भाभी की मदमस्त जवानी और मेरी ठरक-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

हाय दोस्तो.. मैं भी अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। यह कहानी मेरे और मेरी जैसमीन भाभी जान के बीच की है.. जो मेरे मामा के लड़के की बीवी हैं। भाभी काफ़ी सेक्सी और सुन्दर हैं, उनके चूचे 38 इंच के हैं और उनकी गाण्ड भी 38 इंच की मस्त उठी हुई है। उनके तने हुए चूचे और उठी हुई गाण्ड देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है।

मैंने जब से भाभी को देखा था.. तभी से उनकी मस्त जवानी का दीवाना बन गया था।

जब मेरे भाई की उनसे सगाई हुई थी उसके बाद से जब भी किसी त्यौहार के अवसर पर घूमने जाना होता.. तब मैं भाभी के घर ही जाना पसंद करता था। तब मेरी उम्र एक नए-नए हुए जवान लौंडे की थी।

निकाह से पहले ऐसे ही एक मौके पर मेरा भाई और मैं जब भाभी के घर उनसे मिलने के लिए गए.. तो हमारी बड़ी आवभगत हुई।

कुछ देर बाद भाभी हमें पानी देने आईं.. तो उस वक्त उन्होंने नेट वाली पीले रंग की ड्रेस पहनी हुई थी.. जिसमें उनके काले निप्पल एकदम साफ़ दिख रहे थे।

आह.. उनके निप्पलों को तो मैं एकटक देखता ही रह गया। उन्होंने अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी थी। मेरा तो उनके चूचों की गोलाई देखकर ही उनको चूसने का मन हो गया।

हम लोगों का समुन्दर किनारे घूमने जाने का प्रोग्राम बना तो वो राजी हो गईं और तैयार होने अन्दर चली गईं। जब वो तैयार हो कर आईं.. अय हय.. मैं तो बस लौड़ा पकड़ कर ‘आह्ह..’ भर कर रह गया।

मैं, मेरा भाई और भाभी हम तीनों बाइक पर बैठ कर निकल पड़े। मेरा भाई गाड़ी चला रहा था.. मैं बीच में बैठा था और मेरी भाभी मेरे पीछे थीं। मैं उनसे छोटा और सब का लाड़ला था.. इसलिए उन्हें मेरे बीच में बैठने से कोई आपत्ति नहीं थी।

जब भाई ब्रेक लगाते.. तो मेरी भाभी के चूचे मेरी पीठ पर टच होते थे।

आह.. मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मेरा नौजावान लम्बा लंड एकदम क्रान्ति करने पर उतारू हो उठता। मुझे यूं लगता कि अभी नीचे लिटा कर भाभी की चूत में लौड़ा घुसा दूँ। लेकिन मैं भी उनका लाड़ला था।

इस तरह हम सभी समुन्दर किनारे पहुँच गए और बाइक एक तरफ लगा कर घूमने लगे। उधर और लोग भी आए थे।

उन सबके साथ हम सबने दोस्ती की और बीच पर बॉल खेलने के लिए मिल रही थी तो हम सभी खेलने लगे।

मेरी भाभी भी हमारे साथ खेल रही थीं। जब भाभी बॉल लेने दौड़तीं तो उनके चूचे गजब उछाल मारते दिख रहे थे। हमारे कपड़े भी पानी से कुछ भीग गए थे।

मैं ये सब बड़े ध्यान से देख रहा था।

फिर कुछ देर बाद यूं ही मस्ती करने के बाद हम तीनों नाश्ता वग़ैरह करके घर के लिए निकल पड़े। अब तक शाम के 7 बज गए थे।

भाई ने बाइक स्टार्ट की और मैं बीच में बैठ गया। मेरी भाभी मेरे पीछे बैठ गईं। भाभी के चूचे गरम हो चुके थे और मेरी पीठ को छू रहे थे। उनके चूचों के गरमागरम स्पर्श ने मुझे भी गरम कर दिया।

थोड़ी चले तो हवा लगने से भाभी को गीले कपड़ों में ठंड लगने लगी थी। उन्होंने भाई से कहा..

तो भाई ने कहा- मेरे भाई को पकड़ लो। लेकिन भाभी शर्मा रही थीं।

मैंने भाई से कहा- भाई भाभी को बीच में बिठा लो.. मैं पीछे हो जाता हूँ। भाई ने कहा- हाँ ये ठीक रहेगा।

अब मैं भाभी के पीछे बैठ गया। मेरे पीछे बैठने से मेरा लंड भाभी की गाण्ड को छूने लगा। उनकी गाण्ड की दरार में लौड़ा लगने से मुझे कुछ हो रहा था और मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया।

मेरा खड़ा लौड़ा भाभी को चुभने लगा था लेकिन भाभी कुछ बोल नहीं पाईं।

भाई गाड़ी चला रहे थे.. सड़क खराब थी ओर गड्डे भी ज्यादा आ रहे थे। मैं गिर सकता था।

मैंने भाई से कहा- भाई धीरे चलाओ.. मैं गिर जाऊँगा.. पकड़ने के लिए भी कुछ नहीं है। भाभी ने कहा- आप मुझे पकड़ लीजिए।

उनका कहना था और मैंने तुरंत भाभी की कमर में हाथ डाल दिया। अंधेरा होने के कारण कोई देख भी नहीं रहा था।

मैंने भाभी को कमर से पकड़ रखा था और गड्डा आने की वजह से हम उछल रहे थे.. तब कई बार मेरा हाथ भाभी के मम्मों को छू लेता था। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

एक-दो बार मैंने मम्मों को अनजान बन कर दबा भी दिया। भाभी कुछ नहीं बोलीं.. शायद उनको भी मजा आ रहा था।

ऐसे ही हम घर आ गए। भाभी को उनके घर छोड़ा और हम अपने घर पहुँच गए।

मैंने घर पहुँच कर 4 बार मुठ मारी.. मुझे तो बस बार-बार भाभी के चूचे याद आ रहे थे।

उनकी चूचियों की याद करते हुए मैं सो गया।

अगर आपको मेरी कहानी का अगला भाग पढ़ने का मन है.. तो प्लीज़ मुझे ईमेल कीजिए। [email protected]

फ्री सेक्स स्टोरी का अगला भाग : भाभी की मदमस्त जवानी और मेरी ठरक-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000