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हैलो दोस्तो.. एक बार फिर हाजिर हूँ.. एक वासना युक्त दास्तान लेकर। मेरी पिछली कहानी को आपने खूब सराहा.. उसके लिए धन्यवाद।
मैं अभी रायपुर में हूँ। मैं जिस जगह पर रहता हूँ.. वहाँ बगल में एक फैमिली रहती है.. जिसमें एक अंकल जी, उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। एक का नाम राजीव है जो कि बगल में रहने के वजह से मेरा दोस्त बन गया और दूसरी उसकी छोटी बहन है जो कि 12 वीं करने के बाद मेडिकल की तैयारी कर रही है। उसका नाम प्रिया है।
अक्सर मैं शाम को उनके यहाँ जाकर कुछ टाइम पास करता और चाय वगैरह पीकर अपने कमरे पर आ जाता। इस तरह से मैं उनकी फैमिली से बहुत घुल-मिल गया था।
प्रिया के बारे में मैं आपको बता दूँ, वो एकदम गोरी और सेक्सी फिगर की मालकिन है.. उसकी उम्र 19 साल की होगी।
एक दिन मैं शाम को वापिस आ रहा था, तो देखा कि प्रिया पैदल चली जा रही थी। मैंने पूछा- कहाँ जा रही हो? वो बोली- घर।
मैंने कहा- फिर चलो.. बाइक पर आ जाओ, साथ चलते हैं।
वो मुझे ‘धन्यवाद’ बोलते हुए और लड़कों वाली स्टायल में दोनों पैर डाल कर मुझसे चिपक कर बैठ गई।
मैं जब वहाँ से चला.. तो कई बार उसके चूचे मेरी पीठ से टच हुए। मुझे एक अजीब सा एहसास हुआ। पहली बार प्रिया को लेकर मैंने कुछ गलत सोचा था।
हम दोनों कब घर आ गए.. पता भी नहीं चला। उसकी मम्मी बाहर ही थीं।
आते ही मम्मी ने मुझसे पूछा- ये तुझे कहाँ मिल गई। मैंने बताया- ये पैदल आ रही थी तो मैं साथ ले आया।
मैं इतना कहकर अपने कमरे में चला गया।
मुझे रात में सोते समय प्रिया के सपने आने लगे.. लेकिन डर था कि इस ठरक के चक्कर में मेरी बनी बनाई इज्जत न चली जाए।
वैसे तो मैं रोज ही उनके घर जाता.. लेकिन एक दिन नहीं गया। शाम के 7 बज रहे थे.. मैं खाना बनाने की तैयारी कर रहा था।
तभी प्रिया आई और बोली- रंजन आज तू मेरे यहाँ नहीं आया? मैं बोला- बस ऐसे ही नहीं आया.. लेकिन क्या बात है.. तू इधर कैसे आई.. कोई काम था?
वो बोली- पापा-मम्मी नानी के यहाँ गए हैं.. नानी की तबियत खराब है और अभी भैया भी अपने दोस्ती की शादी में चला गया। जबकि उसको कहीं भी जाने को पापा मना करके गए थे.. फिर भी वो नहीं माना। मुझसे भी उसने बोला है कि पापा से मत बताना। अब मैं घर में अकेली बोर हो रही थी, तो मैंने सोचा कि तू आएगा तो कुछ टाइम पास हो जाएगा, लेकिन तू भी नहीं आया।
मैं बोला- चल.. मैं कुछ खाना बनाकर आता हूँ। वो बोली- मैंने खाना बनाया था.. तो ज्यादा बन गया है.. चलो साथ में खाते हैं.. मैं बोर भी नहीं होऊँगी।
मैं उसके साथ चला गया।
अब मेरे मन में प्रिया को लेकर काफी कुछ चल रहा था।
वो टीवी ऑन करके खाना लगाने लगी।
फिर हमने साथ बैठकर खाना खाया। मैंने उसके खाने की तारीफ भी की। खाना के बाद हम कुछ बात करने लगे और सोफे पर साथ बैठकर टीवी देखने लगे।
उस दिन वो क्या मस्त माल लग रही थी.. मेरा तो जी कर रहा था कि अभी उसे पकड़ कर किस कर लूँ।
अचानक एक छिपकली उसके बगल में गिरी, वो देखकर बेहद डर गई और जोर से चिल्लाबकर मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरे गले से लिपट गई।
छिपकली तो अपने आप वहाँ से चली गई, पर प्रिया अभी भी मुझसे लिपटी हुई थी। मेरा लण्ड खड़ा होकर पैन्ट में तम्बू बनाने लगा।
मैंने हिम्मत करके एक चुम्बन उसके गालों पर कर दिया और बोला- वो चली गई.. अब न डरो। पर वो अब भी मेरे गले लगे हुई थी।
वो बोली- आज तुम यहीं पर सो जाओ न प्लीज। मैंने ‘हाँ’ कर दिया। मुझे तभी लगा कि आज मेरा कुछ जुगाड़ हो सकता है।
कमरे में दो बिस्तर एक साथ लगे हुए थे। एक पर वो और एक पर मैं जा कर लेट गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं।
कुछ देर बाद वो बोली- जब तुमने मुझे गले से लगाया था तो मुझे बहुत अच्छा लगा। मुझे अब भी डर लग रहा है.. तुम मेरे साथ आकर सोओ न?
मैं जाकर उसके बगल में लेट गया। वो फिर से मुझसे लिपट गई। मैं भी अपना हाथ उसके ऊपर से सहलाने लगा।
मैंने उसी समय प्रिया को ‘आई लव यू’ कह दिया, तो उसने भी बिना सोचे ‘लव यू टू’ बोल दिया।
वो बोली- मैं तुम्हें बहुत पहले से पसन्द करती हूँ।
बस फिर क्या था.. मैंने उसे पूरी तरह से आगोश में ले लिया और उसके होंठ चूसना स्टार्ट कर दिया। वो भी पूरा साथ दे रही थी।
धीरे-धीरे मैं उसकी गर्दन से लेकर चूचियों के पास अपने होंठों को ले गया। वो भी इसका मजा ले रही थी। मैंने उसके चूचों को कपड़े के ऊपर से दबाना शुरू किया।
फिर मैंने उसके चूचों को कपड़े से आजाद कर दिया और चूसने लगा। वो कामुक सिसकारियां लेने लगी और मेरे सर को पकड़ कर अपने चूचों पर दबाने लगी।
कुछ मिनट तक मैंने उसके कड़क चूचों को खूब दबाया और चूसा, इसके बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए सिर्फ पैंटी को छोड़कर!
मैंने उसकी चूत के पास टच किया.. तो वो पूरी गीली हो रही थी। प्रिया चुपचाप सिसकारियां लेकर गरम हो रही थी, उसे मेरे कामों का एहसास ही नहीं हो रहा था।
मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत चाटने लगा। इससे वो तो एकदम पागल सी हो गई। उसकी चूत बिल्कुल साफ थी। मैंने काफी देर तक उसकी चूत चाटी और चूत चाटने के साथ-साथ मैं उसके बोबे भी दबाता रहा।
इसी बीच वो झड़ गई.. मैंने पूरा माल चाटकर साफ कर दिया। अब मैंने अपनी अन्डरवियर को उतारा और अपने लण्ड को उसे चूसने को कहा.. उसने मना कर दिया। फिर मेरे जिद करने पर वो मान गई। अब हम दोनों 69 की मुद्रा में हो गए.. उसने मेरा लण्ड खूब चूसा।
मैंने उसे पूरी तरह से गरम कर दिया। अब वो मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने के लिए तैयार थी।
वो चुदासी सी होकर बोल रही थी- प्लीच रंजन अब डाल दो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने भी लोहा गरम देखकर सोचा ये सही समय है।
मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया और अपने लण्ड को उसकी बुर पर ले जाकर रगड़ने लगा।
उसने मुझे बताया- मैंने ब्लू-फिल्म देखी है.. लेकिन आज तक किसी से नहीं चुदवाया है.. प्लीज आराम से करना।
मेरा लण्ड पूरी तरह से टाइट था। अब मैंने देर न करते हुए एक धक्का मारा, जिससे मेरा लण्ड बहुत थोड़ा सा अन्दर गया। सच में उसकी बुर का छेद बेहद टाइट था। मैंने एक और धक्का मारा.. इस बार मेरा आधा लण्ड. उसकी बुर में घुसता चला गया।
वो अचानक हुए दर्द से रोने लगी और बोलने लगी- प्लीज रहने दो.. बहुत दर्द हो रहा है। पर मैं पूरे जोश में था.. उसके होंठों पर अपने होंठ ले गया और चूसने लगा।
थोड़ा दर्द कम हुआ तो मैंने एक और धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड अन्दर घुस गया, वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बन्द किया। उसकी बुर से खून निकल रहा था।
अब धीरे-धीरे मैं अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगा। कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो उसे भी मजा आने लगा।
अब वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी। मैंने धक्के लगाने बन्द नहीं किए, अब वो मुझे बेहताशा चूमे जा रही थी।
एक लम्बी और जोरदार चुदाई के बाद हम एक साथ झड़ गए।
मैं उससे लिपटा हुआ उसे किस करता रहा। मैंने उसे रात में तीन बार अलग-अलग स्टाइल में चोदा।
बाद में मैं उसके साथ नंगे होकर नहाया.. उसने मुझे साबुन लगाया और मैं उसे मलता रहा। इसके बाद वो पूरी रात मेरे से लिपटी रही। मैं सुबह 5 बजे अपने कमरे पर चला गया.. किसी को कुछ पता भी नहीं चला।
अब हमें जब भी मौका मिलता है.. आज भी हम चुदाई करते हैं। यह थी मेरी एक हसीन रात की दास्तान।
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