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हैलो दोस्तो, मैं अर्शदीप कौर उर्फ चुद्द्कड़ अर्श आपके सामने एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूं। कहानी शुरू करने से पहले सभी पाठकों को प्यार भरा सलाम और खड़े लंडों को चूमते हुए बहुत सारा प्यार।
मैं उम्मीद करती हूं कि इस कहानी को पढ़ने के बाद सभी लड़कों, शादीशुदा मर्दों और बड़ी आयु के मर्दों के लंड टाईट हो जाएंगें। जो मर्द और औरतें चुदाई का जुगाड़ कर सकती हैं वो चुदाई करेंगे और जो नहीं कर सकते वो लड़के सपने में मुझे चोदते हुए लंड हिलाएंगे तथा लड़कियां दमदार लंड को सपने में सोच कर चूत में ऊंगली करेंगी।
ये कहानी कुछ महीने पहले की है। मैं अंबाला किसी काम से आई थी। वहां मेरा काम खत्म होने के बाद आखरी बस मिल गई और मैं टिकट लेकर बस में चढ़ गई। उस टाईम शाम के सात बज रहे थे और अंधेरा हो चुका था। मैंने उस टाईम सफेद टाईट शर्ट, काली जींस, काले हाई हील के सैंडिल, सफेद ब्रा एवं पैंटी पहन रखे थे।
बस में भीड़ होने की वजह से मुझे खड़ी होना पड़ा। पहले तो भीड़ ठीक-ठाक थी लेकिन बस के चलने तक भीड़ काफी ज्यादा हो गई और लोग एक-दूसरे के बीच फंस कर खड़े थे। मेरे आगे-पीछे पीछे दोनों तरफ मर्द खड़े थे और मैं उनके बीच फंसी हुई थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
पहले तो मुझे लगा कहां आ गई वहीं अंबाला में अपनी सहेली के घर रुक जाती लेकिन कुछ देर में पिछले मर्द का लंड खड़ा होकर जींस के ऊपर से मेरी गांड पर टकराने लगा। मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा और सोचा कि सफर मजेदार रहेगा। करीब साढ़े 7 बजे बस चल पड़ी और लाईटें बंद हो गईं। जैसे ही लाईटें बंद हुईं पीछे वाले मर्द की हलचल बढ़ गई।
वो मेरी गांड पर अपना लंड दबाने लगा और हल्के से अपने हाथ से मेरी गांड सहला देता। शायद वो डर रहा था इसलिए जब मैं हिलती तो वो थोड़ा पीछे हट जाता। मैंने पहले उसका डर दूर करने की सोची। इस बार जब उसने मेरी गांड पर लंड दबाया तो मैंने भी अपनी गांड पीछे कर दी और उसके लंड पर धीरे-धीरे अपनी गांड हिलाने लगी।
उसने इस बार जोर से मेरी गांड पर हाथ रखा और मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रख दिया। इसी बीच मैं अपने बूब्ज़ आगे खड़े मर्द की पीठ पर दबा रही थी। वो भी पीछे दबा डालकर अपनी पीठ से मेरे बूब्ज़ दबा रहा था। मुझे बहुत मस्ती चढ़ रही थी लेकिन पहले ही स्टॉप पर वो दोनों उतर गए और मैं निराश सी हो गई। कुछ देर मैं ऐसे ही खड़ी रही और कंडक्टर सब को साईड पर करता हुआ आगे चला गया।
इसी हिलजुल में मैं एक सीट से सटकर खड़ी हो गई। करीब दो मिनट के बाद मुझे अपनी जांघों पर कुछ रेंगता महसूस हुआ जिसमें कंपन थी। मैंने नीचे देखा अंधेरे में साफ तो नहीं दिख रहा था पर वो किसी मर्द का हाथ था। मैंने गौर से देखा वो सीट पर एक लड़के का हाथ था जो मेरी जांघों पर था लेकिन घबराहट की वजह से उसका हाथ कांप रहा था।
मैंने सोचा अगर मैंने कुछ नहीं किया तो ये लड़का कहीं घबराहट की वजह से रुक न जाए। मैंने पर्स ठीक करने के बहाने मुंह नीचे करके लड़के से कहा मर्द बनकर हाथ लगाओ डर क्यों रहे हो। मेरे ऐसे कहने से उसका डर निकल गया और वो अपना हाथ मेरी चूत तक अपना हाथ घुमा कर मेरी जांघों को सहलाने लगा।
बस में पूरी तरह अंधेरा था तो हम दोनों के सिवाय और किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था। कुछ देर बाद एक स्टॉप आया और उस लड़के के साथ बैठा आदमी नीचे उतर गया। मैं उस सीट पर बैठ गई और शीशे वाली तरफ बैठ गई।
जब तक बस के अंदर लाईटें जलती रहीं तब तक हम बहुत शराफत से बैठे रहे। जैसे ही बस चली हम दोनों में फिर से आग जलने लगी। उसका हाथ मेरी जांघों को सहलाने लगा और मैं उसकी जींस के ऊपर से उसके लंड को सहलाने लगी। बातों से पता चला कि उसका नाम रजत है और वो पटियाला के पास एक गांव में कुछ दिन अपने किसी रिश्तेदार के घर कुछ दिन देख रेख केलिए जा रहा है क्योंकि उसके रिश्तेदार कुछ दिनों केलिए बाहर गए हैं और खाली घर की जिम्मेदारी उस पर है।
ऐसे ही हम पटियाला पहुंच गए तभी पता चला कि अध्यापकों ने अपनी मांगे मनवाने हेतु सड़क बंद कर रखी है। अब बस आगे नहीं जा सकती थी और मुझे पटियाला में रुकना ही था। मैंने अपनी एक सहेली को फोन करने की सोची लेकिन रजत बोला अगर मेरे साथ रुक जाती तो। मैंने भी उसके साथ जाना सही समझा क्योंकि मुझे सेक्स की तलब लग चुकी थी और तीन तीन मर्दों की छेड़ छाड़ से काफी गर्म भी हो गई थी।
मैंने उसके साथ जाने को हां कह दिया और घर फोन कर के बोल दिया के सहेली के घर रुकी हूं कल को घर पहुंच जाऊंगी। पापा ने कहा ठीक है ध्यान से जाना तो मैंने कहा मेरी सहेली और उसके पापा मुझे लेने आ रहे हैं। पापा निश्चिंत हो गए और मैंने रजत को चलने को कहा।
टाईम 9 से ऊपर हो चुका था और काफी अंधेरा भी था। रजत ने मुझे बस स्टैंड की बैक साईड पर वेट करने को कहा और वो बाईक लेने चला गया। कुछ ही मिनट में वो बाईक लेकर मेरे पास आ गया और मैं उसके पीछे बैठ गई।
शहर में तो आवाजाही थी लेकिन जैसे ही बाईक को गांव वाली सड़क पर मोडा़ बिल्कुल सुनसान रास्ता था दूर दूर तक कोई इंसान नहीं था। मैंने रजत को कस कर पकड़ लिया और अपने बूब्ज़ उसकी पीठ में गढ़ा दिए। ऐसे हम अपनी मंजिल तक पहुंच गए।
रजत ने घर का ताला खोलकर मुझे एक बैॅडरूम में बैठा कर बोला तुम यहां बैठ कर टीवी देखो मैं खाना लेकर आता हूं। रजत ने दरवाजा वाहर से बंद किया और बाईक लेकर चला गया। मैंने अपने बैग से शराब की बोतल निकाल कर शराब पी ली और सेक्स की एक गोली भी खा ली।
मैं जानती थी कि रजत पूरी तरह से सेक्स केलिए तैयार होकर आएगा तो उस केलिए गोली रखने का मतलब नहीं था क्योंकि वो भी चुदाई का मजा लेने केलिए गोली या कुछ और कर के ही आएगा। मैंने शराब वाला गिलास अच्छी तरह साफ करके वापिस किचन में रख दिया। मैंने टीवी चालू किया और गाने सुनने लगी। तभी मुझे सिगरेट की तलब लगने लगी और मैं रूम से बाहर आ गई।
मैंने खुले में सिगरेट जलाई ताकि सिगरेट की गंध न आए। सिगरेट पीकर मैं फिर रूम में आ गई शर रूम को देखने लगी। रूम में डबल बैॅड,सोफा बड़ा टेबल आदि लगे हुए थे और रूम को बहुत अच्छी तरह सजाया हुआ था। मैंने रूम को बहुत बारीकी से चैक किया कि कहीं कोई छुपा हुआ कैमरा न लगा हो। मैंने बैॅड के गद्दे को भी अच्छी तरह देखा क्योंकि उस पर मैं चुदने वाली थी वो बहुत ही नर्म और गद्देदार था।
करीब आधे घंटे बाद रजत लौट आया और टेबल पर खाना रख दिया। मैंने अब रजत को गौर से देखा वो 25-26 साल का गोरे रंग का अच्छी डील डौल वाला युवक था। उसका कद करीब 5 फीट 9 इंच और चेहरा क्लीन शेव था। उसके बाल एवं आखों का रंग काला और होंठों का रंग लाल था।
उसकी आखों में लाली थी जिससे पता चल रहा था कि वो भी शराब या कोई और नशा कर के आया है। रजत ने मुझ से पूछा कि पहले खाना खाएं या फिर पहले चुदाई का प्रोग्राम करें। उसकी जुबान थोड़ी लड़खडा़ रही थी जिससे मुझे पूरा यकीन हो गया कि उसने भी नशा किया हुआ है क्योंकि पहले वो बिल्कुल सही से बोल रहा था।
मैंने रजत से कहा पहले एक चुदाई का राउंड हो जाए उसके बाद खाना खा लेते हैं। मेरी बात सुन कर रजत खुश हो गया और सोफे पर बैठ कर मुझे पास आने को कहा। मैं सेक्सी तरीके से अपनी गांड हिलाते हुए उसकी ओर जाने लगी। मैंने रजत से कहा सच बताना तुम क्या नशा करके आए हो।
रजत बोला दारू पी है और साथ चर्स वाली सिगरेट पी है। मैंने कहा अकेले अकेले ही मेरे लिए नहीं लाए तो वो बोला दारू तो खत्म हो गई अब तो दो चर्स वाली सिगरेट ही बची हैं। मैंने कहा चलो एक सिगरेट मुझे दे दो और उसने जेब से निकाल कर एक सिगरेट मुझे दे दी।
मैंने सिगरेट सुलगा ली और दो कश लगा कर सिगरेट रजत की तरफ कर दी। सिगरेट देख कर रजत बोला नहीं यार अब सिगरेट का कश लगा लिया तो गिर जाऊंगा पहले ही टल्ली हो चुका हूं। मैंने कहा अरे यार सिर्फ एक कश लगा लो जब तक सिगरेट को तुम्हारे होंठों नहीं लगेंगे तब तक मुझे नशा नहीं होगा। मैंने अपने हाथों से रजत को एक कश लगवा दिया।
कश लगाने के बाद रजत बोला जानूं अगर मुझे मालूम होता तुम भी मेरे जैसी नशेड़ी हो तो हम एक साथ बैठ कर मजा लेते। मैंने रजत से कहा कोई बात नहीं डार्लिंग शराब एवं सिगरेट का न सही लेकिन एक-दूसरे के जिस्म का नशा तो मिलकर करेंगे।
मैं रजत के साथ सोफे पर बैठ गई और उसकी जांघों को जींस के ऊपर से सहलाने लगी। मैं रजत की जींस के ऊपर से उसके लंड को टटोलने लगी लेकिन उसका लंड खड़ा नहीं था। मैंने उसकी जींस तथा अंडरवियर निकाल दिया और उसका लंड देखा। उसका लंड मुरझाया हुआ नीचे लटक रहा था। रजत को शर्मिंदगी सी महसूस हो रही थी। मैंने रजत से पूछा कि बस।में तो तुम्हारा लंड तूफान मचा रहा था अब इसको क्या हुआ।
रजत ने कहा कि तुम्हारे साथ चुदाई से बहुत ज्यादा उत्साहित था इसी चक्कर में नशा ज्यादा हो गया और उसी की वजह से ये सब हो गया। मेरी अपने-आप हंसी छूट गई और रजत ने हंसी का कारण पूछा। मैंने उसे कहा कि नशा उतना ही करना चाहिए जितना शरीर सह सके और शर्मिंदगी की कोई बात नहीं तुम मेरा जलवा देखना कुछ ही देर में तुम्हारा लंड फिर से हुंकार भरने लगेगा और मेरी चुदाई की आग भी शांत करेगा। रजत ने कहा क्या सच में तो मैंने कहा देखते जाओ डार्लिंग।
मैंने रजत को बैॅड पर सीधा लेटा लिया और खुद भी बैॅड के ऊपर आ गई। मैंने झुककर अपने होंठ रजत के होंठों पर लगा दिए और अपने हाथ को उसके लंड पर ले गई। मैं धीरे-धीरे से रजत के होंठों को चूमते हुए उसके मुरझाए हुए लंड को हाथ में पकड़ कर खेलने लगी।
थोड़ी देर बाद रजत भी मेरे होंठों को चूमने लगा और शर्ट के ऊपर से मेरे बूब्ज़ दबाने लगा लेकिन उसके लंड में अभी पूरी तरह से जान नहीं भरी थी। मैंने अपनी शर्ट बटन खोल दिए और रजत का हाथ पकड़ कर अपनी ब्रा के अंदर डाल लिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
वो मेरे बूब्ज़ को जोर से मसलने लगा और मेरे बूब्ज़ के निप्पलों से भी खेलने लगा। वो काफी जोश से मेरे बूब्ज़ दबा रहा था लेकिन लंड में कोई ज्यादा हरकत नहीं आई थी। मैंने ऐसा पहली बार देखा था कि लड़का जोश में बूब्ज़ दबा रहा हो लेकिन लंड खड़ा न हुआ हो। मैं उसकी टांगों की तरफ हो गई और रजत के पतालू को सहलाते हुए लंड पकड़ लिया।
मैंने रजत के लंड के टोप्पे से चमड़ी पीछे की और टोप्पे को जीभ से चाटते हुए लंड को मुंह में ले लिया। ये मेरे लिए बिल्कुल नया तजुर्बा था क्योंकि आज तक जितने भी लंड मैंने मुंह में लिए वो सब तने हुए और सख्त थे लेकिन रजत का लंड मेरे मुंह में काफी छोटा और नर्म महसूस हो रहा था।
मैं रजत के नर्म लंड को दबा दबा कर चूसने लगी जैसे कोई बच्चा दूध वाली बोतल से चूस चूस कर दूध पीता है। कुछ ही देर में रजत का लंड मेरे मुंह में टाईट होने लगा और बिल्कुल सख्त हो गया। अब मैंने रजत का लंड अपने मुंह से बाहर निकाल कर देखा, उसका लंड पूरी तरह औकात में आ गया था और वो काफी मोटा लंबा एवं जानदार दिखाई दे रहा था।
रजत ने मुझे कपड़े निकालने को बोला और मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए। रजत ने भी अपनी शर्ट निकाल दी और हम दोनों बैॅड पर बिल्कुल नंगे बैठे थे। रजत ने कहा जानूं तुम सच में बहुत हॉट हो मेरे लंड को टनाटन कर दिया। रजत बैॅड पर फिर से लेट गया और मुझे 69 अवस्था में अपने ऊपर ले लिया।
अब मेरी चूत रजत के मुंह के पास थी और रजत का लंड मेरे होंठों के पास था। रजत ने अपनी उंगली मेरी चूत पर घुमाते हुए अपने होंठों को मेरी चूत पर लगा दिया। उसके नर्म होंठों का स्पर्श अपनी चूत पर पाते ही मेरे बदन में बिजली दौड़ने लगी। मैंने रजत का तना हुआ लंबा लंड अपने मुंह में ले लिया और सिर को ऊपर-नीचे करके चूसने लगी।
उधर रजत मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा और मेरी चूत में जीभ डालकर हिलाने लगा। हम दोनों मदहोश हुए एक-दूसरे के अंगों से खेल रहे थे। तभी रजत ने मुझे अपने मुंह पर आने को कहा ताकि वो अच्छे से चूत चाट सके।
मैंने अपने घुटने मोड़कर उसके सिर के दोनों तरफ रख लिए और मेरी चूत बिल्कुल उसके होंठों के ऊपर आ गई। मैंने बैठे-बैठे सिगरेट जला ली और रजत नीचे से मेरी चूत चाटने लगा। मैं सिगरेट पीते हुए अपनी गांड हिलाने लगी और अपनी चूत में रजत की जीभ अंदर-बाहर होने का मजा लेने लगी।
रजत बहुत तेजी से अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर-बाहर करके लगा। मैंने सिगरेट खत्म करके उसको 69 अवस्था में आने को कहा। मैं बैॅड पर लेट गई और रजत मेरे ऊपर आ गया। मेरे ऊपर आने के बाद रजत मेरी चूत की ओर झुक गया, उसकी गर्म सांसें मुझे अपनी चूत पर महसूस हो रही थीं और वो अपना लंबा मोटा लंड मेरे होंठों पर दबाने लगा। मैंने जैसे ही अपना मुंह खोला रजत ने अपना लंड मेरे मुंह में घुसा दिया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगा।
वो मेरी चूत में जीभ डालकर तेजी से चाटने लगा और साथ में अपनी कमर ऊपर-नीचे करके मेरे मुंह में अपने लंड को हिलाने लगा। मैंने अपनी बांहें रजत की कमर में डाल लीं और अपना सिर ऊपर-नीचे करके उसके लंड को चूसने लगी।
मैं उसके लंड को अपने गले की गहराई में उतार कर चूसने लगी। अचानक रजत को शरारत सूझी, जब मैंने उसका लंड गले की गहराई में उतार कर बाहर निकालने लगी तो उसने लंड बाहर नहीं खींचा और वहीं फंसा लिया। जब मेरी सांसें फूलने लगी तब निकाला।
अब वो मेरे मुंह को चोदने लगा और मेरे गले में कुछ देर लंड फंसा कर रखने के बाद बाहर निकालता। मैंने भी अपनी टांगों को उसकी गर्दन पर लपेट लिया और कस कर पकड़ कर अपनी चूत बहुत जोर जोर से उसके चेहरे पर रगड़ने लगी।
अब बारी थी चुदाई की जिस पल का हम इंतजार कर रहे थे वो पल आ गया था। रजत ने मुझे बैॅड पर लेटा लिया और मेरी टांगें खोलकर अपना लंड मेरी गीली चूत पर टिका दिया। मैंने उसका लंड हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सैट किया और उसको जोर से झटका मारने को कहा। रजत ने एक जोरदार शॉट मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत में समा गया। मेरे मुंह से आहह निकल गई और तभी रजत ने लंड को थोड़ा पीछे खींच कर एक और जोरदार शॉट मारा।
दूसरे शॉट से रजत का लंड मेरी चूत को खोलता हुआ सीधा मेरी बच्चेदानी से टकरा गया और मैं बहुत जोर से चिल्ला उठी। उसका लंड मेरी चूत में फंसा हुआ था और मुझे बहुत ही आनंद आ रहा था। रजत ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और वो मेरे होंठों को चूमता हुआ अपनी कमर हिला कर अपने लंड को मेरी चूत के अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर बाद रजत ने मुझे चूमना छोड़ दिया और तेजी से मेरी चूत चोदने लगा।
मैं रजत की पीठ को अपने हाथों से सहलाती हुई मस्ती भरी आंहे भरते हुए चूत चुदाई का आनंद लेने लगी। रजत ने मेरी टांगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं और मुझे जांघों से पकड़ कर चोदने लगा। उसका लंड बार बार मेरी बच्चेदानी से टकरा कर वापिस जा रहा था और मैं जोर जोर से चिल्ला कर इस चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी।
रजत बैॅड पर लेट गया और मुझे ऊपर आने को कहा। मैं रजत के ऊपर आ गई और उसके लंड पर अपनी चूत टिका कर तेजी से गांड नीचे धकेल दी। रजत का लंड फचाक की आवाज करते हुए मेरी चूत में जड़ तक समा गया। मैंने अपने नाजुक हाथ रजत की सुडौल छाती पर टिका लिए और गांड उठा उठा कर रजत के लंड पर उछलने लगी।
मैं एकदम मदहोश होकर उछलती हुई मस्ती में चीखने लगी और रजत भी नीचे लेटा हुआ मस्ती में आहें भर रहा था। मेरे बड़े-बड़े बूब्ज़ भी ऊपर-नीचे जंपिंग कर रहे थे। रजत ने मेरे जंप कर रहे बूब्ज़ को अपने हाथों में पकड़ लिया और नीचे से अपनी कमर चलाने लगा। हम दोनों पूरे जोश में चुदाई के हर पल का मजा लूटने में लगे हुए थे।
कुछ देर बाद मैंने रजत का लंड अपनी चूत से निकाल दिया और अपनी गांड के छेद पर थूक लगाकर गांड उसके लंड पर टिका दी। मैं धीरे-धीरे अपनी गांड नीचे धकेलने लगी और रजत का लंड धीरे-धीरे मेरी गांड की दीवारों को खोलता हुआ अंदर तक बैठ गया।
रजत का लंड पूरी तरह मेरी गांड में समाने के बाद मैं फिर से अपनी गांड उछालने लगी और रजत का लंड मेरी गांड के अंदर-बाहर होने लगा। शायद रजत मेरी गांड की कसावट बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था, उसके मुंह से बहुत ऊंची आवाज में आहें निकलने लगीं। थोड़ी देर बाद रजत का लंड मेरी गांड में आराम से अंदर-बाहर होने लगा और रजत भी नीचे से गांड उठा उठा कर मेरी गांड चोदने लगा।
अब रजत ने मुझे अपने ऊपर से उतार कर बैॅड पर घुटने मोड़ कर कुतिया बना कर बैठा दिया और खुद बैॅड से उतर कर मेरे पीछे आ गया। रजत ने मेरी गांड ऊपर को उठा दी जिससे मेरी चूत बाहर को निकल आई। रजत ने अपना लंड पीछे से मेरी चूत पर टिका कर जोरदार शॉट मारा और उसका लंड एक ही शॉट में पूरा मेरी चूत में उतर कर मेरी बच्चेदानी से टकरा गया। उसने मेरी पीठ पर हाथ रखे और मेरी चूत में लंड पेलने लगा।
रजत बहुत तेजी से मेरी चूत में अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा और मैं भी अपनी गांड उछाल उछाल कर उसके लंड का मजा लेने लगी। कुछ देर बाद उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर पीछे से ही मेरी गांड में डाल दिया और फिर से जबरदस्त शॉट मारने का सिलसिला शुरू हो गया। रजत जितनी तेजी से मेरी गांड में लंड पेलता मैं भी उतनी तेजी से अपनी गांड उछाल कर झटका मारती। हम दोनों सब कुछ भूल कर चुदाई की दुनिया में लीन थे।
अब रजत ने मुझे बैॅड पर हाथ रखकर झुकाकर घोड़ी बनाकर खड़ा कर दिया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। रजत मुझे कमर से पकड़ कर मेरी चूत में झटके मारने लगा और मैं भी गांड हिला हिला कर चुदने लगी।
कुछ ही देर बाद उसने लंड मेरी गांड में पेल दिया और मेरी गांड चोदने लगा। मैं अपनी गांड गोल गोल घुमा कर उसके लंड का सुख लेने लगी। मुझे चुदाई का बहुत मजा आ रहा था लेकिन न जाने क्यों रजत को इस अवस्था में ज्यादा मजा नहीं आ रहा था। उसने जल्दी ही अपना लंड निकाल लिया और मुझे पेट के बल दीवार से लगा कर पीछे आ गया।
मैंने अपने हाथ पीछे करके अपने चूतडो़ की फांकों को खोल दिया और रजत ने मेरी गांड के छेद पर लंड टिका कर हल्के से झटका दिया। रजत के लंड का टोप्पा मेरी गांड में घुस गया। इसके बाद रजत ने मुझे पीछे से बाहों में भरकर मेरे बूब्ज़ पकड़ लिए और जोरदार शॉट मारा। इस बार रजत का लंड मेरी गांड में पूरा समा गया।
रजत मेरी पीठ से चिपका हुआ था और मेरी गर्दन को चूमता हुआ मेरी गांड को चोदने लगा। मैं दीवार की सहारे खड़ी हुई अपनी गांड आगे-पीछे करके उसके लंड से अपनी गांड चुदाई का पूरा मजा लेने लगी। मेरी गांड को चोदने के बाद रजत ने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरी पीठ दीवार से लगा कर खड़ी कर दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
रजत ने मेरे घुटने के नीचे अपनी बाजू डालकर मेरी टांग ऊपर उठा ली और मेरी चूत पर लंड रख दिया। रजत ने जोरदार शॉट के साथ अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और होंठ मेरे होंठों पर लगा दिए। हम जोर जोर से एक दूसरे को चूमने लगे और मेरे बूब्ज़ उसकी छाती में दबे हुए थे। अब रजत अपनी कमर चलाने लगा और मेरी चूत को चोदने लगा। हम एक-दूसरे के होंठों को चूमते हुए चुदाई करने लगे।
कुछ देर चुदाई के बाद रजत बोला डार्लिंग वीर् कहां निकालूं तो मैंने कहा यहां तुम्हे अच्छा लगे वहां निकाल लो। रजत ने कहा मैं तुम्हारी गांड में निकालना चाहता हूं। मैं एक बार फिर पेट के बल दीवार से लग गई और अपने चूतडो़ की फांकों को खोल दिया। रजत ने मुझे पीछे से पकड़ कर मेरी गांड में लंड पेल दिया और मेरी गांड चोदने लगा। कुछ देर बाद वो झड़ने वाला था और बहुत तेजी से मेरी गांड में शॉट मारने लगा।
मैं भी तेजी से अपनी गांड आगे-पीछे करके चुदाई करने लगी। रजत ठंडी आंहें भरता हुआ मेरी गांड में झड़ गया और मुझे अपनी गांड में गर्म गर्म वीर्य गिरता हुआ महसूस हुआ। उसके लंड ने मेरी गांड में वीर्य की पांच छ:पिचकारी छोड़ दीं और मेरी गांड उसके वीर्य से लबालब भर गई। जब रजत ने अपना लंड मेरी गांड से निकाला तो मेरी गांड से वीर्य टपकने लगा।
रजत ने कपड़े से मेरी गांड साफ की और फिर अपना लंड साफ किया। मैं चुदाई के बाद पूरी तरह संतुष्ट हो गई थी और रजत भी संतुष्ट था। उसके बाद हमने खाना खाया और नंगे ही बैॅड पर लेट गए। बैॅड पर लेटते ही हम दोनों कब गहरी नींद सो गए पता ही नहीं चला।
सुबह 7 बजे मुझे रजत ने जगाया और मैं नहाने चली गई। उसके बाद चाय पीकर चुदाई का एक और राऊंड चला और इस बार रजत ने अपना वीर्य मेरे मुंह में छोड़ा। मैं उसका सारा वीर्य पी गई और खुद को साफ करके घर आने को तैयार हो गई। रजत ने मुझे कहा कि आज उसको चुदाई का वो सुख मिला है जो वो अपनी गर्लफ्रेंड से चाहता ता लेकिन उसकी गर्लफ्रेंड इतने मजे से चुदाई नहीं करवाती है। उसने मुझे 10000 रुपए दिए और मुझे बस में बैठा कर चला गया।
अपनी नई कहानी के साथ आपको फिर मिलूंगी और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”, तब तक आप सभी को चुद्दकड़ अर्श का सलाम।
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