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मेरा नाम आरव है मैं 23 साल का हूँ.. मुंबई में पढ़ाई कर रहा हूँ। अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली हिन्दी सेक्स स्टोरी है।
बात आज से दो साल पहले की है.. उस समय मैं बीकॉम फाइनल इयर में था। मैंने अपने ही कॉलेज की एक लड़की को पटाया था। हम लोग एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे लेकिन कभी चुदाई नहीं की थी।
मैं आपको अपने आइटम का नाम बता दूँ.. उसका नाम आरती है। वो बहुत हॉट तो नहीं है.. लेकिन कोई उसको ख़राब भी नहीं बोल सकता है।
उसके शरीर में उसके उभरे हुए अंगों को देख कर कोई भी मर्द पागल हो जाएगा और उसको एक बार चोदने के लिए जरूर सोचेगा। मैं भी आरती को चोदना चाहता था.. लेकिन वो हर बार मना करती थी। हर बार किसिंग करके ही रह जाना पड़ता था।
एक दिन मैंने सोचा कि आज आरती को चोद कर ही रहूँगा। मैंने आरती को खरौली ले जाने का प्लान बनाया। पहले तो वो इतना दूर जाने को मना कर रही थी.. फिर बाद में जाने को तैयार हो गई। शनिवार को मैंने और आरती ने कॉलेज से बंक किया और खरौली के लिए निकल पड़े।
मुझे तो आरती को चोदना था.. तो मैंने लॉज लिया और हम लोग अपने कमरे में आ गए। हमेशा की तरह मैंने आरती को किस किया और उसको जोर से हग किया।
उसने भी मुझे कस के हग किया। मैंने धीरे से अपना हाथ उसके चूचे पर ले जाकर रख दिया। मैंने जैसे ही अपनी दो उंगलियों के बीच में उसके निप्पल को पकड़ा तो वो मुझे जोर से धक्का मार कर बोली- यह क्या कर रहे हो तुम?
मैंने बोला- तुमको प्यार कर रहा हूँ आरती मेरी जान। मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ और तुम्हारे बिना में रह नहीं सकता हूँ। आरती बोली- आरव मैं भी तुमको बहुत प्यार करती हूँ.. लेकिन शादी से पहले ये सब करना पाप है। इसलिए हम लोगों को ये सब नहीं करना चाहिए। मैंने बोला- तुम कौन सी दुनिया में जी रही हो आरती.. आजकल तो सभी ये करते हैं और वैसे भी प्यार का दूसरा नाम तो सेक्स ही तो है। अगर तुम मुझसे प्यार करती हो.. तो तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं करना चाहिए।
दोस्तो आरती ने सेक्स करने को साफ़ मना कर दिया और हम लोग अपने घर वापस आ गए।
अब मैंने आरती के कॉल अटेंड करना बंद कर दिए और धीरे-धीरे हम लोग एक-दूसरे को इग्नोर करने लगे।
एक दिन आरती मेरे पास आई और बोली- क्या हम लोग फिर से खरौली जा सकते हैं? मैंने बोला- क्यों फिर मुझे बेइज्ज़त करना है क्या? उसने एक स्माइल दी और बोली- पहले चलो तो सही।
मैंने भी ‘हाँ’ बोल दिया और हम लोग खरौली को चल दिए।
दोस्तो, हम लोग जैसे ही रूम में आए आरती ने मुझे कस कर पकड़ लिया और बोली- आज मना नहीं करूँगी.. जो भी करना चाहो.. तुम कर सकते हो।
मैंने उससे कहा- तुम्हारे पास आज दिमाग कहाँ से आ गया। वो बोली- आई लव यू आरव.. मैंने जिस दिन का इंतज़ार किया था वो दिन आज आ गया था।
मैंने उसके होंठों के ऊपर अपने होंठों को रख दिया। मुझे जोर से झटका लगा।
मैंने अपना एक हाथ उसके चूचे पर रख दिया और उसको जोर से दबा दिया। आरती से मुँह से ‘आह्ह..’ निकल गया और वो मुझसे लिपट गई।
मैंने भी ज्यादा वेट नहीं किया और उसकी टी-शर्ट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और उसको सहलाने लगा।
मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था और मैं थोड़ा डर भी रहा था क्योंकि मैं फर्स्ट टाइम सेक्स कर रहा था।
आरती को अचानक न जाने क्या हुआ, उसने अपने हाथ को मेरे लंड पर रख कर पकड़ लिया।
उसने जैसे ही लंड को पकड़ा और मुझको बहुत ही जोर से झटका मारा, मेरे मुँह से भी उसकी इस हरकत से ‘आह्ह..’ निकल गया।
मैंने आरती का टॉप निकाल दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मे को दबाने लगा। वो भी पूरे जोश में मेरे लंड को पकड़ कर सीत्कार कर रही थी।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड फट जाएगा.. क्योंकि उसके लौड़ा पकड़ने से ये बहुत अधिक सख्त हो गया था।
अब मैंने आरती की ब्रा को खोल दिया.. तो उसने खुद ही अपनी जीन्स को भी खोल लिया। साथ ही उसने मेरे भी कपड़े उतार दिए।
मैंने उसको जोर से अपने सीने से चिपका लिया और उसको किस करने लगा। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
इतना करते ही मेरा लंड कड़क होके फटने जैसा हो गया था। मैंने धीरे से आरती की चड्डी को उतार दिया और उसकी चूत को अपने हाथ से रगड़ने लगा।
उसकी चूत एकदम साफ़ थी। शायद वो भी चुदने की पूरी तैयारी करके आई थी।
मैंने जैसे ही अपने हाथ को उसकी चूत पर रखा.. वो पागल जैसी हो गई और मुझको जोर से पकड़ कर अपनी कमर को झटका मारने लगी।
मैं समझ गया कि वो चुदने को तैयार है, तो मैंने उसके चूचे के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
वो जोर-जोर से ‘आह.. आह..’ करने लगी।
मुझसे भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, तो मैंने उसको नीचे किया और उसकी दोनों टांगों को पकड़ कर फैला दिया और बीच में आकर अपना लंड उसके चूत पर रगड़ने लगा।
इससे वो एकदम से गरमा गई और चिल्ला उठी ‘आह उह.. आरू..’ उसकी कामुक आवाज़ निकलने लगी।
मैंने भी अपना लंड उसके चूत में थोड़ा घुसाया.. पर मेरा लंड अन्दर नहीं जा रहा था। उसने मुझे पर्स से कुछ निकालने का इशारा किया। मैंने उसके पर्स को खोला तो उसमें वैसलीन का ट्यूब थी। मैंने उसका अर्थ समझते हुए ट्यूब को निकाला और वैसलीन उसकी चूत पर लगा दी, कुछ वैसलीन अपने लंड पर भी लगा ली।
लेकिन इतना करने के बाद भी लंड उसके छेद में अन्दर नहीं जा रहा था। मैंने अपना लंड के टोपे को उसकी चूत की दरार में रख कर एक जोर का झटका दिया.. तो मेरा लंड उसके अन्दर थोड़ा सा घुस गया। इतने में आरती को बहुत ही दर्द होने लगा था। उसकी चीख निकलने लगी।
मैंने कुछ सोचे बगैर एक और झटका लगा दिया और मेरा नागराज चूत के अन्दर फंसता हुआ जाने लगा। आरती को बहुत ही दर्द हो रहा था और वो मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश कर रही थी।
मैंने भी कुछ पल रुकने का सोच कर आरती को जकड़ लिया और उसे किस करने लगा। थोड़ी देर बाद जब आरती का दर्द कम हुआ.. तो मैंने एक और झटका लगा दिया.. लेकिन इस बार दर्द मुझको भी हुआ। मुझको ऐसे लगा जैसे मेरे लंड को शायद किसी ने नोंच लिया हो।
दर्द को भुलाते हुए मुझे लंड और भी अन्दर घुसाने का मन कर रहा था।
तभी आरती मुझसे चिपक गई और मेरे कान को अपने दांत से काटने लगी और अपना नाख़ून मेरे पीठ पर गड़ाने लगी।
मैं भी अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। अचानक आरती ने मुझे जोर से पकड़ लिया और अपना पानी गिरा दिया।
अब बारी मेरी थी.. मैं अपने लंड को अन्दर-बाहर करता रहा और कुछ देर बाद मैंने भी अपना पानी उसके चूत में ही गिरा दिया।
उस दिन हम लोगों ने दो बार सेक्स किया। इसके बाद हम लोग अब तो जब भी टाइम मिलता है.. सेक्स कर लेते हैं।
दोस्तों आपको मेरी स्टोरी कैसी लगी.. जरूर बताइएगा।
आपका ही दोस्त आरव। [email protected]
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