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दोस्तो, आपने मेरी पिछली कहानियों को सराहा और मुझे कहानी लिखने का हौसला दिया.. इसके लिए आप सभी धन्यवाद। मैं अपनी एक नई सेक्स कहानी लेकर आया हूँ।
यह कहानी मेरी भाभी कोमल के साथ सेक्स कहानी है।
बात उस वक्त की है.. जब मैं कॉलेज में था और एक बार अपने चचेरे भाई के घर गया था।
मेरे कॉलेज की थर्ड सेमेस्टर की छुट्टियों में मैं अपने चचेरे भाई राहुल के घर, जो सूरत में रहता है.. वहाँ गया था। मेरी भाभी कोमल अपने नाम की तरह मन और बदन से भी कोमल है। उनका फिगर 34-28-38 का है और बॉडी एकदम गोलाइयों से भरपूर है उनके हर अंग का कटाव देखने लायक है। कोई भी उन्हें एक बार देख भर ले.. मेरा दावा है कि वो जगह देख कर तुरंत मुठ मारने लगेगा।
मेरी और कोमल भाभी की खूब बनती थी। हम हँसी-मजाक करते थे.. पर मेरे मन में उनके प्रति आज तक कभी गलत ख्याल नहीं आया।
जब मैं भाभी के घर सूरत गया.. तो उन दोनों ने मेरा स्वागत किया, भाभी खुश हो गईं और भैया भी।
भाभी ने मेरे लिए कॉफी बनाई और हम सब पीने लगे, इधर-उधर की बातें करने लगे। बाद में भैया काम पर चले गए, मैं टीवी देखने लगा और भाभी ने दोपहर का खाना बनाया।
फिर खाना खाकर हम बातें करने लगे। मैं- भाभी आपको क्या पसंद है? कोमल- क्या मतलब? मैं- कौन सा खेल? कोमल- ताश खेलना। मैं- वो तो मुझे भी पसंद है.. चलो खेलते हैं।
वो ताश के पत्ते लाईं और हम खेलते हुए बात करने लगे।
मैं- भाभी ये तो खेल है.. पर यहाँ जो जीत या हार गया.. उसे क्या मिलेगा? कोमल- जो हारा.. उसे जीतने वाले की ख्वाहिश पूरी करनी पड़ेगी। मैं- देखो भाभी मैं तो वादे का पक्का हूँ.. अगर मैं जीत गया तो जो मैं मांगू, वो देना होगा.. आप पलट नहीं जाना। कोमल- जो मांगोगे वो दूँगी, पहले जीत कर तो दिखाओ।
थोड़ी देर बाद मैं जीत गया- भाभी में जीत गया। अब जो मुझे चाहिए वो देना होगा आपको। कोमल- बोलो क्या चाहिए? मैं- अभी नहीं.. समय आने पर बताऊंगा। कोमल- ओके।
तब तक घड़ी में चार बज गए और भाभी कॉफ़ी बना कर लाईं और वो मुझे कॉफी देने झुकीं.. तो उनका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और उनके दोनों मम्मों के थोड़े से दर्शन हुए। मैं उनके मम्मों को देख रहा था और मेरा नजरिया धीरे-धीरे बदलने लगा। जब भी वो कोई काम करतीं, तो मैं उनको ही देखता रहता और उनके पूरे बदन को निहारता रहता।
उन्हें भी मेरी इस हरकत का पता चल गया था.. पर वो कुछ नहीं बोलीं। ऐसे ही कुछ दिन चले गए।
मेरे भैया राहुल को क्रिकेट का बड़ा चस्का था। वो घर से आते सीधा टीवी चालू कर टीवी पर मैच ही देखते, चाहे लाइव आ रहा हो.. या हाइलाइट। उस वक्त भारत और वेस्टइंडीज़ का मैच आ रहा था। जो वेस्टइंडीज़ में चल रहा था और 7:30 को चालू होकर रात को 4 बजे खत्म होता था।
जब कि कोमल भाभी को मैच पसंद नहीं था। वो घर का काम करके थोड़ी देर में दस बजे तक सो जाती थीं। कभी-कभी दोनों की इस बात पर छोटी-मोटी लड़ाई भी हो जाती थी, पर मैं दोनों को रोक देता था।
फिर वो क़यामत का दिन आ ही गया। भाभी भी मुझसे थोड़े दिनों में खुल चुकी थीं। एक दिन हम दोनों बात कर रहे थे।
कोमल- तुम कॉलेज में क्या करते रहते हो जयदीप? मैं- कुछ नहीं भाभी.. थोड़ी पढ़ाई बाकी ज्यादातर मस्ती ही। कोमल- कोई गर्लफ्रेंड बनाई है या नहीं? मैं- नहीं भाभी.. कोई अच्छी लड़की मिली ही नहीं।
कोमल- क्यों सब बुरी और बदसूरत हैं क्या? मैं- अगर आप जैसी सुन्दर और सेक्सी लड़की मिल जाए.. तो उसे गर्लफ्रेंड बना लूँ भाभी। कोमल- चल हट.. क्यों मेरा मजाक उड़ाते हो देवर जी।
मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर कहा- नहीं भाभी, आप सच में ब्यूटीफुल और सेक्सी हो.. गलत नहीं कह रहा हूँ। उन्होंने भावुक होकर मुझसे कहा- थैंक यू जयदीप।
भाभी शर्मा कर चली गईं। मेरा निशाना सही लगा था।
बाद में शाम को भैया आ गए और हम सबने 8 बजे तक खाना खा लिया। भैया हॉल में बैठकर मैच देखने लगे और मैं भाभी के काम में हाथ बंटाने लगा।
लगभग 9 बजे तक सब काम खत्म हो गया। फिर भाभी फ्रेश हो कर नहाने चली गईं और एक सेक्सी सी साड़ी पहन कर आईं। उनका मैचिंग का ब्लाउज स्लीवलैस था और साड़ी पिंक और ब्लू कलर की मिक्स थी।
मैंने उन्हें देखा.. पर जानबूझ कर तारीफ नहीं की। मुझे पता था कि आज क्या होने वाला है। मैं अपने कमरे में चला गया।
कोमल- राहुल चलो.. अब मैच कब तक देखोगे.. सोना नहीं है। राहुल- अरे यार.. देखो सचिन खेल रहा है और तुम सोने की बात कर रही हो। कोमल- चलो न प्लीज.. राहुल- तुम सो जाओ.. मैं मैच खत्म करके आता हूँ।
कोमल भाभी कमरे के दरवाजे पर खड़ी होकर राहुल की प्रतीक्षा कर रही थीं, राहुल उनको कभी-कभी देखकर इग्नोर कर रहा था। तभी मुझे लगा कि यही सही मौका है।
मैं भाभी के पीछे इस तरह गया कि राहुल मुझे ना देख सके। मैं अपना हाथ भाभी की खुली पीठ पर फेरने लगा। तो उन्होंने क्षण भर के लिए विरोध किया और मेरा हाथ हटा दिया। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
पर मैं वापस वही करने लगा और इस बार तो दूसरे हाथ को उसके खुले पेट पर चलाने लगा। उन्होंने वापस हाथ हटाने की कोशिश की, पर मैंने नहीं हटाया। क्योंकि आग उनको भी लगी है।
धीरे-धीरे उनका विरोध कम हो गया और उन्हें भी मज़ा आ रहा था। पता नहीं वो कब की चुदाई की भूखी थीं।
जब नई शादी होती है.. तब अपनी बीवी को कभी इग्नोर ना करें। उसे ज्यादा से ज्यादा टाइम दें और उसकी प्यास को तृप्त करें, नहीं तो सब कुछ हाथ से फिसल सकता है.. जैसा कि मेरे भाई का फिसल रहा था।
फिर मैं भाभी की पीठ पर हाथ फेरते किस भी कर रहा था, उन्हें मजा भी आ रहा था।
भैया भी उन्हें देखकर हँस रहे थे और भाभी भी। भैया को लगा होगा कि भाभी सचिन के खेल को देखकर खुश हो रही है। पर यहाँ तो दूसरा ही सचिन यानि कि मैं भाभी के साथ मैच खेल रहा था।
वो मेरा हाथ पकड़कर अपने पेट पर रगड़ने लगी थीं और मेरी एक उंगली को अपनी नाभि में डलवा रही थीं। इसके साथ ही वो टीवी की तरफ भी देखकर हँस रही थीं या अपने पति को देखकर मुस्कुरा रही थीं, इसका मुझे पता ही नहीं चल रहा था।
फिर मैंने समय ना गंवाते उन्हें अपने कमरे में ले गया और दरवाजा बन्द कर दिया।
आगे क्या हुआ.. वो मैं अगले भाग में बताऊँगा।
आप अपने सुझाव मुझे भेजते रहिए और हाँ भाभियाँ मुझे जरूर मेल करें क्योंकि मुझे शादी-शुदा और खेली-खाई औरतें ज्यादा पसंद हैं। [email protected]
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