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गंदा सेक्स की हिंदी कहानी में पढ़ें कि मैं शुरू से ही गुलाम पति चाहती थी. मुझे अपनी चूत और गांड चटवाना पसंद था. मैंने अपने पति से कैसे ये सब करवाया?
इस कहानी को सुनें.
मैं एक अमीर परिवार की सीधी दिखने वाली लड़की हूँ. मेरे अन्दर से बहुत कामुक और बड़ी इच्छाओं वाली एक लड़की है, जो एक कुलीन परिवार और उत्तर प्रदेश में जन्मी और बड़ी हुई है.
एक दिन मेरी जिंदगी में एक लड़का आया और देखते ही देखते हम करीब होते गए. यूँ तो मेरी जिन्दगी में कई लड़के आए, पर ये लड़का .. जो एक मिडल क्लास फैमिली से था और मुझे पाने के लिए हर हद तक जा सकता था.
मुझे उससे प्यार हो गया और उसने मेरी हर महत्वाकांक्षा और बात को मान लिया.
अपनी ससुराल में मुझे फ्रीडम और पति में एक ऐसा वफादार कुत्ता चाहिए था, जो मेरी चुत चाट कर मुझे मजा दे. मुझे चुदने से ज्यादा चुत गांड चटवाने में मजा आता था. इस लड़के से मिलने के बाद मुझे लगा इसमें मेरा सपना पूरा हो जाएगा.
ये लड़का बाहर नौकरी करता था और मेरा ग़ुलाम बन कर रहने लगा था. वो मेरी चुत चटवाने की फंतासी को तब बखूबी शांत करता, जब ज़ब मेरा मन होता.
उसने हर बात में हामी भरी और एक दिन मैंने हां कर दी और शादी हो गयी.
जब मैं ससुराल पहुंची, तो वहां घर भरा हुआ था. मेरा एक देवर था. जेठ जेठानी दो भतीजे समेत सास ससुर इतने ज्यादा मेंबर देख कर मेरी बुद्धि सनक गई थी.
जैसे तैसे पति के साथ 10-15 दिन गुज़रे. फिर मैंने बाहर जाने की ज़िद की, पर पति की नौकरी बाहर नहीं लग रही थी.
इस बात से मेरा फ़्रस्ट्रेशन बढ़ता गया और एक साल बीत गया. मुझे अपने पति पर गुस्सा आने लगा था. वो देर रात को मेरे पास आता और सिर्फ मुझे चोदने में इंटरेस्ट लेता. जबकि मेरा मन सिर्फ बुर चटवाने में लगता था. मुझे अब वो ग़ुलाम जैसा नहीं लगता था.
मेरी जेठानी का लड़का यानि मेरा एक भतीजा, जो करीब 19 साल की उम्र का था. वो मुझसे कुछ साल छोटा था. वो मेरे पास आता था और मेरे हाथ पैर दबाता था. मुझसे बहुत बातें भी करता था. मुझे उसका साथ पसंद आने लगा था. जब वो मेरी जांघों में मालिश करता, तो मेरी बुर गीली होने लगती.
कई बार मन करता कि इससे बोल दूं कि मेरी बुर चाट लो. पर उसे बाहर भेज कर मुझे वाइब्रेटर और हस्त मैथुन से काम चलाना पड़ता.
ब्लू फ़िल्में देख देख कर मेरा मन और भी ज्यादा करता कि कोई मेरी गांड भी चूस ले और मेरा ग़ुलाम बनकर रहे.
मेरी कामाग्नि बढ़ती चली गयी और मैं रोज़ाना नयी नयी ब्लू फ़िल्म देखने लगी. उसमें लड़के अलग अलग तरह से बुर को चूसते और चूत को सहलाते. लड़कियां बिल्कुल कुत्ते की तरह आदमी को मारती या ज़ंजीरों में कैद करके उनसे अपनी चुत गांड चुसवातीं. यहां तक कि वो लड़कों को अपना मूत भी पिला देतीं.
ये सब देख देख मुझसे अब रहा नहीं जाता था. मेरा मन करता था कि आपने भतीजे से बोल दूं कि मेरे ग़ुलाम बन जाओ .. और जो जो मुझे पसंद है, मेरे लिए करो.
मेरा भतीजा रोज़ रात मेरे कमरे में आता और मेरे हाथ पैर दबाता और मालिश करता. जब जब उसके हाथ ऊपर बढ़ते, तो वो समझ जाता कि मुझे अच्छा लग रहा है, पर दोनों अपनी मज़बूरी में आगे नहीं बढ़ पाते.
फिर एक दिन मैंने उससे कहा कि मेरे कपड़े सूखने डाल दो, मुझे पेट में दर्द है.
वो मेरे कपड़े सूखने डाल रहा था. मैं उसे देख रही थी. वो मेरी पैंटी को देख देख कर उत्तेजित हो रहा था. मेरी नज़र उसकी पतलून के बनते हुए उभार पर थी.
फिर वो चला आया और शाम को जब मैं कपड़े उठाने गयी तो वहां पैंटी नहीं थी. मैं समझ गई कि लौंडा मेरी पैंटी पर मर मिटा है.
जब रात वो मेरे कमरे में आया और मालिश करने लगा, तब मैंने उससे बोला- थोड़ा ऊपर हाथ लाकर मेरी जांघों के जोड़ पर मालिश करो. वो समझ नहीं पाया और पूछने लगा- किधर चाची? मैंने उसके हाथ को उठा कर अपनी पैंटी लाइन पर रख कर कहा कि इधर करो.
वो अपने नाजुक हाथ मेरी चुत की बगलों में फेरने लगा.
मैंने अपनी टांगें फैलाते हुए उससे कहा- हां, इधर ही तेल लगा कर मालिश करो.
मगर इतने में ही वो गीला हो गया. मैंने देखा कि उसके लोअर में से उसका गीलापन झलक रहा था. मैंने उसे ये बोल भी दिया- तुम तो अभी से गीले हो गए.
तब वो मेरे गले से लग गया और मैंने उसे अपनी सीने से चिपकाते हुए उसके कान में पूछा- मेरी पैंटी कहां है? उसने बता दिया कि चाची मैं उसे अपने पास रखूंगा, मैंने चोरी की थी, पर अब बता रहा हूँ.
मैंने पूछ लिया- पैंटी से क्या करोगे? वो बोला- उसकी महक से मुझे बहुत उत्तेजना हुई. अब तो मुझे पोर्न देखने की भी जरूरत नहीं है. आपकी पैंटी से ही सब काम हो जाते हैं.
उसी उत्तेजना में मैंने उससे ये भी पूछ लिया- मेरी पैंटी को सूंघते समय तुम क्या इमेजिन करते हो, तुम क्या फंतासी करते हो? उसने जवाब दिया- आपको जब छूकर जाता हूँ, फिर अकेले में आंख बन्द करके आपकी बॉडी के हर पार्ट को अपने मन में सहलाता हूँ, पोर्न देखता हूँ और अपने हाथ सूंघता हूँ. फिर हस्त मैथुन करता हूँ. आज से आपकी पैंटी होगी, तो मुझे और भी आसानी होगी.
मैंने पूछ लिया कि अगर सच में तुम्हें मेरी चूत सहलाने को मिले तो?
मेरे मुँह से चूत शब्द सुन कर वो हकबका गया. उसे यकीन नहीं हुआ. वो एक बार को तो डर गया.
फिर मैंने उसे समझाया कि अब तुम मेरे दोस्त हो जवान .. डरो मत मैं तुम्हारे चाचू को कुछ नहीं बताउंगी. तुम्हें जो अच्छा लगे, वो सोचो और जितनी पैंटी ले जाना हो, ले जाओ और अपना काम करके वापस उसी जगह पर रख जाना. फिर उसने भी पूछ लिया- आप क्या क्या सोचती हो?
मैंने कहा- जो मैं सोचती हूँ, वो तुम झेल नहीं पाओगे. वो तुम्हारे चाचू झेल सकते हैं. मुझे ऐसा ग़ुलाम पसंद है, जो मेरे एक एक अंग को खुश करे और गलती हुई .. तो रोने को तैयार रहे. पर तुम मुझे छू सकते हो, तेल मालिश कर सकते हो. जब तक वो नहीं आते, मुझे अच्छा लगता है. पति के आते ही तुम भाग जाते हो और मैं बहुत गीली रहती. वो बोला- फिर चाची? मैं- फिर कभी कभी मैं अपने पति से चुदवा भी लेती, मगर ज्यादातर बार सिर्फ हस्त मैथुन और वाइब्रेटर से ही मज़े लेना पसंद करती हूँ.
इस तरह से मैंने उसी दिन भतीजे से अपनी चुत चटवाई और कभी कभी उससे चुदवा भी लिया ताकि उसका मन लगा रहे.
उसके सहारे और 4-5 साल काटे और अब मुझे एक बच्चा भी हो गया. जो 4 साल का हो गया था.
वक़्त बीतता गया, पर मेरा फ़्रस्ट्रेशन बढ़ता जा रहा था. क्योंकि पति वो सुख नहीं देता था और मैं उससे वो ग़ुलामी नहीं करवा पाती थी, जो मुझे अकेले में करवानी थी. छोटी सी गलती की बड़ी सजा देना मुझे पसंद था मगर ये सब हो ही नहीं पा रहा था. मैं चाहती थी कि जब मेरा मन हो, उस वक्त उसका मुँह मेरी चूत में हो.
एक दिन मैंने ठान लिया कि पति को कुत्ते की तरह मार मार कर पिल्ला बना दूं वरना साला हाथ से निकल जाएगा.
तभी किस्मत से उसकी नौकरी दूसरे प्रदेश में लग गई, जहां अपना कोई नहीं था. इसी वजह से हमे अपने बच्चे को एक बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया.
मुझे शादी के कई साल बाद खुशी की लहर मिली, पर पहले पति को अपना पालतू कुत्ता बनाना था क्योंकि वो बिगड़ चुका था.
एक रात वो घर आया. मैंने सेक्सी कपड़े पहन कर उसका स्वागत किया. कमरे में एसी और गाना चला दिया.
उसकी आंखों पर पट्टी बांधी और उसे नंगा कर दिया.
आज वो भी बहुत ख़ुश हो रहा था, उसने कहा- जान अब तुम्हारे सपने पूरे होंगे, मैं तुम्हारा ग़ुलाम. उसके मुँह से ये सुन कर मुझे अच्छा लगा.
प्लान के मुताबिक मैंने उसके नंगे बदन पर हंटर चलाना शुरू किया और कुछ कोड़े मारे.
मैंने उसे बताया कि उसने क्या क्या गलती की और क्या क्या झूठ बोला था.
ज़ब वो गिड़गिड़ा रहा था, उसकी गोलियों को मैंने हाथ से मसल दिया और लंड समेत गोलियों को ज़ोर से दबोच कर पूरे कमरे में गोल गोल घुमाया.
मैंने एक घंटे उसकी क्लास लगायी और बोली- नए शहर में तुम मेरे कुत्ते बन कर रहोगे … और गलती की तो सजा ऐसी ही होगी. हर महीने एक बार तुम्हारी ऐसी ही क्लास लगेगी.
इसके बाद मैं उसके मुँह पर बैठ गयी और चूत चुसवाई. मैंने अपनी गांड उसके मुँह पर रगड़ी तो उसने हटा ली.
इस पर मुझे और गुस्सा आ गया. इसके बाद मैंने लंड को तोड़ा मरोड़ा और उसकी चीखें निकलवा दीं.
मैंने पूछा- कैसी लगी मेरी गांड? वो बोला- जानू भांग और अफीम जैसी बहुत गन्दी स्मेल आ रही थी.
मैंने हंटर और गालियों की मदद ली और उसे समझाया. ये सब करके मुझे बहुत अच्छा लगा. अब आकर मेरा फ़्रस्ट्रेशन कुछ कम हुआ.
मैंने उससे कहा- जब तुमने गांड चूसी … तो मुझे एक अलग अहसास और सातवें आसमान का नशा सा लगा. अब से तुम रोज़ाना मेरी चूत और गांड चूसोगे. जब मेरा मन होगा तब मैं तुझे चोदने को कहूँगी, वो भी तुझपर तरस खाकर. समझा ग़ुलाम साले.
फाइनली हम दोनों इस नयी जगह पर सैट हो गए और मैंने अपनी जिंदगी नयी तरह से शुरू की. वो पूरी तरह से मेरा ग़ुलाम बन गया था. मेरी बुर ने उसे अपना चाटू ग़ुलाम बना लिया था. वो मेरे एक इशारे पर दिन में 3-4 बार भी मुझे खुश करने लगा था.
अब तो हालत ये हो गई थी कि जब जब मैं अपने चूतड़ उठाती, वो झट से समझ जाता कि अब उसे अपनी बीवी की गांड चूसनी है. मुझे उसकी ये ग़ुलामी बहुत रंगीन और हसीन लगती थी.
मैं नए नए तरीके ढूंढ़ती रहती थी कि गुलामों को कैसे पेलते हैं और ग़ुलामों से कैसे बर्ताव करते हैं.
लेकिन साला मर्द कुत्ता होता है और घरवालों या बाहर वालों को देख कर तुरंत रंग बदल देता है.
जब जब उसने रंग बदला, तब तब मुझे उसे नंगा करके वही मार दोहरानी पड़ती थी. फिर कुछ दिन की फुर्सत हो जाती और वो मेरे पक्के गुलाम की तरह मुझे खुशियां देना शुरू कर देता.
इसी तरह हम दोनों खुश रहने लगे. पति दिन पर दिन मेरा ग़ुलाम और कुत्ता बनता गया. बस उसे छू बोलो तो भौंकने लगता और मेरी हुकुमउदूली कभी नहीं करता की. न ही वो मुझसे ये कहता कि मैं किससे क्या बात करती हूं और दूसरे लड़कों को आकर्षित करती हूँ.
मुझे छोटी उम्र के जवान लड़कों को आकर्षित करना बहुत अच्छा लगता था. मुझे बड़ी ख़ुशी महसूस होती थी, जब कोई जवान लौंडा मेरी पैंटी और ब्रा को देखकर गीले होकर हस्तमैथुन करे.
ऐसी मेरी मनोकामना होती है. मेरा भतीजा अक्सर ऐसा करता था.
एक बार मैंने अपने भांजे को भी अपनी पैंटी के साथ पकड़ा था. उसको भी मैंने अपने जाल में फंसाया और उसे भी अपनी चुत चाटने वाला बना लिया.
अब एक सुखी पत्नी बन जाने का वक़्त आ गया था. अपने पति को कुत्ता बनाने का वक़्त आ गया था. मैं अपने पति के गले में कुत्ते का पट्टा डाल कर अक्सर उसे घर में यहां वहां घुमाती और उसे बताती कि कुत्ते कैसे बैठते हैं. मालकिन को सूंघते हैं और उसका इशारा समझते हैं.
जब वो दोनों हाथ उठा कर कुत्ते की तरह मुझे देखता, तो मैं उसे सहला देती और उसके लंड को भी.
ऐसे में मुझे अपने कुत्ते की उत्तेजना अच्छी लगती और वो बिना कुछ बोले गूंगे कुत्ते की तरह मेरी चूत को पैंपर करता. अब मेरे साथ वो भी हां में हां मिलाने लगा था.
हालांकि कई बार मर्दानगी दिखाने के चक्कर में उसने मेरा विरोध किया था, तो मैं उसकी मर्दानगी कमजोर कर देती. मैंने उसे इतना डरा दिया था कि वो रात को सोता भी था तो मेरी बुर या गांड के पास मुँह लगा कर सोता था. अगर मेरी पाद भी निकल जाती तो मुझे ख़ुश करने के लिए अपना मुँह नहीं हटाता था.
अब मेरा मन करने लगा था कि वो मेरी पेशाब को भी चाट ले. वैसे भी अब कुछ बचा नहीं था, जितना भी मैंने फंतासी को लेकर सोचा था, मैंने उससे वो सब करवा ही लिया था.
एक न एक दिन मैं उसे अपनी पेशाब भी पिला ही दूंगी. क्योंकि सबसे कठिन था गांड चटवाना और पीरियड्स के दिनों के बाद उससे अपनी बुर चटवाना. मगर अब मेरे लिए कुछ नामुमकिन नहीं था.
कभी कभी पारिवारिक मुद्दों पर मैं उसकी बात मान लेती थी. क्योंकि अब कभी वो गलत कर भी देता, तो उसे पता था कि अकेले में जब वो चोदा जाएगा, तो उसे कोई बचाने नहीं आएगा.
अब मेरी जिंदगी बहुत हसीन हो गयी थी. दस लोग बैठे हों, तो भी मैं उसे इशारा कर देती हूँ कि जाओ पहले बटर खा लो वरना भांग अफीम मिलेगी.
उधर बैठे लोग मेरी बात को समझ ही नहीं पाते, पर मेरा ग़ुलाम समझ जाता था और वो मेरा कहा मानने के लिए तुरंत खड़ा हो जाता था.
मैं बेशर्म हो चुकी थी. सबको किनारे लगा कर मैं बाथरूम जाती और उसके आने का इंतज़ार करती कि वो आये और अपनी बुर का मक्खन चूस ले. वो आता और कुछ मिनट ही मुझे ठंडा कर देता.
उस रात में पहले उसे मेरी गांड चाटनी पड़ती. फिर चूत और चोदने का तो सवाल ही नहीं होता था.
मेरी लाइफस्टाइल अलग हो चली थी. इतनी आसानी से मैं बुर चटाई से संतुष्ट भी नहीं होती थी. कभी कभी तो उसे एक एक घंटे तक मेरी चूत चाटना पड़ता था. कई कई बार उसे मेरी गांड के छेद में जीभ घुसाना पड़ता था.
अब मैं उसे नंगी और गन्दी गालियां भी देने लगी थी. जब वो ऑफिस में होता तो मैं उससे ऑनलाइन सेक्स चैट करती. कभी अपने भतीजे या भांजे से फ़ोन पर सेक्सी बातें करती, कभी अपनी सहेलियों से बात करते समय उसके सामने अपनी चुत पसारे पड़ी रहती और वो मेरी बुर चाटता रहता.
अब मेरे अलग ही मज़े थे, जरा सी गलती हुई तो सजा उसकी गोलियों को और लौडे को मरोड़ना मेरा ख़ास शगल था. उसे कितना भी दर्द हो, वो चुत चूसने के बीच में मुँह हटा नहीं सकता था. उसके मन में मेरा इतना डर और खौफ भर गया था कि मना ही नहीं करता था.
हालांकि अब उसे भी मेरी चुत गांड चाटने में मजा आने लगा था. वो जानता था कि मेरे पास चुत चाटने वालों की कमी नहीं है.
इस तरह मैंने अपना ग़ुलाम पर विजय प्राप्त की और कभी अपना मन नहीं मारा.
मेरी सहेलियो, आप अच्छे से जान लो कि अगर पति कब्ज़े में है, तो जिंदगी आपकी मुट्ठी में हैं.
मेरी प्यारी बहनो, आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, कृपया कमेंट जरूर डालें और मुझे अपनी चुत चटवाने की कोई टिप चाहिए हो तो नीचे कमेंट सेक्शन में ही मुझसे पूछ सकती हो.
अपने पति को काबू में करें, उसे चुत चटा चटा कर अपना पालतू शेरू बना लें. आप अपना फ़्रस्ट्रेशन कम करें और जैसा गंदा सेक्स पसंद हो, उसके साथ मस्ती से करें. एक बार वो ग़ुलाम बन गया तो उसे बस आपको एक इशारे की देर होती है. वो कुत्ता बनकर आपकी बुर और गांड चाटने लगेगा.
मुझे भी किसी ने कहा था कि गांड चटवाने का असर बहुत गहरा और चरम सुख के बराबर होता है.
धन्यवाद, आप सब मुझे अपने प्यार से नवाजें और मैं अपनी जिंदगी के और हसीन पल आप लोगों के साथ साझा करूं.
जो महिलाएं मेरी तरह सोच रखती हैं, वो मुझे फॉलो करें, मैं उनका साथ दूंगी और टिप्स दूंगी.
मेरी गंदा सेक्स की हिंदी कहानी के लिए मुझे मेरी मेल आईडी पर मेल करें. सभी को नमस्कार और मेरा ढेर सारा प्यार.
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