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नमस्कार दोस्तो,
मैं राहुल आप सभी पाठको के लिए अपनी आप बीती घटना को कहानी के माध्यम से आप लोगो तक पहुँचा रहा हूँ। उम्मीद है कि आप सभी को यह कहानी पसंद आएगी।
एक बार मैं एक साल के लिए फ़तेहाबाद में किसी काम से गया था। वहां मैने एक कमरा किराये पर लिया। उस कमरे का किराया 2000 रुपए और उसमें खाना भी शामिल था।
उस मकान मालिक के घर में कुल तीन सदस्य थे, एक रिटायर्ड वृद्ध, उसकी तलाकशुदा लड़की जो 26 वर्षीया थी और एक उसकी नौकरानी थी। उनके मकान में 5 कमरे, एक रसोई और एक बड़ा आँगन था। एक कमरा उन्होंने मुझे किराये पर दे दिया।
कुछ ही दिनों में हम सब घुल मिल गए थे।
सोनाली मकान मालिक की लड़की का नाम था, वह जब भी मुझे देखती या बातें करती तो उसकी आँखों में वासना की झलक दिखाई देती थी।
मैंने कई बार उसे बाथरूम में नहाते वक़्त दरवाज़े के छेद से नंगी देखा था। उसके मोटे-मोटे चूचे, बड़ी-बड़ी गांड और प्यारी सी गुलाबी रंग की चूत देखकर मेरा लंड पैंट में खड़ा हो जाता था। उसके और मेरे कमरे के बीच में ही एक टॉयलेट था जिसमे दो दरवाज़े थे एक उसके कमरे से खुलता और एक मेरे कमरे से खुलता था।
एक दिन रात को मैं उठा और मूत्र करने के लिए टॉयलेट गया तो मुझे उसके कमरे से कुछ फुसफुसाहट की आवाज़ आई।
मैं जिज्ञासा के कारण बाहर आया और उसके कमरे की खिड़की से झाँककर देखा तो वह अपनी चूत में ककड़ी डालकर चुदाई कर रही थी। उसकी आँखे बंद थी और आहिस्ता आहिस्ता ‘उफ्फ राहुल, चोदो मुझे… मैं कब से प्यासी हूँ…’ कह रही थी।
यह सब देखकर मैं दंग रह गया और मैं वापस अपने कमरे में आ गया। मैं सोने की कोशिश करने लगा पर मुझे वो सब देखकर नींद नहीं आ रही थी।
अब मैं सोनाली को चोदने के बारे में सोचने लग गया और मुझे फिर भी कोई मौका नहीं मिला।
एक शुक्रवार को मैं 10 बजे फिल्म देखकर घर पहुँचा मैंने देखा कि सोनाली अपने पिताजी के कमरे की खिड़की से उनके कमरे में झाँक कर कुछ देख रही थी। मैं भी दबे पैर आया और सोनाली के पीछे खड़ा हो गया और अंदर का नज़ारा मैं देखकर दंग रह गया।
अंदर कमरे में सोनाली के पिताजी के लंड को उनकी नौकरानी अपने मुँह में लेकर चूस रही थी।
यह देखकर मेरा लंड तो बेकाबू हो गया।
अचानक सोनाली पीछे मुड़ी और उसने मुझे देखकर शरमाते हुए अपने कमरे में चली गई, मैं भी अपने कमरे में चला गया।
अब मैं सोने की तैयारी करने लगा।
मैं जैसे ही सोने के लिए बिस्तर पर जा रहा था तो मुझे भूख लगने लगी। मैं रसोई में गया तो वहाँ सोनाली पहले से ही मौजूद थी, उसने शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन रखी थी।
मुझे देखते हुए वो बोली- तुम सोये नहीं अब तक? मैंने कहा- मुझे भूख लग रही है, और वैसे भी अंकल और नौकरानी का नजारा देखकर नींद कहाँ आएगी।
सोनाली ने कहा- बात तो तुम्हारी भी सही है, मुझे भी नींद नहीं आ रही थी और भूख भी लग रही थी तो मैं रसोई में आ गई। कहते हुए वो फ्रिज की ओर बढ़ गई और पूछने लगी- राहुल, तुम्हें कुछ चाहिए?
मैं कुछ जवाब दिए बिना ही उसकी ओर बढ़ा और उसे कमर से पकड़ लिया- मुझे तुम्हारी ये प्यारी सी चूत चाहिए जिसे तुमने छुपा कर रखा है। मैंने अपनी हथेली उसकी चूत पर रगड़ते हुए कहा।
‘राहुल, रुक जाओ, पिताजी अभी यहाँ से गए हैं सोने के लिए!’
‘फिर तो सुबह तक वापस आने वाले नहीं हैं।’ मैंने उत्तेजित होते हुए कहा।
मैंने उसकी शॉर्ट्स और पेन्टी खींचकर नीचे कर दी और सोनाली को अपने नज़दीक खींच लिया और अपने हाथ उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्सों पर फिराने लगा।
उसकी चूत को सहलाते हुए मैंने अपनी दो उंगली उसकी चूत में डाल दी और उसके मुँह से मधुर सी आवाज़ में ‘ओह्ह राहुल’ निकला।
सोनाली का जो विरोध था, वो अब जाता रहा। मैंने उसे घुमा दिया जिससे उसके मोटे मोटे चूतड़ मेरी ओर हो गए।
मैंने अपनी पैंट की चैन खोली और अपने लंड को बाहर निकाल लिया, बिना हिचकिचाए अपने लंड को उसके चूतड़ की दरार में से सीधा उसकी चूत में डाल दिया।
सोनाली की चूत से उठती हुई गर्मी मेरे लंड को अच्छी लग रही थी, साथ ही उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा सेहतमंद लंड बड़े आराम से अंदर चला गया।
मैं अब सोनाली के चूतड़ पकड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था, सोनाली ने दोनों हाथों से फ्रिज को पकड़ रखा था।
फिर मैं सोनाली के कूल्हों को पकड़कर जोर के धक्के लगाने लगा सोनाली भी अपने कूल्हों को आगे पीछे करके मेरा साथ देने लगी।
‘ओह राहुल, कितना अच्छा लग रहा है, हाँ और जोर से चोदो मुझे!’ सोनाली ने सिसकारते हुए कहा।
सोनाली ने धीरे से कहा- चलो सोफे पर चलते हैं।
मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया, सोनाली अपनी साँस संभालते हुए सोफे की ओर बढ़ दी। सोनाली ने अपनी शॉर्ट्स और अंडरवीयर पूरी तरह से फ्रिज के पास ही निकाल दी।
मैं सोफे पर बैठा अपना लंड सहला रहा था और कहा- सोनाली इधर आओ, मेरे लंड पर बैठ जाओ।
वह मेरे पास आई और अपनी टाँगें खोलकर थोड़ा ऊपर हुए मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया और नीचे होते हुए लंड को अपनी चूत में पूरा ले लिया।
मैंने कहा- हाँ, मैं यही कहना चाहता था, इस तरह बैठने से लंड तुम्हारी चूत की जड़ तक चला जाता है। सोनाली को भी अब खूब मजा आ रहा था वो भी अब उछल उछल कर लंड को अपनी चूत में ले रही थी।
अब सोनाली ने घूम कर चेहरा मेरी तरफ कर लिया, मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
सोनाली ने अपने होंठ मेरे होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया। साथ ही उसने अपनी चूत को इस तरह मेरे लंड के चारों ओर जकड़ा कि मेरे लंड ने उसी समय पानी छोड़ दिया।
‘ओह सोनाली, तुम्हारी चूत बड़ी कसी है।’ मैंने बड़बड़ाते हुए कहा। उसी समय सोनाली ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और गोल गोल घुमाने लगी, साथ ही वो उछल कर धक्के लगा रही थी।
‘ओह सोनाली, हाँ और जोर से…’ कहकर मैंने उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया साथ ही सोनाली ने भी पानी छोड़ दिया।
थोड़ी ही देर बाद हमें किसी के आने के कदमों की आहट सुनाई दी।
सोनाली उछल कर मेरी गोद से मेरे बगल में बैठ गई।
उसको अपनी पैन्टी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी इसलिए वो अपनी टाँगें सिकोड़कर वैसे ही सोफे पर बैठ गई। उसने अपनी टी शर्ट को इस तरह से अपनी टांगों पर ढक लिया कि उसकी चूत दिखाई न दे।
मैंने भी जल्दी से अपनी पैंट ऊपर खींचकर पहन ली।
सोनाली के पिताजी ने कमरे में कदम रखा उन्होंने सिर्फ अपना नाईट गाउन पहन रखा था। ‘पिताजी, आप यहाँ इस समय क्या कर रहे हैं?’ सोनाली ने डरते हुए पूछा।
उसके पिता कुछ नींद में थे, उन्होंने कहा- बेटा अपने लिए एक और ड्रिंक लेने आया था, पता नहीं आज नींद क्यों नहीं आ रही है। ‘मैं अपने चश्मे भी यहीं भूल गया था, हाँ वो रहे!’ कहकर आगे बढ़ गए।
‘नमस्ते अंकल जी!’ मैंने कहा। ‘ओह राहुल बेटा, तुम यहीं हो? मैं समझा कि आज तुम्हारी नाईट शिफ्ट है।’
मैं और अंकलजी कुछ बातों में लग गए, वहीं सोनाली ने महसूस किया कि मेरा वीर्य उसकी चूत से होता हुआ उसकी टाँगों पर बह रहा था।
उसने अपनी टी शर्ट से ढकने की कोशिश बहुत की पर उसने देखा कि एक सफ़ेद सा धब्बा उसकी टी शर्ट पर बनता ही जा रहा था। तभी सोनाली को याद आया कि उसकी पैन्टी फ्रिज के पास जमीन पर पड़ी है।
जब उसने देखा कि उसके पिताजी फ्रिज की ओर बढ़ रहे हैं, तो वो थोड़ी और घबरा गई। उसके पिताजी आगे बढ़े और अपने लिए ड्रिंक बनाने लगे।
सोनाली ने मेरी तरफ देखा, मैं मुस्कराकर दिया। मैंने देखा कि किस तरह मेरा वीर्य सोनाली की टांगों पर बह रहा था।
‘ओके बच्चों, मैं सोने जाता हूँ!’ कह कर अंकल चले गए।
‘हे भगवान ! आज तो बड़ी मुश्किल से बच गए!’ मैंने कहा।
सोनाली सिसकार मेरी बाहों में आ गई। सोनाली ने घुटनों के बल मेरे सामने बैठ कर मेरी पैंट खोलकर मेरा लौड़ा निकालकर मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और फिर लौड़ा पूरी तरह से तन गया।
सोनाली मेरी तरफ देखते हुए लौड़े को चूस रही थी और मैं उसके बालों में हाथ फ़िरा रहा था। ‘डार्लिंग, तुम्हारे लौड़े का स्वाद अच्छा लग रहा है।’ उसने मेरे लौड़े को चूसते हुए कहा।
सोनाली ने सिसकारी लेते हुए कहा- चलो अब मेरी जोर से चुदाई करो!
मैंने दोनों हाथों से उसकी टाँगें फैलाई पर चूत में लौड़ा डालने की बजाय मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी।
‘ओह्ह हाँ, ऐसे ही चाटो अच्छा लग रहा है।’ और साथ ही मैं उसकी चूत में अपनी जीभ गोल गोल घुमा रहा था।
सोनाली कहने लगी अब मुझे अपने मोटे लम्बे लंड से चोदो।
मैंने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को पकड़ा और उसकी आँखों में देखते हुए अपना लंड चूत पर रख दिया। मैंने हल्का सा जोर लगाया और लंड उसकी चूत में ऐसे चला गया जैसे चाक़ू मक्खन में चला जाता है।
मैंने थोड़ा और जोर लगाया, अब मेरा लंड पूरा उसकी चूत में था। सोनाली ने अपनी चूत की मांशपेशियों को इस तरह जकड़ा, मेरा लंड उसकी चूत की गिरफ्त में था। एक अनोखे आनन्द से मेरा शरीर भर गया, उसकी चूत कितनी गर्म और गीली थी, मैं उस पल का मजा ले रहा था।
मैं हल्के हल्के धक्के लगाकर उसे चोद रहा था और उसकी चूचियों को मसलते हुए पागलों की तरह उसे चोद रहा था। मेरे हर धक्के पर वो अपने कूल्हे उछाल रही थी।
‘ओह सोनाली तुम्हारी चूत कितनी अच्छी है… ओह्ह मेरा तो अब छूटा!’ बड़बड़ाते हुए मेरे लंड ने वीर्य की फुहार सोनाली की चूत में छोड़ दी। फिर हम दोनों निढाल होकर गिर गए।
जब हम दोनों की साँसे थोड़ी ठण्डी हुई तो सोनाली ने मुझे अपने से अलग किया और मेरा लंड चाटने लगी, कहने लगी- तुम्हारे वीर्य का स्वाद अच्छा है।
फिर हम दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए। [email protected]
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