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प्रिय अन्तर्वासना पाठको सितम्बर महीने में प्रकाशित कहानियों में से पाठकों की पसंद की पांच कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
मैं संदीप नोयडा से हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। मैं दिखने में गुड लुकिंग स्मार्ट हूँ। मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ लगभग पिछले 4 साल से पढ़ रहा हूँ।
यह मेरी पहली स्टोरी है.. यह बात आज से 3 साल पहले की है जब मैंने 12 वीं पास की थी और मैं किसी पार्ट टाइम जॉब की तलाश में था। मुझे जॉब मिल गई और वो भी घर से कुछ दूर नोयडा में ही मिली।
मेरे नए ऑफिस में मेरी टीम में कुछ लड़कियां भी थीं.. उनमें से एक का नाम था आफरीन! वो बहुत ही सिंपल और आकर्षक थी, मैं उसकी सादगी का दीवाना हो गया था।
आफरीन एक सेक्सी फिगर की मालकिन थी और हाँ.. वैसे तो मैं हर लड़की और लेडी की बहुत इज़्ज़त करता हूँ और आफरीन के लिए भी मेरे मन में कुछ ऐसा ही था.. पर पता नहीं क्यों मैं धीरे-धीरे उसे पसंद करने लग गया था। मैंने ऑफिस में काम के बहाने.. और कभी किसी दूसरे बहाने से उससे बात करना शुरू किया।
वो मुझ पर ध्यान तो देती थी.. पर ज़्यादा नहीं.. और इधर मैं ऑफिस आते ही उसे ढूँढता और उसके पास की सीट पर बैठने लगता। फिर मैं उसके लंच टाइम पर भी साथ जाने लगा।
एक दिन वो अकेले ही लंच पर जाने लगी.. दरअसल आज उसकी सहेली नहीं आई थी। मैंने भी सही मौका समझते हुए पीछे जाना ठीक समझा और उसके पीछे चल दिया।
हमारी मेज के आस-पास की चेयर खाली थीं क्योंकि लगभग सभी लोग लंच करके जा चुके थे। मैं उसके सामने ही बैठ गया, उसने हल्की सी स्माइल दी।
वो सफ़ेद कुर्ता और काले रंग की सलवार पहन कर आई थी.. उसके सफ़ेद कुरते से उसके अन्दर गुलाबी ब्रा झलक रही थी।
मुझे वो कुछ परेशान सी लगी, मैंने उससे पूछा- क्या बात है.. आज तुम कुछ परेशान सी लग रही हो? तो वो बोली- कुछ नहीं.. मैंने फिर बोला- कुछ तो है आज तुम्हारे चेहरे पर वो चमक नहीं है।
वो हँसने लगी और बोली- आज तुम्हें क्या हो गया? मैंने भी जबाव में मुस्कुरा दिया।
वो बोली- यार सैंडी, (सैंडी मेरा निक नाम है) तुम मेरी लाइफ नहीं समझ सकते.. बहुत ही उलझी हुई है.. मैं बोर हो चुकी हूँ अपनी लाइफ से! मैंने बोला- क्यों.. यार तुम इतना नेगेटिव क्यों सोचती हो? तो वो बोली- बस ऐसे ही। मैंने फिर से उसकी बातों पर ज़ोर दिया और बोला- शायद अभी तक मैं तुम्हारा इतना अच्छा दोस्त नहीं बन सका कि तुम मुझसे अपनी बातें शेयर करो।
दोस्तो.. वैसे एक बात है कि हमेशा किसी की भी गोपनीयता को महत्व देना चाहिए.. खास कर गर्ल्स और लेडीज की.. चाहे वे कोई भी हों.. क्योंकि एक बार उनके मन से आपकी छवि खराब हुई तो फिर उनका भरोसा लाइफ में दुबारा नहीं मिलता।
वो बोली- यार सैंडी, मेरा मन करता है.. मैं इस लाइफ से दूर कहीं अकेले चली जाऊँ.. जहाँ मेरा अतीत मेरे साथ ना हो। मैंने उससे बोला- यार अपना माइंड उस तरफ मत ले जाया करो.. दोस्तों से बातें शेयर करो.. दिल हल्का हो जाएगा।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
मैं 23 साल का हूँ। ये उस वक़्त की बात है जब मैं कोटा के एक कोचिंग इन्स्टिट्यूट में पीएमटी की तैयारी कर रहा था। उस वक्त मेरी उम्र 18 साल थी।
मैं उधर एक किराए के मकान में रहता था। मकान में तीन और स्टूडेंट्स रहते थे.
हम सब ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे और फर्स्ट फ्लोर पर मकान-मलिक उनकी बीवी.. जिनका नाम सविता था, रहते थे। उनका एक लड़का जयपुर के एक कॉलेज में था। उनकी एक लड़की भी थी जो इंटीरियर डिज़ाइनर थी.. उसकी शादी हो चुकी थी।
लैंडलार्ड सुबह ऑफिस जाते और शाम को आते थे.. और सविता चाची दिनभर घर में अकेली रहती थीं। वो रोजाना सुबह 5-6 बजे नीचे फ्लोर की झाड़ू लगाने आती थीं.. तब मैं सोता रहता था।
सविता चाची 35 साल की थीं.. वो थोड़ी सी मोटी थीं और दिखने में औसत थीं। सविता चाची ने मुझे नंगा देखा
मेरी आदत थी कि मैं कमरे में नंगा ही सोता था। एक रात की बात है मैं अपने कमरे में नंगा सो रहा था.. तब लाइट चली गई। कमरे में बहुत गर्मी हो रही थी.. तो मैंने उठ कर दरवाजा खोल दिया और परदा लगा कर सो गया। नींद में मैं यह भूल गया कि मैं नंगा ही हूँ.
कुछ देर बाद लाईट आ चुकी थी.. लेकिन मुझे नहीं पता था।
सुबह जब चाची झाड़ू लगाने आईं.. तो उन्होंने मेरा दरवाजा खुला हुआ देखा। उन्हें लगा कि मैं जाग गया हूँ.. इसलिए वो कमरे के अन्दर आ गईं। उन्होंने मुझे आवाज़ देकर मुझे जगाया और मेरी आँख खुल गई।
उस वक्त कमरे में अंधेरा था.. चाची ने लाईट ऑन की और पीछे मुड़कर देखा तो मैं बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था।
मैंने चाची की तरफ देखा तो चाची मेरी ओर देख रही थीं।
सुबह का वक़्त था इसलिए मेरा लंड बम्बू की तरह खड़ा था। ये सिर्फ़ 1-2 सेकेंड की बात थी.. सविता चाची के हाथ में उस वक़्त झाड़ू थी.. वो झट से पीछे मुड़ीं और परदा को साइड से हटाते हुए कमरे से बाहर चली गईं।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मैं सोनाली एक बार फिर से आप लोगों के समक्ष एक नई कहानी लेकर उपस्थित हूँ। मेरी पिछली कहानी मेरी कामाग्नि को आप पाठकों द्वारा बहुत सराहा गया तो अब मैं इससे आगे की कहानी आपको बताती हूँ।
मेरे बारे में तो आप जानते ही होंगे पर फिर भी मैं एक बार आपको अपना परिचय दे देती हूँ। मेरा नाम सोनाली है, उम्र 40 साल है। मैं एक हाउस वाइफ हूँ और अपने पति रवि, बेटे रोहन और बेटी अन्नू के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही हूँ।
मेरे शरीर का आकार कुछ ऐसा है कि देखने वालों के मुँह से लार ही टपकने लगे। मेरा फिगर, मेरा बदन बहुत ही कामुक है, मेरे मम्मे बहुत ही कसे हुए और एकदम गोल हैं, मेरी चिकनी कमर और उभरी हुई माँसल गांड किसी का भी लंड झड़ा सकती है।
एक बार मैं अपनी सहेली मनीषा के साथ शॉपिंग करने मार्किट गई थी। उस वक्त अन्नू स्कूल गई हुई थी और रोहन भी अपने कोलेज गया था, दोनों को वहाँ से आने में पांच बज जाते हैं और मेरे पति रवि को भी ऑफिस से आने में आठ बज जाते हैं।
अब रोहन के साथ भी मुझे मुश्किल से टाइम मिल पाता था क्योंकि वो सुबह कॉलेज चला जाता था और शाम को ही आता था। तो दोपहर का समय मुझे अकेले ही काटना पड़ता है इसलिए मैं टाइम पास करने के लिए मनीषा के साथ मार्किट चली गई।
मनीषा मेरे घर के नजदीक ही रहती थी तो हमारी आपस में बहुत अच्छी बनती थी। मनीषा दिखने में सुन्दर है, उसकी उम्र कुछ 35 साल है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है।
हम लोग आपस में बहुत खुले हुए है और हम दोनों के बीच हर तरह की बातें होती हैं।
शॉपिंग करने के लिए हम लोग एक अच्छी साड़ी की शॉप पर गये थे। वो शॉप मनीषा के किसी दोस्त की ही थी। मैंने काली साड़ी पहनी हुई थी जो कमर से बहुत नीचे बंधी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जो लो कट था।
दुकान पर सब मुझे ही घूर रहे थे। मेरे मम्मों और नंगी कमर पर सबकी निगाहें अटकी हुई थी जिसे मैं बार बार नोटिस कर रही थी।कुछ लोग तो मेरे पास से गुजरने के बहाने मेरी कमर और गांड को छू लेते थे। मैं भी मूड में आ गई थी और जान बूझकर और उन्हें उकसा रही थी।
देवेश जो दुकान का मालिक और मनीषा का दोस्त था हमें साड़ी दिखा रहा था और सबसे ज्यादा वही मुझे घूर रहा था। मैं भी उसे अपनी और कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रही थी, साड़ी दिखाते टाइम मैं अपना पल्लू उठाकर ठीक करने लगी जिससे देवेश को मेरे अधनंगे मम्मों के दर्शन हो गए।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
बात तब की है जब मुझे कनाडा से आये हुए कुछ माह बीत चुके थे और पतिदेव ही दिल से चूत और और गांड को ठोक रहे थे, मैं भी सन्तुष्ट थी।
मेरी एक बचपन की सहेली कविता (बदला नाम) है, अक्सर मेरी उससे फोन पर बात होती रहती है, मैं उसके बारे में सबसे घर में बातें करती रहती थी। वो मेरी ही उम्र की है, उस समय शादी को 3 वर्ष हो चुके थे और एक 5 माह का बेटा भी है। उसका पति एक सरकारी कार्यालय में था और अब एक अधिकारी है। कविता के पति का तबादला मेरे शहर में ही हो गया था।
एक शाम पतिदेव और मैं शाम को ऑफिस से घर पहुंचे तब मैंने देखा कि कविता मेरे घर आई हुई थी, मुझे इस बारे में बिल्कुल पता नहीं था कि वो मेरे घर पर आई है। मेरे घर वाले उससे पहली बार मिले थे, मेरे घर वालों ने उसे रात का खाना हमारे घर ही खाने के लिए कहा, थोड़ी देर बाद मना करने के बाद वह मान गई।
रात को खाना खाने के बाद हम अकेले में बैठकर बातें करने लगे और वो मेरी सेक्स लाइफ के बारे में पूछने लगी। मैंने भी हंसकर कहा- बहुत अच्छी चल रही है।
मैंने भी उसकी सेक्स लाइफ के बारे पूछा तो उसने भी यही बताया कि बहुत अच्छी चल रही है। हमने बहुत सारी बातें शेयर की।
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यह कहानी है बिन माँ बाप की बिनब्याही बत्तीस साल की एक साधारण सी लड़की के यौन जीवन की… जिस पर अपने भाई बहनों और एक अपंग चाचा के भरण पोषण का भार है.
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