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मैं रोहित हूँ, मेरे पड़ोस में एक शोभा आंटी हैं, वो लगभग तीस साल की हैं, उनके चूतड़ बहुत ही बड़े और सेक्सी हैं। आंटी के मुलायम और गद्देदार चूतड़ देखते ही मेरा पैंट आगे से पूरा टाइट हो जाता है, उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां उनके खुले गले वाली ब्लाउज में कहर ढाती हैं।
आंटी जब भी छत पर कपड़े सुखाने आती, मैं उन्हें घूर-घूर कर उनके खुले गले वाले ब्लाउज में कसी हुई चूचियों को देखता था। जब आंटी पीछे घूमतीं तो उनके गोल सेक्सी मटकती गाण्ड को देखता… उन्हें भी शायद मेरा देखना अच्छा लगता था।
एक दिन मुझे देखकर आंटी ने एक स्माइल दी, मुझे सिग्नल मिल गया, मैंने अपना नंबर एक कागज़ पर लिखकर फेंका। फोन पर रात का प्रोग्राम बन गया।
रात को वो छत पर आईं। आंटी एक काली पारदर्शी ड्रेस में थीं, उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां लाल रंग की ब्रा में कैद थीं और मम्मों के बीच की दरार दोनों लाल गेंदों के बीच में बहुत सेक्सी लग रही थी। उन्होंने मुझे इशारा किया और मैं तुरंत उनकी छत पर आ गया।
चूत के ऊपर आंटी ने लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी, उस ड्रेस में उनकी सेक्सी जांघों के बीच में लाल पैंटी चूत के मुँह पर छेद वाली थी।
दोनों जांघों के बीच चूत के ऊपर गायब होने वाली जगह को मैं देखता ही रह गया। कुल मिलाकर आंटी चुदास से भरी माल लग रही थी। पास जाकर मैंने अपना हाथ आंटी की कमर पर रख दिया। क्या गर्मी थी उनके जिस्म में.. मेरे जिस्म में एक सनसनी सी दौड़ गई। आंटी के लाल सुर्ख होंठों पर एक अजब सी स्वागत करती हुई मुस्कान थी।
आंटी की कमर पर हाथ चलाते हुए मेरे हाथ उनकी पीठ पर पहुँच गया, फिर मैंने उनकी कमर पकड़ कर अपनी ओर एक झटका दिया। ऐसा करने से आंटी की दोनों बड़ी चूचियां मेरे सीने पर धक्का मारकर चिपक गईं, मेरा लंड उनकी चूत के आगे सट गया और हमारे होंठ करीब आ गए।
मैं आंटी के निचले होंठ को चूसने लगा और वो मेरे ऊपर के होंठ को… होंठ चूसते हुए मेरा हाथ उनकी पीठ पर हर जगह मचलने लगा। मैं एक हाथ से आंटी की पीठ रगड़ते हुए सहला रहा था और दूसरा हाथ कमर के नीचे जा रहा था।
धीरे-धीरे मेरे दोनों हाथ आंटी के उभरे हुए गोल और गद्देदार चूतड़ों पर सैट हो गए।
अब मैं आंटी के सेक्सी मांसल चूतड़ों से खेल रहा था, मैं कभी उन्हें सहलाता, फिर धीरे से दबाता.. फिर जोर से दबाता.. फिर उंगलियों से बीच की दरार को रगड़ देता। आंटी भी मज़े से मेरा मुँह चूस रही थीं।
फिर मैंने अपना मुँह आंटी के मुँह से बाहर निकाला, ऐसा होते ही उन्होंने अपनी जीभ निकाली और मेरा मुँह होंठ के नीचे से चाटते हुए नाक तक गीला कर दिया। ऐसे ही आंटी ने मुझे चाट-चाट कर मेरा पूरा चेहरा गीला कर दिया।
मैंने जोश में उनके चूतड़ों को जोर से दबाते हुए मसला और उसके मुँह पर थूक दिया। मेरी इस हरकत से वो घबरा कर रुक गईं, फिर मैं उसके चेहरे पर बिखरा पूरा थूक जीभ निकाल कर चाट गया।
मेरी इस अदा से आंटी हँस दीं।
चूसने चाटने के बाद वो मुझे छत पर बने एक कमरे में ले गईं, कमरे का फर्श पूरा खाली था और बस एक गद्दा पड़ा था। मैं आंटी के पीछे पीछे उनके दोनों चूतड़ों मसलते हुए कमरे में घुसा, उन्होंने कमरा बंद कर लिया, फिर उनके पीछे घूमते ही मैं उन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा।
मैंने मुँह खोलकर जीभ को आंटी के मुँह में डाल दिया और हम दोनों एक-दूसरे के जीभों को चूसने-चाटने लगे। फिर मैंने आंटी की ड्रेस उतार दी और खुद भी चड्डी में आ गया, आंटी अब सिर्फ लाल रंग की ब्रा और पैंटी में हो गईं, उनकी दोनों चूचियां ऐसे टाइट होकर हिल रही थीं.. जैसे अब ब्रा फट जाएगी।
मैं आंटी की ब्रा खोले बिना ही एक आधी नंगी चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा। दूसरे मम्मे को हाथ में भरकर दबा और मसल रहा था, वो मेरा सर पकड़कर अपनी चूचियों में धंसा रही थीं।
फिर आंटी ने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया, उनकी ब्रा मेरे मुँह में आ गई और मैंने अपने मुँह से ब्रा को खींच कर फ़ेंक दिया।
अब आंटी के दोनों कबूतर आज़ादी से मचल रहे थे, मैं उनकी दोनों चूचियों को बारी बारी से मुँह में जोर जोर से खींचकर चूस रहा था।
शोभा आंटी- खा जाओ मेरी चूची.. और जोर से चूसो.. आह्ह.. चबा जाओ।
आंटी भी पूरे जोश में मेर माथे को अपनी चूचियों पर रगड़ने लगीं, चूसते चूसते उनकी चूचियां लाल हो गईं, उन्होंने मेरे चेहरे को अपनी दोनों चूचियों के बीच धंसाया और अपनी चूचियों से मेरे गालों पर थप्पड़ मारने लगीं।
मुझे तो सब जन्नत सा लग रहा था।
इसके बाद आंटी घुटने पर बैठ गईं, मैंने अपनी पैंट उतार दी, उन्होंने अपने दांतों से मेरा अंडरवियर खींचा, अंडरवियर निकलते ही मेरा लम्बा लंड उनके चेहरे पर तनतना गया।
आंटी ने मुँह खोलकर लंड को गपक लिया और चूसने लगीं, वो कभी सुपारे को चूसतीं.. कभी लंड को साइड से होंठों के बीच में रखकर रगड़तीं.. तो कभी पूरा मुँह में घुसा लेतीं। लौड़ा चूस-चूस कर आंटी ने मेरे लंड का रस निकाल दिया और पूरा रस पी गईं।
अब आंटी गद्दे पर कुतिया बन गईं, मैं उनकी चिकनी गोरी गांड देखता ही रह गया, दोनों चूतड़ों की दरारों पर लाल रंग की पैंटी उनके चूतड़ों को और भी खूबसूरत बना रही थी।
मैंने आंटी की गीली पैंटी उतार दी और उनके दोनों भारी और जवानी से लदे हुए तरबूजों को प्यार से चाटने लगा। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
आंटी की चूत फूली हुई पूड़ी की तरह थी, उनके दोनों तरबूजों को प्यार से चूसने चाटने के बाद मैंने अपनी जीभ आंटी की चूत पर चलाई। चूत पर जीभ का अहसास पाते ही आंटी की एक चीख निकल गई और वो कामुक आवाजें निकालने लगीं। चूत को चाटते-चाटते मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में अन्दर तक पेल दी। आंटी आनन्द से चिल्ला उठीं ‘आह्ह.. अब डाल भी दे अपना मोटा लौड़ा.. मेरी बुर में.. और चोद मुझे.. चोदकर फाड़ दे मेरी तड़पती बुर को..’
मैंने देर ना करते हुए अपना लौड़ा आंटी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा।
मैं- तुम्हें चोद-चोद कर तेरी चूत को फाड़ दूंगा.. चाची कमाल की चूत है तेरी। आंटी- चोद मुझे भोसड़ी के.. और चोद.. आह्ह.. तू मस्त चोदता है। अपनी रंडी समझ कर पेल मुझे.. मैं- तू मस्त चुदक्कड़ रंडी है.. कुतिया.. ले मेरा लंड खा.. मसल दे इसे अपनी चूत में.. आह्ह..
इस तरह उन्हें मैंने कई अवस्थाओं में चोदा, आंटी भी गांड उछाल उछाल कर हिला हिला कर खूब चुदीं।
थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया। उस रात मैंने आंटी को कई बार चोदा और रात भर उनकी चूचियों और मुलायम चूतड़ों से खेलता रहा।
इस कहानी को पढ़कर या पढ़ते हुए अगर किसी लड़की आंटी या भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया हो.. तो मुझे मेल करें।
आपको यह आंटी के साथ सेक्स की मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताएं। [email protected]
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