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मेरा नाम अभिमन्यु है उम्र 32 साल है, मेरे लौड़े का साइज़ मस्त है.. सुपारे का रंग एकदम सुर्ख गुलाबी है। मैंने आज तक बहुत सी लड़कियां और भाभियों को चोदा है।
मेरा ऑफिस मेरे दूर पड़े एक प्लाट में ही बना है.. जिसका एक दरवाजा पीछे खुलता है। वहाँ एक भाभी रहती हैं.. उनकी उम्र 24 साल है, उनका रंग बहुत गोरा है.. और वो ब्रा बहुत कम पहनती हैं। जितनी खूबसरत भाभी हैं उतना ही बदसूरत उनका पति है। भाभी का नाम रुक्मिणी है।
अभी दो महीने पहले की बात है, मैं जब ऑफिस पहुँचा.. तो भाभी घर पर बिल्कुल अकेली थीं और कपड़े धो रही थीं। अचानक से बहुत तेज बारिश शुरू हो गई, भाभी पूरी भीग गई थीं और उनके चूचे साफ़ नजर आ रहे थे, उनके कपड़े जिस्म से ऐसे चिपक गए थे जैसे प्य़ाज का छिलका प्याज पर चिपका होता है।
मैं ऑफिस में टीवी देख रहा था और खुले दरवाजे से चोरी-चोरी भाभी के निप्पल भी घूर रहा था, मेरा लंड पैन्ट में तम्बू बना चुका था। भाभी का अंग-अंग साफ़ नजर आ रहा था.. वो भी चोर नजरों से मेरे लण्ड के उभार को निहार रही थीं।
भाभी इससे पहले रोज मुझे देख कर मुस्कुरा देती थीं और कहती थीं- भैया नमस्ते।
उस दिन उनकी नजरों में अजीब सी चमक थी.. तभी उन्होंने मुझसे पूछा- भैया, मैं भी अन्दर आकर टीवी देख लूँ। मैंने कहा- मेरा ऑफिस गीला हो जाएगा। तो उन्होंने कहा- ओके मैं अभी आती हूँ।
वो अपने कमरे में गईं.. और एक लाल रंग की बहुत सेक्सी नाइटी पहन कर आईं। उनके बड़े-बड़े चूचे साफ़ नजर आ रहे थे। क्या मस्त फिगर था यार.. लगभग 34-28-36 का रहा होगा।
वो टीवी देख रही थीं और मैं उनकी छाती के उभार निहार रहा था। उन्होंने मेरी चोरी पकड़ ली और अंगड़ाई लेकर मुस्कुराते हुए पूछने लगीं- क्या बात है भैया जी.. भाभी प्यासा छोड़ देती हैं क्या.. जो पराए माल को देख कर लार टपका रहे हो?
मैंने कहा- भाभी अगर आप जैसा माल सामने हो तो गले तक पानी में डूबा हुआ इंसान भी प्यासा हो जाए। भाभी- तो प्यास बुझा लीजिए न भैया कुंए ने कब मना किया है।
इतना सुनते ही मैंने झट से भाभी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और जीभ उनके मुँह में डाल दी। कुछ मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे। भाभी ने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और सहलाने लगी।
भाभी- आह उफ़्फ़ ओह्ह भैया जी कितना मोटा लंड है आपका.. फाड़ दो मेरी निगोड़ी चूत को.. बहुत तड़पती है ये। कुछ ही पलों में हम दोनों जन्मजात नंगे थे।
मैं भाभी के निप्पल चूस रहा था और भाभी मेरे लण्ड को सहला रही थीं- आअह्ह्ह.. उफ़.. इस्स्स.. भईईइ..या.. रगड़ दो मुझे.. आआह्ह्ह्ह..
तभी मुझे ध्यान आया ऑफिस का मेन गेट तो बंद है.. पर लॉक खुला है। मैं गया और गेट लॉक किया। मेरा ऑफिस काफी बड़ा है। इसमें अन्दर बिस्तर भी है सोफा भी है।
मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाया और हम 69 पोजीशन में आ गए, वो मेरा लण्ड चूसने लगीं और मैं उनकी चूत चाट रहा था। भाभी- आअह्ह्ह भैया खा जाओ मेरी चूत को.. वो तो कभी छूते भी नहीं।
कुछ ही देर की चूत चटाई में भाभी ने अपना रस मेरे मुँह में छोड़ दिया।
‘क्या मस्त मलाई है भाभी.. आआह..’
भाभी- अब चोद दो भैया प्लीज! मैंने भाभी की दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखीं और लंड चूत पर लगा कर धक्का मारा, सुपारा अन्दर जाते ही भाभी चिल्लाईं- आअह्ह्ह्ह मर गई भैया जी। ‘भाभी आप तो शादीशुदा हो.. फिर क्यों चिल्ला रही हो?’ भाभी- आपका लंड मेरे पति से बहुत मोटा और लम्बा है.. इसलिए दर्द हो रहा है।
मैंने धीरे-धीरे पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया और चूत ने भी पूरा केला निगल लिया। उनकी चूत से रस की धार बहने लगी और वो गांड-उठा उठा कर चुदवाने लगीं।
‘थप थप.. और ठप ठप..’ की तेज आवाजें आने लगीं। अच्छा था कि टीवी चल रहा था.. जिससे कि हमारी चुदाई की आवाज ऑफिस के बाहर नहीं जा रही थी।
भाभी कई मिनट तक चली इस चुदाई में दो बार झड़ चुकी थीं, अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ? तो भाभी बोलीं- मुझे आपके जैसा गोरा और खूबसूरत बच्चा चाहिए.. प्लीज अन्दर ही डाल दो अपना सारा रस।
माल छूटने के बाद कई मिनट तक हम दोनों नंगे ही पड़े रहे और एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर एक बार और मेरे लंड और भाभी की चूत में घमासान युद्ध हुआ।
उस दिन के बाद अभी मौका नहीं मिला।
मैं अब में दिल्ली में हूँ.. पहली बार कहानी लिखी है.. कोई गलती हो तो माफ़ी चाहता हूँ.. पर यह कहानी बिल्कुल सच्ची है। आपके कमेंट का इन्तजार रहेगा। [email protected]
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