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प्रिय दोस्तो, आप सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार। आज मैं आपके सबके लिए मेरे जीवन की दूसरी आपबीती सुनाने आया हूँ।
यह बात उन दिनों की है.. जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। हमारे कॉलेज ने हमारे लिए एक ट्रेकिंग ट्रिप का प्लान बनाया।
पहले मेरा मूड नहीं था तो मैंने मना कर दिया। पर जैसे ही मुझे पता चला कि हमारे लॉन टेनिस कोच भी हमारे साथ जाएंगे और 3 टीचर्स भी साथ रहेंगे.. तो मैं उनके साथ जाने के लिए झट से तैयार हो गया।
हमारे टेनिस कोच के बारे में क्या कहूँ.. ऊपर से नीचे तक बन्दा क़यामत ही क़यामत है। उनका नाम अकरम शैक है 6.2 फीट हाइट, कसरती जिस्म, उभर कर दिखते हुए मशल्स, गजब की स्माइल उफ़.. पर मेरे लिए उनकी हाइट बड़ी ही आकर्षक थी.. क्यूंकि मैं लम्बे लड़कों का दीवाना हूँ। मुझे ‘सब’ लम्बा ही पसंद है।
तो हमारा ट्रिप बंगलोर एयरपोर्ट से शुरू हुआ और हम चंडीगढ़ के रास्ते आगे जाने वाले थे।
चंडीगढ़ एयरपोर्ट से हमारी बस ने हम सभी को पिक किया और हम कुल्लू मनाली के लिए निकल पड़े। मेरी किस्मत से मेरे पसंदीदा सर मेरे पास आकर बैठ गए।
क्यूंकि हमारी गैंग से सर बहुत ज्यादा फ्रेंडली हैं। पूरे रास्ते मैं किसी न किसी बहाने से उनको छू लेता.. और लम्बा रास्ता होने की वजह से बीच में 2-3 घंटे उनके कंधे पर सर रख के सो भी गया।
बढ़िया सुहाना मौसम था.. क्या बताऊँ.. हमको कैम्प पहुँचते-पहुँचते रात हो गई थी.. सो सब जाकर सीधा सो गए।
अगली सुबह हम सबने तैयार होकर बेस कैम्प से ट्रेकिंग शुरू की और हमारी टीम ने जंगलों में चलना शुरू दिया। हम सभी बहुत चले और हम एक सुन्दर सी लोकेशन पर पहुँचे.. जहाँ से देखा तो पहाड़ों के बीच में हमारे छोटे-छोटे कैम्प लगे हुए थे। बहुत ही खूबसूरत नज़ारा था।
मैं और अकरम सर इस नज़ारे को और जह्दीक से देखने के लिए थोड़ा दूर चले गए थे और वापस आते-आते सभी को कैम्प एलॉट हो चुके थे। हर कैम्प में सिर्फ दो लोग रुक सकते थे। आखरी में आने की वजह से मेरी किस्मत खुल गई और मुझे और सर को एक ही कैम्प में रहना था। बस अब मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। रात हुई हम दोनों लेटे.. थोड़ी देर सर और मैंने बात की और सो गए।
उस रात मैंने कुछ नहीं किया.. मैं रिस्क नहीं लेना चाहता था।
अगले दिन हम सब उठे और ट्रेकिंग शुरू की। हम सभी को वहाँ के लोकल निर्देशक मिले हुए थे.. जो बहुत सख्त थे। उन्होंने हम सभी पैदल चला-चला कर वाट लगा दी।
शाम को वापस कैम्प आए तो सब थके हुए थे.. डिनर खाकर सब थोड़े ठीक हुए, पर अब तक ठण्ड बहुत बढ़ गई थी। हालांकि उधर कैम्प फायर का इंतज़ाम था। सब सर लोगों ने ठण्ड के कारण ‘थोड़ी’ लगा ली।
रात 11 बजे तक कैम्प फायर चला.. उसके बाद ठण्ड बहुत बढ़ गई.. तो सब अपने अपने कैम्प में चल दिए।
टेनिस सर थोड़े नशे में थे.. और मैं ठण्ड से पागल हो रहा था। हम दोनों कैम्प में घुसे और रजाई ओढ़ कर लेट गए।
सर आज बहुत मूड में थे.. तो मुझसे बहुत बात कर रहे थे।
मुझे बचपन से अंडरवियर में सोने की आदत है, बातों-बातों में मेरे मुँह से ये बात निकल गई.. तो वो बोले- ठीक है वैसे ही सो जा.. वैसे भी कैम्प में हम दोनों ही तो हैं। मैंने कहा- नहीं सर.. ठण्ड बहुत है। तो वे एकदम से बोले- ठण्ड भगाने के और भी तरीके हैं बच्चा..
और उन्होंने आंख मारी.. मैं समझ गया कि आज मेरी दिल की इच्छा पूरी हो जाएगी।
इतने में उन्होंने मुझे किस किया और एकदम से हटे.. तो जैसे मेरे अन्दर हज़ारों लहरें एक साथ उठी हों.. ऐसा लगा।
फिर क्या था.. हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को किस करते और अकरम सर ने मुझे उनकी मज़बूत बांहों में भर लिया। चूमना काटना सब कुछ जोरों पर था।
फिर एकदम से उन्होंने रजाई से बाहर निकलते हुए मुझे उठा लिया और गोद में बिठा कर मेरे गले को, मेरे होंठों को चूसकर मुझे पूरा गीला कर दिया। उस बीच मैं भी उन्हें उसी शिद्दत से चूम रहा था।
तभी वो बोले- जाज.. आई लाइक यू.. कब से मैं तेरे होंठों को काटना चाहता था। यह कह उन्होंने मेरे निचले होंठ को जोर से काट लिया।
मैं तड़फ उठा.. थोड़ा खून भी निकल आया और वो उसे मेरे होंठों से चूसते चले गए। क्या मस्त का आलम था..
कुछ देर की चूमाचाटी और लव बाईट गेम के बाद उन्होंने धीरे से मेरे कपड़े उतारना शुरू कर दिए।
अब ठण्ड क्या चीज होती है, हमें नहीं मालूम था।
मेरी टी-शर्ट निकालते ही उन्होंने मेरी छाती की घुंडियों को चूसना शुरू कर दिया और काट भी लिया.. जिससे मेरी चीख निकल पड़ी। मेरी चीख अभी जोर से निकलती इससे पहले ही उन्होंने मेरा मुँह हाथ से बंद कर दिया।
मेरे निप्पलों को चूसते हुए उन्होंने मुझे पूरा नंगा कर दिया। इसके बाद तो सर ने मेरी पूरी बॉडी को जीभ से चाटते हुए गीला कर दिया।
अब उन्होंने अपने कपड़े उतारे.. हाय.. मानो मेरे सामने खुद कामदेव आ गए थे। क्या क़यामत बरपाने वाला मर्दाना जिस्म था.. और जैसे ही उन्होंने अपनी अंडरवियर उतारी.. मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया। लम्बा और मोटा दानवी आकार का लौड़ा मेरे सामने खड़ा था।
मैंने बिना सोचे और पूछे उसे अपने मुँह में ले लिया.. जिससे सर थोड़ा सा चौंक उठे पर मेरे होंठों की गरमाहट से वो पागल हो गए।
बहुत देर तक मैं बड़े प्यार से उनके लण्ड को चूसता रहा.. और सर बड़े मन से चुसवाते रहे।
तभी एकदम से सर ने मेरी गांड पर हाथ मारा और बोले- जान.. तेरी गांड सचमुच मस्त है.. तू सिर्फ मेरा है और इस गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है। यह कहकर उन्होंने मेरी गांड में उंगली डाल दी.. जिससे मैं थोड़ा सा उचका.. पर मेरे मुँह में उनका भीमकाय लण्ड था.. तो कुछ कह भी नहीं पाया।
सर मेरी गांड में उंगली अन्दर-बाहर करने लगे।
फिर उन्होंने मुझे एकदम से उठाया और लिटा दिया.. और मेरे ऊपर आकर लेट गए, मेरे होंठों को कस के चूम लिया। वे मुझे किस करते हुए मेरी टांगों के बीच में आ गए और मेरी टांगों को थोड़ा सा उठाया और एक हाथ से अपना लण्ड मेरी गांड की छेद पर रख दिया, थोड़ा सा धक्का दिया।
मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ और मैंने अपने हाथ से उन्हें थोड़ा सा हटाने की कोशिश की.. तो उन्होंने अपने हाथों से मेरे दोनों हाथ ऊपर करके मुझे पकड़ लिया और मुझे बहुत जोर से चुम्मा किया।
अब वे अपनी जुबान मेरे मुँह के अन्दर ले गए ताकि मेरा मुँह पूरा ब्लाक हो जाए। इसी बीच उनका पूरा लण्ड धीरे से मेरी गांड के अन्दर आ चुका था। मुझे पता भी नहीं चला.. ये उनका बेहतरीन तरीका था।
अब उन्होंने धीरे-धीरे मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं मस्ती में पागल होने लगा। उनके होंठों से इतना गरम हुआ, या उनके लण्ड से.. पता नहीं, पर मैं चुदने के लिए बेताब हो रहा था। तभी उन्होंने स्पीड तेज़ की और मैं मज़े से चुद रहा था।
अब उन्होंने मेरे निप्पल सक करते हुए मुझे चोदा। मैं पागल हुए जा रहा था।
‘जैसन मेरी जान.. तू सिर्फ मेरा है..’ यह बोल-बोल कर मुझे इतना चोदा कि पूछो मत.. न वो थके, ना मैं..
लम्बी गांड चुदाई के बाद सर की स्पीड और बढ़ गई.. और मैं भी अपने लंड को हिलाने लगा। एकदम से लगे कुछ 4-5 तेज धक्कों ने मेरी गांड गीली कर दी और सर मेरे अन्दर ही झड़ गए।
मैं उनकी सुहागन बन गया.. पर क्या समां था।
हम दोनों वैसे ही नंगे चिपक कर सो गए।
सुबह कुछ 4:30 पर सर अचानक से उठे और मुझे फिर किस किया। वे फिर से मूड में आ गए और कुछ देर तक उन्होंने मुझे फिर से चोदा और मेरी गांड को भर दिया।
उसके बाद हमारे 10 दिन ट्रेकिंग में उन्होंने मुझे बीसियों बार चोदा, हर जगह वे मौका देख कर मुझे चोद देते थे।
कैम्प में तो रोज ही चुदाई होती थी। जंगल में.. झरनों के पास.. झाड़ियों के पीछे.. यूं समझिए कि ये मेरी ज़िन्दगी का सबसे प्यारा ट्रिप था। [email protected]
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