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अब तक आपने पढ़ा.. नीतू चूत देने की दिलासा देकर कमरे से बाहर चली गई थी।
अब आगे..
मैं अपने कमरे में आकर नीतू का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर बाद नीतू के पापा और शोभा के जाने के बाद वह मेरे कमरे में आ गई। तब तक दस बज चुके थे।
आते ही मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसे चूमने लगा, वह भी मुझे चूमते हुए मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने उसके होंठों को छोड़ अब उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया, चूमते हुए मैंने उसके मम्मे दबाना शुरू कर दिए। उसके बाद मैंने उसके कंधे से उसके कुर्ते को नीचे कर उसके कंधे पर चूमते हुए काट लिया। वह पागलों की तरह मेरे लंड को सहलाए जा रही थी।
मैंने उसके हाथ ऊपर करके उसके कुर्ते को निकाल दिया। उसकी ब्रा में कैद मम्मों को देखकर मैं पागल सा हो गया और उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से चूमने और चाटने लगा।
फिर मैंने उसके पीछे जा कर उसकी ब्रा का हुक को खोल कर पीठ पर चूमते हुए उसकी ब्रा को उतार दिया। उसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा कर उसके मम्मे चूसते हुए उसकी पजामी में हाथ डालकर उसकी चूत को उसकी पैंटी के अन्दर से सहलाने लगा।
उसकी चूत बहुत गीली हो रही थी और पानी पर पानी छोड़े जा रही थी।
फिर मैंने उठकर उसकी पजामी और पैंटी को उतार कर उसे पूरा नंगी कर दिया। यह पहली बार था.. जब मैंने किसी लड़की को नंगी देखा था। मैं झुक कर उसकी चूत को चूमने लगा और उसकी चूत थी कि वह पानी की धार पर धार छोड़े जा रही थी।
अब मुझसे रूकना मुश्किल हो रहा था, मैं उठकर अपने कपड़े उतार कर अपना लंड उसके मुँह के पास लेकर गया और उसे चूसने के लिए कहा, पर उसने मना कर दिया। मैंने भी उस से ज़्यादा ज़िद नहीं की।
मैंने फिर उसकी टांगों की तरफ आकर उसकी टांगों को पूरा मोड़ कर अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को उसकी चूत पर टिका कर धक्का मार दिया, पर चूत का मुँह छोटा होने के कारण और चूत गीली होने के कारण लंड फिसल गया।
उसने कहा- विक्की, इतना बड़ा मेरे अन्दर नहीं जाएगा।
दो-तीन बार ऐसा होने पर मैंने उससे कहा- तुम मेरे लंड को अपनी चूत पर टिका कर पकड़ कर रखो।
उसने वैसा ही किया और मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगाया और लंड का टोपा उसकी चूत में जा कर फंस गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
वह ज़ोर से चीखना चाहती थी.. पर मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसकी चीख घुट कर रह गई।
उसके बाद मैंने बिना हिले-डुले उसके मम्मों को चूमना शुरू किया। कुछ देर बाद जब वह थोड़ी सामान्य हुई तो मैंने उसके होंठों को चूमते हुए दोबारा एक धक्का लगाया.. जिससे मेरा लंड एक चौथाई उसके अन्दर घुस गया। उसने चीखना चाहा.. पर मेरे होंठों की वजह से उसकी चीख बाहर नहीं निकल सकी।
अब वह मुझे अपने ऊपर से हटाने के लिए मुझे धकेलने लगी और मेरे न हटने पर उसने मेरे होंठों को ज़ोर से काट लिया।
मेरी आंखों में आंसू आ गए और मैंने आवेश में आकर उसके कंधे को पकड़ कर होंठों को चबाते हुए जोरदार झटके लगाने शुरू कर दिए। वह बुरी तरह छटपटाने लगी, पर मैंने उसे नहीं छोड़ा और ज़ोरदार धक्के लगाते हुए पूरा लौड़ा उसके अन्दर घुसा दिया।
मैंने देखा तो वह बेहोश सी हो गई थी, मैं घबरा गया और बाहर जाकर उसके लिए पानी ले आया। उसे पानी पिलाने के बाद जब उसे थोड़ा होश आया तो मैंने उस से माफी मांगी।
उसने मुझसे कहा- तुमने इतनी बेरहमी से क्यों घुसाया अन्दर? मैंने कहा- तुमने इतने ज़ोर से काटा था कि मुझे गुस्सा आ गया.. इसलिए मैंने इतनी जोर से किया था।
फिर वह बोली- अब कभी भी मैं दोबारा तुम्हारे साथ सेक्स नहीं करूँगी। मैंने उसे बड़ी मुश्किल से मनाया। मैंने उससे कहा- अगर तुम्हें दर्द होगा तो मैं नहीं करूँगा।
बड़ी मुश्किल से वो मानी।
फिर मैंने धीरे-धीरे लौड़े को उसकी चूत के अन्दर करना शुरू किया। जब भी वो दर्द के मारे झटका देती.. मैं रूक कर उसे सहलाता और फिर थोड़ी देर रूक कर धक्का लगाता।
फिर उसने अंत में मुझसे कहा- अभी कितना और बाहर है? मैंने कहा- पूरा अन्दर चला गया है।
उसने सिसकी भरते हुए कहा- हूँ.. अब दर्द भी कुछ कम हो गया है। फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए।
धीरे-धीरे करते हुए मैंने अपनी स्पीड़ बढ़ा दी। वह भी अब मेरा साथ देने लगी थी। अब हर धक्के में उसकी मादक सिसकारी निकल रही थी.. जो मुझे मदहोश कर रही थी।
चूंकि यह मेरा पहला सेक्स था.. इसलिए मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि पांच मिनट से ज्यादा टिक नहीं पाया और जैसे ही मुझे लगा कि मैं स्खलित होने वाला हूँ, मैंने अपने लंड को बाहर खींच कर उसकी जांघ पर अपना माल छोड़ दिया।
नीतू अब भी काफी उत्तेजित थी और मुझे पागलों की तरह चूम रही थी।
मुझे थोड़ी झेंप सी महसूस हुई कि मैं इतनी जल्दी झड़ गया, पर फिर मैंने उसके निप्पल चूसने चालू किए। कुछ देर निप्पल चूसने के बाद मेरे लंड में फिर से तनाव आ गया। मुझे हैरानी थी कि मेरे लंड इतनी जल्दी दोबारा कैसे खड़ा हो गया।
मैंने दोबारा उसकी टांगों को अपने कंधों पर रखा, जिससे उसकी चूत का मुँह और खुल गया।
अब मैंने लौड़े को एडजस्ट किया और एक जोरदार धक्का दिया.. जिससे मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। वह छटपटाई.. पर चीखी नहीं। मैंने फिर से धक्का दिया और पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। फिर मैंने बेतहाशा धक्के लगाने चालू कर दिए। वह मस्त होकर चुदवा रही थी। मैंने उसे चोदते वक्त उसके निप्पल को चूमना और काटना शुरू किया।
मेरी इस हरकत ने जैसे उसे पागल बना दिया और वह अपनी कमर ज़ोर-जोर से उछालने लगी। मुझे भी उसकी इस हरकत ने जोश दिला दिया और मैं लम्बे-लम्बे और तेज़-तेज़ धक्के लगाने लगा।
अचानक उसने अपनी टांगें मेरी गर्दन से उतार कर मेरी कमर पर लपेट लीं और मुझे अपनी टांगों में जकड़ लिया।
उसने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए और अपनी टांगों को और ज़्यादा कस लिया, जिससे मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में जा कर फंस गया और उसकी टांगों की जकड़ की वजह से मैं ज़्यादा हिल नहीं पा रहा था।
तो मैंने उसके निप्पल और उसके साथ निप्पल के घेरे को चाटना और चूमना शुरू कर दिया।
तभी नीतू कांपने लगी और मुझे मेरे लंड पर गर्म पानी का सा एहसास हुआ। तब मुझे पता नहीं था कि उसे क्या हो रहा है.. पर अब अपने तजुर्बे से कह सकता हूँ कि वह बहुत ज़्यादा ज़ोर से झड़ी थी।
उसके बाद मैंने अपनी फुल स्पीड में धक्के लगाना शुरू कर दिया। वह कुछ देर तो बेसुध पड़ी रही, पर बाद में मेरा साथ देती हुई कमर उचकाने लगी।
तकरीबन आधे घंटे की लगातार चुदाई के बाद जब मुझे लगा कि मैं अब झड़ जाऊँगा.. तो मैंने उसकी चूत से लंड निकाल कर उसके पेट पर रगड़ते हुए अपना माल छोड़ दिया, उसके बाद मैं साईड में उसके पास लेट गया।
इस चुदाई में वह तकरीबन तीन बार झड़ चुकी थी और मैं इस बात से हैरान था कि मैं पहले सिर्फ 5 मिनट में झड़ गया और बाद में मैंने उसे काफी देर तक चोदा।
खैर.. मैंने उसे देखा और उसके होंठों को चूम लिया।
मैंने घड़ी देखी तो 12 बज रहे थे। वह बहुत थक चुकी थी और हिल भी नहीं पा रही थी। मैंने पास पड़े तौलिए से उसके जिस्म से अपना वीर्य साफ किया और उसे खुद से चिपका लिया और हम दोनों नींद के आगोश में चले गए।
मैं जब सोकर उठा तो देखा कि वह मुझे गले लगा कर सो रही थी, उसने एक हाथ से मेरे सोते हुए लंड को पकड़ा हुआ था और मेरे दिल पर अपना सर रख कर सो रही थी।
मैंने घड़ी देखी तो 3 बज चुके थे। वह रोज़ 2 बजे कॉलेज से वापस घर आती थी.. पर आज तो वह लेट हो चुकी थी।
मैंने उसे हिलाया और उसने मुझे अधखुली आंखों से देखा और मेरे दिल पर किस किया। मैंने उसे टाईम बताया तो वह एकदम से उठ गई.. उसने मुझसे कहा- अब मुझे जाना होगा।
मैंने उसे कहा- तुम जाओ, पर वादा करो कि वापस ज़रूर आओगी।
उसने मुझसे वादा किया और जैसे ही वह उठी.. उसने मेरी बेडशीट देखी जिस पर खून काफी मात्रा में लगा हुआ था।
मैंने उसे आंख मारी और बेडशीट उठा कर धोने वाले कपड़ों के साथ रखने लगा.. तो उसने मना कर दिया। उसने कहा- अपने प्यार की इस निशानी को वह सहेज कर रखना चाहती है।
फिर उसने वह चादर तह करके मेरी अलमारी में रख दी और अपने कपड़े पहनने लगी।
मैंने भी लोअर उठाकर पहना और दरवाज़ा हल्के से खोल कर बाहर का जायज़ा किया।
बाहर नौकरानी रसोई में रोटी बना रही थी और बाहर कोई भी नहीं था। मैंने उसे इशारा किया और वह जल्दी से मेरे कमरे से निकल कर सीढ़ियां चढ़ कर अपने कमरे में चली गई।
मैं अपने कमरे में आकर बैठा तो मेरी नौकरानी चंदा आई और उसने मुझसे कहा- खाना लगा दिया है.. खा लो। मैंने उससे कहा- मुझे भूख नहीं है।
चंदा ने कहा- तुमने अभी-अभी बहुत ‘मेहनत’ की है.. खाना नहीं खाओगे तो कमज़ोरी आ जाएगी। मैं घबरा गया और मैंने उससे पूछा- क्या मतलब?
तो इसके जवाब में वह सेक्सी अदा से मुस्कुरा कर बाहर चली गई।
अब डर के मारे मेरी बुरी हालत हो गई। मैं समझ गया कि इसने हम दोनों को सेक्स करते देख लिया होगा। उसके बाद क्या हुआ.. वो कहानी आपको बाद में बताऊँगा।
अगर आपको मेरी यह मधुर स्मृति अच्छी लगी हो.. तो मुझे मेरी ईमेल आईडी- [email protected] पर मेल करें।
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