लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग- 48

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

जब वेटर रूकता तो पापाजी मेरी गांड को ठोकते और जब पापा जी रूकते तो वेटर मेरी चूत की बैंड बजाता, फिर दोनों ने अपना वीर्य मेरे पेट पर गिरा दिया।

वेटर के जाने के बाद मैंने पापाजी को मालिश करने के लिये कहा तो वो पास पड़ी हुई एक शीशी उठाई और मेरे मालिश करने लगे। क्या खूब वो मेरी मालिश कर रहे थे, वो मेरे चूतड़ के ऊपर बैठ गये, उनके अंडे मेरे चूतड़ से रगड़ रहे थे। मेरे जिस्म के हर एक हिस्से की वो बड़े ही अच्छी मालिश कर रहे थे। करीब पंद्रह मिनट की उनकी मालिश से मेरे जिस्म की सब अकड़ निकल चुकी थी और मैं अपने आपको बहुत ही तरोताजा महसूस करने लगी।

मेरे कहने पर पापाजी भी मुझसे अपने जिस्म की मालिश कराने के लिये तैयार हो गये। मुझे तो उनका नहीं मालूम कि उनको मेरे मालिश कैसी लगी, पर इतना तो तय है कि मुझे बहुत मजा आया। खासतौर से तब जब मैं उनकी गांड के अन्दर उंगली डालकर मालिश कर रही थी और लंड को अच्छे से तेल लगा रही थी।

उसके बाद मैं और मेरे ससुर जी दोनों साथ ही नहाये और फिर मैं अपने ससुर जी से चिपक कर सो गई। सुबह फिर वही वेटर आया और बोलने लगा कि अब मेरी ड्यूटी ओवर हो रही है कोई काम हो तो बता दीजिए, नहीं तो शाम को चार बजे के बाद मैं आऊंगा।

मैंने तुरन्त ही अपने कपड़े और पापाजी के कपड़े जिसमें पेन्टी और ब्रा भी था, उसको धोकर लाने को बोली, वेटर ने हमारे सभी कपड़े लिये और शाम तक लाने के लिये बोला।

मेरे और ससुर जी के बीच एक नया सम्बन्ध स्थापित हो चुका था। वेटर के जाने के बाद मैं उठी और टट्टी करने के लिये सीट पर बैठ गई। पीछे-पीछे ससुर जी भी अपने हाथ में ब्रश मंजन लेकर आये और वही मेरे पास खड़े होकर ब्रश करने लगे।

टट्टी करने के बाद मैंने ससुर जी को मेरी गांड साफ करने के लिये कही। पापाजी ने तुरन्त ही ब्रश करना खत्म किया और फिर मेरी गांड साफ करने लगे।

मेरे उठने पर वो भी सीट पर बैठ गये। इधर मैंने भी वही उनके पास खड़े होकर ब्रश करना शुरू किया। पापाजी के हगने के बाद मैंने उनकी गांड साफ की और एक बार फिर दोनों साथ नहा कर कमरे में आये।

फिर रात जो बड़ा सा कैरी पैक लेकर आये थे, उसमें से उन्होंने ब्लू कलर की पैन्टी ब्रा निकाल कर मुझे पहना दी उसके बाद शार्ट स्कर्ट और ट्रांसपेरेन्ट कमीज सफेद रंग की पहना कर बोले- आज इसको पहन कर ऑफिस जाओ, बहुत एन्जॉय करोगी। ऑफिस के जितने भी मर्द हैं वो झांक झांक कर तुम्हारी चूत देखने की कोशिश करेंगे, उनकी हरकत देखकर बड़ा मजा आयेगा।

पापाजी के लाये हुए कपड़ों में बहुत ही सुन्दर और सेक्सी दिख रही थी, खासकर मेरी आगे और पीछे की उठान तो वास्तव में लोगों के लिये कहर बनने वाली थी… ऊपर से चश्मा और कहर ढा रहा थ।

खैर तैयार होने के बाद मैंने ऑफिस फोन कर दिया कि ऑफिस की गाड़ी मुझे पिक करने आ जाये।

गाड़ी आने तक मैं पापाजी के साथ उसी होटल में नाश्ता करने उतरी तो पाया कि पापाज ने जो मुझे कहा था वो एक-एक बात सही होती जा रही थी, सभी मर्द घूर घूर कर मेरी ही तरफ देख रहे थे और सभी मुझे विश करने की कोशिश भी कर रहे थे।

मैं उन्हे इग्नोर करते हुए अपना नाश्ता करने लगी।

नाश्ता खत्म होने तक ऑफिस की गाड़ी मुझे पिक करने आ चुकी थी, मैं ऑफिस चल दी, साथ में पापा जी भी मुझे ऑफिस तक ड्राप करने के लिये आ गये क्योंकि उनका प्लान था कि जब तक मैं ऑफिस में काम करूंगी तब तक वो कोलकाता शहर घूम लेगें।

ड्राइवर ने भी बैक ग्लास को एडजेस्ट किया ताकि वो मुझे देख सके। चूंकि ससुर जी आगे की सीट पर बैठे हुए थे तो मैंने उस बेचारे ड्राइवर को परेशान करने की सोची, मैंने अपने दोनों हाथ को अपनी गर्दन के पीछे टिकाए ताकि मेरे दोनों बोबे में उठान और आ जायें। हुआ भी ऐसा ही… ड्राइवर जो अब तक केवल पीछे शीशे के माध्यम से मेरे जिस्म को देखने की कोशिश कर रहा था, अचानक खांसने लगा। मैं उसकी विवशता पर मुस्कुरा कर रही गई और फिर सीधे होकर बैठ गई और ऑफिस आने तक उसको मजा देने के लिये मैं बीच-बीच में अपने बोबे को मसल देती थी।

ऑफिस आने पर पापाजी उतर गये और वो ड्राइवर बड़े ही सम्मान के साथ मुझे अपने बॉस के केबिन में ले गया। रास्ते में हर मर्द मेरी चूत को देखने के लिये मेरे स्कर्ट के अन्दर झांकने की कोशिश कर रहा था।

जैसे ही मैंने केबिन का दरवाजा खोला तो॰॰॰ अरे यह क्या? जीवन!!! जो कल शाम पूल के पास मिला था और मुझे देख कर बोला था कि रात में मुझे अपने सपने में देखेगा और मुठ मारेगा।

मुझे देखते ही जीवन ने भी अपनी सीट छोड़ दी और मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुये बोला- आप यहाँ? मैं जिस वर्क के लिये आई थी उस प्रोजेक्ट का इंचार्ज वही थी।

मेरे हाथ को वो अपने ही हाथ में लिये हुए बड़े ही बेशर्मी से बोला- वास्तव में कल आपको पूल पर देखकर मेरा लंड अकड़ गया और ढीला होने के लिये तैयार ही नहीं हो रहा था, बड़ी मुश्किल से जाकर शांत हुआ, इसको शांत कराने के लिये दो बजे रात तक मैं जागा हूँ।

‘क्यों? सड़का नहीं मारे?’ ‘नहीं, मैं सड़का मारने पर विश्वास नहीं करता।’ ‘तो फिर मुझसे क्यों कहा?’ मैं भी उसके साथ उसी बेशर्मी से जवाब दे रही थी।

‘वो तो आपको देखने के बाद मेरे मुंह से कुछ नहीं निकल रहा था तो मैंने कह दिया। मेरा तो केवल चूत चोदने का विश्वास है।’ ‘इसका मतलब अपने लंड की अकड़ को तुम मेरी चूत से निकालना चाहते हो?’ ‘हां अगर तुम हामी भर दो।’ ‘मैं तुमको तो अपनी चूत तुम्हें दे तो दूं पर मुझे क्या फायदा होगा?’

‘फायदा जो तुम चाहो?’ ‘नहीं, तुम्ही ही बताओ।’ ‘जितने रूपये तुम चाहोगी मैं उतने देने को तैयार हूँ।’ ‘नहीं रूपये तो नहीं चाहियें’

‘तो ठीक है, यह प्रोजेक्ट मैं तैयार करूंगा और इसका जितना भी प्रोफिट होगा, वो सब तुम्हारा होगा और तुम अपने बॉस की बॉस हो जाओगी।’ ‘और अगर इससे लॉस हुआ तो?’ मैं बोली। ‘वो मेरा!’ छूटते ही बोला।

‘तुम अपने वायदे से मुकर तो नहीं जाओगे?’ मैंने अपने को कन्फर्म करने के लिये बोला। ‘बिल्कुल नहीं!! मुझ पर विश्वास करो।’ कह कर वो मेरे और करीब आया और मुझे अपने से चिपका लिया और मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा। सहलाते हुए बोला- तुम बहुत मस्त हो, आज मुझे मजा दे दो।

‘तुम जो कहोगे, वो मैं करूंगी।’ मेरे कहने के बाद उसने मुझे अपने से अलग किया और बठने के लिये कुर्सी ऑफर की, फिर सरवेन्ट को बुला कर चाय वगैरह मंगवाई और फिर अपने पीए को बुला कर मेरा परिचय कराया और उसको ऑफिस की हिदायत देते हुए बोला कि प्रोजेक्ट के सिलसिले में मैं मेम साहब के साथ बाहर जा रहा हूँ, दो-तीन घंट लगेगे।

फिर वो मुझे लेकर ऑफिस से बाहर आ गये और उसी गाड़ी में बैठ गये जिस गाड़ी से मैं अभी-अभी ऑफिस आई थी। हम दोनों को देखते ही उस ड्राइवर ने बड़े ही अदब के साथ दरवाजा खोला।

पहले जीवन कार में गया और सीट पर बैठ गया पर उसने अपने बांयें हाथ को सीट पर टिका दिया। मैं कार के अन्दर हुई और जीवन के हथेली के ही ऊपर अपने चूतड़ों को रख दिया, मैंने अपनी स्कर्ट भी थोड़ी ऊँची कर ली थी ताकि उसको मेरी गांड की गर्माहट का अहसास हो जाये।

ड्राइवर ने दरवाजा बन्द किया और अपनी सीट की तरफ बढ़ने लगा, तब तक मैंने अपनी पैन्टी भी उतार कर मैंने अपने बैग में रख ली। उसी समय जीवन की उंगली मेरी चूत के अन्दर घुसने का रास्ता ढ़ूंढ रही थी।

जैसे ही जीवन की उंगली ने मेरी चूत को स्पर्श किया, जीवन बोल उठा- यू वेट? मैं बोली- याह थिन्किंग अबाउट यू! मजा तब है कि इस रस का स्वाद लो।

जीवन मुस्कुराया और फिर मेरी गीली चूत के अन्दर उसने दो से तीन मिनट तक उंगली घुमाई और फिर बाहर निकाल कर बड़े ही स्टाईल से ड्राइवर की नजर बचाकर अपनी उंगली को चाटने के साथ कमेन्ट भी किया- वेरी स्वीट!

एक बार फिर जीवन की हथेली मेरे चूतड़ों के नीचे आने को बैचेन हो रही थी। धीरे से उसने अपना हाथ मेरे कूल्हों की तरफ बढ़ाया, मैं सीट में खिसक कर थोड़ा सा इस तरह टेढ़ी हुई कि जीवन मेरी गांड को सहला कर मजा ले सके।

ड्राइवर को धोखा देने की नीयत से मैंने खिड़की के बाहर झांकना जारी रखा। इधर जीवन मेरी गांड के अन्दर उंगली कर रहा था, मुझे उसका उंगली करना बड़ा ही अच्छा लग रहा था।

तभी एक जगह गाड़ी रूकवाकर जीवन ड्राइवर से सिगरेट लाने के लिये बोला। ड्राइवर के जाते ही जीवन ने मुझसे पैन्टी पहनने के लिये बोला और बताया कि होटल आने वाला है। जीवन के कहने पर मैंने पैन्टी पहन ली।

उसी समय जीवन ने मेरे होंठों को कस कर चूसा और बोला- तुम्हारी चूत और गांड तो प्यारी है पर ये रसीले होंठ… मैं इनका भी दीवाना हूँ। मेरा भरपूर साथ देना, मैं तुमको खूब मजे दूंगा।

‘तुम जैसा चाहो, मुझसे मजा ले सकते हो, मैं तुम्हारी हर बात मानूंगी।’

फिर हम दोनों अलग हुए, तब तक ड्राइवर भी आ चुका था, हम लोग अपनी पोजिशन ले चुके थे। थोड़ी ही देर बाद होटल आ गया, दोनों उतर गए, जीवन ने ड्राइवर को कुछ निर्देश दिया और वो मुझे लेकर अपने कमरे में आ गया। जीवन का रूम भी उसी होटल में बुक था जिस होटल में मेरा रूम बुक था, बस मैं एक फ्लोर ऊपर थी और उसका रूम एक फ्लोर नीचे था।

रूम में घुसते ही जीवन जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतार कर इधर उधर फेंकने लगा और मुझे भी जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने के लिये बोला। उसके इस उतावलेपन पर मैंने उसको समझाया कि जब तक तुम कहोगे मैं तुम्हारे साथ हूँ जैसे चाहो चोद लेना, इतनी जल्दीबाजी क्या है।

जीवन बोला- जल्दी से अपने कपड़े उतारकर झुको और अपनी गांड का छेद खोलो, एक काम कर लूं फिर और भी मजे करूंगा। ‘ठीक है!’ कह कर मैंने अपने कपड़े उतारे और झुकते हुए अपनी गांड को दोनों हाथों से फैला लिया।

जीवन मेरे पास आया और मेरी पीठ सहलाने लगा। लेकिन तभी मुझे मेरी छेद में गर्म पानी का अहसास होने लगा। ‘सुर्ररर्रर्र…’ की अवाज आने से समझ गई यह गर्म पानी नहीं, बल्कि जीवन मेरी गांड में मूत रहा है और यह गर्माहट उसकी पेशाब की है। मेरी गांड की सुरसुराहट भी तेज होने लगी।

मूतने के बाद जीवन मेरी गांड को सहलाते हुए बोला- बहुत तेज मूतास लगी थी। ‘तो बाथरूम में मूतते… मेरी गांड में क्यों? ‘तुम्ही ने तो बोला था कि जो मैं करूंगा उसका तुम विरोध नहीं करोगी।’ ‘ओ॰के॰’ मैं कहकर चुप हो गई।

‘अभी इसी तरह का और मजा दूंगा। मैं चाहता हूँ कि मेरी पार्टनर मेरा विरोध न करे।’ ‘ठीक है। मैं तुम्हारा विरोध नहीं करूंगी और जो तुम कहोगे वो मैं करती जाऊँगी।’ ‘एक बार फिर कुतिया बन जाओ।’

उसके कहने पर मैं कुतिया बन कर खड़ी हो गई। तड़ाक से एक चपत मेरी गांड पर लगी। तड़ाक, तड़ाक, तड़ाक… कई चपत मेरी गांड पर उस कुत्ते जीवन ने मारी, मुझे दर्द हो रहा था और मेरी आँख में आंसू आ गये। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो ऐसी हरकत करेगा।

फिर वो मेरे कूल्हों को जोर जोर से मसलने लगा, मुझे ऐसा महसूस हुआ कि उसकी दो उंगलियाँ मेरी गांड में एक साथ फंसी हुई हैं और दोनों उंगलियों का इस्तेमाल वो मेरी गांड फाड़ने के लिये कर रहा है। उम्म्ह… अहह… हय… याह… दर्द हो रहा था, मैं सिसक रही थी।

तभी मुझे मेरी चूत पर गीलेपन का अहसास हुआ, लगा कि मेरी चूत चाटी जा रही है।

उसके बाद जीवन ने गांड से उंगली निकाली और फिर चूत को फैलाने लगा और अपनी जीभ को मेरी चूत के अन्दर डालकर चाटने लगा, कभी वो मेरी चूत की फांक को काटता तो कभी पुतिया को अपने दांतों के बीच लेकर उसे बड़ी ही बेदर्दी से चबा रहा था।

अगर जीवन का बस चलता तो मेरी पुतिया को वो चबा-चबा कर खा जाता।

बड़ी देर तक उसने ऐसा ही किया। इसी बीच मेरा पानी एक बार छूट चुका, जिसे वो पूरा का पूरा पी गया।

अचानक मुझे लगा कि कुछ गर्म-गर्म सा मेरी चूत में रगड़ा जा रहा है। और एक झटका… मेरी चूत के अन्दर जीवन का लंड॰॰॰ अक्क… अचानक हुए इस प्रहार से मेरा मुंह खुल गया।

जीवन मेरी कमर को कस कर पकड़ते हुए धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था। मैं एक बार फिर ऑर्गेसम में पहुँचने वाली थी कि जीवन ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरी गांड को चाटने लगा, अपनी दोनों उंगलियों से मेरी गांड को इतना फैला लिया कि उसकी जीभ की टो अन्दर जा रही थी। बहुत ही प्यार से मेरी गांड को चाट रहा था, गांड उसके चाटने से काफी गीली हो चुकी थी। एक बार फिर जीवन ने उसी झटके के साथ अपने लंड को मेरी गांड में प्रवेश कराया, जैसा कि उसने चूत में अपने लंड को डाला था।मुझे तो इस झटके से ऐसा लगा कि मेरे प्राण मेरे गले में अटक गये हों।

लंड को डालते ही जीवन बोला- आकांक्षा, तुम गांड चुदाई का भी मजा लेती हो? मैं बस केवल इतना ही बोल पाई- हाँ! ‘वाह, मजा आ गया… पूरा पैकेज एक साथ एक जगह। तुमने तो मुझे अपना गुलाम बना लिया।’

‘नहीं, इस पैकेज में एक कमी है।’ ‘क्या?’ वो बोला। ‘बस मैं गाली का कम पसंद करती हूँ।’ ‘अरे यार, जब इतनी हसीन औरत किसी मर्द से उसके कहे अनुसार चुदेगी तो मर्द के मुंह से गाली नहीं निकलेगी। बस प्यार ही प्यार निकलेगा।

करीब बीस मिनट से ज्यादा ही उसने मेरी गांड और चूत को चोदा, इसी बीच में एक बार और झड़ चुकी थी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

फिर वो अपने लंड के साथ सामने आया। साला लंड था उस मादरचोद का या काला मूसल… किसी कुंवारी को चोद दे तो मर ही जायेगी बेचारी! उसने लंड लाकर मेरे मुंह के पास लगा दिया। मैं उसे मुंह में लेने ही वाली थी कि बोला- अभी चूसो मत इसे, इसको सूंघो।

मैं उसकी तरफ देखने लगी। वो फिर बोला- देखो नहीं, सूंघो! देखो मेरे और तुम्हारे मिलन की गंध कैसी है।

जीवन ने एक हथेली से मेरे सर को पकड़ कर स्थिर किया और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ कर मुझे सूंघाने लगा। हालांकि मैं गंध पहचान नहीं पाई, पर उसका दिल रखने के लिये बोली- जीवन, मेरे और तुम्हारे मिलन की खुशबू बहुत अच्छी है।

मेरी बात सुनने के बाद उसने अपने लंड से मेरे मुंह की चुदाई करनी शुरू कर दी। एक बार फिर उसने अपने ताकत से मेरे सिर को स्थिर किया और लंड को मेरे मुंह से जब तक नहीं निकलने दिया जब तक उसका पूरा वीर्य मेरे गले से नीचे नहीं उतर गया।

मैं गूं-गूं करती रही, लेकिन वो नहीं माना। उसके बाद उसने मुझे खड़ा किया और खुद नीचे बैठकर मेरी चूत को सूंघने लगा। ‘हां, बहुत ही अच्छी गंध है।’

एक बार फिर उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत के अन्दर डाली और अन्दर घुमाने लगा। उसके बाद उंगली निकाल कर मुझे दिखाते हुये उसको चाटने लगा।

इतना सब करने के बाद जीवन खड़ा हुआ और मुझे कपड़े पहनने के लिये बोल कर खुद कपड़े पहनने लगा। उसके बाद हम दोनों नीचे आ गये।

जीवन ने ड्राइवर से किसी जगह का नाम लेते हुए वहां चलने के लिये कहा।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000