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नमस्कार दोस्तो.. मेरा नाम साहिल है और ये मेरी पहली स्टोरी है.. जो मैं आप सबके सामने पेश कर रहा हूँ।
यह एक सच्ची कहानी है, परन्तु इसमें नामों को बदला गया है। ताकि इस कहानी से सम्बन्धित लोगों की निजता बनी रहे। यह कहानी मेरे जीवन का सबसे हसीन लम्हा है.. जो मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मैं पढ़ता था। उस वक्त मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था।
उस परिवार में एक लड़की थी.. जो कि बेहद खूबसूरत थी। उसका नाम सरिता था.. वो मुझसे एक क्लास आगे थी। पर पड़ोस में होने के कारण मेरी और उसकी अच्छी दोस्ती थी.
मैं अधिकतर उसके ही घर में घुसा रहता था, ख़ास तौर पर गर्मी की शाम तो उसके साथ ही खेलने में बिताता था। हमारा सबसे पसंदीदा खेल मम्मी और पापा वाला खेल था.. जिसमें वो मम्मी और मैं पापा बनता था।
इन्हीं सब खेलों के बीच में हम वो सब कर जाते थे जो कि एक पति और पत्नि के बीच होता है.. बस अनुभवहीनता के चलते चुदाई ही नहीं हो पाती थी।
मैं अक्सर उसके घर शाम के समय लाइट न होने पर जाता था.. ताकि मुझे उसके साथ कुछ करने का मौका मिले और मैं हमेशा ही इसमें कामयाब होता था।
पर जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे हमारी ये आदत बनती गई और जब हम बड़े और समझने के काबिल हुए तब तक हम सेक्स की गिरफ्त में आ चुके थे।
इन सबके बीच एक बार मैं और सरिता उसके ही घर में थे और उस वक्त घर में कोई नहीं था। ऐसा मौका देख कर मेरे अन्दर वासना जाग उठी।
मैं इस आग को शान्त करने के लिए उसके पास गया। मैं बोला- सरिता सुन.. मुझे आज फिर से वही मम्मी-पापा वाला खेल खेलना है।
पहले तो उसने बहुत मना किया.. पर मैं जिद पर अड़ा रहा.. पर वो नहीं मानी और जाकर दूसरे कमरे चली गई।
मैं कुछ देर बैठा रहा और यही सोचता रहा कि कैसे मैं उसके साथ सेक्स करूँ?
फिर मैं उस कमरे में गया.. जहाँ वो सो रही थी।
मैं उसकी गांड के पास जाकर बैठ गया और सोचने लगा कि इसे कैसे तैयार करूँ।
मैंने देखा कि वो बड़े ही आराम से सोई हुई है। मैं उसके पूरे बदन को देख रहा था और देखते हुए ही मेरा एक हाथ उसकी गाण्ड को सहलाने लगा।
जब मैंने देखा कि इस पर उसने कोई आपत्ति नहीं की.. तो मैं पूरे जोश में उसकी गाण्ड को जोर से मसलने लगा।
बीच-बीच में मैं उसकी गाण्ड को चूम भी लेता.. मेरा हाथ अब आजादी के साथ उसकी गाण्ड में उगंली किए जा रहा था।
धीरे-धीरे मैं ऊपर की तरफ चढ़ाई कर रहा था। मैंने उसके पेट को सहलाते हुए उसकी चूचियों पर भी हमला बोल दिया.. पर वो अभी तक सोने का नाटक कर रही थी।
अब मैं खुल कर उसकी चूचियों को भी सहलाए जा रहा था। जब मैंने देखा कि अब वो भी जोश में आ गई है।
तो मैंने धीरे से उसके कान में कहा- अब चल ना सरिता.. कब तक मैं ऐसे ही करता रहूँगा और अपना लन्ड हाथ से हिलाता रहूँगा।
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और उठ कर चली गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे चल दिया।
वो बाथरूम के अन्दर गई और मैं भी उसके साथ बाथरूम में चला गया।
जैसे ही मैं अन्दर गया उसने तुरन्त दरवाजे को बन्द कर दिया। फिर मैं और वो एक-दूसरे को बांहों में आ गए और एक-दूसरे को चूमने लगे।
करीब 15 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूमते रहे। इसी बीच जाने कब हम दोनों बिना कपड़ों के हो गए और एक-दूसरे को चाटे जा रहे थे।
फिर धीरे से वो मेरे लन्ड को अपने नाजुक हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर उसने नीचे बैठ कर लन्ड को मुँह में ले लिया और चाटने लगी। जब उसने मेरे लन्ड को मुँह में लिया.. तो बस ऐसा लगा कि अब सब कुछ यहीं थम जाए। उसने मेरे लन्ड को दस मिनट तक चाटा।
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए। मैं उसकी चूत की गुलाबी फांकों को बेतहाशा छेड़ता और चाटता रहा। इसी बीच वो झड़ चुकी थी और मैं भी एक बार उसके मुँह में ही झड़ चुका था।
अब ये सब उससे सहन नहीं हो रहा था, सरिता बस चुदना चाहती थी। अब मेरी मुराद भी पूरी होने वाली थी। उसने सोचा कि मैंने इतना कुछ अपने से कर दिया तो चुदाई की शुरूआत भी मैं ही करूँगा.. पर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया।
तो वह खीजते हुए बोली- साले अब चोदेगा भी कि कुत्ते की तरह चूत ही चाटता रहेगा?
बस मुझे उसके मुँह से यही सुनना था। मैंने लन्ड को उसकी चूत पर लगाया और जोरदार शॉट लगाते हुए एक बार में ही पूरा का पूरा लन्ड अन्दर घुसा दिया।
इससे उसको इतना दर्द हुआ कि वो गालियां देने लगी.. पर मैं भी कमीना था, वो जितना गन्दी गाली दे रही थी.. मैं भी लन्ड को उतनी जोर के साथ अन्दर ठेल रहा था।
ऐसा करने पर उसको और आनन्द आने लगा, इससे वो मुझे और उत्साहित करने लगी.. जिससे हम दोनों ही कुछ मिनट के इस वासना के युद्ध में अपने चरम पर पहुँच गए और हम दोनों ने ही इस युद्ध में परमसुख को पा लिया।
जैसे ही हम अपनी वासना की आग को शान्त करके बाहर निकले.. कुछ मिनट में उसका भाई आ गया और पूछने लगा- तुम यहाँ कैसे? मैंने कहा- यार, मैं ये ही पूछ रहा था सरिता से.. कि तू कहाँ गया है?
वो कुछ नहीं बोला और उधर से चला गया।
इसके बाद हम दोनों मुस्कुरा दिए।
अब तो चूत खुल चुकी थी तो हम दोनों ने कई बार एक-दूसरे की वासना की आग को शान्त किया।
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