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रात को तो पक्का रितेश मेरी चुदाई करने वाला था। काम निपटाने के बाद रात को मैं, रितेश, अमित और नमिता अपने कमरे में आ गये और स्वेपिंग की प्लानिंग करने लगे। इस बात पर चर्चा शुरू हो चुकी थी कि कोई ऐसी जगह चुनी जाये जहाँ दो दिन तक कोई न हो और न कोई बोले। दिन शनिवार और रविवार का चुना गया क्योंकि दूसरे शनिवार की वजह से ऑफिस में छुट्टी होती है। हमारे ग्रुप में जितने लोग थे, वो शनिवार और रविवार ही प्रेफर कर रहे थे।
मैं अमित की गोद में थी और नमिता अपने भाई की गोद में थी, सबके हाथ भी चल रहे थे और प्लानिंग भी चल रही थी। फोन पर टोनी-मीना और सुहाना-आशीष को भी लाईन पर ले लिया और प्लांनिग के बारे में डिस्कस होने लगा।
खैर सभी शनिवार और रविवार के लिये सहमत थे, वेन्यू की बात थी, मेरे दिमाग में बॉस का घर घूम रहा था जो पूरा खाली पड़ा था और बॉस की बीवी 15 दिन तक नहीं आने वाली थी तो मैंने वेन्यू की बात सभी को बताई। रितेश बोला- तुम्हारा बॉस तैयार हो जायेगा? ‘क्यों नहीं तैयार होगा और फिर मेरी चूत कब काम आयेगी?’
तो तय हो गया कि इस शनिवार और रविवार को खूब मस्ती होने जा रही थी। इसी बीच रितेश पेशाब करने के लिये जाने लगा तो नमिता भी पीछे पीछे पेशाब करने का इशारा करके चल दी। अमित अभी भी मेरी चूची दबा रहा था, अचानक अमित ने मुझे पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को मुंह में भर कर चूसने लगा।
इसी बीच नमिता आ गई और उसने पीछे से आकर अमित की गांड पर एक जोर से चपट मारी। अमित बिलबिला उठा। नमिता फिर अपनी उंगली अमित की गांड में डालकर बोली- अमित, मैं अपनी उंगली तुम्हारी गांड में घुसा कर गांड मार रही हूँ।
तभी रितेश बोला- तब तो ठीक है… अगर नमिता अमित की गांड मार रही है तो मैं नमिता की गांड की सेवा कर दूं! कहते हुए रितेश भी नमिता के साथ लग गया और एक बार फिर हम चारों में चूत लंड गांड कुश्ती की जंग छिड़ गई, कभी चाटना तो कभी चूमना और उसके बाद मेरी और नमिता की गांड चूत की कुटाई बड़ी बेहरमी से हो रही थी।
दो राउन्ड चुदाई के चले होंगे कि उसके बाद मैं और रितेश अपने कमरे में आकर सो गये। अब मैं भूल चुकी थी कि एक दिन में मैं कम से कम कितनी बार चुदती हूँ। रूटीन बन चुका था कि घर, ऑफिस का काम निपटाते निपटाते जब जिससे मौका लगे, उसको अपनी बुर दे दो और चुदाई का आनन्द लो।
फिर मेरे और रितेश के बीच जैसा तय हुआ था कि ऑफिस जाकर कोलकाता कौन कौन जा रहा है, उसका नाम रिजर्वेशन के लिये देना था और दूसरा दो दिन के लिये बॉस का घर चाहिये वो बताना था।
मैं ऑफिस पहुँची, बॉस मेरा ही इंतजार कर रहा था, मैंने अपने बॉस को बताया कि मेरे कुछ फ्रेंड आ रहे हैं, उनके लिये मुझे दो दिन के लिये उनका फ्लैट चाहिए। तो बॉस बोला- एक तो बताओ कि मैं इन दो दिनों में कहाँ रहूँगा?
मैंने बताया कि दो दिन के लिये अपनी वाईफ के पास चले जाओ और उसकी चूत चोदो।बॉस बोला- ठीक है, तुम्हारी बात मान ली लेकिन फ्लैट के बदले मुझे क्या मिलेगा?
मैंने तुरन्त ही उसका हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रखती हुई बोली- बॉस, ये तुम्हारा ही तो है। मुस्कुराते हुए बॉस बोला- तुम जानती हो कि कैसे एक मर्द को अपने वश में किया जाता है। तुरन्त ही बॉस ने अपने केबिन को अन्दर से लॉक कर मेरी जींस उतार दी और मुझे मेज पर बैठा कर मेरी चूत चूसने लगे।
मुझे पता था कि बॉस ज्यादा लम्बा नहीं चल सकता है तो मुझे कोई चिन्ता भी नहीं थी, तीन से चार मिनट में ही बॉस फ्री होने वाला था। हुआ भी वही… बॉस ने मेरी चूत चाटी और तुरन्त ही खड़ा होकर अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया। मेरे बॉस का तो हाल बस इतना ही कि दस से पंद्रह धक्के लगाता है कि उसका पूरा माल मेरी चूत के अन्दर चला जाता है। यह तो अच्छा है कि डाक्टर ने बता दिया था कि पिल लेने से गर्भ नहीं ठहरेगा।
उस दिन भी यही हुआ, मेरा बॉस ने दस-पंद्रह धक्के ही मारे होंगे कि उसका माल मेरी चूत के अन्दर… और वो हाँफता हुआ मेरे ऊपर! फिर वो थोड़ा शर्मिन्दा हो गया जैसे हमेशा होता है, इस समय भी उसने वही डायलॉग बोला- सॉरी जान… लेकिन तुम बहुत अच्छी हो कि मुझे तुम कुछ नहीं कहती हो। मैं जानता हूँ कि मेरे में ज्यादा स्टेमिना नहीं बचा है, फिर भी जिस संयम के साथ तुम मेरा साथ देती हो, कोई दूसरा नहीं दे पाया, इसलिये मैं तुम्हें बहुत पसंद भी करता हूँ और प्यार भी करता हूँ।
मैंने मन ही मन सोचा ‘दूसरी साली चूतिया होंगी।’
फिर ऊपर से मुस्कुराते हुए बोली- बॉस, तुम अगर खुश तो मैं भी खुश! कुछ देर बाद बॉस ही खुद याद करते हुए बोले- रिजर्वेशन के लिये नाम दो? मैंने जब अपने साथ अपने ससुर का नाम दिया तो वो भौंच्चके…
मैंने बॉस को ससुर का मेरे साथ चलने की पूरी बात बताई तो बोले- तब तो तुम्हारा टूर तो बेकार, काम करोगी और फिर रात को टांगें फैला कर सो जाओगी और उन टांगों के बीच में कोई नहीं होगा, तुम्हारी रात कैसे कटेगी? कहो तो मैं चलूँ?
मैंने तुरन्त ही एक बहाना बना कर मना कर दिया, जानती थी कि चाहे ससुर हो या फिर बॉस दोनों के होने न होने का मुझे कोई फायदा या नुकसान नहीं था। ससुर से लिहाज था और बॉस किसी काम का नहीं… बॉस के साथ तड़पने से अच्छा है कि मैं ससुर के साथ ही जाऊँ।
मेरे बॉस बोला कि जब भी उसके घर की चाबी चाहिये तो मैं उसे बता दूंगी तो वो दो दिन के लिये कहीं एडजस्ट कर लेगा।
शाम को घर आकर मैंने रितेश से बताया तो वो खुश होते हुए बोला- मान गये जान, तुमने हर चीज अरेंज कर ली है।
अब बारी अमित की थी कि वो घर वालों को क्या बताता है कि हम दो दिन घर से बाहर क्यों रहेंगे। अमित ने भी बड़ी समझदारी का परिचय देते हुए घर में बताया कि उसके डिपार्टमेन्ट ने एक आयोजन किया है और मुझे और नमिता के अलावा एक शादीशुदा जोड़ा और आ सकता है तो उसने आकांक्षा और रितेश का नाम दे दिया है। उसके बाद घर वालों को पूरी बातों से सन्तुष्ट किया।
हम चारों लोग बड़ी उत्सुकता से जुम्मे की रात यानि शुक्रवार की रात का इंतजार करने लगे, हम चारों का प्रोग्राम था कि शुक्रवार रात को ही शिफ्ट हो जायेंगे, क्योंकि दो दिन के लिये भरपूर इंतजाम करना था ताकि किसी को बाहर न निकलना पड़े।
इंतजाम करते करते शुक्रवार की रात आ गई थी। शिफ्ट होने के एक रात पहले रितेश ने अमित और नमिता को बता दिया कि पार्टी में खुलकर शराब, सिगरेट, गाली-गलौच खूब होगी इसलिये खूब सोच लो क्योंकि वहाँ शर्म नहीं चलेगी। अमित तुरन्त बोला- मेरी तरफ से ओ॰के॰ है, नमिता अगर ओ॰के॰ करती है तो मजा आयेगा।
नमिता ने ओ॰के॰ किया और रितेश ने तुरन्त ही चार गिलास निकाले, सिगरेट निकाल कर सबको एक-एक पकड़ाई और पैग बनाने लगा। नमिता की आँखों में भी उत्सुकता थी, वो बड़े ही ध्यान से देख रही थी।
सबको एक-एक गिलास उठाने को कहा गया, सबने गिलास उठाया और पहला सिप किया, घूंट भरते ही नमिता ने बुरा सा मुंह बनाया, लेकिन समझाने के बाद वो धीरे धीरे सिप करने लगी और सिगरेट को भी पहली खांसी के बाद पीने लगी।
हालाँकि बीच बीच में एक दो बार और नमिता को खांसी आई लेकिन फिर सब ठीक हो गया। अमित और रितेश ने अपनी चड्डी पहनी हुई थी जिसमें से उनके तने हुए लंड स्पष्ट दिखाई पड़ रहे थे। चूंकि मैं नीचे कुछ नहीं पहनती तो मैंने गाउन कुछ इस तरह से पहना था कि मेरे जिस्म का आधा हिस्सा खुला रहे और आधा ढका रहे। नमिता भी इस समय केवल पैन्टी और ब्रा पहने हुए थी, नमिता की बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्रा में समाने की भरपूर कोशिश कर रही थी, लेकिन समा नहीं पा रही थी। हल्की लाईट की रोशनी में उसका जिस्म काफी आकर्षित लग रहा था, अमित और रितेश की नजर बार बार नमिता के नंगे जिस्म पर ही जा रही थी।
एक पैग के बाद सुरूर चढ़ने लगा था कि रितेश ने दूसरा लेकिन लाईट पैग बना दिया। रितेश ने अमित का गिलास अपने हाथ में लिया, नमिता को खड़ा होने के लिये बोला और अमित की तरफ देखते हुए बोला- अमित, आज तुम अपनी बीवी के जिस्म से निकला हुआ नया रस पीयो।
इतना कहने के बाद रितेश ने अपनी बहन नमिता की पैन्टी के अन्दर अपने दांयें हाथ की दो उंगलियों को फंसा दिया और पैन्टी को खींचते हुए थोड़ी सी जगह बनाई और गिलास की शराब को पैन्टी के अन्दर गिरा दिया और तुरन्त ही खाली गिलास को नमिता की चूत के नीचे लगा दिया।
अमित का गिलास फ़िर शराब से भर गया लेकिन इस बार का जाम नमिता की चूत और पैन्टी से मिलकर बना हुआ था। रितेश ने गिलास अमित को पकड़ाया और खुद नमिता की गीली पैन्टी पर अपनी जीभ फिराने लगा। रितेश की देखा देखी अमित ने भी वही किया। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
जैसे ही दोनों हटे, मैंने भी नमिता की गीली पैन्टी, जिसका स्वाद अमित और रितेश चख चुके थे, पर अपनी जीभ लगा दी। थोड़ा चाटने के बाद मैं मुस्कुरा दी और बोली- आज की ड्रिंक पार्टी तो बहुत ही मजेदार थी।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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