ने का निश्चय किया.. जिससे जल्दी उनके बीच चक्कर चालू हो सके।
मैंने वहाँ जाने के बाद कहा- मुझको कुछ जरूरी काम है.. कबीर क्या मैं नेहा को छोड़ कर जा सकता हूँ? उसने कहा- हाँ हाँ.. श्योर.. जैसे वो यही चाहता हो।
मैं आधे पौन घंटे में लौट कर आया। रात को मैंने बिस्तर पर गए तो मैंने पत्नी से पूछा- कुछ हुआ.. डॉक्टर कबीर ने कुछ किया? उसने कहा- नहीं..
अगले 15-20 दिन तक हर तीन-चार दिन में यही होता रहा। वो कुछ काम से और डिनर ले कर कबीर के यहाँ जाने लगी। मैं जब पूछता तो बताती- कुछ नहीं किया।
लगभग बीस दिन बाद उसने मैंने उसको रात में उसकी चूत में उंगली करते हुए पूछा- जानू अब तो कबीर ने तुम्हारी पप्पी-झप्पी लेना शुरू कर दिया होगा? वो बोली- हाँ हुआ.. उसने सिर्फ किस किया।
अगले कुछ दिन ऐसे ही चला.. मैंने सोचा अब तक मैं इसको 8-10 बार अकेले छोड़ कर जा चुका था। डॉक्टर चुदक्कड़ तो लगता था.. पर शायद उसने अभी तक चोदा नहीं है ये बात मेरे गले नहीं उतर रही थी।
अबकी बार जब मैंने उसको एक दिन छोड़ा.. तो मैंने उसको बोला- आज मुझे देर लगेगी। नेहा बोली- ओके नो प्रॉब्लम..
मैं डॉक्टर कबीर के घर से थोड़ी दूर गया और जाने के बाद वापस आ गया। वापिस आने के बाद मैं घर के अन्दर झांकने की जुगाड़ देखने लगा। जल्दी ही मुझको उसके फर्स्ट फ्लोर पर बने बेडरूम के एसी के पास जगह नजर आ गई.. जहाँ से झाँकने पर उसका बिस्तर नज़र आ रहा था।
मैंने देखा डॉक्टर और नेहा दोनों बिस्तर पर थे। डॉक्टर पीठ के सहारे पलंग पर बैठा था और नेहा उसकी जाँघों पर सर रख लेटी थी।
यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। कबीर उसके बाल सहला रहा था। कबीर ने नेहा को किस किया.. दोनों कुछ मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। अब कबीर पलंग पर नीचे को खिसका और दोनों ने एक-दूसरे से लिपटना चालू कर दिया।
मैं अपना लंड सहलाने लगा।
कबीर ने अब नेहा का टॉप निकाल दिया.. उसने लाल कलर की ब्रा पहन रखी थी। नेहा के मम्मे बाहर आने को बेताब से हो रहे थे। कबीर उसके गोरे-गोरे मम्मों को देख कर पागल हो रहा था, उसने उसकी सलवार भी उतार दी।
नेहा ने लाल कलर की ही डोरी वाली पैन्टी पहनी थी। साफ़ लग रहा था कि नेहा पहले से चुदाई की पूरी तैयारी करके आई थी। उसकी चिकना बदन देख कबीर भी पागल हो रहा था। मैं अपना लंड सहला रहा था।
कबीर ने भी फटाफट अपनी टी-शर्ट और निक्कर उतारी। दोनों एक-दूसरे से लिपटने-चिपटने लगे। फिर थोड़ी देर में एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे।
नेहा कबीर का लंड सहलाने लगी और उसने उसकी अंडरवियर बिल्कुल नीचे कर दी। कबीर का लंड मोटा और लंबा था। कबीर ने अपनी अंडरवियर और बनियान उतार दी।
साथ ही कबीर ने नेहा की ब्रा खोल दी और उसकी पैन्टी की डोरी पकड़ कर खींच दी। अब दोनों एकदम नंगे हो गए थे। कबीर ने उसको गले के दोनों तरफ चूसना चालू कर दिया। वो नेहा के मम्मे मसलने लगा और निप्पल निचोड़ने लगा, नेहा भी मस्त हो रही थी।
धीरे से कबीर नेहा का निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा, निप्पल को मुँह में लेकर चूसते हुए कबीर ने नेहा के कन्धों को और उसकी चिकनी बॉडी को सहलाना चालू कर दिया। नेहा पूरी गर्म हो उठी थी, कबीर उसकी चूत में उंगली डाल कर चूत को कुरेदने लगा। नेहा मादक सीत्कार ले रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मुझे साफ़ दिख रहा था कि नेहा बहुत गर्म हो चुकी थी, वो बार-बार कबीर का लंड जोर-जोर से सहला रही थी। नेहा कबीर से बोली- जानू प्लीज डालो न.. कबीर ने कहा- इतनी क्या जल्दी है.. वो तुम्हारा चूतिया पति अभी नहीं आने वाला है। वो बोली- प्लीज डालो न.. मुझसे रहा नहीं जा रहा है।
मुझे कबीर घिसा हुआ खिलाड़ी लग रहा था, उसने पूछा- क्या डालूँ? नेहा बोली- नाटक मत करो यार.. डालो न.. उसने फिर मासूमियत से पूछा तो नेहा बोली- लंड डालो जानू.. प्लीज..
कबीर बोला- जानेमन पहले भोग तो लगाओ। नेहा बोली- कैसा भोग? कबीर नेहा के मुँह के पास अपना लंड ले आया। नेहा बोली- नहीं.. कबीर बोला- हाँ..
और इससे पहले नेहा कुछ कहती.. कबीर ने अपना लंड नेहा के मुँह में डाल दिया। मैं उन दोनों को इस स्थिति में देख कर पहले ही एक बार झड़ चुका था.. और यहाँ अभी चुदाई भी चालू नहीं हुई थी।
कबीर नेहा का सर पकड़ कर आगे-पीछे करने लग गया.. साथ ही वो नेहा की चूचियाँ सहलाता रहा।
नेहा से अब रुका नहीं जा रहा था.. कबीर का लंड मुँह से निकाल कर नेहा बोली- अब तो डालो.. अब तो तुमने भोग भी लगवा लिया.. अब खुश हो जाओ।
कबीर बोला- जानू तुम ऊपर से नीचे तक पूरी मक्खन माल हो मक्खन..
कबीर अपना लौड़ा हिलाता हुआ नीचे को हुआ और उसने अपना मोटा लंड नेहा की चूत में एक झटके में घुसा दिया। नेहा जोर से चीखी- उईई माँ.. मर गई.. उई माँ.. निकालो.. निकालो.. तुम्हारा बहुत मोटा है।
कबीर बोला- जानू अभी तो सिर्फ डाला है.. नेहा बोली- ये इतना मोटा है.. इससे मेरी फट जाएगी। कबीर बोला- नहीं फटेगी जानेमन.. उसने धीरे-धीरे झटके देना शुरू किए।
नेहा ‘उई माँ… उई माँ.. अहाहह..’ करने लगी। अब नेहा को मजा आने लगा था.. उसने भी अपनी गांड उठा-उठा कर कबीर का साथ देना शुरू कर दिया। कबीर अब जोर-जोर से झटके देने लगा। पूरा कमरा चूत-लण्ड की चुदाई से ‘फ़च्छ.. फ़च्छ..’ की आवाज से गूंज रहा था।
नेहा- आह्ह.. उह्ह.. फट गई.. मेरी फट उई.. कबीर.. धीरे चोदो.. आह.. कबीर बहुत मजा आ रहा है। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
वो मादक आवाजें निकाले जा रही थी। कबीर दुगने जोश से उसकी चूचियां जोर-जोर से मसल रहा था। इधर मैं बाहर से देखता हुआ दूसरी बार भी झड़ चुका था। उधर कबीर पूरी रफ़्तार से नेहा की चूत में झटके पर झटके दिए जा रहा था।
नेहा बोली- कबीर छोड़ो न प्लीज.. मेरी सूज जाएगी.. कबीर बोला- क्या सूज जाएगी जानू.. बोली- पागल मत बनाओ कबीर.. सच्ची में मेरी चूत सूज जाएगी।
कबीर को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो पूरी रफ़्तार से झटके दे रहा था। मुझे लग रहा था कि जैसे नेहा झड़ चुकी थी.. पर कबीर रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसने थोड़ी देर बाद अपना लण्ड उसकी चूत से खींचा और लंड की पूरी पिचकारी नेहा के पेट पर छोड़ दी।
दोनों बुरी तरह से चुदाई का समापन करते हुए झड़ गए थे। अब वे दोनों नंगे एक-दूसरे से चिपटे हुए लेटे हुए थे। नेहा कबीर के सीने के बाल सहला रही थी.. वो नेहा के सर के बाल सहला रहा था। कबीर ने पूछा- अच्छा लगा? नेहा बोली- पागल बना दिया आज तुमने..
कबीर ने कहा- तुम्हारा चम्पू ऐसे नहीं चोदता? बोली- अरे यार वो 4-6 झटके वाला है.. तुम तो फाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। थोड़ी देर और वो ऐसे ही चिपटे रहे।
फिर कबीर बोला- तुम्हारा चम्पू आने वाला होगा। नेहा बोली- यार उसको चम्पू क्यों बोलते हो? वो बोला- चम्पू ही तो है.. तुम इतनी मस्त पटाखा हो मेरी जान.. बस पूछो मत..
उन दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने। नेहा ने अपने बाल वगैरह सही किए और बिल्कुल ऐसे बन गई.. जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो।
मैं तो तीन बार झड़ चुका था.. अब तो लण्ड भी मुठ मारने से खड़ा नहीं हो रहा था।
मैं फर्स्ट फ्लोर से जल्दी से नीचे आया और खुद को ठीक किया। फिर थोड़ी देर में मैंने कबीर के घर की कॉलबेल बजाई। नेहा ने दरवाजा खोला.. बोली- कहाँ थे तुम.. इतनी दर से बोर हो रहे थे। कबीर को कहीं जरूरी काम से जाना था।
मैंने कहा- हाँ सही है.. हम दोनों कबीर के यहाँ से निकले और घर आ गए।
रात में मैंने नेहा को सहलाना शुरू किया और पूछा- स्वीट हार्ट, चूमाचाटी से बात आगे बढ़ी? वो बोली- तुम भी न.. कबीर का ध्यान सिर्फ काम पर रहता है.. उसके पास इन सब बातों के लिए टाइम नहीं है।
मैंने मन में सोचा कि हाँ कौन से काम पर ध्यान है.. मुझे सब मालूम है।
वो बोली- मैं आज थकी हुई हूँ.. मुझको नेटवर्क का काम कैसे बढ़ाना है कबीर मुझे समझा रहे थे। ‘ओके..’ फिर बोली- जाओ जरा जैतून का तेल गर्म कर लाओ। मैंने कहा- क्या हुआ? बोली- अब जाओगे भी?
मैं किचन से जैतून का तेल गर्म करके लाया। वो बोली- पैरों में और मेरे बदन में लगा दो.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैं जानता था कि ये सब कबीर की चुदाई का नतीजा है। मैंने धीरे-धीरे तेल उसके पैरों में मल कर उसकी तेल मालिश करनी शुरू की.. तो उसने अपनी नाईटी पूरी ऊपर कर ली।
बोली- पूरी टांगों पर लगाओ..
थोड़ी देर पैरों की मालिश करने के बाद उसने अपनी नाईटी उतार दी और खुद औंधी हो कर लेट गई।
बोली- पीछे चूतड़ों पर और कमर में ठीक से मालिश कर दो। मैंने पूछा- लगता है आज बहुत थक गई हो? बोली- हाँ यार, काम के चलते बहुत चलना पड़ गया।
मैंने उससे फिर धीरे से पूछा- आज कबीर ने कुछ किया? बोली- यार तुम न बेवकूफी की बात मत किया करो। मैंने कहा- बताओ न.. बोली- कुछ नहीं.. बस किस हुई थी और उसने मुझे हग किया था।
फिर वो सीधे होकर लेट गई और चूत की साइड में मालिश करने के लिए बोली। मैं मालिश करने लगा मैंने उसको चोदने के लिए मूड बनाया.. तो वो बोली- तुम्हारा तो मेरी देखते ही हमेशा खड़ा ही हो जाता है.. ठीक से मालिश होती ही नहीं.. पैरों की ठीक से मालिश करो न यार।
मैं थोड़ी देर मालिश करता रहा, मैंने देखा कि वो तो सो गई। मैं समझ गया कि चुदाई के बाद की थकान है, मैंने भी मुठ मारी और सो गया।
दोस्तो, मेरी हसरत थी कि मैं अपनी बीवी को किसी दूसरे मर्द से चुदते हुए देखूं.. वो तो एक तरह से पूरी हो गई थी पर अभी भी मेरे मन में था कि मैं सामने बैठा होऊँ और मेरी उपस्थिति में मेरी बीवी चुदे।
अगले भाग में इसी प्लानिंग पर काम करूँगा.. आप अपने मेल जरूर भेजिएगा। [email protected] कहानी जारी है।
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