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हैलो दोस्तो.. मैं कई सालों से अन्तर्वासना को पढ़ रहा हूँ.. पर आज तक मैंने अपनी कोई आपबीती को नहीं लिखा.. क्यूंकि कुछ हुआ ही नहीं था, परन्तु आज मैं आप सबको अपनी एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ.. जोकि पिछले साल मेरे साथ बीती थी। इस घटना को लिखने में मुझसे कोई गलती हो तो माफ़ कीजिएगा।
मेरी कहानी दूसरी हिन्दी सेक्स कहानी से थोड़ा सा हट कर है.. परन्तु अगर आप पूरा पढ़ेंगे तो बहुत आनन्द प्राप्त करेंगे।
इस कहानी को मैं विस्तार से लिख रहा हूँ कि मैं अंकिता से कैसे मिला, कैसे पटाया और फिर किस तरीके से उसे चोदा और बहुत कुछ जो सस्पेंस है.. वो सब भी आपको मजा देगा।
मेरा नाम राहुल है, उम्र 19 साल की है। मैं एक छोटे शहर से हूँ। मैं देखने में स्मार्ट, लम्बा और फ्लर्टिंग टाइप का हूँ।
मैंने अपने शहर से 2013 में 12 का एग्जाम पास किया.. इसके बाद भी एंट्रेंस एग्जाम में मेरा कहीं सिलेक्शन नहीं हुआ। मेरे माँ-बाप का सपना था कि मैं एक अच्छा डॉक्टर बनूँ, इसी सपने को पूरा करने के लिए मेरा एडमिशन आकाश इंस्टिट्यूट दिल्ली की जनकपुरी ब्रांच में करा दिया गया।
मेरा पहला दिन, जब मैं क्लास में गया मेरी आँखें इतनी सारी खूबसूरत लड़कियों को देख कर गुमराह होने लगीं। वो मिनी स्कर्ट वाली.. जिसकी टाँगें एकदम चिकनी, वो टी-शर्ट वाली.. जिसके चूचों के निप्पल एकदम नुमायां हो रहे थे, शायद उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी.. वाह क्या नज़ारा था।
आज भी वो एक-एक लम्हा याद है। मेरे स्कूल में भी मेरी कई गर्लफ्रेंड बनी थीं, लेकिन आज तक मैं सिर्फ चुम्मा ही ले पाया था। वो भी सिंपल सा.. चूत का नजारा कभी नहीं हुआ था।
मेरे स्कूल में लड़के-लड़कियां अलग-अलग बेंच पर बैठते थे.. पर आकाश में जिसको जहाँ मन हो.. जिसके बगल में चाहो बैठो।
मैं अकेले सीट पर बैठ कर लड़कियों को निहार रहा था। आज काफी दिन बाद दिन जल्दी बीत गया.. पता ही नहीं चला।
मैं हॉस्टल पहुँचते ही नहाने गया और उन सब लड़कियों के चूचों को और उनकी मटकती गांडों को सोच कर मुठ मारी। आह्हाअह.. काफी ज्यादा आज वीर्य रस निकला।
अगले दिन, मैं जल्दी क्लास में गया और बैठ कर लड़कियों का इंतज़ार करने लगा। आज फिर सब एक से एक पटाखा माल लग रही थीं, किसी के बड़े चूचे थे.. तो किसी-किसी के छोटे.. पर सब लाजवाब थे।
देखते ही देखते क्लास भर गई, मेरे बगल में एक लड़का बैठा और एक तरफ मेरे सीट खाली थी, क्योंकि एक सीट पर 3 लोग बैठते हैं।
क्लास शुरू होने के बाद दरवाज़े की तरफ से एक आवाज़ आई- मे आई कम इन सर? मैंने घूम कर दरवाज़े की तरफ देखा। एक खूबसूरत सी गोरी सी लड़की.. जीरो फिगर, नार्मल साइज के चूचे, टी-शर्ट एंड जींस में खड़ी थी.. उसके खुले बाल.. आह्ह.. एक नज़र का प्यार क्या होता है, मुझे उस पल समझ आया।
मेरी खुशनसीबी कि वो लड़की बैठने के लिए मेरी सीट पर आई, उसने मुझसे सुरीली सी आवाज में पूछा- कैन आई सिट हियर? मैंने कहा- ऑफ़कोर्स.. प्लीज सिट।
इस तरह मेरी पहली दोस्ती उसी से हुई। मानो किस्मत ने मुझे उससे मिलाने के लिए आकाश में भेजा था।
क्लास के बाद 15 मिनट का लंच हुआ, हमारी बातें शुरू हुईं। उसने बताया कि उसका नाम अंकिता है और वो नॉएडा की रहने वाली है, हॉस्टल में रह कर कोचिंग करेगी। मैंने भी बताया- मैं भी हॉस्टल में रहता हूँ।
अब हम दोनों हमेशा साथ बैठते, बातें करते।
वहाँ सब नए थे और हमारी पहले दिन की दोस्ती हुई थी.. इसलिए हम एक-दूसरे को ज्यादा समझने लगे थे।
अब हालत यह थी कि अगर वो पहले आती.. तो मेरे लिए अपने बगल में सीट रखती, नहीं तो मैं रखता। हमारी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई।
हम आकाश की क्लास के बाद देर तक साथ में पढ़ाई करते।
धीरे-धीरे पता नहीं चला.. कब हम लोग रात में घंटों बात करने लगे। अब जब हम लोग मिलते तो हाथ मिलाते, जिससे मुझे उसके कोमल हाथों को छूने का मौका मिलता।
जिस दिन से हमारी दोस्ती हुई, उसके बाद से तो अब रात में सोते टाइम अक्सर मैं उसे सोच कर मुठ मारता था।
वो मुझसे अब गले भी लगने लगी थी.. उसके चूचे मेरे सीने को छूते, मेरा लंड खड़ा हो जाता था… बस मन में आता कि उससे पूछूँ ‘कैन आई फ़क यू..!’ और उसकी सहमति मिलते ही उसके ऊपर कूद जाऊँ और एक पल में उसे अपना बना लूँ।
पर अगले ही पल मैं कंट्रोल करता और हॉस्टल पहुँचने के बाद उसके नाम की मुठ मारता तब जाकर दिल को थोड़ा राहत मिलती।
एक दिन बात-बात में मैंने उससे फोन पर बोल दिया- आई लव यू.. उसने कहा- मैं तुम्हें अच्छा दोस्त समझती थी। यह कह कर उसने मेरा फ़ोन काट दिया।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.. अब मेरा उसके बिना जीना असंभव लग रहा था क्योंकि फ़ोन मिलाता, वो फ़ोन नहीं उठाती, मैसेज का रिप्लाई नहीं देती। मेरे दिमाग में सिर्फ एक डर था कि मैं उससे खो न दूँ।
उसके अगले दिन, क्लास में वो पहला दिन था जब वो मेरे बगल में नहीं बैठी।
मैंने उससे ‘सॉरी’ कहा, पर वो नहीं सुनना चाहती थी और मुझे इग्नोर करके चली गई।
पहली बार मेरी आँखों में किसी लड़की के लिए आँसू आए। उस दिन मेरी रात नहीं कट रही थी। मैं उठा और उसके हॉस्टल के बाहर जाकर खड़ा हो गया।
मैंने उसे मैसेज किया कि जब तक तुम मुझे माफ़ नहीं करोगी.. मैं तुम्हारे हॉस्टल के बाहर ही खड़ा रहूँगा। वो खिड़की पर आई।
उस वक्त रात के 2 बज रहे थे, उसने मुझे मैसेज किया- पागल मत बनो.. जाकर सो जाओ। मैं सोने जा रही हूँ। इसके बाद वो सोने चली गई।
मैं सुबह के 8 बजे तक वहीं खड़ा रहा। मैंने भी सोच लिया था कि जब तक माफ़ नहीं करेगी तब तक नहीं जाऊँगा।
वो बड़ा सा चाय का कप हाथ में पकड़े खिड़की पर आई और वो मुझे देख चौंक गई कि मैं पूरी रात से खड़ा हूँ।
वो तुरंत नीचे आई और बोली- ये क्या पागलपन है.. ऐसा भी कोई करता है क्या? मैंने कहा- मैं करता हूँ.. मुझे बस इतना जानना है कि मेरा ‘सॉरी’ एक्सेप्ट है या नहीं? बोली- हाँ.. एक्सेप्ट है.. अभी जाओ बाद में बात करते हैं।
मैं अपने हॉस्टल पहुँचा, मुझे नींद लग रही थी, अब और तबियत भी गड़बड़ हो गई।
मैं उस दिन क्लास नहीं गया, उसने क्लास से मैसेज किया- आज तुम्हारे लिए सीट रोक कर रखी.. तुम आए क्यों नहीं? फिर क्या था.. मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आई और मैंने उससे रिप्लाई किया- सॉरी.. तबियत ख़राब हो गई, इस वजह से नहीं आया।
अंकिता ने मुझसे शाम को मिलने को कहा। मैंने बोला- मेरी तबियत सही नहीं है।
मैं उससे नहीं मिला.. मेरी तबियत ख़राब थी इसलिए शायद उससे उस पल मेरे प्रति दया जगी। मुझे शायद उससे सच्चा प्यार हो गया था।
अंकिता ने मैसेज किया- राहुल मुझे तुम पसंद हो.. पर मैं दिल्ली पढ़ने आई हूँ.. प्यार करने नहीं.. मैंने कोई रिप्लाई नहीं दिया और अपना फ़ोन ऑफ कर लिया।
अगला दिन शनिवार था। आकाश शनिवार और रविवार को बंद रहता है।
शायद उसने मुझे फ़ोन किया होगा.. पर मैंने फोन बंद किया हुआ।
उसने फेसबुक पर मैसेज किया.. मेल किया पर मैंने कोई रिप्लाई नहीं दिया।
सोमवार को मैं जब क्लास में पहुँचा तो वो मुझे देख कर मुस्कराई और इशारे से अपने बगल में बैठने को कहा। मेरा मन तो बहुत था बैठने का, पर मैं वहाँ नहीं बैठा। वो उदास हुई, उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था।
फिर इंटरवल में उसने पूछा- क्या हुआ? मैंने कहा- मैं तुम्हें आज से डिस्टर्ब नहीं करूँगा.. तुम पढ़ने आई हो, अच्छे से पढ़ो.. आई एम सॉरी।
और मैं वहाँ से कैन्टीन की तरफ चल दिया क्योंकि मैं किसी की ज़िन्दगी नहीं ख़राब करना चाहता था।
उस दिन उसे मैं बहुत मिस कर रहा था, दिल पर पत्थर रख कर मैंने ये सब बातें बोली थीं।
फिर उस वक्त रात के 12 बज रहे थे तभी उसका मैसेज आया- आई एम सॉरी.. आई लव यू टू.. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।
मुझे यह पढ़ कर बहुत ही अच्छा फील हुआ, मैंने रिप्लाई दिया- पर तुम्हें तो प्यार नहीं करना न? तुम तो दिल्ली पढ़ने आई हो?
उसने कॉल किया.. फिर उसने कॉल पर कहा- अगर तुम साथ नहीं रहोगे, तो मैं पढ़ भी नहीं पाऊँगी.. मुझे अब समझ आ रहा है। प्यार और पढ़ाई सब साथ ही होगी।
मैंने भी कहा- यस बेबी.. यही तो मैं कहता था.. थैंक्स, तुम मुझे समझ पाई। बस इसके बाद से हमारी लव-स्टोरी शुरू हुई।
उस रात फिर हम सो गए, बड़ी मुश्किल से मेरी रात कटी।
अगले जब मैं आकाश पहुँचा तो उसने मुझे देख कर कातिलाना सी मुस्कान दी। वो आज लाजवाब लग रही थी।
उसने आज पिंक टी-शर्ट पहनी थी.. उसके चूचे इस टी-शर्ट में मस्त टाइट लग रहे थे। उसकी टाइट टी-शर्ट ही इसकी वजह थी। चुस्त जीन्स पहने हुई वो गजब की माल दिख रही थी।
फिर मैं उसके बगल में जा कर बैठ गया और कहा- हाय डार्लिंग.. कैसी हो? उसने कहा- ठीक हूँ मेरी जान।
और हम मुस्कुरा उठे.. क्लास स्टार्ट हुई अब मैं क्लास के बीच-बीच में कभी जींस के ऊपर से उसकी टांगों पर हाथ फेरता, तो कभी पीठ पर हाथ लगाता.. वो सिर्फ मुस्कुरा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर अगला दिन बुधवार था, आकाश बुधवार को भी बंद रहता है। फोन पर हमारा प्लान घूमने का बना, हम दोनों रात देर तक बात करते रहे, फिर सो गए।
सुबह देर से 11 बजे उठा और फिर हम दोनों ने कनाट प्लेस घूमने का प्लान बनाया। मैं 2 बजे लंच करके तैयार हो कर उसके हॉस्टल पर पहुँचा।
आज मैं उसे पहली बार मिनी स्कर्ट में देख रहा था… लाजवाब.. एकदम गोरी टाँगें थीं उसकी! वो समझ गई और मुस्कुरा कर बोली- अब बस मेरे पैर को देखना है.. या चलना भी है।
हम दोनों ऑटो पकड़ कर ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन गए.. वहाँ से फिर राजीव चौक पहुँचे। मेट्रो में भीड़ थी.. उसका फ़ायदा उठा कर मैं उसे टच करता रहा, कभी उसके पेट को छूता.. तो कभी उसके चूचों को।
हम रास्ते भर बात करते रहे। थोड़ी देर सी.पी. में घूमने में बाद हम आराम करने के लिए सेंट्रल पार्क में गए, मैं उसकी गोदी में लेट गया, वो मेरे बालों से खेल रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं बैठ कर बात करने लगा, फिर धीरे-धीरे मैं उसके करीब गया और उसके होंठों पर हल्का सा चुम्बन किया।
उसने अपनी आँखें बंद किए हुई थी। एक हल्का सा चुम्बन लेने के बाद मैं रुक गया।
वो धीरे से बोली- ये गलत तो नहीं होगा? मैंने कहा- अगर तुम्हारी परमिशन नहीं.. तो मैं कुछ नहीं करूँगा। उसने कहा- पागल.. मुझे तुम पर भरोसा है।
फिर इसी बात के बाद मैंने उसके माथे पर हल्का सा चुम्बन किया। जब मैं रुका तो वो अपने होंठों को मेरे होंठ के पास लाई और अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैं अपने पर कण्ट्रोल नहीं कर पाया और अपने होंठों को उसके होंठ पर रख कर किस करने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मुझे अच्छा लगा.. मानो मैं जन्नत में पहुँच गया होऊँ।
एक मिनट के चुम्मे के बाद हम दोनों ने एक-दूसरे को देखा और फिर खिलखिला कर हँसने लगे। थोड़ी ही देर बाद फिर हम वापस आ गए।
दोस्तो, कहानी कैसी लग रही है.. प्लीज़ मुझे मेल करके बताना। अभी इसमें बहुत मजा आने वाला है.. और ये सब एकदम सच है। [email protected] कहानी जारी है।
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