जवान होकर पड़ोसन लड़की मस्त माल बनी

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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को पिक्कू जी का प्यार भरा नमस्कार! मेरा नाम पंकज कुमार है, मैं अकबरपुर जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 28 साल है और मैं लखनऊ में एक हॉस्पिटल में जॉब करता हूँ। मैं दिखने में साधारण लगता हूँ और मेरी लंबाई भी कम है। मेरे लिंग की लम्बाई और मोटाई सामान्य ही है।

यह पिछली गर्मियों की बात है, मेरे हाथ की हड्डी टूट जाने की वजह से मैं अपने गांव आया हुआ था। गांव में मेरे घर में मेरी मम्मी.. भैया-भाभी और उनके दो बच्चे रहते हैं।

मैं अभी अविवाहित हूँ, मेरी मम्मी गांव के ही सरकारी स्कूल में अध्यापिका हैं और भैया गांव के बैंक में मैनेजर हैं.. जिस वजह से मेरे घर पर गांव के काफी लोगों का आना-जाना होता है।

मैं जब गाँव आया.. तो मुझे देखने और मेरा हाल-चाल पूछने गाँव के काफी लोग आए।

एक दिन दोपहर में माँ और भाई काम पर गए थे, दोनों बच्चे भी स्कूल गए थे, घर पर केवल भाभी थीं.. जो नहा रही थीं। मैं ड्राइंगरूम में बैठा बोर हो रहा था तो मैंने मोबाइल पर अन्तर्वासना की वेबसाइट खोली और एक सेक्सी कहानी पढ़ने लगा।

तभी थोड़ी देर बाद एक माल किस्म सी लड़की आई.. जिसका रंग सांवला था, उसका फिगर 32-28-32 का रहा होगा, वो मेरा हालचाल पूछने लगी और घर के बाकी सदस्यों के बारे में पूछने लगी।

मैंने उसे पहचाना नहीं और उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम सौम्या बताया, वो हमारे एक पड़ोसी की बेटी थी। अचानक मेरे मुँह से निकला- अरे, तुम तो पूरी जवान हो गई हो।

यह सुन कर वो शरमा गई और वापस अपने घर भाग गई। मैं डर गया कि मैंने ये क्या कह दिया और सोच में पड़ गया कि अब क्या करूँ।

मैंने उसे 5 साल पहले देखा था तब वो बच्ची सी थी और फ्रॉक पहन कर मेरे सामने घूमा करती थी। आज जब मैंने उसे देखा तो उसने सलवार कमीज पहन रखा था और आज वो बहुत ही मस्त माल जैसी लग रही थी। इसी कारण मेरे मुँह से अचानक यह सब निकल गया।

डर के मारे मेरी हालत खराब हो गई थी कि कहीं ये किसी से इस बात को बता न दे। मैं यही सोच रहा था.. कि भाभी की आवाज आई- खाना लगा दूँ? मैंने ‘हाँ’ कहा और खाना खाकर सो गया।

शाम को माँ और भाई के आ जाने के बाद मैं उठा और बाहर आँगन में आ गया। शाम को परिवार के सब लोग बाहर आँगन में बैठकर चाय पी रहे थे।

तभी सौम्या और उसकी माँ अचानक मेरे घर आ गए। डर के मारे मेरी हालत खराब हो गई थी, मैंने अखबार उठा लिया और मैं सर नीचे करके झूठमूठ का अखबार पढ़ने की एक्टिंग करने लगा, साथ ही छुप-छुप कर सौम्या और उसकी माँ की बातों को सुनने भी लगा।

थोड़ी देर बाद जब मैंने सौम्या को देखा तो वो मुझे ही देख रही थी। जैसे ही मेरी नजरें उससे टकराईं.. वो बहुत तेज मुस्कुराई और मुँह घुमा लिया।

थोड़ी देर बाद वो और उसकी माँ चाय पी कर चले गए।

अगले दिन वह दोपहर को लगभग उसी समय घर आई। आज उसने एक काले रंग की बहुत ही टाइट जींस व सफेद कलर की बहुत ही कसी हुई कुर्ती पहन रखी थी.. जिसने उसके उरोज फटकर बाहर आने को बेताब हो रहे थे।

घर में रोज की तरह कोई नहीं था और भाभी नहा रही थीं। वो वहीं कुर्सी पर बैठकर अखबार पढ़ने लगी और भाभी का इंतजार करने लगी। मेरी नजर उसके उरोजों पर थी और मेरा लंड भी हरकत करने लगा। जब मैं उसके उरोजों को घूर रहा था.. तो उसने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया और हँसकर अपने घर वापस चली गई।

वह तो चली गई मगर मेरी नजरों से उसके उरोजों की तस्वीर हट ही नहीं रही थी और मेरा लंड भी खड़ा हो गया था। मैं अपने पजामे में हाथ डाल कर अपने खड़े लण्ड को सहला रहा था। मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं.. और मैं उसके बारे में ही सोच रहा था।

इतने में मुझे अचानक किसी की हँसने की आवाज सुनाई दी। मैंने तुरंत आँखें खोलीं और अपना हाथ पजामे से बाहर निकाल कर देखा तो पाया कि सौम्या जाने कब से वापस आकर यह सब देख रही थी। मैंने शर्मा कर गर्दन झुका ली। यह देख कर वह मुस्कुराते हुए भाभी के कमरे की तरफ भागी और मैं वहीं सोफे पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगा। कुछ ही पलों में मैं सोने की एक्टिंग करने लगा।

अब रोज किसी न किसी बहाने सौम्या मेरे घर आने लगी और अपनी छोटी-छोटी हरकतों से मुझे छेड़ने लगी। मैं शरमा कर मुँह छिपा लेता था।

एक दिन मेरे भतीजे के स्कूल में पेरेंट-टीचर मीटिंग थी। भैया-भाभी दोनों सुबह ही चले गए थे और वे दोपहर के बाद ही आने वाले थे। मैं घर का दरवाजा बंद कर नहाने लगा। जब मैं नहा कर तौलिया लपेटे हुए बाहर निकला तो बाहर के दरवाजे पर कोई था.. जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि वो सौम्या थी। उसने हँसते हुए मुझे धक्का दिया और अन्दर भाभी के कमरे की तरफ भागी। उसके धक्के देने से मेरा हाथ दरवाजे की चौखट से टकरा गया.. जिसने पहले ही प्लास्टर लगा हुआ था। मेरी चीख निकल पड़ी।

मेरी चीख सुनकर सौम्या भागी हुई आई और मुझे ‘सॉरी’ बोलने लगी। मैंने कहा- कोई बात नहीं। तभी उसने भाभी को आवाज लगाई.. तो मैंने उसे बताया- आज घर पर कोई नहीं है।

उसने मुझे धीरे से कुर्सी पर बिठाया और मेरा हाथ पकड़कर माफ़ी मांगने लगी। वह नीचे बैठ कर माफ़ी मांग रही थी कि तभी अचानक वह हँसने लगी। मैंने उससे हँसने का कारण पूछा.. तो वह अपनी शरारती आंखों से मेरे लंड की तरफ इशारे करने लगी।

तब अचानक मैंने देखा कि तौलिया हट गया था और मेरा लंड दिखने लगा था। मैंने झट से तौलिया संभाला और लिंग को छुपाया। अब उसने बात को घुमाते हुए मेरे हाथ के दर्द के बारे में पूछा और फिर हमारी सामान्य सी बातें होने लगीं।

मैंने उससे पूछा- तुम मुझे देख कर हँसती क्यों हो? तो उसने बताया- उस दिन मैंने आपको पजामे में हाथ डाले हुए देख लिया था और उस दिन आप मेरे उरोजों को बहुत घूर रहे थे। ‘ओके.. तो..?’ उसने पूछा- तो कुछ नहीं.. अब आप ये बताओ कि आपने अब तक शादी क्यूँ नहीं की?

तो मैंने मजाक में कहा- तुम जैसी कोई मिल जाती तो कर लेता। उसने पूछा- मुझमें आपको ऐसा क्या अच्छा लगता है? तो मैंने तपाक से बोल दिया- तुम्हारी चूचियाँ..

यह सुनते ही उसने अपना मुँह मेरे तौलिए से छिपा लिया। अब मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी। मैंने उसका मुँह तौलिए से हटाया और उसे ध्यान से देखने लगा। आज उसने लंबा सफेद रंग का स्कर्ट भी काले रंग का बड़े गले का टॉप पहना हुआ था.. जिसमें से ऊपर की ओर से उसके मदमस्त उरोज आधे से अधिक दिख रहे थे।

उसके उठे हुए चूचे देख कर मुझे कुछ-कुछ होने लगा और मेरा लिंग हरकत करने लगा। मैंने उसका सर पकड़े हुए प्यार से पूछा- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है? तो उसने ‘ना’ में सर हिलाया।

मैंने पूछा- तुम्हें पता है ब्वॉयफ्रेंड क्या होता है और क्या करता है? तो उसने बोला- हाँ, मुझे सब कुछ पता है।

अब मैं उठा और जाकर घर का दरवाजा बंद कर लिया, वो अभी भी जमीन पर ही बैठी हुई थी।

मैंने उसे पीछे से पकड़ कर उठाया.. तो वो घूम कर मुझसे लिपट गई। उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थीं और उसकी आँखें बंद थीं। अब मैंने बिना देर किए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा, वो भी धीरे-धीरे मेरा साथ देने लगी।

उसने मुझे बहुत ही कस कर पकड़ा हुआ था.. जिससे पता चलता था कि वह उत्तेजित हो रही है। उसके उरोज मेरी छाती पर दब रहे थे। मैं उसे धीरे से हाथ पकड़ कर भैया-भाभी के कमरे में ले गया। उसकी आँखें अभी भी बंद थीं और साँसें बहुत तेज चल रही थीं।

मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और अपना तौलिया निकाल दिया, फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रख दिया। उसने मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया।

मैंने उसे लौड़े को आगे-पीछे करते हुए सहलाने को कहा.. तो वह बिल्कुल वैसा ही करने लगी। उत्तेजना के मारे मेरा हाल बहुत ही बुरा हो रहा था, मैंने उससे धीरे से कहा- इसको मुँह में ले लो और लॉलीपॉप की तरह चूसो। इस पर उसने मना कर दिया, मुझे उसकी आंखों में एक डर दिखाई दिया।

मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया क्योंकि भैया-भाभी के आने का समय होने वाला था।

मैंने देर ना करते हुए उसका टॉप उतार दिया और टॉप उतारते ही मेरे मुँह से अचानक निकला- वाओ.. वो शर्मा गई.. क्योंकि आज उसने ब्रा नहीं पहनी थी। दोस्तो, कसम से वो क्या चूचियाँ थीं.. एकदम संतरे की तरह ही कसी हुईं… उसकी सख्त चूचियों को देख कर ही लगता था एकदम अनछुई मौसम्बियां हैं।

मेरे हाथ में प्लास्टर लगा हुआ था.. तो इस कारण में दूसरे हाथ से उसकी चूचियों को मसलने लगा। उसकी कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं।

अब मैं बारी-बारी से उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा.. वो मदहोश होने लगी और मुझे अपनी चूचियों पर दबाने लगी।

मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था। मैंने एक हाथ से उसकी स्कर्ट को ऊपर उठा दिया और देखा कि उसने तो पैंटी भी नहीं पहनी थी। उसकी रस टपकाती चूत देख कर मेरे होश उड़ गए। एक छोटी सी फूली हुई.. अनछुई चूत और चूत पर छोटे-छोटे नए-नए बाल उगे थे।

वाह.. क्या चूत मस्त थी।

मैंने एकदम से अपना मुँह चूत पर रख कर चाटना शुरू कर दिया और वो मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबाने लगी।

उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी। उसका बहुत बुरा हाल था.. मैंने भी और देर करना उचित नहीं समझा।

अब मैंने उसकी गाण्ड के नीचे तकिया रखा और दोनों टांगों को फैला दिया, उसकी टांगों के बीच में आकर मैंने अपना सुपारा उसकी चूत पर रखा और धीरे से एक धक्का दिया।

सुपारा चूत में फंस गया, उसकी चीख निकल गई.. लेकिन सुपारा अन्दर नहीं जा पाया था। मैं भागकर किचन में गया और कटोरी में रखा मक्खन उठा लाया.. जोकि गर्मी से थोड़ा पिघल गया था।

फिर मैंने उसके नीचे अपना तौलिया बिछाया ताकि बिस्तर पर कोई दाग न लगे और उसकी चूत पर ढेर सारा मक्खन गिरा दिया और अपने कुछ मक्खन अपने लण्ड पर भी लगा लिया।

अब एक बार फिर से सुपारे को उसकी चूत पर टिका दिया और थोड़ा जोर से धक्का दिया। मेरा एक तिहाई लण्ड झटके से अन्दर समा गया और उसकी जोर की चीख बाहर निकली ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े और वो रोने लगी।

मैंने जल्दी से अपना हाथ उसके मुँह पर रखा और उसे समझाने लगा- अब दर्द नहीं होगा..

जैसे ही उसका ध्यान भटका और उसने रोना कम किया, मैंने लण्ड को धीरे-धीरे अन्दर करना शुरू किया, वो मना करने लगी- पिक्कू जी.. मुझे छोड़ो पिक्कू जी.. प्लीज मुझे छोड़ दीजिए.. भगवान के लिए.. प्लीज मुझे छोड़ दीजिए.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. मुझे नहीं करवाना पिक्कू जी.. मान जाइए..

अब मैंने कस कर उसका मुँह बंद किया और एक झटके से पूरा लंड चूत में पेल दिया, उसकी आंखों से खूब आंसू निकलने लगे। मैंने उनकी परवाह न करते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाने चालू किए।

कुछ देर बाद उसके आंसू बंद हो चले थे और उसे भी मजा आने लगा था। कुछ ही धक्कों के बाद वो मेरा पूरा साथ देने लगी। मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर से हटा दिया उसकी मादक सिसकारियाँ सुनाई देने लगीं। वो अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ाने लगी, कई बार तो बहुत जोर से गड़ा रही थी।

मेरा हाथ मेरी उसकी चूची पर था और मैं जोर से दबा रहा था।

करीब दस मिनट चोदने के बाद अब वो अकड़ने लगी और उसने मुझे बहुत जोर से कसकर पकड़ लिया। ऐसा लगता था मानो मुझे पूरा अन्दर लेना चाहती हो। कुछ ही देर में वो चरम पर आ चुकी थी.. उसकी चूत से गर्म-गर्म पानी निकला और मेरे लण्ड पर लगा.. पर मैंने धक्के मारना जारी रखा और कुछ ही देर में जब मैं झड़ने वाला था.. तब मैंने अपना लण्ड निकाल कर उसके पेट पर रख दिया। मेरा लण्ड खून से सना हुआ था और उसकी चूत से भी खून की एक पतली धार बह रही थी.. जो नीचे तौलिए को भिगो रही थी। वह उठकर बाथरूम की ओर भागी, मैं भी उसके पीछे चला गया.. उसने मेरे सामने ही अपनी चूत को साफ किया और मैं नहाने लगा।

वो अपने घर चली गई और मैं नहा कर निकला तो भईया-भाभी आ चुके थे।

इसके बाद और भी कई बार मैंने उस ताजा जवान हुई सौम्या को चोदा। उसकी चूत की बाक़ी की रसीली कहानी आपसे फिर शेयर करूँगा। यह कहानी आपको कैसी लगी.. कृपया मुझे मेल करके बताइए, धन्यवाद।

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