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आपने अब तक पढ़ा.. मेरी और विभा की चुदाई चालू थी और राखी सामने बैठी अपनी चूत में उंगली कर रही थी। अब आगे..
मैं उसे देख रहा था और इधर विभा मेरे लौड़े को अन्दर-बाहर करने में मशगूल थी। मैंने देखा कि राखी की बुर बहुत सुन्दर थी और एकदम गुलाबी सी.. मेरे तो मुँह में पानी आ गया।
इधर उतने में विभा चिल्लाने लगी ‘आआह्ह.. ओहह्ह.. जानू मैं झड़ने वाली हूँ.. ओहोहोहह.. मैं गई.. मैं गई.. इस्स्स.. ओफ्फ..’ विभा एक और बार झड़ गई और उधर राखी भी खलास हो गई।
अब सिर्फ मैं ही बचा था.. तो मैंने विभा को दीवार के सहारे खड़ा किया और पीछे से उसकी चूत मारने लगा। कुछ मिनट मैंने उसकी चुदाई की और मुझे लगा कि जैसे मेरा लौड़ा फट गया हो और मैंने विभा की चूत में ही अपना गाढ़ा वीर्य छोड़ दिया।
फिर मैं और विभा बिस्तर पर आकर लेट गए और तभी उसने राखी को भी आने को कहा। राखी ने अपना गाउन उतारा और मेरी बगल में आकर लेट गई। अब मैं उन दोनों के बीच में था और दोनों ने एक-एक टांग मेरे ऊपर रख दी।
मैंने विभा से पूछा- कैसा लगा? तो उसने कहा- बहुत मज़ा आया.. लेकिन शुरू में दर्द भी हुआ।
मैंने राखी की ओर देखा तो वो मेरे मुरझाए हुए लण्ड से खेल रही थी तो मैंने पूछा- जान क्या तू भी चुदना चाहती है? उसने भी ‘हाँ’ कहा.. लेकिन बोली- आज नहीं।
सच कहूँ.. तो मेरे लण्ड का टांका टूटने से मुझे भी थोड़ा दर्द हो रहा था। पर मैंने वो जताया नहीं।
फिर मैंने विभा से कहा- जान.. एक बात कहूँ.. अगर बुरा न मानो तो? उसने ‘हाँ’ कहा, तो मैं बोला- मैं तुझे पहले दिन से चोदने की फिराक में था और मैंने जानबूझकर कल तुझसे बात नहीं की.. ताकि तू मेरे पास आकर पूछे और फिर मैं तुझे चुदने के लिए तैयार कर लूँ।
तब विभा ने कुछ नहीं कहा, बस हँस दी। बाद में उसने कहा- जान मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ।
मैंने ‘हाँ’ कहा तो वो बोली- मैंने तुम्हारी नजर पहले ही दिन समझ ली थी और तभी तय कर लिया था कि मैं अब तुमसे चुद कर ही रहूंगी और इसीलिए मैंने राखी को पहले ही तैयार रहने को बोल दिया था और कल जब तुम मेरे कमरे में आए तब मैं जान-बूझकर टॉवल में ही बाहर आ गई थी। शाम को भी सब जानकर अनजान बनी रही। जबकि मुझे पता था कि मेरी गांड की दरार में जो चुभ रहा है वो तुम्हारा लण्ड है। पर मुझे तो मौका चाहिए था.. इसलिए ये सब नाटक किया।
यह सुन कर तो मैं एकदम भौंचक्का रह गया और सोचने लगा कि जिसे मैं मासूम समझ रहा था.. वो तो मुझसे भी शातिर निकली। मैंने सोचा कि मैं इसे पटा कर चोद रहा हूँ.. पर मेरा ही पपलू बन गया।
इतने में विभा बोल पड़ी- लेकिन मुझे बहुत मज़ा आया.. और जब भी मुझे मौका मिलेगा, तब मैं तुमसे चुदवाऊँगी क्योंकि तुम बहुत दमदार चुदाई करते हो।
इतने समय में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया.. पर इस बार मैंने बदला लेने की ठान ली थी।
इसलिए मैंने राखी को पानी लेने भेज दिया। वो उठी और वैसे ही नंगी किचन की तरफ जाने लगी। पीछे से उसकी गदराई गांड को मटकते देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैं पेशाब का बहाना बनाते हुए राखी के पास चला गया और पीछे से उसे पकड़ लिया। मैं उसके गोल-गोल मम्मे दबाने लगा और लण्ड को उसकी गांड पर रगड़ने लगा.. वो मस्त हो गई।
वो बोली- थोड़ा तो सबर करो.. मेरी बुर भी तुम्हारी ही है.. बस आज नहीं, क्योंकि आज तुम्हें सिर्फ और सिर्फ विभा की ही चुदाई करनी है।
मैंने उसे छोड़ दिया और उसे अपना प्लान समझाया। पहले तो वो नहीं मानी.. पर मैंने उसे अपना लण्ड बुर पर छुआया तो वो मान गई।
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फिर हम दोनों अन्दर आ गए और आते ही विभा राखी को गालियां देने लगी- साली रंडी छिनाल तू एक दिन भी सबर नहीं कर सकती क्या? कम से कम आज तो मुझे मेरी चूत चुदवाने दे।
ये सुन कर राखी को भी बहुत गुस्सा आया, पर मैंने उसे इशारा करके चुप करा दिया।
अब मैं विभा की ओर बढ़ा और अपना लण्ड उसके मुँह में डालने लगा और उसने भी ‘गप’ से मेरा लण्ड चूसना चाटना शुरू कर दिया। मैं तो जैसे जन्नत में था। वो मेरे टट्टों को पूरा मुँह में ले कर ऐसे चूस रही थी.. मानो जैसे खा ही जाएगी। मैं काफी गर्म हो गया.. फिर मैंने भी उसकी चूत चूसी और उसे बिस्तर पर ही घोड़ी बनने को कहा। वो तुरंत बन गई.. मैंने थोड़ी देर उसकी चूत चोदी.. जिससे वो दो बार झड़ गई और उसकी चूत के पानी से मेरा लण्ड एकदम भीग गया।
अब मैंने राखी को इशारा किया और वो विभा को चूमने लगी और अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी.. ताकि उसकी चीख न निकले।
मैंने देखा कि विभा राखी जीभ चूसने में लगी है.. तब मैंने आव देखा ना ताव और एक ही झटके में पूरा का पूरा लण्ड उसकी गांड में उतार दिया और मेरा लण्ड उसकी गांड चीरता हुआ अन्दर घुस गया.. क्योंकि मेरा लण्ड विभा के पानी से पहले से ही भीगा हुआ था।
विभा को लगा जैसे किसी ने उसकी गांड में चाकू घुसा दिया हो। वो चीखना चाहती थी.. पर राखी ने उसका मुँह बंद कर रखा था। विभा को चूत की चुदाई से ज्यादा दर्द गांड मरवाने में हुआ था.. क्योंकि मैंने एक झटके में ही लौड़ा अन्दर कर दिया था।
मैं उस पर बिना तरस खाए उसकी गांड बिना रुके मारने लगा। विभा रो रही थी.. पर मैं और राखी हँसने लगे।
तब राखी ने कहा- बहन की लौड़ी, तू मुझे गाली दे रही थी न साली.. रांड अब ले चुदाई का मज़ा.. मादरचोद कुतिया.. अपनी चूत चुदवाने के लिए बहुत मरी जा रही थी ना.. ले अब जी भर के गांड भी मरवा ले.. भैन की लौड़ी।
वो मुझे भी उकसाने लगी- देख क्या रहा है रे साले बहनचोद.. चोद इस छिनाल को..
मैं जोर-जोर से विभा की मुलायम गदराई गांड मारता रहा। मैं उसे गालियां भी देने लगा- रंडी साली.. तू मेरा पपलू करने गई थी ना.. ले देख मैंने अपना बदला ले लिया.. अह्ह्ह्ह.. तेरी गांड तो बड़ी टाइट है रे कुतिया.. बहुत मज़ा आ रहा है। ले और ले मेरा लौड़ा खा जा.. इसे अपनी गांड से लील ले.. आह्ह..
थोड़ी देर में शायद उसे भी मज़ा आने लगा था। मैंने देखा कि अब वो भी अपनी गांड पीछे की तरफ उछाल-उछाल कर मेरा लण्ड ले रही थी।
जैसे ही राखी ने विभा के मुँह को छोड़ा.. तो वो भी बोलने लगी- हाय्य.. चोद दी रे मेरी मासूम गांड को.. साले भड़वे मुझे पता था कि तुम दोनों मिल कर मेरी गांड फाड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन मैं भी यही चाहती थी.. उउफ्फ.. चूत से ज्यादा मज़ा तो गांड मरवाने में आ रहा है रे.. ह्य्य्य्य.. चोद ना मादरचोद मेरी गांड को… कहीं दम तो नहीं निकल गया तेरा भैन्चोद..?
इसी दौरान वो एक बार और झड़ गई। फिर मैंने उसे अपनी ऊपर लिया और मेरी ओर उसे पीठ करके लण्ड को फिर से गांड में डाल दिया। अब विभा खुद उछल-उछल कर मेरा लौड़ा गांड में ले रही थी और उधर बेचारी राखी फिर से बुर में उंगली कर रही थी। तब मैंने उसे अपने पास बुला लिया और उसकी बुर को मुँह में लेकर चूसने लगा।
उधर विभा मुझे चोद रही थी और इधर राखी मेरे मुँह पे बैठ कर अपनी चिकनी बुर चुसवा रही थी। मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था। तभी मेरा निकलने को हुआ तो मैंने विभा को बताया। उसने गांड में ही छोड़ने को कहा.. फिर मैं भी नीचे से तेज-तेज धक्के लगाने लगा ‘आअह्हहा.. विभा.. मेरी जान.. मैं आ रहा हूँऊऊ.. ऊऊऊओहह..’
इतने में राखी भी चिल्लाने लगी- उई.. माँ.. मैं भी झड़ने वाली हूँऊऊ.. ओह्ह..
विभा मजा लेटे हुए बोलने लगी- चुद गई रे मेरी मैय्या.. बुरी तरह चुद गई मैं तो.. बहनचोदद.. इस्स्स्स्स्.. उफ्फ़..
अब हम तीनों एक साथ झड़ने लगे। मैं विभा की गांड में झड़ गया। इधर राखी ने अपना सारा का सारा शहद मेरे मुँह में भर दिया और जो कुछ बचा था.. वो मैंने चाट कर साफ़ कर दिया।
एक और चुदाई का दौर ख़त्म हुआ। हम तीनों निढाल होकर बिस्तर पर लेट गए और दोनों ने भी मुझे चूम लिया।
फिर थोड़ी देर बाद विभा बाथरूम जाने को उठी.. लेकिन वो ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। मैंने और राखी ने उसे सहारा देते हुए बाथरूम पहुँचाया। वहाँ देखा तो विभा की चूत और गांड दोनों सूजी हुई थीं। वो डर गई लेकिन मैंने उसे धीरज दिया और गरम पानी में टॉवेल भिगो कर उसकी दोनों तरफ से सिकाई की.. तब जा कर उसे थोड़ा आराम मिला।
हम तीनों साथ में नहाए.. जहाँ मैंने राखी को लण्ड चुसवाया और उसको लौड़े का पानी भी पिलाया। चुदाई के खेल में कब रात हो गई.. पता ही नहीं चला और इस हालत में विभा को साथ ले जाना मुनासिब ना था, इसलिए उसे वहीं सोने को कहा और दोनों को एक-एक स्मूच दे कर मैं घर वापिस आ गया।
घर में मैंने कह दिया कि विभा अपने मामा के घर से कल आएगी।
तो दोस्तो.. यह थी मेरी जिंदगी की पहली चुदाई की दास्तान.. और ये कहानी सौ फीसदी सच्ची है.. इसमें कोई बनावट नहीं है। आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे जरूर मेल करके बताइएगा।
आपके मौलिक विचारों का इंतज़ार रहेगा
[email protected] धन्यवाद और सुहाने चुदाई के सपनों के साथ विदा!
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