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अब तक आपने चारू की जुबानी जाना कि स्कूल के वाशरूम में उसकी चुदाई होना शुरू हो गई थी।
अब आगे..
मेरी चूत में से खून की धार बाहर निकली और उसमें राहुल का लंड एक पिस्टन की तरह फिट हो चुका था, मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मेरी सीत्कार अब चीखों में बदलने लगी थी।
राहुल ने मेरे मुँह पर हाथ रखकर मेरी चीख दबा दी, फिर भी मैं घुटी हुई आवाज में चिल्लाने की कोशिश कर रही थी- आआअहह.. उउआह.. बहुत दर्द है..बाहर निकालो अपने इस औजार को.. मुझे नहीं करना.. दर्द के मारे मेरे आंसू मेरी आँखों से बह रहे थे।
राहुल ने मुझे तसल्ली दी- बस 4-5 मिनट में दर्द दूर हो जाएगा.. थोड़ा हिम्मत रखो।
उसने अपना लंड फिर से आधे के लगभग बाहर निकाला और फिर एक धीरे से धक्का लगा दिया और अब उसका लंड मेरे बच्चेदानी के मुँह को टच कर रहा था। इस तरह उसने धीरे-धीरे स्ट्रोक लगाते हुए ना जाने कितनी बार अपने लंड को अन्दर-बाहर किया।
अब मेरा दर्द कम हो चुका था और लंड का मेरी चूत के अन्दर जाना और बाहर आना मुझे अच्छा लगने लगा था, मैं भी अब अपनी गाण्ड को उसके लंड की रिदम में आगे-पीछे कर रही थी।
तब राहुल ने भी अपने धक्के तेज कर दिए। मेरे अब तक टाइट हो चुके टिट्स को वो अपने एक हाथ की उंगलियों से रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से मेरे सर को पकड़ कर अपना लौड़ा धकापेल मेरी चूत में पेल रहा था, मुझे एक अलौकिक आनन्द की प्राप्ति हो रही थी, मेरे मुँह से घुटे हुए स्वर में सीत्कार निकल रही थी ‘अहह.. आअहह.. उईई.. आहह..’
कोई 7-8 मिनट की चुदाई के बाद मैं बोला- मैं झड़ने वाली हूँ। तब राहुल ने कहा- एक मिनट रुको.. मैं भी झड़ने वाला हूँ। मेरी डियर चारू बोलो तेरी चूत में ही झड़ जाऊँ क्या? मैंने कहा- हाँआ.. आआआह..
पहले मेरे सारे शरीर में एक तेज करेंट सा लगा.. फिर मैंने देखा कि राहुल का शरीर भी ऐंठ रहा है। वो भी कोई 40-50 सेकेंड तक बहुत ज़ोर से काँपता रहा। और फिर मैं और राहुल दोनों चीख मार कर एक साथ झड़े।
मेरी चूत की दीवारों से मेरी चूत का जूस धार से निकल रहा था। उधर उसके लंड ने भी कोई 6-7 बार बहुत तेजी से पिचकारी मारते हुए मेरी चूत में धार बना कर माल छोड़ दिया।
अब तक हम दोनों बहुत थक गए थे। मैंने खुद अपनी एक टांग जो राहुल के कंधे पर टिकी हुई थी.. वहाँ से हटा ली। कुछ मिनट में ही राहुल का शेर बना हुआ लंड एक छोटी सी लुल्ली में परिवर्तित हो गया और अन्दर से फिसल कर मेरी चूत के मुँह पर टिक गया।
वो पूरा एक लाल मिक्स्चर से भरा हुआ था। ये द्रव्य मेरी चूत फटने से निकले हुए खून, मेरी चूत के जूस और उसके लंड से निकले हुए रबड़ी से बना हुआ था।
उसने फट से लंड को वहाँ से हटाया और वॉशरूम के नल के पानी से धो दिया, मुझे भी उसने अपने दोनों हाथों से उठाया.. मेरी चूत भी उसने अपने हाथों से रगड़ कर धो दी। वहाँ सारा फ्लोर गंदा हो चुका था.. तो राहुल ने मग से वहाँ पानी डालकर फ्लोर भी क्लीन कर दिया।
उसने मुझे इशारा किया कि मैं कपड़े पहन लूँ। उसने मेरी ब्रा खुद अपने हाथ से मुझे पहनाई.. पर मेरे पैन्टी नहीं दी, उसने यह कहते हुए अपनी जेब में रख ली- इसे मैं अपने पास एक यादगार के रूप में रखूँगा। मैं मुस्कुरा दी।
उसने मुझे धीरे से कहा- पहले तुम बाहर निकल जाओ।
मैं बहुत मुश्किल से चलती हुई वॉशरूम से बाहर निकली और धीरे से चलती हुई जीने उतर गई। जब मैं ग्राउंड फ्लोर पर पहुँची तो राहुल ने 3र्ड फ्लोर से अपनी मुँह से सीटी मारी और अपने एक हाथ को हिलाकर मुझे बाय किया और दूसरे हाथ से मेरी पैन्टी हवा में एक झण्डी बनाते हुए उड़ाई। फिर उसने मेरी पैन्टी को अपनी पैन्ट की पॉकेट में रख ली।
मैंने देखा कि स्कूल बिल्कुल सुनसान था। चूंकि शनिवार को क्लास 10 वीं तक के हाफ डे में छुट्टी हो जाती थी। क्लास 11 वीं और 12 वीं के सारे बच्चे खेल के मैदान में गए हुए थे तो मैंने भी अपने दोनों हाथों को अपने होंठों के पास ले जाकर चूमा और उसकी तरफ दोनों हाथ लहरा दिए।
मुझे चलते हुए ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसा राहुल का मोटा लंड अब भी मेरी चूत में ठुका हुआ हो। दूर से ही रेशमा ने मुझे मुश्किल से चलते हुए देखा तो वो भाग कर मेरी तरफ आ गई।
वो अपनी कज़िन से कोई एक साल से चुद रही थी.. इसलिए उसको चुदी हुई लड़कियां कैसे चलती हैं.. इसकी बहुत पहचान थी।
वो आँख मार कर बोली- तू मूतने गई थी या किसी का लुल्ला अपनी चूत में ठुकवाने गई थी.. तेरी चाल बता रही है कि तू चुद कर आ रही है। मूतने में कोई 50 मिनट थोड़े लगते हैं।
तब मैंने उसको सब बातें सच-सच बोल दीं और हम दोनों रेशमा के घर आ गए।
वहाँ पहली उसने गर्म पानी से मेरी चूत की सिकाई की और फिर मुझे गर्भनिरोधक गोली दी। कुछ देर बाद जब मैं कुछ नॉर्मल हुई.. तो अपने घर आ गई।
उस सारी रात मैं दिन में हुई चुदाई के सपने देखती रही।
अगले दिन स्कूल पहुँची.. तो देखा कि राहुल और रेशमा एक कॉर्नर में खड़े हुए धीरे-धीरे कुछ फुसफुसा रहे थे। रेशमा मुझे देखते ही मेरे पास आ गई और उसने मुझसे कहा- राहुल आज फिर से तेरी चूत चोदने के लिए कह रहा है.. स्कूल बिल्डिंग के पीछे वाले मैदान में.. झाड़ियों के पीछे ले जाकर तुझे चोदने का प्लान है।
मैं उसकी बात पर हँस दी, मैंने राहुल को मना किया- प्लीज़ आज नहीं करना।
पर वो नहीं माना, स्कूल टाइम के बाद मुझे स्कूल के पीछे वाले ग्राउंड में ले गया और पूरी तसल्ली से मेरी एक घन्टे तक जमकर चुदाई की, मुझे भी उस चुदाई में असीम आनन्द मिला।
अब तो हमारी चुदाई का यह सिलसिला हर रोज ही चलने लगा और हम दोनों बहुत मौज मस्ती करने लगे।
कोई दो महीने के कार्यक्रम चलते हुए हो गए थे, एक दिन हम दोनों उसी ग्राउंड में चुदाई करने गए हुए थे। मैं उस दिन बहुत जमकर चुद रही थी या ये कहो कि आज मैं राहुल को चोद रही थी।
मैंने चूस-चूस कर उसका लंड बिल्कुल सख्त कर दिया था, मैं उसके मोटे और लंबे लौड़े पर चढ़कर अपनी चूत में तेज़ी से अन्दर बाहर कर रही थी, हम दोनों की आँखें बंद थीं।
मैं कह रही थी- राहुल, तुम्हरा लौड़ा तो आज बिल्कुल लोहे का पिस्टन बन गया है.. काश मैं ज़िंदगी भर ऐसे ही तुम्हारे लौड़े पर कूदती रहूँ.. यह चुदाई कभी खत्म ना हो।
यह कहते हुई मेरी चूत झड़ने लग गई.. राहुल बोला- मैं भी झड़ रहा हूँ।
तभी मेरे कानों में एक कड़क आवाज आई.. तो मैं बहुत डर गई वो आवाज हमारे स्कूल के गार्ड की थी.. जिसका नाम कन्हाई राम था। कन्हाई- ओ रांड, अब तू लौड़े पर नहीं, जिंदगी भर जेल में कूदेगी साली अभी देखता हूँ तुझे..
हम दोनों के तो ये सुनते ही जैसे प्राण ही निकल गए। मैं तो राहुल का धार मारता हुआ लौड़ा वहीं छोड़कर कूद कर उसके लंड से उतर गई, राहुल के लंड से वीर्य की पिचकारियां निकल रही थीं।
मैं अपने उतारे हुए कपड़ों को लेने के लिए लपकी.. पर वो गार्ड मुझसे कहीं ज्यादा तेज निकला.. उसने हम दोनों के कपड़े उठा लिए। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
कन्हाई- ईह.. रांड छोरी.. तुझे चुदते हुए शर्म ना लगी थी.. अब मुझे देखते ही शर्म लगने लगी। मैं तुम दोनों को नंगा ही प्रिन्सिपल के सामने ले जाऊँगा।
मैं तो वहाँ उड़कर आए हुए दो फटे पुराने पोलीथिन बैग्स उठा लिए। एक से मैंने अपनी चूत ढक ली और दूसरे से अपने मम्मों को ढांप लिया।
राहुल का लंड अब तक झड़ चुका था.. वो अब सारा माजरा समझ गया था, राहुल उठा और हाथ जोड़ते हुए बोला- चाचा मुझे कोई डर नहीं है.. पर यह लड़की तो तुम्हारी बेटी जैसी है.. इसकी इज़्ज़त का कुछ तो ख्याल रखो।
कन्हाई- मेरी बेटी कोई रांड ना है.. इस साली को खुले मैदान में चुदते हुए शर्म ना लगी.. अब तू भी सिफारिश करने लग रहा। मज़े तो तुम दोनों लूट रहे थे।
राहुल- चाचा, आप भी चोद लो इसको। कन्हाई- म्हारा लंड खड़ा ना होवे अब.. मैं तो अब बूढ़ा पुराना सांड हूँ। राहुल ने मुझसे कहा- चारू मैं इसका हाथ पकड़ता हूँ.. तू इसका लवड़ा चूस ले.. चाचा लौड़ा चुसवाओगे? कन्हाई- साले मुझे रिश्वत देना चाह रहा है.. चल ठीक है.. पर इस छोरी से मैं लंड नहीं चुसवाऊँगा.. कुछ पैसा टका भी दे तो काम बने। राहुल- चाचा मेरे पैन्ट की जेब से पर्स निकाल लो.. जितने पैसे हैं उसमें.. वो सब ले लो।
कन्हाई ने पर्स निकाला तो उसमें सब मिलाकर को 1400 रुपए थे। मैंने भी अपने पर्स को उठाया जो वहीं पड़ा था। और उसमें जितनी पैसे थे.. एकदम से कन्हाई को पकड़ा दिए। सब मिलाकर कोई 1900 रूपए हो गए थे।
कन्हाई- इतने से पैसे से क्या होगा.. कम से कम पांच हजार तो दे.. जब तक पैसे नहीं देगा, तब तक इस लौंडिया की कच्छी मैं अपने पास रखूँगा, इसकी कच्छी से रोज मुठ ही मार लिया करूँगा।
हम दोनों ने फट से ‘हाँ’ कर दी। उसने हमारे कपड़े हमारे सामने फेंक दिए, वो पैन्टी को अपनी पैन्ट की पॉकेट में रखकर उधर से चला गया।
हम दोनों ने फटाफ़ट कपड़े पहने और हम दोनों पहले ग्राउंड से स्कूल की तरफ आए। रास्ते में कन्हाई पानी पीने के लिए रुक गया था, वो फिर से मेरी तरफ आया और बोला- छोरी, तू तो अच्छे घर से है। मैंने अब तुझे कभी दुबारा चुदाई करवाते देख लिया ना.. तो देख लेना कि तेरा क्या हाल करूँगा.. छोडूंगा नहीं।
मैंने कान पकड़ कर कहा- चाचा, ये ग़लती अब कभी नहीं करूँगी.. बस ये बात आगे किसी को मत बोल देना। उस दिन से स्कूल में कभी नहीं चुदी.. हाँ कॉलेज आकर फिर से चुदना शुरू कर दिया, उसकी स्टोरी बाद में लिखूंगी।
इस स्टोरी को मैंने 3 सिटिंग में पूरी की है। मैंने शुरूआत में लिखा था कि मैं चूत में उंगली डाल कर स्टोरी लिख रही हूँ और ये भी कहा था कि स्टोरी के एंड में बताऊँगी कि मैं स्टोरी लिखते हुए कितनी बार झड़ी थी।
मैं तो तीनों सिटिंग में हर बार दो बार अपनी चूत को उंगली से झाड़ चुकी हूँ। अब आप सब भी अपना बताओ कि स्टोरी पढ़ते हुए कितनी बार झड़ी हो या कितनी बार मुठ मारी है।
आप अपने कमेंट्स जरूर दीजिएगा। [email protected]
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