This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मैं नंगी होकर बेड पर उल्टी लेट गई, रितेश मेरी मालिश करने लगा।
जब रितेश मालिश कर रहा था तो मैंने उसके और स्नेहा की चुदाई की बात पूछी तो रितेश ने स्नेहा के साथ क्या किया, सुनाने लगा:
वास्तव में स्नेहा का जिस्म काफ़ी गठा हुआ था, उसकी टाईट चूची बता रही थी कि अभी उसका मन भरा नहीं है। मैंने थोड़ा सा उसे डराया तो कांपने लगी लेकिन फिर मैं उसे अपनी बांहो में भरकर उसके डर को कम करने लगा और फिर मेरा हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर चला गया और उसकी टाईट और चिकनी गांड को सहलाने लगा। स्नेहा कुछ बोल नहीं रही थी, बस मेरे से चिपकी हुई थी और जो मैं उसके साथ-साथ कर रहा था, वो करने दे रही थी।
थोड़ी देर बाद जब उसका डर कम हुआ तो मैंने उसके चेहरे को अपनी तरफ उठाया और उसके गुलाबी होंठ पर अपने होंठ रख दिया और हौले हौले चूमने लगा।
कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और मेरे होंठ को अपने होंठ से चबाने लगी, अपने थूक को उसने मेरे मुंह के अन्दर डाला, मैं पी गया और फिर मैंने उसके मुंह के अन्दर थूक डाला तो वो पी गई।
फिर स्नेहा ने मेरी कपड़े उतार दिए और मेरे निप्पल को अपने दाँतों से काटने लगी। दोनों निप्पल को अच्छी तरह काटने के बाद वो नीचे सरकती चली गई और मेरी नाभि को तो कभी मेरी जांघों को, तो कभी मेरे लंड की टिप को अपने जीभ का मजा देती। बीच-बीच में वो मेरे टट्टे को भी अपने मुंह में भर लेती। टट्टे को जब-जब वो अपने मुंह में भरती तो उसका एक हाथ मेरी गांड में चला जाता और वो मेरी गांड को सहलाती या फिर नाखूनों से वो गांड को खुरेचती।
फिर वो खड़ी हो गई, मुझे पकड़कर नीचे बैठा दिया और अपनी चूत को मेरे मुंह से रगड़ने लगी। कुछ देर तक तो ऐसे ही चलता रहा फिर वो अलमारी का सहारा लेकर झुक गई जो मेरे लिये इशारा था कि अब मैं लंड को उसकी चूत में पेल दूं और उस चुदास लड़की को मजे दूं। मैंने भी वैसा ही किया।
फिर स्नेहा ने मुझे उस छोटी जगह पर लेटने के लिये कहा, मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लंड की सवारी करने लगी। हां वो यह भी बताना नहीं भूली कि उसकी गांड भी चुद चुकी है तो एक ही राउन्ड में उसकी चूत और गांड का मजा लिया।
जब मेरा लंड उसकी गांड के अन्दर आ जा रहा था तो जो उसके गांड का छेद था वो ऐसा था कि किसी गाय को बांधने के लिये जमीन में खूंटा गड़ा गया और फिर उसे निकाल लिया गया, ठीक उसी तरह से स्नेहा की गांड खुली हुई थी, लंड गप-गप अन्दर बाहर हो रहा था। बीच-बीच में मैं उसके गांड के अन्दर थूक देता। उसकी सेक्सी आवाज भी मेरे हौंसले को और बढ़ा रही थी इसलिये मैं उसकी चूचियों को भी जोर जोर से मसल देता जिससे उसके मुंह से निकलने सिसकारी ‘आह ओह आह…’ की आवाज का बड़ा मजा आ रहा था।
जब लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ, मैं उसको सीधा करके उसके मुंह में लंड डालने लगा तो बोली ‘मेरे मुंह में नहीं, मेरी गांड के अन्दर झरो और फिर अपनी मलाई का स्वाद खुद लो और मेरी गांड चाटो।’
उसको कहने पर मैंने अपना माल उसकी गांड में निकाला और फिर उसको चाट कर साफ किया।
उसके बाद स्नेहा एक बार फिर मेरे होंठों पर अपनी जीभ फिराने लगी और मेरे मुंह में लगे हुए वीर्य को वो साफ करने लगी। मेरी इच्छा थी कि एक बार उसकी और चुदाई करूं लेकिन स्नेहा ने मना कर दिया, कहने लगी कि रोहन ने उसकी काफी अच्छे से बजाई है। और वो बहुत थकी होने के साथ-साथ नींद भी बहुत तेज आ रही है, इसलिये मैंने उसे ज्यादा फोर्स नहीं किया। फिर मैंने उसे उसके कपड़े पहनाये और फिर कमरे तक पहुँचा कर मैं कमरे में जा कर सो गया।
कहानी बताते-बताते रितेश ने मेरी मालिश भी काफी अच्छे से कर दी। मेरा नहाने का भी बहुत मन हो रहा था, मैं नहाने के लिये जाने लगी तो रितेश मुझे रोकते हुए वीट की क्रीम दी और बोला- जरा आज अपनी चूत को भी चिकना कर लो।
उसके वीट देने पर मेरी नजर मेरी चूत की ओर गई तो देखा कि उसमे रोएं निकल चुके हैं और थोड़ा बड़े भी हो गये हैं। मैं बाथरूम के अन्दर अपनी चूत की सफाई कर ही रही थी कि मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है। उस छेद से मैंने झांक कर देखा तो सूरज मुझे झांक कर देख रहा था, मैं उससे बोली- जब तुमने अपनी भाभी का मजा ले लिया है तो अब छुपछुप कर क्यों देख रहे हो?
सूरज बोला- छुप कर देखने का मजा आप क्या जानो! मैंने पूछा- कैसा मजा? तो बोला- भाभी, छुप कर जब आपको देखता हूँ तो लगता है कि चूत मिलने की उम्मीद है और फिर आप जब यहां से चली जाती हो तो आपकी चूत न मिलने की कसक रह जाती है और इसी कारण मैं अपने लंड का मूठिया लेता हूँ।
फिर सूरज ने पूछा- भाभी, यह क्या कर रही हो? तो मैं बोली- रितेश को मेरी चूत में रोएं दिख गये तो वीट देकर बोला कि इसको चिकना कर लो। मुझे क्या ऐतराज हो सकता था।
मेरे कहने पर वो चुपचाप बाथरूम में आ गया और फिर उसने बड़े ही प्यार से मेरी चूत की सफाई की। मेरी चूत जब एकदम से चिकनी हो गई तो सूरज मेरी चूत के फांकों को फैला कर उस पर अपनी जीभ चलाता। चूत पर उसकी जीभ रेंगने लगी और मैं मदहोश होने लगी, मेरी आँखें बन्द थी, मेरे मुख से निकलते हुए शब्द उसे मना कर रहे थे, कह रहे थे कि वो अब बाथरूम से जाये, लेकिन दिल चाह रहा था कि उसकी जीभ मेरी चूत पर ऐसे ही चलती रहे।
मेरे दो-तीन बार मना करने पर सूरज बोला- भाभी, यह कोई बात नहीं हुई, मेरा मेहनताना तो दो। कहकर सूरज ने अपने कपड़े उतार दिये और शॉवर खोल दिया।
शॉवर का पानी हम दोनों के जिस्म में गिर रहा था। सूरज ने मुझे अपने से चिपका लिया और मेरे होठों को चूसने लगा, चूसते-चूसते वो एक बार फिर मेरी चूत की तरफ आ गया और अपनी जीभ को मेरे चूत के ठीक पास ले आया और शॉवर का पानी जो मेरी चूत से होता हुआ उसकी जीभ पर गिर रहा था वो उसको पीने लगा।
उसके बाद सूरज खड़ा हुआ और अपने लंड को हिलाने लगा, मैं समझ गई कि सूरज के लंड को चूसना है। अब मेरी बारी थी, मैं सूरज के लंड को चूसने लगी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
उसके बाद सूरज ने मेरी एक टांग को उठा लिया और अपने लंड को खड़े खड़े मेरी चूत में पेल दिया, करीब दो मिनट तक उसी पोजिशन में चोदता रहा। सूरज चोदता रहा और मैं सोचती रही कि क्या मेरी किस्मत है जब से इस घर में आई हूँ, मेरी चूत के अन्दर एक लंड की एंट्री होती है और दूसरा बाहर वेटिंग लिस्ट में होता है।
खैर फिर सूरज ने अपना लंड निकाला और मुझे झुका दिया और मेरी गांड में अपने लंड को सेट करके एक ही धक्का दिया कि उसका मूसल सा लंड मेरी गांड के अन्दर एक ही बार में चला गया।
सूरज ने दो-तीन बार झटके से मेरी गांड में अपने लंड को पेलता और निकालता मुझे ऐसा लगा कि वो मेरी जान ही निकाल कर मानेगा। काफी देर तक सूरज मेरी गांड और चूत को चोदता रहा फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी दोनों हथेलियों को आपस में इस प्रकार जोड़ा कि वो चुल्लू बन गया और अपने लंड की मुठ मारने लगा, उसका पूरा माल मेरी उस चूल्लू में गिर गया, बोला- भाभी, लो मैंने प्रसन्न होकर तुमको ये प्रसाद दिया है।
उसके इस बात को सुनकर बिना कुछ बोले मैं उस रस को चाट कर साफ कर गई। फिर सूरज ने मुझे अच्छी तरीके से नहलाया, सूरज ने मेरे जिस्म के एक-एक हिस्से में जम कर साबुन लगाया और फिर मेरे बदन को पौंछ कर मुझे गाऊन पहना दिया।
मैं चारों ओर देखकर सूरज को वहीं बाथरूम में छोड़कर जल्दी से अपने कमरे में आ गई, मेरे लिये तो इस समय घर के हर कोने में लौड़ा था, जिस जगह जाओ, वहीं पर एक लौड़ा तना हुआ तैयार मिलता था। हलाँकि रितेश की मालिश और सूरज की चुदाई से मेरे बदन की पूरी थकान उतर चुकी थी और एक बार फिर रात के खाने की तैयारी शुरू कर चुकी थी।
रात को तो पक्का रितेश मेरी चुदाई करने वाला था। मुझे लगता है कि मेरी चूत चूत न होकर भोसड़ा हो चुकी थी, हर लंड को वो लेने के लिये तैयार थी।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000