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अन्तर्वासना हिन्दी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाले सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! मेरा नाम आकाश है, मेरी उम्र 28 साल है, मैं एक साधारण परिवार का साधारण नौजवान हूँ। मेरी हाईट 5’11” है और शारीरिक रूप से साधारण हूँ.. यानि मैं जिम नहीं जाता हूँ। पर मैं घर में अपने सारे काम करता हूँ.. इसलिए बहुत ताकतवर हूँ.. देखने में जवान और स्मार्ट हूँ.. यानि कि सूरत से मेरी उम्र का अन्दाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है।
कुदरत ने मुझे मोटा लंड दिया है और वो भी काले रंग का.. साथ में बड़े-बड़े टट्टे हैं.. यानि ऐसा लंड जो किसी भी औरत.. लड़की या गांडू के मुँह में.. बुर में और गांड में पानी ला दे।
मैं आज अपनी एक और सच्चा अनुभव आपके साथ बाँटना चाहता हूँ। यह अन्तर्वासना पर मेरी दूसरी कहानी है। मैंने मेरी टीचर का नाम और जगह के नाम बदल दिए हैं.. इसका कारण आप लोग जानते ही हैं।
बात तीन साल पुरानी है.. तब मैं रांची में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहा था। हमारे कॉलेज में एक दर्शनशास्त्र की टीचर थीं। उनका नाम सुहाना, देखने में खूबसूरत थीं और उनकी उम्र लगभग 40-42 की रही होगी, उनका फ़िगर 36-32-42 का होगा और हाईट 5’6″ की थी.. वो थोड़ी सी मोटी हैं क्योंकि एक टीचर तो कैटरीना कैफ़ के जैसे फ़िगर मेन्टेन नहीं कर सकती है ना..
मैं इस घटना में कोई काल्पनिक बात नहीं लिख रहा हूँ, यह बात आप लोग समझ सकते हैं।
मैंने उन पर कभी भी बुरी नज़र नहीं डाली थी। फ़िर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि सब कुछ बदल गया।
हमारी परीक्षा चल रही थीं और आखिरी पेपर था, सुहाना जी ही पर्यवेक्षक बनी थीं, पेपर के बाद सुहाना जी ने मुझे कुछ देर रुकने को कहा- आकाश जरा रुकना, ये पेपर जरा मेरे ऑफिस तक ले जाना है।
मैं सबके जाने तक रुका रहा, जब टीचर ने सारी कॉपियां जमा कर लीं.. तब मैं उन्हें उठा कर उनके साथ चल रहा था। वो बोलीं- आकाश तुम रहते कहाँ हो? मैंने कहा- क्यों मैम.. मैंने तो आपकी हर क्लास अटेन्ड की है.. फ़िर सुहाना हँस के बोलीं- अरे मेरा मतलब तुम्हारा घर कहाँ है?
मैं थोड़ा झेंप गया- मैम, मैं लालपुर के पास रहता हूँ। ‘कल से तो तुम लोग छुट्टी मनाओगे.. है ना..’ उनकी आवाज थोड़ी धीमी हो गई। मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
‘कल मेरे घर में एक फंक्शन है.. मुझे मदद कर सकते हो?’ वो ऐसे बोलीं कि मुझे लगा सच में उनके घर में कोई फंक्शन हो।
मैंने पूछा- आपका घर कहाँ है मैम.. अगर दूर हुआ.. तो शायद नहीं आ पाऊँगा.. और क्या फंक्शन है मैम?’ ‘अरे कुछ नहीं.. किसी की गोद भराई है, मेरा घर दीपा टोली के पास है.. बोलो कल मेरी मदद कर पाओगे?’ वो जल्दी से बोलीं। मैंने हामी भर दी- ठीक है मैम.. आप अपने घर का पता और समय बता दीजिए।
उन्होंने अपने घर का पता बताया.. मेरे घर से वो जगह 4 किलोमीटर दूर थी.. सो मैं मान गया। तब तक हम उनके ऑफिस पहुँच गए थे.. वहाँ पहले से कुछ टीचर बैठे थे। सुहाना मैम ने एक कगज पर अपना पता और समय लिख कर मुझे दिया।
अगले दिन सुबह दस बजे मैं उनके घर पहुँचा, एक बड़ा सा काला गेट था, मैं गेट के पास गया और घन्टी बजाई। सुहाना मैम नीले रंग के गाउन में गेट खोलने पहुँची। पहली बार मुझे उनके हुस्न का आभास हुआ कि वो क्या खूबसूरत औरत हैं। उन्होंने कहा- अन्दर आ जाओ।
उनके घर पर कोई नहीं था.. सो मैंने पूछा- मैम कोई मेहमान नहीं पहुँचे हैं क्या? ‘तुम बैठो तो सही..’ वो दरवाजा बन्द करते हुए बोली- पानी पियोगे? मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
वो मुड़ कर किचन की ओर चली गईं। कसम से दोस्तो, यही वह पल था.. जब सच में मेरी नीयत खराब हुई थी।
उनके थिरकते गुंदाज मांसल चूतड़ मानो मुझे बुलावा दे रहे थे। वो नीला गाउन चिपक कर सुहाना मैम के चूतड़ों की दरार में हल्का सा फंस गया था।
उस पर सुहाना मैम की चाल में जो मस्ती थी.. वो शब्दों में नहीं बताई जा सकती है। बस मैं तो उनके थिरकते चूतड़ों से नजर नहीं हटा पा रहा था।
‘लो पानी.. क्या सोच रहे हो?’ उन्होंने गिलास बढ़ाते हुए कहा। मैं थोड़ा सकपका गया- कुछ नहीं मैम.. फंक्शन की कोई तैयारी नहीं दिख रही है। मैंने अपनी झेंप छिपाते हुए कहा।
सुहाना मैम मेरे बगल में आ कर बैठ गईं। मुझे अच्छा तो लगा.. पर थोड़ा अजीब भी लगा। मैंने सुहाना मैम की आँखों में देखा.. उन्होंने नजर झुका लीं और बोलीं- आज कोई फंक्शन नहीं है आकाश. मैंने तुम्हें कुछ और काम से बुलाया है।
‘जी मैम.. क्या काम है बोलिए.. अगर मेरे बस में हुआ तो कर दूँगा।’ मैंने स्थिति को समझते हुए भरोसा दिलाया। ‘देखो आकाश, मेरे शौहर ने मुझे सात साल पहले तलाक दे दिया था और तब से मैं अकेली ही हूँ।’
मैं अब तक समझ चुका था कि आगे वो क्या कहने वाली हैं.. पर फ़िर भी मैं चुपचाप रहा और उनके चेहरे को देखता रहा। ‘देखो मुझे गलत मत समझना.. मैंने आज तक किसी और मर्द को अपना जिस्म नहीं सौपा है; पर मेरी ख्वाहिशें आज भी जवान हैं।’
अब सुहाना मैम का एक हाथ मेरी जांघ पर था और दूसरा हाथ मेरी पीठ पर.. मेरे लंड में हलचल होने लगी थी। ‘मैम मैं अब क्या कहूँ? कुछ समझ नहीं आ रहा है..’ मैंने सुहाना मैम की बेचैनी बढ़ाने के लिए कहा।
‘आकाश.. तुम मेरे सबसे अच्छे स्टूडेन्ट हो और मुझे तुम पर भरोसा है.. इसलिए मैंने तुम्हें आज ये सब बताया है.. प्लीज ये बात किसी से ना कहना.. मैं मर जाऊँगी आकाश।’ मैं चुप था।
‘प्लीज आकाश.. कुछ तो बोलो.. आकाश.. प्लीज हेल्प मी.. प्लीज..’कहते-कहते उनकी आँखों में एक दर्द उतर आया था.. जो मुझे अन्दर तक छू गया। मैं तो वैसे ही तैयार था.. पर अब देर करने का सवाल ही नहीं था।
मैंने उनकी ठोड़ी को अपनी उंगलियों से पकड़ कर अपने करीब खींचा और अपने होंठ सुहाना मैम के होंठों के करीब ले गया।
एक पल मेरी आँखों में देख कर सुहाना मैम ने अपनी बाँहें मेरे गले में डालते हुए अपने रसीले लाल होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
जैसे ही सुहाना मैम ने अपनी आँखें बन्द की.. दोनों आँखों से एक-एक आंसू का कतरा उनके गालों पर उतर आया, वो पल काफ़ी इमोशनल था, वो एक बच्चे की तरह मेरे होंठ चूस रही थीं… यह बरसों की प्यास थी दोस्तो… जिसे सिर्फ़ वही जान सकता है.. जो बरसों तक प्यासा रहा हो। हम और आप तो बस अन्दाजा ही लगा सकते हैं।
मेरे हाथ उन्मुक्त होकर.. अब सुहाना मैम के गदराए जिस्म पर फ़िसल रहे थे, कभी मैं उनके चूचों को दबा रहा था तो कभी उनके चूतड़ों को मसल रहा था।
लगभग 10 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूमते-चाटते रहे, कभी सुहाना मैम मेरी गर्दन पर काट लेतीं.. तो मैं उनके कान होंठों में दबा कर चूसने लगता।
अब वो मेरी गोद में मेरी ओर मुँह करते हुए बैठ गईं। अगले ही पल मैं उनकी छाती पर अपने होंठ फ़िरा रहा था। मैंने उनके गाउन के बटन खोल दिए और ब्रा को ऊपर सरका कर सुहाना मैम के छत्तीस इंच के चूचों को अपने दोनों हाथों में भर लिए।
गोरे चूचों पर गुलाबी निप्पल देख कर मैं एकदम से दीवाना हो गया। मैं उनकी चूचियां मसलते हुए बारी-बारी से चूस रहा था, मैंने हल्के से एक निप्पल पर काटा। ‘स्सिस्स्स्स.. आह जरा धीरे..’ सुहाना मैम ने सीत्कारते हुए कहा।
मैं पूरे जोश में उनके चूचे चूस रहा था। मैं एक चूचे को मुँह में भर के जैसे खाने की कोशिश कर रहा था। ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स्स्स्.. आह्ह्ह..’ सुहाना की सीत्कार पूरे रूम में गूँज रही थी। ‘उफ़्फ़्फ़ आकाश.. अब बस करो.. म्म्म्म्म्.. ऐसे ही झड़ा दोगे क्या..’ सुहाना मैम ने बड़े प्यार से कहा।
मैं रुक गया और फ़िर से उनके होंठ पर एक बार फिर से चूम लिया। सुहाना ने मुझे धकेलते हुए कहा- चलो ना.. बिस्तर पर चलते हैं। मैंने फ़िर से उनके होंठ चूम लिए- क्यों यहाँ क्यों नहीं? मैं तो सुहाना मैम को वहीं सोफ़े पर ही चोद देता.. पर उन्होंने कहा- अरे चलो न बाबा.. इतना भी क्या उतावला होना!
वो मेरा हाथ पकड़ कर बेडरूम में ले गईं और मुझे बिस्तर पर बिठा दिया। मैंने उनके बाल खोल दिए.. जो कि उनके हुस्न पर और भी जंच रहे थे।
सुहाना मैम मेरे सामने आ कर खड़ी हो गईं और उन्होंने अपना एक पाँव मेरे बगल पर चढ़ा दिया.. जैसे कह रही हों कि अब मेरे जिस्म के इस हिस्से से शुरू करो। उनकी जांघ मखमल की तरह मुलायम लग रही थी, मैंने हल्के से उनकी जांघ पर चूम लिया। ‘आहहह..’ सुहाना मैम ने एक लम्बी साँस छोड़ी।
मैं सुहाना मैम की जांघ को चूमते हुए उनके चूतड़ों की तरफ़ हाथ ले गया। मैं रुक गया और सुहाना मैम की ओर देख कर पूछा- आपने चड्डी नहीं पहनी है ना?
वो मुसकुराते हुए बोलीं- खुद देख लो ना।
सुहाना मैम की जबरदस्त चुदास मुझे समझ में आ चुकी थी और अब बस उनकी चूत की बखिया उधेड़ने का जिम्मा मेरे लौड़े का था।
बड़ा मजा आने वाला है.. मेरे साथ अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज से जुड़े रहिए और अपने ईमेल मुझे जरूर भेजिएगा। [email protected] कहानी जारी है।
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