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अब तक आपने पढ़ा.. मेरी और नीलू की धुआंधार चुदाई चल रही थी कि तभी मैंने उसकी गांड में उंगली डाल दी। अब आगे..
उसकी गांड पहले भी मैंने कई बार चोदी है.. इसलिए उसकी गांड में उंगली आराम से चली जाती है।
वो गांड में उंगली पाकर और सिसक गई और बोली- उई आह.. गांड फट गई साले.. उई आह.. सी सी.. आह चोद-चोद.. आह ऐसे ही गांड भी चोद..
अब उसकी चूत में मेरा लंड था और गांड में उंगली थी, मैंने देखा ऐसी स्थिति में नीलू काफी मज़ा महसूस कर रही है, मैंने उससे कहा- उन्ह.. साली.. एक साथ दो-दो लंड हों तो कैसा रहेगा.. एक तेरी चूत में और एक गांड में.. कुतिया.. और… ले साली.. लंड स्सश..
इसी के साथ ही मैं उसकी चूत में लंड के झटके लगा रहा था। वो मेरी बात सुनकर बोली- आह्ह.. उई धीरे चोद सा..ले.. तेरा आईडिया तो.. अच्छा है.. आह.. चोदो.. पर मेरी.. हालत क्या हो जाएगी ऐसे.. कुत्ते.. उन्ह.. आई..
मैंने फिर एक जोरदार शॉट उसकी चूत में लगाया और उसकी चूचियां को दबोचता हुआ बोला- ले कुतिया.. और मज़ा ले ले लौड़ा कुत्तिया आह.. साली हालत नहीं होती.. मज़ा आएगा दो लंडों से रांड जब तेरी गांड में झटका लगेगा.. तो साथ ही तेरी चूत में भी झटका लगेगा और कभी एक साथ दोनों झटके.. कभी ताल से ताल मिला कर झटके.. आह उई..
कहते हुए मैं उसे चोदे भी जा रहा था, वो अपनी गांड उठा-उठा कर चुदने लगी थी। मैंने अंदाजा लगा लिया था कि नीलू अब झड़ने के बहुत करीब है, तो मैंने उसे अपने ऊपर बिठा लिया, उसके मुँह में मैंने अपनी जीभ डाल दी और किस भी करने लगा।
अब हम दोनों किस करते हुए चुदाई कर रहे थे। उसके दोनों मम्मे मेरी छातियों में दबे हुए थे, वो मेरी जाँघों पर बैठी हुई चुद रही थी। मैं भी बैठा हुआ उसको चोद रहा था और वो चुदते हुए मेरी बात का जवाब देने लगी ‘साले आह.. मज़ा आ रहा है कुत्ते.. हाँ ऐसे.. ही चोद.. हाँ साले आ..ह.. तो ऐसा लंड मिलेगा.. कहाँ से.. मेरे यार.. ले चोद मेरी जवानी.. और मेरी गांड.. फाड़ दे.. आज… आह.. उई.. साले.. ले.. आह’
मैंने अंदाज़ा लगाया कि वो भी दो लंड की बात सुन कर ऐसा चाहती है और अब वो अपने पूरे जोश में थी और जोर-जोर से दहाड़ती हुई चुद रही थी।
मैंने उसे गालियाँ देते हुए कहा- कुतिया.. आह… उई ले चुद.. साली मादरचोद.. आह.. उई.. आह.. ले मेरी रांड साली मारूँ.. तेरी गांड.. आह.. उई ले चुद… चुद… चुद दूसरा लंड पैदा.. करने के लिए बैठा है तेरा यार.. साली में करूँगा.. कोई इंतजाम कुतिया… आह उ..ई .उ.ई.. उई.. आह.. ले चुद.. चु.द. चु.. द चुद… .चुद चुद आह चुद.. ले रांड तेरी… .बहन तक चुद.. जाएगी.. आज गांड भी फटेगी आज तेरी आह.. उई..
मेरा लंड पूरी स्पीड से उसकी चूत से अन्दर-बाहर हो रहा था और उसने अपनी दोनों चूचियां मेरी छातियों से कस दी थीं, वो मेरे साथ पूरी तरह लिपट गई थी।
मैंने उसके अन्दर अपने लंड से एक और जोरदार झटका जैसे ही लगाया तो उसकी चूत से उसकी जवानी के रस की धार इतनी जोर से निकली के मेरे टट्टों तक को धार ने भिगो दिया था।
उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था और उसकी चूत से उसकी जवानी का गर्म रस बहता ही जा रहा था और वो जोरदार सिसकियाँ भी ले रही थी और बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी- उई आह आह.. कुत्ते चोद आह.. उई आह.. चुद गई.. चुद गई फूट गया मेरा रस.. आह आह.. ले चख ले.. मेरी जवानी आह उई.. आह मे..रे.. शेरू कुत्ते.. आह.. उ.ई.. चु.द .ग.ई.. मैं आज.. तेरे.. लंड.. से.. बहन.. चोद दी तूने… .आह उई आह सी सी..
ऐसे बोलती हुई वो बहुत जोर से चुद रही थी और साथ-साथ अपनी गांड भी हिला रही थी।
मैं अपने एक हाथ से उसकी गांड को सहला रहा था और लंड को आगे-पीछे भी कर रहा था। मैंने दूसरे हाथ से उसको पकड़ रखा था। उसका झड़ना जैसे ही बंद हुआ.. तो उसने मुझे इशारा किया और मैंने उसका इशारा पाकर अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाल दिया।
मेरा लंड भी झड़ने की कगार पर था, पंरतु पहले एक बार झड़ जाने की वजह से वो थोड़ा झेल सकता था। तो इसी लिए मैंने अभी लंड उसकी चूत से निकाला और उसकी गांड में डालने लगा। उसने भी गांड उठा कर थोड़ा साथ दिया और वो घोड़ी बन गई, मैंने पीछे से लंड उसकी गांड में डाल दिया।
आधा लंड करीब उसकी गांड में चला गया था, मैं अब लंड को आगे-पीछे करने लगा.. मैं आधे लंड को ही आगे-पीछे कर रहा था। नीलू भी गांड हिला-हिला कर लंड का गांड में स्वागत कर रही थी।
मेरा लंड काफी हद तक उसकी गांड के अन्दर था, उसकी चूत अभी भी थोड़ा थोड़ा पानी छोड़ रही थी। उसकी चूत में उसने अपनी एक उंगली डाल रखी थी। मैं अब जोर-जोर से उसकी गांड चोदने लगा था।
अब मेरा लंड रस भी निकलने वाला ही थी सो मैंने उससे पूछा- उह आह साली कहाँ गिराऊं.. उई आह.. उसने भी चूत में जोर-जोर से उंगली करते हुए जवाब दिया- गांड में ही डाल दे साले.. आह उई..
मैं जोर-जोर से झटके लगाने लगा, अब मैंने उसे कस लिया और मेरे लंड ने धार छोड़ दी, मेरी धार उसकी गांड में गिर रही थी और मैंने उसे कस लिया था।
मैं धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे कर रहा था, वो सिसक रही थी। कुछ पल बाद मेरा लंड उसकी गांड से बाहर आ चुका था। मेरा वीर्य उसकी गांड से बह कर जांघों तक जा रहा था। मेरे वीर्य से उसकी गांड पूरी तरह से भीग गई थी।
नीलू ने पास पड़ा तौलिया उठाया और सब साफ़ कर दिया। इसके बाद मेरे लंड को कुछ देर के लिए अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे लंड से और भी वीर्य जो अभी नहीं निकल पाया था.. वो उसने चूस कर निकाल दिया।
अब नीलू की गांड और चूत दोनों चुद गई थीं, इधर मेरे लंड का रस भी दो बार रस बह चुका था। हम एक बार तो पूरी तरह संतुष्ट हो चुके थे।
हम दोनों ने घड़ी पर टाइम देखा तो रात के साढ़े बारह से ऊपर का वक्त हो चुका था। हमने एक-दूसरे को किस किया और सोने की तैयारी करने लगे क्योंकि अगले दिन सन्डे को भी मैं उसके पास ही रहने वाला था।
दूसरे दिन मैं सुबह करीब 7 बजे उठा, सुबह नीलू मेरे कमरे से उठ कर अपने कमरे में चली गई थी। ताकि शालू को ऐसे लगे जैसे वो वहीं थी।
सुबह शालू ने चाय बना दी थी और नीलू चाय लेकर मेरे कमरे में आई, मैं भी तब तक उठ कर फ्रेश हो गया था। हम दोनों चाय पीने लगे और बैठ कर रात वाली चुदाई की बातें कर रहे थे।
बातों-बातों में नीलू ने बताया- कल रात मुझे बहुत मज़ा आया, इतना मज़ा बहुत दिन बाद आया है। मैंने उससे कहा- अगर तुम और ज्यादा मज़ा लेना चाहती हो तो सच में दो-दो लंडों का मज़ा लेकर देख सकती हो.. जिसमें एक लंड गांड में और एक चूत में होगा.. तो तुम्हें और ज्यादा मज़ा आएगा।
वो कहने लगी- बात तो सही है.. परन्तु यार मैं ऐसा कोई में रिस्क नहीं लेना चाहती.. कल को कोई ऐसी बात हो गई तो कैसे झिलेगी। अब तुम पर तो मुझे भरोसा है.. कोई और अगर मुझे ब्लैकमेल करने लगा या कोई ऐसी बात और हो गई तो?
मैंने उससे कहा- तुम डरो मत.. इसका इलाज़ मेरे पास है.. अगर तुम्हें ठीक लगे तो मैं अपने दोस्त संजय को बुला सकता हूँ।
संजय के बारे में मेरे वो पाठक-पाठिकाएं जानते होंगे.. जिन्होंने मेरी कहानी बीवी की चूत और दोस्त का लंड पढ़ी हुई है जो कई भागों में प्रकाशित हुई थी।
मैंने नीलू को बताया- संजय मेरा भरोसेमंद दोस्त भी है और उसकी वाइफ को मैंने उसके साथ चोदा भी है, इसलिए हम दोनों खुले विचारों के होने की वजह से तुमको कोई दिक्कत नहीं आने वाली।
नीलू बोली- फिर यार, वो कब तक आ सकता है, अगर हम अभी बुलाएं तो? मैंने कहा- अगर तुम चाहो तो उसका रास्ता यहाँ से सिर्फ एक घंटे का है और अगर उसे हम सब बता देंगे.. तो वो 10-11 बजे तक आराम से पहुँच सकता है.. आज सन्डे भी है।
तो उसने फिर एक बार सोचा और फिर कहा- चलो बुला लो.. आज जो होगा देखा जाएगा।
मैंने चाय ख़त्म होते ही संजय को फ़ोन लगाया और कुछ देर हाल-चाल पूछने के बाद कहा- आज क्या कर रहा है? बोला- कुछ नहीं फ्री हूँ। मैंने कहा- यार तो फिर तुम अभी चंडीगड़ साइड आ सकते हो क्या? वो बोला- क्यों क्या हुआ? मैंने कहा- मैं रात का यहाँ मेरी दोस्त के पास रुका हुआ हूँ.. अगर फ्री हैं तो आजा एक साथ मस्ती करेंगे। वो बोला- चल देखता हूँ। मैंने कहा- देखना नहीं.. तू आ जा बस चले आ।
मैंने उसे थोड़ा जोर दिया तो वो आने के लिए तैयार हो गया।
अब मैंने फ़ोन काट कर नीलू को अपनी बांहों में भर लिया और एक किस करके उसके मम्मे दबाने लगा। वो बोली- अभी घर का काम करने दो, तुम्हारे दोस्त को भी आना है इसलिए पहले साफ़-सफाई कर दूँ।
मैंने उसे छोड़ा.. और मैं थोड़ा टहलने लगा और वो शालू के साथ मिल कर सफाई करने लगी।
करीब 9 बजे तक नाश्ता तैयार हो गया था, उसने शालू को नाश्ता अपने बेडरूम में ही लाने को कह कर मुझे अपने कमरे में आने के लिए आवाज दी।
शालू वहाँ पर ही हमारे लिए नाश्ता ले आई, मैं और नीलू एक साथ नाश्ता करने लगे। शालू हमें नाश्ता करवाती रही।
शालू जब किचन में थी तो नीलू ने मुझसे कहा- मैं तुमसे एक बात करना चाहती हूँ। मैंने कहा- करो।
उसने बातें करते हुए बताया- अगर हम शालू को अपने साथ मिला लें तो इसका हम सभी को फायदा रहेगा.. एक तो कोई डर नहीं रहेगा। इसके बाद आप जब मर्जी आओ और जब मर्जी जाओ.. दूसरा हम खुल कर मजा ले सकते हैं, तीसरा शालू को कल को हमारे बारे में ऐसे पता चलता है.. तो वो आगे बता सकती है। अगर वो हमसे मिली होगी तो किसी भी तरह कोई बात आगे नहीं बताएगी और न ही अपने घर पर कोई बात करेगी।
मैंने कहा- ये होगा कैसे?
साथियों चूत की आग बहुत तेज होती है जब ये भड़कती है तो आगे-पीछे कुछ नहीं देखती है। इसी का वर्णन कहानी के अगले भाग में करूँगा। आपके मेल मिल रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि आगे भी आपका प्यार मुझे मिलता रहेगा। [email protected] कहानी जारी है।
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