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मैं तनिष्क़ नागपुर सिटी का रहने वाला हूँ और आज मैं अपनी पहली सेक्स स्टोरी लिख रहा हूँ।
उस वक्त मैं दिखने में बहुत ही क्यूट था एकदम फेयर कलर था। मेरा कद और वजन वगैरह औसत ही था। मैं एक ऐसा लड़का था.. जिसके ऊपर किसी भी लौंडेबाज की नज़र पड़े तो उसका लंड तड़प कर रह जाए।
मैं अपने स्कूल की फुटबॉल टीम का प्लेयर था इसलिए हमेशा स्कूल में पढ़ाई के बाद पूरी टीम के साथ प्रैक्टिस हुआ करती थी। हमारी टीम के कोच राहुल सर थे.. उनकी उम्र 25 या 26 साल की रही होगी। दिखने में वे थोड़े सांवले थे.. लेकिन मर्दाना जिस्म था.. दमकता हुआ चेहरा था। यदि मैं सीधी भाषा में बोलूँ तो एकदम हॉट और सेक्सी थे।
प्रैक्टिस के समय वो हमेशा मुझको छेड़ते रहते थे.. जैसे कभी किस कर लेना.. या च्यूंटी काटना.. अपनी गोद में बिठाना वगैरह-वगैरह.. पर मुझे लगता था कि ये सब वो बस यूं ही किया करते हैं।
मुझे उस वक्त ‘गे’ या आदमी से आदमी के होने वाले सेक्स के बारे में कुछ पता नहीं था।
एक दिन शाम को मैच प्रैक्टिस खत्म होने के बाद हम सब जाने लगे। मैं अभी अपनी साइकल के पास पहुँचा ही था कि पीछे से आवाज़ आई- तनी सुनो!
मैंने पीछे देखा तो राहुल सर थे। उन्होंने कहा- मेरा बैग अन्दर ही छूट गया है.. जा कर ले आ।
तब तक मेरे बाकी के सब फ्रेंड्स जा चुके थे। मैं स्पोर्ट्स रूम में बैग लेने गया.. तो देखा मेरे बैग के पास कन्डोम के पैकेट और कुछ ‘गे’ मैगजीन आदि रखी थीं। मैं कुछ समझा नहीं।
तभी अचानक मैंने गांड पर कुछ महसूस किया। वो सर थे.. जिनका खड़ा लंड मेरी गांड को बाहर से छू रहा था और मुझे चुभ रहा था। अनायास मेरा लंड भी खड़ा हो गया।
हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे। सर ने मेरी तरफ देखा और मुझे किस करना शुरू कर दिया। मैं कुछ बोलूँ.. इससे पहले ही सर ने ज़ोर से मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया था, मैंने भी इसका मज़ा लेना शुरू कर दिया।
सर समझ गए कि मैं भी मजा लेने लगा हूँ.. तो उन्होंने अपनी टी-शर्ट उतारी। उनका मर्दाना जिस्म और चौड़ी छाती देखकर ना जाने मुझे क्या हो गया। मैं पूरी तरह उनके सीने में समा गया.. और उन्हें हर जगह चूमने लगा। सर ने स्माइल किया और मेरी भी टी-शर्ट उतार दी।
मुझे उनके पसीने की महक बहुत अच्छी लग रही थी। उन्होंने मुझे टाइट हग करके रखा था और लगातार मुझे किस कर रहे थे। तभी मैंने उनकी एक उंगली मेरी गांड के गड्डे पर महसूस की। वो उंगली डालने की कोशिश कर रहे थे.. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. पर मज़ा आ रहा था।
तभी उन्होंने मेरा हाथ अपने शॉर्ट्स में डाल दिया, मैं उनका लंड ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। फिर वो खड़े हुए और अपना लंड बाहर निकाला। मैं उनका लम्बा और मोटा काला सख्त लंड देखकर डर गया।
उन्होंने मेरा सर पकड़ कर अपने लंड की तरफ झुकाया.. मैं कुछ बोलूँ.. इससे पहले उनका लंड मेरे मुँह में था। मुझे भी मज़ा आ रहा था। मैं उसे दबा-दबा कर चूसने लगा। पसीने से भीगा हुआ लंड मुझे बहुत टेस्टी लग रहा था।
वो ‘आह.. आह.. सस्स..’ जैसी आवाजें निकाल रहे थे। उनकी उंगली मेरी गांड को चोद रही थी। मुझे दर्द तो हो रहा था.. पर मुझे उनके गरम लंड का मज़ा भी लेना था।
कुछ देर बाद फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और खुद झुककर मेरी गांड चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी गांड पर टच होते ही मेरा पूरा शरीर हिला जा रहा था, मुझे मज़ा आ रहा था।
तभी उन्होंने मेरे कान में कहा- मज़ा आ रहा है? मेरे मुँह से आवाज़ निकली ‘हाँ.. आहह..’
तभी उन्होंने मुझे टेबल पर लिटाया और अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रख दिया और ज़ोर से धक्का मारा। पर क्योंकि मेरी गांड कुँवारी होने की वजह से बहुत टाइट थी.. उनका लंड घुसा नहीं.. फिसल कर बाहर आ गया.. पर दर्द के मारे मैं रोने लगा।
सर फिर मेरे होंठ चूसने लगे।
थोड़ी देर बाद सर ने फिर कोशिश की, अपना लंड मेरी गांड पर रख कर धक्का मारा.. इस बार लंड आधा घुस गया.. मेरे मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. पर सर ने मेरे मुँह को ज़ोर से दबा दिया और चुप करा दिया।
फिर एक धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर हो गया था, मैं तो मानो बेहाल हो गया था। थोड़ी देर तक हम हिले ही नहीं.. फिर धीरे-धीरे सर ने धक्के लगाना शुरू किया। दर्द तो हो रहा था.. पर अजीब सा मज़ा भी आ रहा था। सर के हर धक्के पर टेबल पर हर जगह मेरी गांड से निकला खून दिख रहा था।
सर ने मुझे लगातार कई मिनट तक जम कर चोदा फ़िर मेरी गांड में अजीब सी गर्म धार महसूस हुई, सर मेरी गांड में ही झड़ गए थे। सर ज़ोर-ज़ोर से हाँफ़ रहे थे और थक चुके थे।
सर ने अपना लंड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया.. मुझे उल्टी सी आने लगी.. पर फिर पूरा लंड चचोर लिया। थोड़ी देर सब शांत रहा। अब हम दोनों बैठे थे। मैं अपनी गांड से खून साफ कर रहा था.. तभी सर का फिर से खड़ा होने लगा.. और उन्होंने मुझे प्यार से देखा।
फिर से वो बेदर्द जालिम चुदाई शुरू हो गई। उस दिन ऐसा 3 बार हुआ और मैं अब बेहोशी की हालत में आने लगा।
रात के 8 बज चुके थे.. मेरी जम कर चुदाई हुई थी। अब मैं ढंग से चलने के भी लायक नहीं था.. मेरी गांड का छेद बुरी तरह से सूज गया था और चलने में प्राब्लम हो रही थी। लेकिन फिर भी मैं घर तक पहुँच गया।
हम दोनों ने इसके बाद कई बार चुदाई की.. और मेरे सर ने मुझे गांडू बना दिया। इस तरह मैं ‘गे’ बन गया। [email protected]
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