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नमस्ते दोस्तो.. आपका अगंरेज काफी समय बाद आपकी सेवा में हाजिर है। असल में मैं सच्ची घटना के साथ ही हाजिर होता हूँ। इसलिए मेरी कहानी पढ़ कर लंड और चूतों का पानी छूट जाता है।
बात छ: महीने पुरानी है, मैं घर पर बैठा अपने खड़े लंड का माप ले रहा था और खुश हो रहा था। मेरा छ: इंच लंबा औजार का टोपा काफी फूला हुआ था।
मैंने सोचा क्यों ना इसे और बड़ा किया जाए। इसलिए मैं अपने शहर में एक गुप्त रोग वाले डॉक्टर के पास गया।
वहाँ पर उसकी नर्स भी थी, उसकी उम्र लगभग 35 साल की रही होगी.. लेकिन वो एक मस्त माल थी।
डॉक्टर को मैंने लिंग बड़ा करने अपनी चाह बताई। उन्होंने लिंग दिखाने को कहा।
उनकी नर्स पास में खड़ी थी तो मैं शर्म से सिर झुका कर खड़ा था। उन्होंने कहा- शरमाते क्यों हो.. ये हमारा रोज का काम है।
मैंने अपना लिंग डॉक्टर को दिखाया.. तो नर्स बड़े गौर से देख रही थी। डर के मारे मेरा लिंग चूहा बना हुआ था.. लेकिन जब चैकअप के लिए जब डॉक्टर ने हाथ में पकड़ा तो मेरा लंड हरकत में आने लगा।
कुछ ही क्षण में लिंग अपने प्रचंड रूप में आ गया।
डॉक्टर ने हाथ से थोड़ा लौड़े को आगे-पीछे किया और बोला- वाह इतना पहलवान लिंग है.. और तुम इसे छोटा समझते हो। यह कह कर डॉक्टर और नर्स दोनों हँसने लगे।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! मैं शर्म के मारे लाल हो रहा था।
डॉक्टर ने मुझे कुछ दवाईयां दीं और एक तेल दिया। उन्होंने मुझे तेल से रोज मालिश करने को बोला और 18 दिन बाद दिखाने को कहा।
नर्स मेरी तरफ देख कर हल्के-हल्के अभी भी हँस रही थी।
मैं घर वापिस आ गया। मैंने दवा खानी शुरू कर दी और तेल की मालिश करनी भी चालू कर दी।
हफ्ते भर में दवा का असर दिखने लगा, मैं बहुत खुश था।
पन्द्रह दिन तक मेरा लंड कुछ और लंबा व मोटा हो गया था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरा लंड है।
अब तो मुठ मारने का मजा ही कुछ और आ रहा था। मुझे बस अब तलाश थी एक ऐसी रणभूमि की.. जहाँ पर इसकी काबलियत का पता चल सके।
खैर.. मैं डॉक्टर के कहे अनुसार 18 दिन बाद चैकअप कराने के क्लिनिक गया। वहाँ जाने पर मालूम हुआ कि आज सिर्फ नर्स आई थी.. डॉक्टर साहब कहीं दूसरे शहर गए थे।
नर्स मुस्कुराती हुई आई और मुझे चैकअप रूम में ले गई। उसने कहा- मैं ही आपका चैकअप करूँगी।
मैं शरमा रहा था। उसने मुझे कपड़े उतारने को कहा।
मैंने धीरे-धीरे कपड़े उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में आ गया था… जिसमें मेरा औजार साफ दिख रहा था।
मैंने अपने लौड़े को आगे हाथ से ढक लिया। नर्स कामुक मुस्कुराहट देती हुई बोली- इसे भी उतारना पड़ेगा। मैं बहुत शरमा रहा था।
उसने कहा- पहले कभी लड़की के सामने कपड़े नहीं उतारे क्या? यह कह कर उसने कहा- चलो ऐसे ही टेबल पर लेट जाओ।
उसने मेरी छाती से नीचे एक परदा लगा दिया ताकि मैं नीचे की तरफ जो भी हो.. उसे देख ना सकूं। अब उसने कहा- तैयार हो? जैसा मैं कहूँ वैसे करना.. और परदा मत हटाना। मैंने हल्की सी आवाज में ‘जी’ कहा।
मेरी धड़कन बढ़ गई थी।
उसने मेरा अंडरवियर पकड़ा और उतार दिया। अब उसने मेरा लिंग पकड़ा उसको अपने कोमल हाथों से दबाने लगी।
मेरा पूरा बदन अकड़ गया, मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया।
नर्स की भी सिसकारी निकल गई और वो कहने लगी- हे भगवान.. मार डालेगा ये तो! फिर वो शायद लिंग का माप लेने लगी।
इधर मेरी हालत खराब हो रही थी, उसके हाथ का स्पर्श मेरी जान निकाल रहा था।
माप के बाद उसने मेरा लंड पकड़ कर चमड़ी को आगे-पीछे किया और मेरे टट्टों को सहलाया।
मेरी सनसनी से भरी सिसकारी निकल गई और हल्की सी उसकी भी ‘आह’ की आवाज आई।
फिर वो रूक गई.. मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था कि नीचे क्या हो रहा है। कुछ जल्दी-जल्दी काम करने की आवाज सी आई। शायद तब उसने कपड़े उतारे थे.. इसका पता मुझे बाद में चला।
मैंने तब पूछा- मैम हो गया क्या? तो वो एकदम से बोली- चुप रहो।
मुझे ऐसा लगा कि वो खुद भी टेबल पर आ गई है।
एक बार फिर उसने लिंग को पकड़ा। इस बार हाथ उल्टा था। फिर लिंग को किसी बहुत ही कोमल सी चीज के साथ रगड़ने लगी।
हे भगवान.. मेरा तो बुरा हाल होने लगा। अचानक कुछ गीला सा महसूस होने लगा और उसकी जोर से सिसकारी निकल गई ‘आह…’ मुझे सब पता चल गया कि वो अपनी चूत रगड़ रही है।
मैंने देर न करते हुए अपनी गांड उठा कर धक्का मारा.. तो मेरा टोपा उसकी बुर में घुस गया। उसकी चीख निकल गई और वो मेरे ऊपर गिर गई।
परदा हट गया था, अब हम एक-दूसरे की बांहों में थे, एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे। चुदाई चालू हो गई।
पांच मिनट बाद हमारे बदन अकड़ने लगे, हम एक-दूसरे के साथ लिपट गए और दोनों का पानी छूट गया। आज पानी निकले जा रहा था, गर्म गर्म माल से चूत लथपथ हो गई, हम ऐसे ही लिपटे रहे और चूमते रहे।
कुछ देर बाद वो उठी और उल्टा मेरे ऊपर लेट गई। अब हम दोनों 69 में थे.. वो मेरा लिंग मुँह में डाल कर चूसने लगी और मैं उसकी बुर को चाटने लगा।
मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया। मैं उसकी बुर में लौड़ा डालने लगा.. तो उसने लौड़ा पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर रख दिया।
मैंने झटका दे कर लंड घुसेड़ दिया.. उसकी चीख निकल गई। मैं तेजी से गांड को चीरने लगा। उसके आँसू निकल आए।
मैं मम्मों को पकड़ कर चुदाई की गति बढ़ाने लगा। दस मिनट चोदने के बाद मैं झड़ने जा रहा था। मैंने उसके गाल पर अपने दांत गड़ा दिए और झड़ गया।
फिर हम टेबल पर लेट गए।
कुछ देर बाद ‘जांच’ पूरी हुई। अब मैंने कपड़े पहने और जाने लगा। उसने मुझे बांहों में भर लिया.. किस किया और मेरा नम्बर ले लिया।
जब हम दोनों बाहर आए.. तो शाम हो गई थी। उससे ठीक से चला नहीं जा रहा था और मेरा लंड भी छिल गया था। दर्द भी हो रहा था। मैंने उसे क्लिनिक बंद करने में मदद की और उसे घर छोड़ कर चला गया।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी। मुझे ईमेल जरूर करें। [email protected] धन्यवाद
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