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मेरा नाम मधु है। मैं 29 साल की शादीशुदा हॉट, सेक्सी महिला हूँ, एकदम गोरी चिट्टी… अगर अंधेरे कमरे में भी चली जाऊँ तो रोशनी हो जाए। मेरी फिगर 36-28-34 है जो किसी को भी घायल करने के लिए काफी है। आप लोग मेरी फिगर से समझ गये होंगे कि मैं कितनी बड़ी चुदक्कड़ हूँ। मेरी यह फिगर आठ मर्दों की अथक मेहनत का परिणाम है।
मेरा एक तीन साल का बेटा है लेकिन मुझे आज तक यह पता नहीं चला कि मेरे बेटे का बाप इन आठों में से कौन है या फिर आठों ही मेरे बेटे का बाप हैं।
कहानी शुरू करने से पहले आप सभी पाठको से विनती है कि सारे पाठक मेरी टाईट चूची से दो दो बूंद दूध पी लें क्योंकि कहा जाता है कुछ करने से पहले मुँह मीठा करना चाहिए और लोग कहते हैं कि मेरा दूध काफी मीठा है। और हाँ, कोई भी दो बूंद से ज्यादा ना पिये, अगर सारा दूध आप लोग पी लेंगे तो मेरा बेटा भूखा रह जायेगा।
अब कहानी पर आती हूँ:
यह कहानी मेरी शादी से पहले की है, मेरा शरीर बचपन से ही भरा पूरा है। जब मैं सकूल में पढ़ती थी, तब मैं जवानी के दहलीज पर पहला कदम रखा और लोगों की गंदी नजर मेरी चूची और गांड पर पड़ने लगी थी। जब मैं दसवीं में पढ़ती थी, तभी से स्कूल के सारे लड़के मुझ पर मरते थे, लड़के ही नहीं, सारे टीचर भी मुझ पर फिदा थे।
मेरा मैथ शुरु से ही खराब था, इसका पूरा फायदा मैथ के टीचर उठाते थे, वे जानबूझ कर मेरे गालों को ऐंठ देते थे। जब भी वह मुझे अकेली देखते, मेरी गांड या चूची दबा देते!
मैं जैसे तैसे 12वीं पास करके कालेज गई।
तब तक मैं अच्छी खासी जवान हो गई थी, जिस गली से निकलती, लोग मुझे घूरते, आह भरते, गंदी-गंदी कमेंट देते। मुझे अब यह अच्छी लगने लगी थी इसलिए मैं भी जानबूझ कर छोटे और टाईट कपड़े पहनने लगी थी।
मैं अपने कालेज की मॉडल कहलाती थी, मैं कालेज पढ़ने नहीं, गंदे कमेंट सुनने जाती थी। गंदे कामेंट सुन सुन कर मेरे अंदर की अन्तर्वासना जागने लगी थी, मैं अपने आप को जैसे तैसे संभाल पाती थी।
कालेज के कई लड़के मुझे चोदना चाहते थे लेकिन मैं किसी को भाव नहीं देती थी या यूँ कहें कि दिल को कोई भाया नहीं लेकिन एक लड़का था जिसका नाम संतोष था जिससे चुदना चाहती थी और वह भी मुझे चोदना चाहता था। लेकिन हमारी बात भी ठीक से नहीं हो पाती थी, हमेशा एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते।
ऐसे करते-करते एक साल निकल गया।
एक दिन मेरे मोबाइल पर एक अनजान नंबर से काल आई, जब मैंने फोन उठाया तो सामने से जबाब आया- हाय, मधु मैं संतोष! नाम सुनते ही मैं चौक गई कि इसे मेरा नबंर कहाँ से मिला। फिर उसने बताया कि मेरी सहेली से लिया।
धीरे-धीरे हमारी बात होने लगी, पूरा दिन हम फोन पर ही लगे रहते थे, अब कालेज में भी हम साथ घूमते रहते, हमारी दोस्ती कब प्यार में बदल गई, हमें पता ही नहीं लगा, धीरे धीरे हम करीब आते गए।
हम कहीं भी शुरू हो जाते थे, चाहे वह कालेज हो या पार्क, बस हो या सुनसान रास्ता, बस मौके की तलाश में रहते थे, जहाँ मौका मिलता, मेरा बॉयफ़्रेंड चूमा चाटी, चूची दबाना, गांड दबाना, चूत मसलना शुरु कर देता पर अभी तक मैं चुदी नहीं थी। संतोष बहुत कहता था चूत चुदवाने के लिए… पर मैं नहीं मानती थी।
एक दिन मेरे पड़ोस में शादी थी, घर से दूर एक फार्म हाउस में थी, शादी में मम्मी, पापा और मैं जाने वाले थे पर अचानक पापा की तबीयत खराब हो गई। तब मम्मी बोली- बेटा, तुम अकेली चली जाओ, मैं तुम्हारे पापा के पास रूकती हूँ! मैं बोली- ठीक है। और तैयार होने चली गई।
मैं एक छोटी सी ब्रा पेंटी और जींस टॉप पहन कर चली गई। वहाँ जैसे ही पहुँची, सारे दोस्त मुझे दुल्हन के कमरे में ले गये। सब हँसी मजाक कर रहे थे, तभी एक दोस्त बोली- यार तुम यह क्या पहन कर आई हो? मैं बोली- कितनी अच्छी तो है।
तब सब कहने लगी- कुछ हॉट पहन कर आती! तभी एक सहेली ने छोटी सी स्कर्ट और टॉप लेकर आई और मेरी चूची ऐंठते हुई बोली- रानी, तू यह पहन ले। मैं बोली- पागल हो गई हो क्या? यह पहनने से अच्छा तो मैं नंगी ही रहूँ। सब बोली- यह आइडिया भी बुरा नहीं है। और सब हँसने लगी।
जब बारात आने वाली थी तो सारी लड़कियों ने मिल कर मुझे जबरन मिनी स्कर्ट, टॉप और हाई हिल की सैंडल पहना दी, स्कर्ट इतनी काफी छोटी थी जिसकी वजह से काफी टाइट थी और इतनी छोटी थी कि अगर आगे कि ओर झुक गई तो मेरी गांड नंगी हो जाए और टॉप तो मानो किसी बच्ची का हो, लग रहा था कि चूचियाँ टॉप फाड़ कर बाहर आ जायेंगी।
कुल मिला कर कहूँ तो इन कपड़ो में पटाका लग रही थी।
पार्टी में कहीं भी जाती, सब मुझे वहाँ खा जाने वाली नजरों से देख रहे थे, ऐसा लग रहा था कि सब मिलकर मेरा जबर चोदन ना कर दें। मैं सबकी नजरों से बचते बचाते एक साईड हो गई।
तभी एक पड़ोस के अंकल मेरे पास आये और बोले- बेटा कोई परेशानी है? मैं बोली- नहीं अंकल! फिर वे मेरे कान के पास आकर बोले- आज काँफी हॉट लग रही हो!
मैं यह बात सुनकर अवाक रह गई कि ये मेरे पापा के दोस्त हैं और ऐसी बातें कर रहे हैं। अंकल जाते-जाते मेरी गांड दबा कर चले गये।
अंकल के गांड दबाने से मैं गर्म सी हो गई थी।
तभी बारात आ गई, सब डांस कर रहे थे, मुझसे भी जबरन डांस करवाने लगे। बारात के कुछ लड़के मेरे साथ चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे या यूँ कहें कि भीड़ का फायदा उठा रहे थे।
मुझे भी काफी मजा आ रहा था, कोई चूची दबा देता तो कोई गांड! एक ने तो हद कर दी, मेरी टॉप में हाथ डालकर चूचियाँ मसल दी। मैंने सोचा कि अगर मैं यहाँ रुकी तो ये लोग छोड़ेंगे नहीं! मैं जैसे तैसे वहाँ से निकली।
मैं इतनी गर्म हो गई थी कि मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। पार्टी में जिसे भी मौका मिलता, चूची या गांड दबाते चलता। मैंने सोचा कि खाना खाकर सो जाती हूँ, नहीं तो आज बच नहीं पाऊँगी।
मैं खाना खाने जैसे ही गई तो मेरी नजर संतोष पर पड़ी, उसने भी मुझे देखा और खुशी से भागते हुए मेरे पास आया और बोला- तुम भी आई हो! और मुझे गले से लगा कर एक चुम्मी ली और बोला- यार, आज तो क्यामत ढा रही हो! मैं बोली- अच्छी नहीं लग रही हूँ क्या?
संतोष बोला- बम लग रही हो! फिर संतोष बोला- चलो, घूम कर आते हैं। मैं बोली- इतनी रात को कहाँ जायेंगे? वह बोला- बाहर घूम कर आते हैं!
मैं समझ गई कि यह क्या चाहता है, मैं बोली- ठीक है, खाना खाकर चलते हैं। वह बोला- आकर खा लेंगे! और हम बाहर निकल गए।
थोड़ी दूर चलने पर एकदम सुनसान जगह मिलते ही मुझ पर टूट पड़ा, मेरे गालों कोम होंठों को काटने लगा। मैं बोली- सब्र रखो, काट क्यों रहे हो? वह चूची मसलते हुए बोला- सब्र अब नहीं होता जान!
फिर उसने मेरा टॉप उतार दिया। मैं बोली- यह क्या कर रहे हो? वह मेरी बात को अनसुना करते हुए मेरी चूची पीने लगा और एक हाथ से चूत में उंगली करने लगा।
चूत पर हाथ पड़ते ही मैं मदहोश हो गई, ऐसा लगा कि किसी ने जलते तवे पर पानी छिड़क दिया हो। हम दोनों एक दूसरे में खो चुके थे, मेरी चूत ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया।
फिर मैं थोड़ी सी संभली मगर संतोष आज पागल हो गया था। जैसे तैसे उसे होश में लाई… मगर वह मुझे चोदना चाहता था। आज मैं भी मूड में थी लेकिन उसे तड़पा रही थी। वह गिड़गिड़ाने लगा, बोला- प्लीज यार, आज चोदने दो, मौका भी है और जगह भी!
उसके बहुत कहने पर मान गई, मैं बोली- चोदोगे कहाँ? वह बोला- जान तुम टेंशन मत लो, आज हम सुहागरात मनायेंगे। मैं बोली- कुछ समझी नहीं कि तुम क्या कह रहे हो? वह बोला- यार बस तुम पार्टी के पीछे वाले कमरे के पास पहुँचो, सब समझ जाओगी।
फिर हम फार्म हाउस पहुँचते ही अलग हो गये, मैं सबसे बचते बचते उस रूम के पास जाकर खड़ी हो गई। तभी किसी ने मुझे पीछे से जकड़ लिया, मैं समझ गई कि संतोष है। वह मेरी चूचियाँ मसलने लगा, मेरी गर्दन, गाल चूमने लगा।
मैं भी मदहोश होने लगी, मैं बोली- सब कुछ यहीं करोगे क्या? तब तक एक हाथ से चूत मसलने लगा। मैं बोली- छोड़ो भी अब! बोल कर अपने आप को छुड़ाया।
जैसे ही मैं पीछे मुड़ी तो देखते ही मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गई क्योंकि वह संतोष नहीं था। वो अंकल थे।
मैं तो शर्म से एकदम लाल हो गई थी, मैं गुस्से में बोली- अंकल यह क्या कर रहे थे? आपको शर्म नहीं आती? मैं आपकी बेटी जैसी हूँ। अंकल बेर्शमी से बोले- जो तुम चाह रही थी मेरी जान! और बोले- बेटी जैसी हुई तो क्या हुआ, हो तो एकदम हॉट माल!
मैं गुस्सा होकर जाने लगी, तब अंकल बोले- उस लड़के के साथ तो बीच सड़क पर मजे कर रही थी और मेरे छूने पर इतना गुस्सा? मैं समझ गई कि अंकल ने सब कुछ देख लिया है।
फिर मैं थोड़ी सी ठंडी हुई और बोली- आप क्या बोल रहे हो, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा? अंकल बोले- ठीक हैं रहने दो मैं तुम्हारे पापा को समझा दूँगा।
यह सुनते ही मैं डर गई और बोली- प्लीज अंकल, पापा को कुछ मत बताना। इस पर अंकल बोले- ठीक है, नहीं बोलूँगा पर तुम्हें मेरी एक बात माननी पड़ेगी? मैं बोली- ठीक है, पर करना क्या होगा?
अंकल बोले- जो तुम उस लड़के के साथ करने वाली थी वह अब मेरे साथ कर लो! मैं बोली- आप क्या बोल रहे हो, मैं समझी नहीं? अकंल बेर्शमी से बोले- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ। मैं बोली- अंकल, आप यह क्या बोल रहे हो? मैं यह नहीं करवा सकती! यह बोल कर मैं जाने लगी।
तब अंकल बोले- ठीक है, जाओ… मैं तुम्हारे पापा से बात कर लूँगा। मैं यह सुनकर फिर से डर गई और बोली- प्लीज अंकल, ऐसा मत करो! वे बोले- कभी नहीं बोलूँगा, बस एक बार मुझे अपनी चूत चोदने दे, इसके बाद मैं कभी तेरे रास्ते मैं नहीं आऊँगा, बस एक बार मुझे चोदने दे।
मैं ना चाहते हुए भी मान गई और बोली- अंकल, मुझे यह ठीक नहीं लग रहा है। अंकल बोले- थोड़ी देर में सब ठीक लगने लगेगा! और मेरी गांड पर चपत लगा कर हँसने लगे।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है। चूत चुदवाने किसी से आई थी और जा किसी और के साथ रही थी। अंकल बोले- मेरे साथ चलो! मैं बोली- कहाँ? वे बोले- बस साथ आओ!
मैं अंकल के पीछे पीछे चल दी, हम एक कमरे के आगे जाकर खड़े हो गये। अंकल ने पहले चारों तरफ देखा कि कोई आ तो नहीं रहा… फिर अंकल ने जेब से चाबी निकाली और अंदर गये और मुझे झट से अंदर खींचकर दरवाजा बन्द कर लिया।
जैसे ही मैं उस रूम में गई, देखकर दंग रह गई, यह तो दूल्हा दुल्हन के सुहागरात मनाने वाला कमरा था, एकदम मनमोहक सजावट थी। मैं बोली- अंकल, यह तो दूल्हा-दुल्हन के लिए है। अंकल मुझे चूमते हुए बोले- हम भी तो वही काम करेगे जान!
अंकल मुझे खड़े खड़े बेतहाशा चूमने लगे, चूची दबाने लगे, चूत सहलाने लगे। मैं भी अपनी शर्म छोड़कर अंकल का साथ देने लगी, सोचा कि जब चुदना ही है तो शर्म कैसी! मुझे गर्म तो मेरे यार ने ही कर दिया था। मुझसे अब बर्दाशत नहीं हो रहा था और चूत में एक अलग सी कुलबुलाहट थी। बस मन हो रहा था कि कोई ढंग से मेरी चूत चुदाई कर दे।
लेकिन अंकल को कुछ बोल भी नहीं सकती थी और अंकल इससे आगे बढ़ ही नहीं रहे थे, मैं अंदर ही अंदर वासना से जल रही थी लेकिन अंकल अभी भी मुझे गर्माने में ही लगे थे। आखिरकार मुझे बोलना ही पड़ा, मैं बोली- अंकल जब यही सब और ऐसे ही करना था तो बाहर ही कर लेते, इस कमरे में आने की जरूरत क्या थी?
अंकल समझ गये कि मैं क्या चाहती हूँ, वे बोले- नहीं मेरी रानी, आज मैं तुम्हारे साथ इस सुहाग सेज पर सुहागरात मनाऊँगा। मैं भी अब अंकल के साथ खुल सी गई थी, मैं बोली- अगर हम यहाँ सुहागरात मनायेंगे तो दूल्हा-दुल्हन कहाँ जायेंगे? तब अंकल बोले- क्या बात है मेरी जान, अब तुम्हें चोदने में मजा आयेगा।
यह बोलकर अंकल ने मुझे गोद में उठाया और बोले- चलो जल्दी से हम सुहागरात मनाते हैं। हमारे बाद यह रूम किसी और के लिए भी बुक है। यह बात बोल कर अंकल मुस्कुराने लगे और मुझे सुहागसेज पर पटक दिया।
सुहाग सेज पर गिरते ही मैं मदहोश होने लगी। ऐसे सुगन्धित फूले बिछे थे जो किसी को भी उत्तेजित करने के लिए काफी थे।
अब अंकल मेरे ऊपर सवार हो गये टॉप के ऊपर से ही मेरी चूची को काटने लगे। मैं बोली- अंकल, ऐसे मत करो, टॉप फट जायेगी। अंकल अब जोश में आ गये थे, उन्होंने जल्दी से मेरी टॉप निकाल दी।
टॉप निकलते ही मेरी चूची को देखकर पागल हो गये और चूची को ऐसे मसलने लगे कि जैसे आटा गूंथ रहे हों और ब्रा जल्दी खोलने के चकर में मेरी ब्रा की एक स्ट्रैप तोड़ दिया।
मेरी नंगी चूचियों को देखकर जैसे पागलों की तरह मसलने लगे, काटने लगे। मुझे दर्द भी हो रहा था थी और मजा भी आ रहा था। अब बिना समय गवाँए उन्होंने मेरी स्कर्ट और पेंटी निकाल फेंकी, अब वे मेरी छोटी सी चिकनी चूत देखकर मानो पूरा पागल हो गये हों, वे जीभ से मेरी चूत चाटने लगे।
जीभ के चूत पर लगते ही मैं मदहोशी में बड़बड़ाने लगी, मेरे मुँह से मादक आवाज सुनते ही अंकल और तेज चाटने लगे। मुझसे अब बर्दाशत कर पाना मुश्किल था और टाइम भी कम था, मैं अंकल से बोली- जो करना है, जल्दी करो… मेरे से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है और टाइम भी नहीं है।
अंकल ने घड़ी देखी तो 11:20 बज चुके थे, उन्होंने अपने कपड़े जल्दी से उतार दिये। मैं उनका लंड देखकर डर गई, तकरीबन 8-9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा होगा।
मैं बोली- अंकल, मैं यह नहीं ले पाऊँगी। अंकल बोले- एक बार लेकर तो देख मेरी रानी, अपने यार को भूल जायेगी। अंकल ने मेरी टाँगें चौड़ी की और बिना कुछ लगाये लंड को मेरी नाजुक चिकनी चूत में पेल दिया।
मेरी तो जैसे जान निकल गई, मैं जोर से चिल्लाने, छटपटाने लगी लेकिन अंकल ने मेरे ऊपर ध्यान ना देते हुए एक और तेज झटका मारा और पूरा लंड डाल दिया, मैं दर्द के कारण रोने लगी, मेरी चूत से शायद खून निकल रहा था। अंकल मेरे होंठों को चूसने लगे और धीरे धीरे चोदने लगे। करीब 10 मिनट बाद दर्द थोड़ा सी कम हुआ और थोड़ा थोड़ा मजा आने लगा और मैं भी अंकल का साथ देने लगी, मैं भी कमर उचका कर चूत चुदवाने लगी, अंकल के हर झटके का जबाब दे रही थी।
करीब दस मिनट बाद मैं झड़ने को आई, तब मैं बोली- अंकल और तेज… और तेज… फाड़ दो मेरी चूत को!
यह सुनकर अंकल ने स्पीड बढ़ा दी और मैं कुछ देर में झड़ गई।
अंकल भी थोड़ी देर बाद मेरी चूत गर्मागर्म वीर्य से भर कर मेरे ऊपर ही लेट गये। थोड़ी देर बाद मैं अंकल को अलग कर के उठी तो दर्द के कारण मुझसे उठा नहीं जा रहा था, जैसे तैसे मैं उठी, उठते ही मेरी आँखें फटी रह गई। मैंने देखा खून से बिस्तर लाल हो गया है, मेरी चूत से अभी भी वीर्य और खून निकल रहा था।
मुझे अपने इस हाल पर रोना आ रहा था, मैंने अंकल को हिला कर उठाया, अंकल भी खून देखकर थोड़े से डर गये और पूछने लगे- जान, तुम्हारी चूत कुंवारी थी क्या? इससे पहले नहीं चुदी थी क्या? मैं बोली- नहीं… वैसे भी अब पूछने का क्या फायदा? जब रो रही थी तब तो सुना नहीं।
अंकल मुझे गले से लगाकर बोले- थैंक यू जान, मेरे से सील तुड़वाने के लिए और एक जोर की पप्पी लेकर बोले- चलो जान, बाथरूम में अच्छे से साफ कर देता हूँ।
मैं उठ कर खड़ी हुई लेकिन दर्द इतनी ज्यादा था कि चल भी नहीं पा रही थी। जैसे तैसे अंकल बाथरूम ले गये और हम दोनों साफ हुए।
बाहर निकली तो अंकल स्कर्ट और टॉप दिये, मैंने पूछा- ब्रा, पेंटी कहाँ हैं? तब अंकल ब्रा दिखा कर बोले- ये लो, ब्रा फट गई और पेंटी मैं अपने पास रखूंगा निशानी के लिए!
तभी अंकल की मोबाइल बजी, अंकल फोन पर बोल रहे थे- बस अभी आया! फोन काटते ही अंकल बोले- जान, जल्दी से निकलो, शादी खत्म हो गई, जल्दी से कपड़े पहनो और निकलो, दूल्हा- दुल्हन आने वाले हैं। मैंने जल्दी से स्कर्ट टॉप पहनी लड़खड़ाते रूम से निकल से निकल गई।
आगे की कहानी बाद में बताँऊगी कि इसके बाद मेरे साथ क्या हुआ, किस किस ने इस चूत के दर्शन किये और किस किस को यह चूत मिली और कैसे मिली।
मेरी यह कहानी कैसी लगी, आप कमेंट्स करके जरूर बतायें।
आपकी प्यारी मधु
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