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कालगर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं काम के सिलसिले में होटल में रुकी तो मेरी चूत लंड मांगने लगी. मेरे लिए लंड का इंतजाम तो हुआ, साथ में कमाई भी हुई.
हैलो फ्रेंड्स, मैं आपकी रूपा अपनी चुत की प्यास न बुझने वाली सेक्स कहानी में स्वागत करती हूँ. कालगर्ल सेक्स कहानी के पिछले भाग बुआ के बेटे के लंड का जायजा और मजा लिया में अब तक आपने पढ़ा कि मेरी चुत की आग सिर्फ चुदाई से ही बुझती थी तो मैं मुंबई में अपने एक हफ्ते के प्रवास के दौरान अपने लिए ग्राहक बुलाने लगी थी. जो मेरी चुत चोदते और मुझे पैसे भी दे जाते थे. उस दिन एक झांटू से लंड वाले ने मेरी चुत चोदी और मेरी चुत में ही झड़ गया.
अब आगे कालगर्ल सेक्स कहानी:
मेरी चुत में उसके लंड का पानी टपका, तो मैं झट से उठी और बाथरूम से चुत की सफाई कर ली. इसके बाद अपने पर्स से आईपिल खा ली, ताकि कोई लफड़ा न हो जाए.
इस कहानी को सुनें.
फिर उससे पूछा- तेरा हो गया. चलो निकलो यहां से! बिना कुछ बोले मैंने उसको बाहर का रास्ता दिखा दिया.
उसके जाने के बाद रूम सर्विस वाली आई और बोली- मैडम, यह 10000 मिले हैं. आप रखिए और जो बक्शीश देना चाहो दे दीजिए. मैंने कहा- अभी सात दिन और भी हैं. इनको तुम अपने पास रखो. कल से जो मिलेगा, वो मैं लूंगी.
वो मेरा मुँह देखती हुई बोली- मैडम सच बोला आपने … ये सारा मेरा है? मैंने कहा- हां.
अगले दिन वो मुझसे बोली- मैडम, यहां तो आपको कोई भी पहचान सकता है. अगर बोलो तो किसी गेस्ट हाउस में फिक्स करूं … मगर वहां पर 2-3 लौंडे एक साथ आते हैं. मगर एक रात का 50000 मिलेगा.
मैंने कहा- नहीं, वहां पर ब्लू फिल्म बना ली जाती है. मैं वहां नहीं जाने वाली. जिसको आना है, यहीं आए. वो बोली- ठीक है मैडम.
आधी रात को फिर फोन बजा और उसने कहा- मैडम एक लड़का आया है, जो सिर्फ़ एक घंटे तक रहेगा. उसे इस घंटे में जो भी करना होगा, करेगा. बोलिए फिक्स करूं … वो भी 10000 ही देगा. मैंने कहा- ठीक है भेजो.
जब वो आया तो मुझे लगा कि इसको मैंने कहीं देखा है. मगर मुझे याद नहीं आ रहा था. मैंने सोचा कि छोड़ो अपने को क्या.
उसकी उम्र 20-22 साल की रही होगी और लंड भी कोई खास लंबा मोटा नहीं था. वो आया और मेरे कपड़े उतार कर मेरे मम्मों को दबाने लगा और काटने लगा.
मैंने उससे कहा- ओए भोसड़ी वाले … ये काटने के लिए नहीं हैं … चूसने वाला आम है … मजे से चूस और चूस चूस कर इनका रस पी. अगर दिल ना भरे तो नीचे भी रस का तालाब है … उसे भी चूस ले.
उसने जी भरके मेरे मम्मों को चूसा और चुत को भी चूसा. इस सबको करने में ही एक घंटा हो गया.
मैंने कहा- तेरा टाइम खलास हो गया. अब क्या करेगा? वो बोला- बाकी का काम कल करूंगा. मैंने कहा- चल तुझको आधा घंटा और दिया. तू बाकी का काम भी अभी ही पूरा कर.
उसने बहुत कोशिश की मगर उसका लंड खड़ा ही नहीं हुआ.
वो बोला- मैडम किसी से ना कहिएगा कि मैं कुछ नहीं कर पाया. मैं आपकी फीस कल की भी देता हूँ. मैंने कहा- चल निकल ले … मैं किसी से कुछ नहीं कहने वाली. अगर कल आया और ना हुआ, तो जरूर सबको बोल दूंगी.
वो जल्दी से बिना चुदाई किए बाहर चला गया और रूम सर्विस वाली को एक लिफाफा देकर बाहर भाग गया.
उस बाई ने उसी समय वो लिफाफा मेरे को दे दिया. मैंने गिने पूरे 20000 थे. उसमें एक चिट भी थी, जिस पर लिखा था कि प्लीज किसी से कुछ ना कहा जाए.
उसके नेक्स्ट डे रूम सर्विस वाली आई और वो मेरी तरफ एक लिफाफा देती हुई बोली- कल वाला लड़का फिर से आया है और एड्वान्स दिया है. मैंने लिफाफा रख कर कहा- उसे भेज दो. वो अन्दर आया, तो मैंने कहा- दरवाजा लॉक करो.
उसके बाद वो मेरे पास आया और बोला- मैडम, मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा होता है मगर आपके सामने पता नहीं, इसे क्या हो जाता है. मैं- कोई बात नहीं, तुम बाथरूम में जाकर लंड को पूरी तरह से साफ़ करके मेरे पास आओ.
कोई 5 मिनट बाद वो अपने लटकते लंड के साथ बाहर आ गया.
मैंने उसे अपने पास बुला कर उसका लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और लंड की चमड़ी को पीछे तक ले गई. इसका असर होना शुरू हो गया और लंड पूरा अकड़ गया.
मैंने चुत को फैला कर कहा- अब डाल इसमें … और जितने जोर से झटके मार सकता है, मार चुत में.
उसकी एक बार की झिझक निकल गई थी और लंड पूरे शवाब पर था. कहां उसका लंड खड़ा नहीं होता था और अब कहां उसका वीर्य निकलने का नाम नहीं ले रहा था.
पूरी चुदाई करके उसने अपना पानी चुत में छोड़ा और खुश होकर वापिस बाहर निकाला.
मैंने पूछा- बोल खुश है ना! वो बोला- जी, आपने इसे पता नहीं क्या खिला दिया है.
मैंने कहा- अभी तेरा टाइम बाकी है. बोल, फिर से करेगा? वो बोला- फिर से … मगर यह तैयार नहीं होगा. मैं जानता हूँ इसको. मैंने कहा- वो सब मुझ पर छोड़.
वो खुश हो गया.
मैं उसके लंड के सुपारे का मांस खींच कर जितना बाहर ला सकती थी, ले आई. मुझे ऐसा लगा कि लंड नाम की कोई चीज ही नहीं है, बस एक मांस का छिलका ही है.
मैं झट से उसे नीचे करके सुपारे को मुँह में रखा और एक जोरदार झटका मारा.
उसके लंड में कुछ हलचल होने लगी. दो तीन बार इसी तरह से किया और लंड पूरे शवाब पर आ गया था. मैंने उसे नीचे लेकर अपनी चुत में घुसाया और ऊपर से जोरदार झटके मारने लगी.
अब लंड का पानी एक बार निकल चुका था, तो वो जल्दी से चुत को छोड़ने वाला नहीं था. कोई आधा घंटा चुदाई करने के बाद उसने पानी छोड़ा.
जब लंड बाहर निकला तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था. मुझे एक और लिफाफा देकर वो बाहर चला गया.
कुछ देर बाद मैंने दोनों लिफाफे खोले, तो देखा कि रूम सर्विस वाली ने जो दिया था … उसमें 10000 थे और जो वो देकर गया, उसमें 50000 थे. मैंने रूम सर्विस वाली को बुलाया.
वो बहुत अदब से बोली- जी मेमसाब हुकुम? मैंने उसे उसका दिया हुआ लिफाफा वापिस करते हुए कहा- यह तुम्हारी बक्शीश है.
उसको मुझ पर ऐतबार नहीं हो रहा था. उसने मेरे सामने ही गिने और बोली- यह तो पूरे ही आपने मुझको दे दिए हैं. मैंने कहा- जाओ, मेरी चुत का जश्न मनाओ.
वो बिना कुछ बोले पैसे लेकर बाहर चली गई.
उसके अगले दिन मेरा काम खत्म हो चुका था और मैं वापिस दिल्ली आ गई थी. जहां पर अशोक और रोहन के लंड मेरी चुत का इंतज़ार कर रहे थे.
कुछ दिनों बाद मैंने अशोक से कहा- तुम शादी के बारे में कितने सीरीयस हो? अब मैं बिना शादी के चुदवा चुदवा कर रंडी बनती जा रही हूँ. उसने कहा- मैं अपने पेरेंट्स से आज ही बात करता हूँ और तुम अपने पेरेंट्स को मनाओ.
अशोक के पेरेंट्स तो नानुकर के बाद आख़िरकर मान गए. मगर मेरे पेरेंट्स तो सुनना ही नहीं चाहते थे. उनको लगा कि अंडा देने वाली मुर्गी हाथ से जा रही है. इसलिए बोले कि हम अपनी बिरादरी में शादी करेंगे.
मैंने पूछा- बिरादरी में ऐसा किसी को देखा है … जो मेरे लायक हो. पापा- तुम कुछ ज़्यादा ही ज़ुबान लड़ा रही हो. अगर तुमने अपनी मर्ज़ी से शादी की, तो समझ लेना कि हमारे लिए तू मर चुकी है.
मैंने कहा- ठीक है. मैं आपको बताना चाहती थी कि शादी के बाद भी मैं हर महीने आपको इतना पैसे देती रहूंगी कि आपको अपना गुजारा करने में कोई प्राब्लम ना हो. पापा- अपने पैसे रख अपने पास … हमें ना दिखा इसकी धौंस को.
जब कहने सुनने को कुछ भी ना रहा, तो मैंने कोर्ट मैरिज की एप्लिकेशन दे दी और एक महीने बाद में मिसेज रूपा अशोक हो गई.
चुदक्कड़ तो मैं थी ही, शादी के बाद अशोक ने मेरी चुत खूब अच्छी तरह से बजाई और वो हर बार मेरी चुत में अपने लंड का रस भरता रहा.
उसका नतीजा नौ महीने बाद ही आ गया और मेरी चुत ने इस जगत को एक नया लंड दे दिया. उसका नाम, अशोक और उनके पेरेंट्स ने लवली रखा.
क्योंकि मेरे मां-बाप ने कभी नहीं पूछा था कि शादी के बाद तू जिंदा है या नहीं, इसलिए मेरा दिल उन की तरफ से पूरी तरह टूट चुका था.
मैंने लड़के के होने की खबर भी अपने मां-बाप को नहीं भिजवाई.
कुछ दिनों बाद मुझे पता लगा कि मेरा बाप बीमार है और दवाई भी नहीं ले पा रहा है. मां का भी बुरा हाल था. घर का खर्चा पूरा नहीं हो रहा था.
मैंने एक दिन रोहन से कहा कि वो मुझसे ऑफिस में मिले. उससे मिल कर मुझे घर का पता लगा कि मेरे मां-बाप कितनी मुश्किलें झेल रहे हैं.
मैंने उससे कहा कि कल मैं तुमको कुछ पैसे दूंगी, तुम वो उन तक पहुंचा देना और साथ में कहना कि तुम लोगों ने मुझे मरा हुआ समझा था, तो मैं मिल नहीं सकती हूँ. मगर मेरे लिए तुम अभी जिंदा हो और मैं पूरी देखभाल करूंगी.
अगले दिन मैंने वही 70000 रूपए, जो मुम्बई में चुत चुदवाई के मिले थे, रोहन को दे दिए.
शाम को जब मैं घर पहुंची, तो रोहन का फोन आया कि मेरा बाप जो हॉस्पिटल में था, मुझसे मिलना चाहता है. मैं उसी वक़्त अशोक को लेकर वहां पहुंची, तो देखा कि एक भिखारी की तरह वो हॉस्पिटल में तड़फ रहा था.
मैंने डॉक्टर से मिल कर पापा को एक अच्छे हॉस्पिटल में भर्ती कराया और उधर उनका सही से इलाज होने लगा. वो एक हफ्ते के बाद घर वापिस आ गए.
मेरी मां ने मेरे आगे हाथ जोड़ते हुए कहा- बिटिया तू क्या गई … घर की सारी खुशियां ही चली गईं. हमें माफ़ कर दे. तेरे दिए हुए 70000 से कर्ज़ा उतरा है, तब जाकर कुछ राशन पानी मिला है.
मैंने कहा- मां खुशियां ऐसे नहीं लौटीं … अब तू एक लड़के की नानी बन गई है. मां मुझे और अशोक को देख कर बोली- अगर सही में तुम लोगों ने हमें माफ़ कर दिया है, तो अपना लड़का मेरी गोद में डाल दो, उसे मैं ही पालूंगी. उसे किसी किस्म की शिकायत नहीं होगी. वो उसी स्कूल में पड़ेगा, जहां तुम उसको भेजोगे.
मैंने कहा- मां मुझे अशोक के मां-बाप से भी पूछना पड़ेगा. तब वो बोली- तुम लोग मुझे उनके पास ले चलो. मैं उनके पैर पड़ कर उन्हें मना लूंगी.
मैं- ठीक है मां, अभी तो लवली मेरा दूध पीता है. इस बारे में कुछ दिनों बाद सोचते हैं.
मैंने घर आने पर अशोक से कहा- सुनो एक बात मेरे दिमाग में घूम रही है. लवली जैसे ही कुछ बड़ा होगा, वो नेट पर कुछ ना कुछ देखेगा ही. कुछ उसके दोस्त उसको लंड और चुत के बारे में समझा देंगे. नतीजा होगा कि वो अपने मम्मी पापा की चुदाई को देखने की कोशिश करेगा. हम लाख चाह कर भी उसे रोक नहीं पाएंगे. फिर तुम जानते हो ही आज कल लड़कों की लुल्ली को लंड में बदलने का ज़्यादा टाइम नहीं लगता. इसलिए उसे अपने पास रखना सही नहीं रहेगा. उसे हॉस्टल में भेजने से अच्छा है वो मेरी मां के पास रहे.
अशोक ने कहा- हां बोल तो तुम सही रही हो. मगर अभी तो वो बहुत छोटा है. कुछ बड़ा होने पर सोचेंगे. मैंने कहा- ठीक है.
कुछ महीने बाद हालात कुछ ऐसे बने कि मैंने अपने बच्चे को अपनी मां के पास भेज दिया.
अब मेरे दिमाग में रोहन भी घूम रहा था. जब अशोक नहीं होता, तो वो ही मेरी चुत का सैयां बना होता था. लोगों की नजरों में भैया … और रात को मेरा सैंया. अगर लवली हमारे पास रहेगा, तो मेरी चुत तो भूखी ही रहेगी.
अभी कुछ दिन ही बीते थे कि रोहन की कम्पनी ने उसे इंडिया से बाहर तबादला कर दिया. वो बहुत खुश था क्योंकि उसे वहां का हेड बना कर भेजा जा रहा था. इस तरह मेरा एक चोदू हाथ से फिसल गया था.
मैं अभी यही सोच में डूबी हुई थी और अनमने मन से ऑफिस पहुंची. वहां पर सभी एक वेट कर रहे थे कि नया बॉस आज आने वाला है और सुना था कि बहुत खड़ूस है.
मैंने सोचा कि लगता है अब ना घर में चैन मिलेगा और ना ही ऑफिस में ही मिलेगा.
लेकिन जब बॉस ने ऑफिस ज्वाइन किया, तो मुझे कुछ पुरानी यादें याद आ गईं. मुझे लगा कि इसे तो मैंने कहीं देखा हुआ है.
कुछ देर बाद बॉस ने मुझे बुलवाया और मैं जैसे ही कमरे में अन्दर पहुंची, वो उठ कर मेरे पास आकर बोला- रूपा पहचाना नहीं?
एकदम से मुझे याद आया कि यह तो मेरे कॉलेज में साथ पढ़ता ही नहीं था बल्कि मेरी चुत की पहली सेवा भी कर चुका था.
मैं झट से उसके गले लग कर बोली- भला तुमको कैसे भूल सकती हूँ मनोज … मुझे लड़की से औरत तो तुमने ही बनाया था.
बस फिर कुछ देर तक एक दूसरे से चूमाचाटी करते रहे.
फिर मैंने कहा- छोड़ो यार यह ऑफिस है, कहीं कोई आ ना जाए. उसने मुझे छोड़ दिया.
मैंने पूछा- और बताओ घर में सब ठीक है? उसने कहा- क्या बताऊं रूपा, मेरी वाइफ अभी कुछ दिन पहले संसार छोड़ कर चली गई है.
मैंने कहा- ओह बहुत दुख हुआ यह सुन कर … और बच्चे? वो बोला- कोई नहीं है … क्योंकि अभी हम लोग मौज मस्ती में ही लगे हुए थे. खैर … तुम बताओ.
मैंने कहा- मेरा एक बेटा है, जो अभी बहुत छोटा है. उसे मेरी मां अपने पास रखकर पाल पोस रही हैं. पति अपना बिजनेस करते हैं. वैसे यह बताओ कि तुम अभी कहां रह रहे हो?
तब उसने बताया कि अभी तो होटल में हूँ मगर कोई अच्छी जगह किराए पर देख कर वहां चला जाऊंगा.
मैंने उसे शाम तो अपने घर खाने पर इन्वाइट किया और अपने पति से फोन पर कहा कि शाम को तीन के लिए पैक डिनर ऑर्डर कर दें क्योंकि आज मैंने बॉस को डिनर पर इन्वाइट किया है.
शाम को मनोज मेरे घर आए और मेरे पति से मुलाक़ात हुई. उधर मेरी चुत में लगी आग किस तरह से बुझी, इसको मैं इस कालगर्ल सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगी. आपके मेल का इंतजार रहेगा.
आपकी रूपा रानी [email protected]
कालगर्ल सेक्स कहानी अगला भाग: इस चुत की प्यास बुझती नहीं- 4
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