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मेरा नाम रवि डिमोंन है। मैं राजस्थान से हूँ, पर पिछले कुछ समय से मुंबई में रहता हूँ।
बात आज से 4 साल पहले की है.. जब मुझे मुंबई में जॉब मिला था। मैं यहाँ नया था.. तो मेरे बहुत कम दोस्त थे। मैं हर रोज़ लोकल ट्रेन से भायंदर जाता था और वहाँ से ऑटो लेकर मेरे ऑफिस पहुँच जाता था।
सब सामान्य ही चल रहा था कि एक दिन मैंने देखा एक लड़की ऑटो वाले से बहस कर रही थी। मुझे थोड़ी गड़बड़ सी लगी.. तो मैं पास गया, मैंने देखा कि उस लड़की को हिंदी नहीं आती थी और ऑटो वाला अंग्रेजी नहीं जानता था।
मैंने उसकी मदद करनी चाही.. फिर मामला शांत हो गया। जब जानकारी निकली.. तो पता चला वो मेरे ऑफिस के पास ही जा रही थी.. तो मैं उसे मेरे साथ ही ले गया।
ऐसे हमारी मुलाकात हुई। उसने मेरा फोन नम्बर माँगा और मैंने दे दिया।
फिर बहुत दिन तक हमारी बात नहीं हुई शायद मैं उसे और वो मुझे भूल से गए थे।
पर अचानक एक दिन मुझे एक फोन आया.. यह फोन एक लड़की का था, जो बहुत परेशान सी लग रही थी। उसने मुझे याद दिलाया कि वो वही ऑटो वाली प्रिया है।
उसने बताया कि वो कलकत्ता से है और यहाँ अकेली रहती है और 3 दिन से बीमार है.. पर वो मुंबई में सिर्फ मुझे जानती थी.. इसलिए उसने मुझे फोन किया।
मुझे बुलाया था.. पर इस वक्त मैं शिर्डी गया हुआ था.. तो मैंने मेरे दोस्त को, जो डॉक्टर है.. फोन करके उसके घर भेज दिया। फिर जब वो ठीक हुई.. तो मालूम हुआ कि मेरे दोस्त ने उससे फीस भी नहीं ली।
ठीक होते ही उसने मुझे कॉल किया और अब हम रोज़ बात करने लगे। हमारी हँसी-मज़ाक कब सेक्स की बातों में बदल गई.. पता ही नहीं चला।
एक दिन जब हम मिले.. तो उसने बताया कि उसकी सगाई हो चुकी है और जल्दी ही शादी भी है।
हम दोनों उदास हो गए.. पर उस ही समय उसने मुझे गाल पर चूम लिया ओर बोली- मैं पहला सेक्स तुमसे चाहती हूँ।
मैं तो यह सुनते ही खुश हो गया और उसे देखता रहा। मैं होश में तब आया.. जब उसने मुझे फिर से किस किया और वो भी होंठ पर चूमा था। इस बार मैंने भी उसे चूमा।
इस सबमें बहुत देर हो चुकी थी.. पर अब हम दोनों सेक्स की आग में जल रहे थे। रात के 8 बज चुके थे और पार्क में अँधेरा हो चुका था, मैंने उसकी सलवार में एक हाथ डाला.. तो वो पूरी गीली थी।
उसने पास की झाड़ियों में चलने का इशारा किया और कहा- वहाँ चलते हैं.. और मैं मान गया।
हमारे झाड़ियों में जाते ही वो मुझ पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी। वो मुझे चूमने लगी.. नोंचने लगी.. काटने लगी।
अब मैं अपना आपा खो चुका था, मैंने भी उसे काटना शुरू किया, उसके दर्द में मुझे मज़ा आ रहा था।
मैंने उसकी कुर्ती ऊपर की.. ब्रा को हटाया और उसके चूचे चूसने लगा। अब वो कांप रही थी.. कामुक सिसकारियाँ ले रही थी, वो ‘हम्म.. म्म्म्म्म्’ जैसी आवाजें गहरी सासों के साथ ले रही थी।
मैंने उसके पेट पर मेरी जुबान चलाई.. तो वो और कांपने लगी। उसकी सलवार उतारी.. तो वो कहने लगी- जल्दी करो.. घर भी जाना है।
अब मैंने उसको चोदने की मुद्रा में लेटा कर अपना लण्ड उसकी गीली चूत पर लगा दिया, ठोल मारी.. पर लौड़ा अन्दर ही नहीं जा रहा था।
उसने एक हाथ से मेरा लन्ड पकड़ा और मैंने तुरंत धकेल दिया.. उसे बहुत दर्द हुआ और वो ‘उई..मआआआ..’ कह के चीख पड़ी। चीख इतनी ज़ोरों की थी कि कोई सुनता तो समझता कि मैं जबरदस्ती कर रहा हूँ।
अगले ही पल मैंने उसका मुँह दबाया और एक झटका और दिया, मेरा आधा लन्ड अन्दर था। अब मुझे भी लंड में दर्द और जलन सी हो रही थी। उधर वो भी मुँह दबा कर सीत्कर रही थी। वो ‘मम्म्म्म्म्.. अह्म्म्म्म्.. आआह..’ जैसी आवाजें करने लगी।
अगले कुछ झटकों में हम दोनों चरम पर थे, मैं निकलने वाला था.. उसने कहा- बाहर निकालना..
पर मैं इतना घुस चुका था कि पूरा अन्दर ही चूत गया और मैं उसके ऊपर ही गिर गया। ऐसे हमारा पहला सेक्स हुआ।
आगे और क्या हुआ.. अगली कहानी में जरूर बताऊँगा। मेरी पहली कहानी में कुछ कमी हो.. तो मुझे फेसबुक पर ज़रूर बताए.. आपका रवि दिमोन [email protected]
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