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मेरा नाम सरदार है। मैं अन्तर्वासना की कहानियों का बड़ा आदी हूँ.. नियमित पढ़ता हूँ। मैं अभी 23 साल का हूँ, कानपुर में रहता हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी-पापा, मैं और मुझसे बड़ा एक भाई है।
वैसे मूलत: मैं गाजीपुर के एक गाँव का रहने वाला हूँ, पर पापा की नौकरी कानपुर में लगने के कारण हम लोग यहीं रहने लगे। लेकिन हमारे यहाँ शादी-ब्याह अब भी हमारे गाँव से ही होते हैं।
यह कहानी 3 साल पहले की है, जब मैं ग्रेजुऐशन कर रहा था।
मेरे भईया एक कंपनी में काम करते थे। उनकी शादी आज से छ: साल पहले हुई थी, पर गौना (विदाई) नहीं हुआ था। तीन साल बाद जब गवना होने को आया, तो मेरे भईया की नौकरी एक कंपनी में लग गई थी और उन्हें ट्रेनिंग के लिए बाहर जाना पड़ा, जिसके कारण वो अपने गवने में न आ सके।
सारी रस्में निभा कर हमारी भौजी घर आ गईं। सब लोग खुश थे बस भौजी को छोड़कर.. जो उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था।
मैं समझ गया कि इनका मुँह क्यों लटका है, मैंने उन्हें प्यार से समझाया। अब वो अपने भाग्य को कोसने के अलावा करती भी क्या..?
फिर जैसे तैसे करते बिना सुहागरात हुए बात बीत गई। हँसमुख स्वभाव होने के कारण हमारी उनसे खूब बनने लगी।
कुछ दिन बीतने के बाद हम लोग कानपुर आ गए। हम लोग यहाँ और खुल गए, इतना कि अब हम लोग हमेशा साथ-साथ रहते थे। कभी-कभी तो वो मुझे किस भी कर लेती थीं, मुझे अच्छा लगता था।
एक दिन मैं उनके कमरे में दोपहर में सो रहा था, भाभी अपना काम करने में लगी थीं। काम निपटाकर वो भी आकर बगल में लेट गईं।
मेरी नींद खुली तो देखा भाभी गहरी नींद में सो रही थीं, उनकी साड़ी का पल्लू हट गया था, उनकी मोटी-मोटी चूचियाँ कमाल की लग रही थीं।
मैं भाभी के बारे में बता दूँ कि मेरी भाभी एकदम चौकस माल हैं। गोरे-गोरे गाल.. मोटी-मोटी चूचियाँ.. एकदम तंदुरूस्त माल.. दिखने में एकदम सोनाक्षी सिन्हा।
उनकी चूचियों को देखकर मेरा 6″ इंच का लण्ड खड़ा हो गया। मैंने उनकी चूचियों पर धीरे-धीरे हाथ फेरा।
जब कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो आहिस्ता-आहिस्ता दबाने लगा, फिर धीरे से ब्लाउज के हुक खोल दिए। अब जालीदार ब्रा में कैद चूचियाँ मस्त लग रही थीं।
मैंने ब्रा का एक हुक खोल दिया, जैसे दूसरे पर हाथ लगाया कि झट से उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मना कर दिया और दोबारा न करने की हिदायत दे दी।
मैं डर गया कि कहीं मम्मी से न बता दें, पर भाभी ने ऐसा कुछ न किया। मैं अब उनसे दूर रहने लगा।
एक दिन मम्मी किसी काम की वजह से गाँव चली गईं। उसी दिन मेरे सर में बहुत तेज दर्द हो रहा था.. तो भाभी मेरा सर दबाने लगीं।
वो मुझे दुलारते हुए कहने लगीं- अले अले मेरे लाल को क्या हो गया। और उन्होंने मेरे गाल पे दो तीन किस कर दिए।
मैं समझ गया कि आज भाभी का मूड है, मैं भी उनको चूमने लगा। उन्होंने मेरी जीभ को अपने मुँह के करीब ले लिया और होंठों से चूसने लगीं।
मैंने भाव खाते हुए कह दिया- अब बस करो। लेकिन वो बेतहाशा चूसने लगीं.. फिर धीरे से मेरे लोवर में हाथ डालकर मेरा लण्ड पकड़ लिया और लौड़े की तरफ मुँह करके उसे अपने में भर कर चूसने लगीं।
मेरा मूड खराब हो गया, मैं उनके बाल पकड़ कर उनका सर जोर-जोर से हिलाने लगा। पहली बार ये सब करने कारण मैं जल्दी ही उनके मुँह में झड़ गया, भाभी सारा माल पी गईं। मुझे तो वे मंझी हुई खिलाड़ी लग रही थीं।
मैं वहीं लेट गया। भाभी मेरा लंड सहलाती रहीं, कुछ ही मिनट में मेरा फिर से खड़ा हो गया।
भाभी बोलीं- तुमने तो मजा ले लिया.. अब मुझे भी शांत कर दो।
मैंने तुरंत ही उनके और अपने कपड़े निकाल फेंके, अब हम दोनों एकदम नंगे हो गए।
मैंने उनको अपने दोनों हाथों में उठाया और उठा कर बिस्तर पर पटक दिया।
उनकी एक चूची को मुँह में भर लिया.. दूसरी को हाथ से मसलने लगा। बारी-बारी से दोनों को चूसने के बाद मैंने उनकी बुर में एक उंगली डाली।
भाभी थोड़ा सा उचकीं, मैं उंगली अन्दर-बाहर करने लगा। फिर दो और उंगलियां डाल दीं.. भाभी सिसियाने लगीं और ‘आह.. आह.. और जोर से करो…’ करने लगीं।
फिर उनकी चूत से पानी निकलने लगा और मैं उनकी चूत को चाटने लगा। मैं सारा पानी पी गया।
भाभी बोलीं- अब नहीं रहा जाता अब अन्दर डाल दो। मैंने पूछा- क्या? तो कहने लगीं- अपना लण्ड डालो.. और क्या अपना सर डालोगे?
मैं मुस्कुराया और कहा- लो आज ठंडी हो जाओ.. आज मना लो अपनी सुहागरात। वो भी कहने लगीं- हाय मेरे राजा, मेरा तो तू ही आज के बाद असली पति होगा।
मैं खुश था कि आज पहली बार नई चूत से लंड का उद्घाटन करूँगा।
मैंने उनकी चूत पर अपना लण्ड टिकाया.. लेकिन वो आसानी से अन्दर चला गया। मैं समझ गया कि ये साली पहले से चुदवा के आई है। यह हिन्दी कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
खैर.. मैंने जैसे अन्दर डाला.. भाभी ने जोर से सीत्कार भरी और बोल उठीं- आह.. मेरे राजा आज पूरी जान लगा के चोद दे।
मैंने भी पेल-पेल कर धक्के लगाए। वो चिल्लाने लगीं ‘आह.. आह.. आह.. ईईई.. औ..और.. जोर से.. हाय.. मेरी जान.. फाड़ दे इसे.. उम्.. उम्..’
कमरे में ‘फच्च.. फच..’ की आवाज गूँज रही थी।
मैंने फिर उनकी बालों को पकड़ा और कहा- उठ मादरचोद.. बैठ मेरे लण्ड पर और कूद.. वो मेरे लंड पर बैठकर कूदने लगीं।
मैं उनकी दोनों चूचियों को दबा रहा था। कई मिनट तक अलग-अलग ढंग से चोदने के बाद मैं उन्हीं की बुर में झड़ गया और उन्हीं के ऊपर लेट गया।
इसके बाद कुछ देर मजा करने के बाद हम दोनों सो गए।
यह थी मेरी भाभी के साथ सुहागदिन की कहानी। आशा करता हूँ पसंद आई होगी। [email protected]
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