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हाय फ्रेंड्स, मैं बड़ोदरा गुजरात से हूँ। मेरा नाम इकबाल है। परन्तु सब मुझे सचिन के नाम से बुलाते हैं.. क्योंकि मैं क्रिकेट में बल्लेबाजी सचिन की तरह करता हूँ।
यह कहानी है एक तलाक़शुदा भाभी की, जो मेरे बाजू वाले फ्लैट में नई-नई रहने आई थीं। हमारे पड़ोस वाला ये फ्लैट काफी दिनों से खाली पड़ा था, पर अब उसमें कोई रहने आया था। पता करने पर पता कि कोई फैमिली आई है। उनके घर में सिर्फ़ माँ और उसकी 5 साल की बेटी है।
मैं फ्री टाइम में घर में ही रहता था। मैंने एक दिन उसको बुरके में देखा। उसकी सिर्फ़ आँखें दिखाई दे रही थीं। पर क्या नशीली आँखें थीं.. उतने में ही समझ में आ गया कि क्या चीज हो सकती है।
यूं तो हम दोनों दरवाज़े के बाहर ही आमने-सामने थे। मैंने उनको आदाब किया- हैलो भाभी.. मैं इकबाल उर्फ़ सचिन हूँ.. आपका पड़ोसी हूँ। शाज़िया- ओह आई एम शाज़िया!
मैं- कहाँ जा रही हैं आप? शाज़िया- वो स्कूल में मुस्कान का एड्मिशन करवाना था। पिछले दो दिन से चक्कर लगा रही हूँ.. पर लगता है एड्मिशन नहीं होगा। अब देर हो गई है ना.. वो लोग कह रहे थे कि सब सीट्स फुल हैं।
मैं- आप चलिए.. मैं आपकी हेल्प कर देता हूँ। मैं उन्हें स्कूल ले गया और एड्मिशन करवा दिया.. क्योंकि मैं भी उसी स्कूल का स्टूडेंट रह चुका था।
शाज़िया ने मुझे शुक्रिया कहा और अपने घर चाय पीने आने को कहा।
मुझे तो इसी का इन्तजार था मैंने शाम को उनके घर गया और चाय पीते हुए हम दोनों बातें करने लगे।
मैं- भाभी, मुझे पता चला कि आपका तलाक़ हो चुका है? आपने दूसरी शादी क्यूँ नहीं की? मुस्कान को अपने पापा की कमी महसूस नहीं होती? शाज़िया- हाँ मैंने सोचा तो था, लेकिन कौन शादी करेगा अब मुझसे? मैंने कोशिश की थी.. पर कोई अच्छा इंसान नहीं मिला। दो-तीन लोगों ने कहा कि मुझे मुस्कान को छोड़कर शादी करनी पड़ेगी। मैंने इनकार किया तो उन्होंने ‘ना’ कर दी।
मैं- लेकिन भाभी आप तो अभी भी जवान हो.. आपको तो कोई भी अच्छा लड़का मिल जाएगा। आँखों से तो आप खूबसूरत भी लगती हो। आपका चेहरा मैंने अभी देखा नहीं ना, तो भाभी मैं बहुत कुछ आपके बारे में नहीं कह सकता हूँ।
शाज़िया- ओफ्फो.. तो आपको चेहरा देखना हैं ना.. अरे सचिन मैं बाहर जाते वक्त और बाहर वालों के सामने बुरका पहनती हूँ… तुम तो अब अपने हो! कहकर भाभी ने अपना बुरखा उतार दिया।
उनके हुस्न के जलवे से मेरा लौड़ा खड़ा हो गया और उन्होंने भी मेरी आँखों की चमक को परख लिया था। अब हम दोनों की बातें शुरू हो गईं।
शाजिया- मेरे शौहर मुझसे कहते थे कि मैं मोटी हो गई हूँ.. और फिर उनको अपने ऑफिस में आलिया नाम की लड़की से प्यार हो गया.. तो उन्होंने मुझे तलाक़ दे दिया। अब छोड़ो इन बातों को.. तुम तो अभी जवान हो तो गर्लफ्रेंड्स कितनी हैं तुम्हारी? मैं- मेरी एक गर्लफ्रेंड थी.. जिससे ब्रेकअप हो चुका है।
शाज़िया- ओह आई एम सो सॉरी इकबाल.. पर तुम्हें कोई अच्छी सी लड़की मिल जाएगी.. डोंट वरी। मैं- आई होप सो भाभी.. वैसे मुझे मजहबी गर्लफ्रेंड मिले तो मेरी खोज पूरी हो।
मैंने उन्हें ऐसा इसलिए कहा कि मुझे उन्हें पटाना था। वैसे मुझे तो सभी हॉट और गरम लौंडिया पसंद आती हैं।
शाज़िया- ओह अच्छा? क्या बात है इकबाल.. मजहबी लड़कियाँ ही अच्छी लगती हैं तुम्हें? मैं- हाँ भाभी.. मुझे मजहबी लड़कियाँ ही अच्छी लगती हैं। मुझे लगता है उनमें एक कशिश होती है और बहुत प्यारी और.. और.. रहने दो भाभी।
शाज़िया- अरे बोलो ना.. क्या हुआ? बोल भी दो.. देखो मैं बुरा नहीं मानूँगी.. बोल दो। मैं- वो..वो भाभी.. मुझे लगता है मजहबी लड़कियाँ बहुत सेक्सी होती हैं.. मुझे तो एकदम हॉट लगती हैं।
शाज़िया- ओह सच में..! मुझे उम्मीद है कि तुमको मजहबी गर्लफ्रेंड मिल जाएगी। वैसे शाम को क्या कर रहे हो? भाभी की चुदास मुझे समझ में आने लगी थी।
‘भाभी आज मेरे घर के सभी लोग 2-3 दिन के लिए बाहर जा रहे हैं.. तो मैं घर पर ही रहूँगा।’ ‘ओह.. तुम्हारे घर वाले कहीं जा रहे हैं ना 2-3 दिन के लिए? तो शाम का खाना यहाँ क्यूँ नहीं खा लेते? मैं- ओके भाभी..
मैंने तुरंत ‘हाँ’ कर दी और और घर आकर मैं रात होने का इंतज़ार करता रहा।
मैं रात को 9 बजे उनके घर गया। भाभी तब खाना बना रही थीं, उन्होंने मुझे बैठने का बोला।
मैं उनकी लड़की के साथ खेलने लगा। कुछ देर बाद मैं पेशाब करने उनके बाथरूम में गया तो देखा बाथरूम में उनकी पैन्टी सूखने के लिए टंगी थी।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पैन्टी को सूंघना शुरू कर दिया। उफ़फ्फ़ कितनी मादक खुशबू थी।
मेरा हाथ अपने आप मेरे ट्राउज़र में गया और मैंने उनकी पैन्टी मेरी अंडरवियर के अन्दर डाल ली और मेरे लंड पर रगड़ने लगा, शाज़िया के नाम से लौड़ा हिलाना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद मैंने अपना सारा वीर्य उनकी पैन्टी पर निकाल दिया। झड़ने के बाद मैं थोड़ा सा डर गया कि कहीं उनको पता ना चल जाए इसलिए पैन्टी को सूखने के लिए एकदम कोने में रख दिया।
अब हम दोनों ने फिर खाना खाया। खाना होने के बाद शाज़िया ने अपनी लड़की को दूसरे कमरे में सुला दिया और बोला- मैं नहाकर आती हूँ। थोड़ी ही देर में वो बाथरूम से बाहर आईं।
वो पैन्टी दिखाते हुए बोलीं- सचिन इकबाल.. ये क्या है? तुमने मेरे पैन्टी पर ये क्या डाल दिया.. गीला-गीला सा चिप-चिपा सा लग रहा है?
मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। मैं- भाभी वो.. वो.. मेरे..
भाभी ने पैन्टी को अपने होंठों से लगाया और पैन्टी पर मेरा लगा हुआ वीर्य चाटने लगीं। उनके कंठ से ‘उम्म्म उम्म्म…’ की आवाज आई।
शाजिया ने अपनी चूत खुजाते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में कहा- सचिन.. तुमने इससे वेस्ट क्यूँ किया.. मुझे कह देते.. मुझे इसका टेस्ट बहुत अच्छा लगता है.. उम्म्म्..
मैं भाभी का इशारा समझ गया और मैंने उन्हें आँख मार दी, तो उन्होंने अपने बाँहें मेरी तरफ फैला दीं।
अब मैंने भाभी को पकड़ा और उनको खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया, फिर मैंने अपने होंठों को उनके होंठों पर रगड़ना शुरू किया। हम दोनों ‘उम्म मुऊऊउआहह.. मुआहह..’ करके एक-दूसरे को ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगे।
मैं- शाज़िया.. मेरी रानी.. अपनी जीभ तो चखने दो ना। ‘ले लो ना मेरे प्यारे रसिया..’ वो बोल पड़ी और अपनी जीभ उसने होंठों से थोड़ी बाहर कर दी।
मैं उसकी जीभ पर अपनी जीभ फेरने लगा।
उसने सलवार-कमीज़ पहन रखा था, मैं कमीज़ के ऊपर से उसके मम्मे दबाने लगा। वो ‘उम्म्म ओम्म..’ करके सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने उसकी जीभ को अपने होंठों के बीच ज़ोर से दबाकर खूब चूसा और फिर उसकी रसीली जीभ पर अपने होंठ रगड़ने लगा। उसने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन के पीछे डाल दिए और मेरे बालों में फेरने लगी।
‘शाज़िया कैसा लगा तुझे तेरा रसिया?’ मैंने पूछा। ‘ओह्ह रसिया.. ये औरत कब से प्यासी है तेरे लिए..’ वो बोल पड़ी। ‘शाज़िया तू तो एकदम रंडी लग रही है’ मैंने उसके बाल खींचते हुए कहा। ‘ओह सचिन.. दिखा दे मुझे कि एक रंडी की क्या औकात होती है।’
अब मैंने उसकी सलवार-कमीज़ को उतार दिया और उसको बिस्तर पर ले आया। मैंने उसके मम्मों को चूमना शुरू किया और खूब चूसा। अपने दांतों से हल्के से लव बाईट भी किया।
‘उम्म्म्म ओह.. आज सब कुछ कर ले मेरे साथ.. मेरे दल्ले..’ वो धीरे से बोली। मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके मम्मों को हाथ में लेकर दबाने लगा। पहले धीरे से मसला और फिर ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। ‘ओह अम्मी.. सचिन तू तो पूरा भाभीचोद निकला है.. धीरे.. उउआहह..’
फिर मैंने उसके मम्मों को भंभोड़ा तो वो एकदम ज़ोर से मस्ती भरी आवाज में सीत्कार करने लगी।
‘साली छिनाल आज तुझे 2 कौड़ी की रांड की तरह चोदूंगा..’ ‘आआहह सचिन.. मेरी जान.. जैसे चाहे चोद ले.. अब से ये जवानी सिर्फ़ तेरी होगी बहनचोद..’
मैंने उसका एक निप्पल अपने मुँह में ले लिया और उसको धीरे-धीरे चूसने लगा। फिर मैंने उसके निप्पल को ज़ोर-ज़ोर से मींजना शुरू कर दिया। इसी के साथ दूसरे चूचुक पर अपनी जीभ फेरने लगा।
‘ऑहह.. एम्म्म मेरे प्यारे राजा.. तुझे अच्छी तरह पता है कि औरत को कैसे खुश किया जाता है.. ज़ोर-ज़ोर से चूस ले.. अपनी रंडी की चूचियाँ.. रोज़ आकर ऐसे ही प्यार किया कर मुझे.. अहह.. कितने महीनों से लौड़े के लिए प्यासी हूँ.. सचिन..’
अब मैं उसकी चूची को अपने दाँतों से काटने लगा.. फिर उसको ऊपर उठाकर बिठा दिया।
‘चल थूक अपने मम्मों पर मादरचोद..’ ऐसा कहते ही उसने अपना थूक चूचियों पर टपका दिया। मैं उसके मम्मों पर से उसका थूक चाटने लगा, फिर उसके मम्मों को काटने लगा।
दोनों मम्मों पर मैंने ‘लव बाइट्स’ दिए। उसके दोनों मम्मों पर अपनी जीभ घुमाकर उनको अपनी थूक से गीला किया। ‘उम्म्म मेरा दल्ले राजा.. चूस ले अपनी छिनाल की चूचियाँ..’
मैं उसके पेट को चूमने लगा और फिर उसकी नाभि में अपनी जीभ डालकर गोल-गोल घुमाने लगा।
‘उम्म्म्म उम्म्म..’ वो मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगी और सीत्कार करने लगी ‘अहह सचिन..’
मैंने उसकी नाभि को धीरे से काट लिया और वो अपनी कमर ऊपर करके सिसकारियाँ भरने लगी ‘उम्म्म सचिन उम्म्म..’
मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी पैन्टी उतार दी, उसकी गांड पर अपने दोनों हाथ फेरे।
‘उम्म्म सचिन… गांड कैसी लगी मेरी?’ ‘बहुत अच्छी है मेरी छिनाल..’ ‘मेरे पति ने कभी मेरी गांड को नहीं छुआ.. उम्म तुम छू लो.. आज जितना जी करे मेरे रसिया..’
मैंने उसकी गांड को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू किया।
‘अहह उउउफ्फ़.. म्म्मार..’
मैंने उसकी गांड को चूमना शुरू किया अब और अपने होंठों को उसकी गांड पर ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया। मैं अपनी जीभ से उसकी गांड चाटने लगा और उसकी गांड को दातों से ज़ोर-ज़ोर से काटने लगा।
‘ऑहह.. मर गइईई.. अहह.. सचिन..’
अब मैंने उसके चूतड़ों को फैलाया और उसकी गांड के छेद पर थूक दिया, फिर मैंने उसके छेद पर उंगली रगड़ना शुरू किया। ‘अहह अहह.. उंगली अन्दर डाल दे कमीनेएई..’
मैंने उसकी गांड के छेद पर उंगली ज़ोर-ज़ोर से रगड़ना शुरू किया और फिर उंगली उसकी गांड में डाल दी। वो भी गांड को मेरी उंगली पर धकेल रही थी- उफ़फ्फ़ और अन्दर डालो ना सचिन.. और अन्दर डालो प्लीज़..
मैंने उंगली ज़ोर से अन्दर डाल दी और अपनी उंगली की टिप को मोड़ कर उसकी गांड में ज़ोर-ज़ोर से छेड़कानी करनी शुरू की। ‘आअहह.. अहह.. ऐसा कभी नहीं हुआ मुझे.. ओह मेरी चूत गीली हो गई है बहनचोद.. चूत फाड़ दे मेरी आज..’
मैंने उसकी गांड पर ज़ोर से थप्पड़ मारा, फिर उसको बिस्तर पर लिटाया। अब मैं उसकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगा और रगड़ने लगा। अपने होंठों को उसकी गीली शेव्ड चूत पर लगा दिया।
वो अपनी कमर उठाकर जैसे अपनी चूत मुझे दे रही थी ‘अहह ओह.. सचिन अच्छा लग रहा है.. बहुत अच्छा.. आहह..’
मैंने अपने होंठों को खोला और ज़ोर से उसकी चूत पर अपना खुला मुँह दबा दिया। फिर मैंने मुँह को बंद किया और उसकी चूत को मेरे होंठों के बीच खींच लिया। उसकी चूत से पानी आने लगा, मैंने उसका सारा रस अपने मुँह में ले लिया।
‘उम्म्म ओमम्म..’
फिर मैंने उसकी चूत के होंठों को धीरे से मसला।
‘आहह हाय ऑहह.. और करो सचिन उम्म्म्म..’
मैंने अपने हाथ उसके मम्मों पर धर दिए और मम्मों को दबाने लगा। साथ ही मैं धीरे-धीरे उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत पर अपनी जीभ को ऊपर से नीचे तक खूब रगड़ा।
‘उम्म्म्मम ओअह..’
फिर उसकी चूत के होंठों को खोलकर उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ डाल दी। मैंने जीभ को ज़ोर-ज़ोर से चूत के अन्दर रगड़ना शुरू किया। वो मेरे बालों को पकड़कर अपनी चूत पर मुझे दबाने लगी- और करो अहह.. ओह्ह.. सचिन.. मुझे तुम्हारा लंड चूसना है।
मैं उठकर खड़ा हो गया और मैंने अपना लंड उसको दिखाया। वो अपने घुटनों पर आ गई। मैंने लंड के टोपे को पीछे किया और उसको अपना मस्त गुलाबी सुपारा दिखाया।
‘उम्म तुम्हारा लंड कितना प्यारा लग रहा है.. उम्म्म्म..’ उसने मेरा लंड पकड़कर मुँह में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से मुँह को आगे-पीछे करते हुए लौड़े को रगड़ने लगी।
‘अहह उम्म्म शाज़ियाअ.. बहुत अच्छा चूसती है तू हरामज़ादी..’
फिर मैंने उसके गालों को पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड उसकी मुँह में अन्दर-बाहर किया। अपना लंड उसके मुँह में ज़ोर से पेला, जिससे मेरे लंड का सुपारा उसके गले पर लगने लगा।
‘उम्म एम्म्म..’
उसने लंड बाहर निकाला और बोली- सचिन अब रहा नहीं जाता.. डाल दो अपना ये लौड़ा मेरी चूत में.. ना जाने कितने दिनों से प्यासी है.. देखो चूत से अभी भी पानी बह रहा है। चादर गीली हो गई है.. चूत से टपकते हुए पानी से.. डाल दो.. डाल दो अपना लौड़ा मुझमें..
वो लेट गई और मैंने अपने लौड़े का सुपारा उसकी चूत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ा। फिर लंड को उसकी चूत में धकेल दिया।
‘अहह सचिन उम्म..’
मैंने उसके चूतड़ों को पकड़कर अपनी ओर खींचा और एक ज़ोर का झटका देकर पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो ज़ोर से कराह उठी- अहह..
फिर मैंने उसकी चूत से लंड को अन्दर-बाहर किया और ज़ोर-ज़ोर से उसको चोदने लगा। चुदाई करते वक़्त मैंने उसके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू किया, उसकी चूचियों को मींजा।
‘उफ्फ़ तुम आज मुझे मार ही डालोगे..’
मैं उसकी ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करता रहा और वो भी अपनी कमर उठा-उठाकर मुझे साथ देने लगी। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया.. तो वो मेरी तरफ देखकर गुस्सा हो गई।
‘क्यूँ निकाल दिया बहनचोद?’ ‘घोड़ी बन जा कुतिया.. तुझे दूसरे एंगल में चोदूंगा।’
वो तुरंत अपने घुटनों और हाथों पर आ गई और मैंने पीछे अपना लौड़ा उसकी चूत में डाल दिया।
‘अहह तेरा लौड़ा मुझे रोज़ चाहिए सचिन.. रोज़्ज़्ज़ अहह..’
फिर मैंने उसको ज़ोर-ज़ोर से पेलना शुरू किया.. उसकी गांड पर थप्पड़ मारे।
‘सचिन अपना पूरा पानी निकाल दो इस चूत में.. तुम्हारा बीज चाहिए मुझे मेरी चूत में।’
मैंने अपना लौड़े उसकी चूत में ज़ोर-ज़ोर से धकेला और फिर उसकी चूत में अपने लौड़े का सारा लावा डाल दिया।
‘उम्म्म्मम.. शाज़िया..’
उसी वक़्त वो भी झड़ गई और उसका सारा पानी मेरे लौड़े पर फव्वारे की तरह टूट पड़ा।
मैं लंड बाहर निकालकर बगल में गिर गया। हम दोनों लेट गए।
‘शाज़िया तुम प्रेग्नेंट हो गई तो?’ ‘नहीं मैं कल ही अनवॉंटेड 72 ले लूँगी.. तुम्हारा लौड़ा अब रोज़ जो लेना है मुझे।’
दोस्तो, यह कहानी थी शाजिया भाभी की… आपको पसंद आई या नहीं, मुझे मेल अवश्य करें। [email protected]
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