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दोस्तो, मैं आपका दोस्त जयदीप फिर से आपके सामने एक और सच्ची कहानी लेकर आया हूँ।
आप लोगों ने मेरे पिछली हिन्दी सेक्स स्टोरी दोस्त की बीवी की चूत का नशा को खूब सराहा और ढेर सारे ईमेल आए।
सभी ने एक ही सवाल पूछा कि फिर क्या हुआ?
फिर मैं तनु से मिलने एक बार पूना गया।
मैं- कैसा है हमारा बच्चा?
तनु- जयदीप.. वो तो ठीक है, पर मैं उसे हमारा नाम नहीं दे सकती.. सभी यही समझते हैं कि ये राजेश का बच्चा है। मुझे अपने परिवार का डर भी है। अगर उन्हें पता चल गया.. तो वो जीते जी मर जायेंगे।
मैं- तो ऐसा कर लो कि राजेश को डाइवोर्स दे दो और मुझसे शादी कर लो।
तनु- ऐसा नहीं कर सकते.. क्योंकि बिना कारण के मैं तलाक नहीं ले सकती और लिया तो मेरे माँ-बाप को कोई नहीं छोड़ेगा और इससे अच्छा तो ये होगा कि हम ही एक-दूसरे को भूल जाएं।
ये सुनकर मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। थोड़ी देर तो मुझे होश ही ना रहा। मैं- पागल हो गई क्या? ऐसा सोचा भी कैसे?
तनु- पागल तो तुम हो गए हो। अगर तुम्हारे और मेरे घरवालों को राजेश ने या किसी और ने बता दिया तो..? मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ, पर मैं यही कहूँगी कि तुम मुझे भूल जाओ। इसी में हम सबकी भलाई है और आपके बेटे को देखकर मुझे हर वक्त आपकी याद आएगी। अभी राजेश को पता नहीं है वो ये ही समझता है कि ये उनका बच्चा है। प्लीज.. मुझे भूल जाओ और नई लाइफ स्टार्ट करो। तुम्हारे पेरेंट्स ने भी तुम्हारे लिए कुछ सपने देखे होंगे। जो हुआ वो अच्छा या बुरा पल.. जो भी तुम समझो, उसे एक होनी समझ कर भूल जाओ.. वरना कई जिंदगियां बर्बाद हो जाएंगी।
मैंने सोचा कि अगर वो खुश नहीं रहेगी, तो मैं कैसे रहूँगा और प्यार का मतलब क्या रहेगा! मैंने तनु को चूमा और उससे फ़ोन पर बात करने का वादा किया।
मैं वहाँ से चला गया और अपनी रूटीन लाइफ जीने लगा।
मेरा मन नहीं लग रहा था, इसलिए मैंने कंपनी बदल दी और दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली।
मेरा एक्सपीरियंस ज्यादा होने की वजह से मुझे सीधा यूके भेज दिया गया.. क्योंकि उधर अर्जेंट जरूरत थी।
मैं एक हफ्ते में ही यूके आ गया। वहाँ मुझे कब तक काम करना था.. पता भी नहीं था।
मैं जब एयरपोर्ट पर उतरा.. तब मुझे कंपनी की कार लेने आई थी। उस कार में से एक सुन्दर लड़की उतरी जिसका नाम नैंसी था। उसने आकर मुझसे हाथ मिलाया और मेरा ‘वेलकम’ किया।
अब जो भी बातें उसके साथ हुईं.. वो इंग्लिश में हुईं, पर मैं हिंदी में बताता हूँ।
मैं- थैंक्स!
वो कमाल की लग रही थी, मानो कोई एक्ट्रेस हो। वो करीब 22 साल की होगी। उसका फिगर 34-28-36 का था, एकदम गुलाबी गाल और शार्ट टॉप और जीन्स में वो बहुत ही मस्त लग रही थी।
नैंसी- सफर सही तो रहा ना? मैं- बिलकुल सही.. कोई परेशानी नहीं हुई। नैंसी- मैं आपको पहले ही बता दूँ कि हम दोनों को साथ ही काम करना है। इसी लिए मैं आपको लेने आई हूँ।
उसके बाद हम ऑफिस पहुँचे, वहीं उसने मुझे सबसे मिलवाया।
फिर क्या था.. हमारा रूटीन काम शुरू हो गया और नैंसी ने मुझे सब समझा दिया। कुछ दिनों में हम दोनों फ्रेंड्स बन गए।
एक दिन मैंने उसे कॉफ़ी के लिए इनवाइट किया और वो मान गई। हम कैंटीन में गए।
मैं- तुम्हारी फैमिली में कौन-कौन है? नैंसी- मैं, मम्मी और पापा..
मैं- तुम बहुत सुन्दर लग रही हो। जैसे हीरोइन हो। नैंसी- थैंक्स जी.. इतनी तारीफ मत कीजिये। मैं- मैंने जो देखा ही.. वही कह रहा हूँ।
नैंसी- आपके घर में कौन है? आप शादीशुदा हो? मैं- मैं और पेरेंट्स… मुझे एक लड़की से प्यार था। फिर मैंने तनु के बारे में बताया।
नैंसी- गलत हुआ आपके साथ। मुझे नहीं पूछना चाहिए था ये सब। यह कहकर वो भावुक हो गई और उसने मेरे गाल पर किस किया और वो चली गई।
मैं कुछ समझ नहीं पाया क्योंकि मेरे दिमाग में अभी भी तनु ही थी। तभी मैंने तनु से बात की।
इसके बाद मैं और नैंसी दोनों रोज अपना काम करते थे और कॉफ़ी पीते, बातें करते।
एक दिन वो बोली- हमें मैनेजर से काम के सिलसिले में मिलना है.. चलो मेरे साथ। मैं- मैनेजर का नाम क्या है और मिलना जरूरी है? नैंसी- वो क्रिस्टिना है और अभी हमें रिपोर्ट देनी है। मैं- ठीक है चलिए।
मुझे लगा हो गई कोई शायद 40-50 साल की औरत, पर जब केबिन में गया तो मेरे तो होश ही उड़ गए। वो 25 साल की ही थी और उसका फिगर 36-26-38 का रहा होगा शायद। ऐसा लगा जैसे कोई अप्सरा ऊपर से नीचे आ गई हो!
उसने अपने गुलाबी होंठों से स्माइल दिया और हम दोनों से कहा- आओ बैठो!
फिर मैंने और नैंसी ने रिपोर्ट पेश की और नैंसी समझाने लगी.. मैं उसे एकटक देखे जा रहा था। वो भी कभी-कभी मुझे देख रही थी। उसी दौरान नैंसी ने मुझे लात मारी और मुझे होश आया, मैंने अपना काम क्रिस्टीना को समझाया।
वो मेरे कम से बहुत खुश हुई। हम वापिस काम में लग गए।
नैंसी- तुम्हें क्या हो गया था कि तुम उसे देखे ही जा रहे थे? मैं- मैंने आज तक उसके जैसी खूबसूरत लड़की नहीं देखी थी। हॉलीवुड की फिल्मों में भी ऐसा परी चेहरा नहीं देखा। नैंसी- यहाँ सब उसे देखकर काम भूल जाते हैं और कई ने तो जॉब भी खो दी है.. कहीं तुम भी खो न दो। मैं- वो होंगे पागल.. पर मैं उनमें से नहीं हूँ।
फिर हम डेली अपने काम की रिपोर्ट देने जाते और मैं उसे देखता और वो भी मुझे निहारती। उसको मेरे काम का तरीका भी अच्छा लगने लगा।
एक बार मैंने नैंसी को डिनर के लिए न्योता दिया और वो मान गई। हम एक होटल में खाना खाने गए और उस होटल में हर टेबल के आस-पास पर्दे थे यानि कि जब तक हम न बुलाएं, तब तक वेटर भी नहीं आता।
हमने खाना आर्डर किया और खाना खाते हुए बात भी करने लगे।
मैं- एक सवाल पूछूँ? नैंसी- हाँ पूछो.. मैं- जब मैं क्रिस्टिना (क्रिस) को देख रहा था.. तब तुम्हें बुरा लग रहा था? नैंसी- मुझे क्यों बुरा लगेगा? मैं- छुपाना तो कोई तुमसे सीखे नैंसी। साफ़ दिख रहा था तुम्हारे चहरे पर। नैंसी- तो पूछा क्यों?
मैं- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड हे? नैंसी- नहीं.. पर पहले था, लेकिन वो मेरा दिल तोड़कर चला गया।
फिर वो रोने लगी तो मैंने उसे समझाया और उसकी पीठ सहलाकर उसे पानी पिलाया.. फिर वो थोड़ी रिलैक्स हुई। अब मैंने उसके गाल पर किस किया और वो मुझे भावुकता से देखने लगी।
खाना खाने के बाद मैं उसके घर छोड़ने गया तो घर पर ताला लगा था। उसने अपने पापा को कॉल किया, तो उन्होंने बोला कि वो उसको बताना भूल गए और वो अपने दोस्त की शादी में गए हैं।
फिर मैंने नैंसी से कहा- तुम मेरे घर पर चलो.. जो कंपनी ने दिया है।
पहले उसने थोड़ा सोचा.. पर बाद में ‘हाँ’ कर दी और हम दोनों मेरे फ्लैट की तरफ चल दिए।
वहाँ आकर नैंसी फ्रेश होने गई और मैं भी शॉर्ट्स में आ गया।
फिर मैं उसके पास गया और मैंने उसके दोनों गालों पर हाथ रख दिए और बोला- आज तो तुम ज्यादा ही सेक्सी और सुन्दर लग रही हो।
तो वो शर्माने लगी।
फिर मैंने उसको किस किया.. तो वो विरोध करने लगी, पर मैंने फिर उसके हाथों को पकड़ा और किस करने लगा। वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी पर बाद में उसे मज़ा आने लगा.. तो फिर वो मेरा भरपूर साथ देने लगी।
हम एक-दूसरे के मुँह में जीभ डालने लगे। हम दोनों दस मिनट तक ऐसे ही किस करते रहे.. और मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा।
हम दोनों ही गर्म हो चुके थे, मैंने उसका टॉप उतारा और फिर लोअर भी। अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में रह गई.. उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अब वो मेरी चड्डी में से मेरा लंड निकाल कर चूसने ही जा रही थी.. तो मैंने उसे बोला- रुको नैंसी.. मैं तुम्हारे साथ इंडियन स्टाइल में सेक्स करना चाहता हूँ.. तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं? नैंसी- बिलकुल नहीं.. मुझे भी नया सीखने मिलेगा।
मैं उसे बिस्तर पर ले गया और उसके गालों को चूमने लगा और फिर कानों को भी.. मेरा एक हाथ उसकी गांड को सहला रहा था।
मैं उसके गले पर चुम्बन करने लगा और मम्मे दबाने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी.. उसकी साँसें तेज होने लगीं।
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और उसके कबूतरों को आज़ाद कर दिया और उसको मसलने लगा जो कि वो टाइट थे। ऐसा लग रहा था कि उसने बहुत कम सेक्स किया होगा।
मैं उसके मम्मों को चूसने लगा, एक मुँह में.. तो दूसरे को हाथ से मसलता। उसके मुँह से मादक आवाजें आने लगीं- आह.. ईह.. यस अव्ह..
मैंने उसके दोनों मम्मों को लाल कर दिया।
फिर मैं उसके पेट को चूमते हुए नीचे आया.. और उसकी पैंटी भी उतार दी, अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मैं उसकी दोनों टाँगों को फ़ैलाकर उसकी चूत को चाटने लगा।
नैंसी- आह्ह.. चाट इसे.. और चूसो.. फाड़ दो.. मममम.. मैं- डोंट वरी.. तुम मना नहीं कर दोगी इतना चोदूँगा।
फिर मैंने काफ़ी देर तक उसकी चूत चाटी और उसकी आहों से सारा फ्लैट गूंजता रहा। मैंने मौका देख कर अपना लण्ड उसकी चूत पर टिका कर एक धक्का जो मारा.. वो दर्द से चीखने लगी- नो नो.. मैं मर जाऊँगी.. निकालो इसे।
पर मैंने उसकी एक न सुनी और धक्के मारता ही गया और उसे किस करता गया। थोड़ी देर के बाद दर्द कम हो गया और उसे मज़ा आने लगा।
वो बोलने लगी- फ़क मी हार्ड बेब.. ओह गॉड.. ओह यस कम ऑन.. फ़ास्ट बेब..
यह सुनकर मैं और ज्यादा उतेजित हो गया और उसे जमकर ठोका।
मैं झड़ने वाला था.. पर वो दो बार झड़ चुकी थी।
फिर उसने बोला- अन्दर मत डालना.. मुझे पीना है.. मना मत करना।
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और वो पूरा रस पी गई।
कुछ देर रुकने के बाद मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई.. और उछल-उछल कर अपनी फुद्दी चुदवाने लगी।
उस रात मैंने उसे दो बार सेक्स किया और फिर हम साथ नहाए और नंगे ही बिस्तर पर लेट गए.. और मस्ती करने लगे। वो बहुत खुश थी।
अब मैंने उसके एक बूब को मुँह में लिया और वो फिर से मदहोश होने लगी। मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मों को चूसने लगा क्योंकि मुझे ‘स्तन-मर्दन’ बहुत पसंद है। मम्मों को चूसते हुए कब आँख लग गई पता ही नहीं चला।
जब मैं सुबह उठा.. तो नैंसी जाग चुकी थी और किचन में कॉफ़ी बना रही थी, वो अब भी नंगी थी।
मैंने उसकी उठी हुई गांड देखी और चूतड़ पर एक चपत मारी और पीछे से उसको जकड़ लिया। इससे पहले वो कुछ समझती.. मैंने अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा। वो भी मस्त होकर मेरा साथ देने लगी।
इस बार कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैंने पूरा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया। मुझे ऐसा लगा कि अन्दर जैसे बम फटा हो। वो कुछ परेशान होने लगी.. तो मैंने बाद में उसे पिल्स खरीदकर देने की बात कही तो वो शांत हो गई।
नैंसी- आज जो भी हुआ.. अनजाने में हुआ जय.. मैं इसे आगे बढ़ाना नहीं चाहती, लेकिन कितने टाइम बाद किसी ने मेरी चूत की गर्मी को शांत किया.. थैंक यू जय। मैं- मैं भी इसको आगे बढ़ाना नहीं चाहता.. क्योंकि मैं भी तनु से प्यार करता हूँ, पर कभी अपने लंड को भी प्यार मिलना चाहिए।
यह कहकर मैंने उसे किस किया और वापस किचन में ही लेटा कर एक बार और प्यार करने लगा।
तो वो बोली- हमें ऑफिस भी जाना है.. वरना लेट हो जाएंगे।
फिर हम दोनों तैयार हो कर ऑफिस के लिए निकल गए।
आगे क्या हुआ.. वो मैं अगले भाग में बताऊँगा, पर अपने सुझाव जरूर भेजिएगा।
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