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अब तक आपने पढ़ा..
कंचन भाभी की प्यासी चूत को मैंने उनके ही कमरे में खूब हचक कर चोद कर मज़ा दिया।
अब आगे..
बाहर अभी भी कोई नहीं जगा था, मैंने चैन की सांस ली व जल्दी से हाथ मुँह धोकर फिर से बिस्तर में घुस कर सो गया। भाभी की चूत की ग्रीसिंग करके थक गया था इसलिए कब नींद आई पता ही नहीं चला।
उसी दिन भाभी का पति वापस आ गया और हमें मौका नहीं मिला।
रात जब वो टायलेट के लिए आईं.. तो मैं बस उनकी चूचियां ही मसल पाया। भाभी- ज्यादा उतावले मत बनो, मैं भागी नहीं जा रही हूँ। सब्र करो.. सब्र का फल मीठा होता है, पता है ना? मैं- हाँ पता है.. दो बार चख भी चुका हूँ। यह कह कर मैं मुस्कुराया।
भाभी- मेरे पति कल दोपहर में फिर जा रहे हैं.. वो परसों शाम को आएंगे। कल की सारी रात तुम मेरे कमरे में रहना.. खूब मजे करेंगे। मैं- ठीक है मेरी भाभी जान… कल रात का बेसब्री से इन्तजार रहेगा मुझे व मेरे लंड को।
उस रात भी मैंने भाभी के पैन्टी से ही काम चलाया।
अगले दिन मैं सुबह ड्यूटी गया और शाम को अपने नीचे के बाल साफ किए और नहा धोकर रात होने का इन्तजार करने लगा। भाभी का पति तो दिन में ही जा चुका था।
कमरे से निकल कर थोड़ी देर मार्केट घूमा व फिर एक पहचान वाले के कमरे में चला गया। दस बजे उसके घर से खाना खा कर वापस आ गया, कमरे में आकर भाभी को फोन किया।
भाभी बोलीं- बच्चे अभी सोये नहीं हैं। मैं तुम्हें फोन करूँगी।
मैं छत पर आ गया और उनके फोन का इन्तजार करने लगा। एक घंटे बाद भाभी का फोन आया कि बच्चे सो चुके हैं आ जाओ।
मैं- भाभी, जरा बाहर का नजारा देख कर आओ, सभी सो गए हैं क्या? भाभी- हाँ सभी सो चुके हैं.. मैं पेशाब के बहाने गई थी। बिल्डिंग में कोई नहीं जगा है.. अब आ जाओ बस।
मैं जल्दी से अपनी बिल्डिंग में पहुँचा देखा कि आज गलियारे की लाइट भी बंद थी। वहाँ अंधेरा था.. शायद भाभी ने ही बंद की होगी। फिर भी मैंने अपनी चप्पलें उतार दीं व दबे पांव सीधे भाभी के कमरे में चला गया।
मेरे अन्दर आते ही भाभी ने लाइट बंद कर दी, दरवाजा बंद कर दिया, भाभी बोलीं- कुछ खाओगे राज? मैं- नहीं भाभी, खा कर आया हूँ। भाभी- कुछ पीओगे?
मैं- हाँ भाभी बरसों का प्यासा हूँ। अपनी जवानी के सागर से जितना पिलाओगी उतना पी लूँगा।
बच्चे को ऊपर चारपाई में सुलाया था व हमारे लिए नीचे गद्दा बिछाया था।
फिर भाभी अपनी व अपने पति की कहानी लेकर बैठ गई। मैं कौन सी उनकी कहानी सुनने गया था.. सीधे उनकी नाइटी उतारने लगा।
मैंने पहले उनकी नाइटी फिर गुलाबी ब्रा और अंत में काली पैन्टी भी उतार दी और बिल्कुल नंगा कर दिया। उन्होंने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए।
फिर मैंने उनके अंगों को सहलाना शुरू किया और जब भाभी गर्म हो गईं.. तो मैंने उन्हें बोला- भाभी, प्लीज लाइट जला दो ना? वो मना करने लगीं। मैं- भाभी आज मत रोकना, मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ और तुम भी मुझे नंगा देखो। हम एक-दूसरे के कैसे देख पाएंगे, प्लीज लाइट जलाओ ना भाभी। भाभी- ठीक है.. पर ज्यादा देर नहीं।
उन्होंने लाइट जला दी। पहली बार उन्हें रोशनी में नंगी देख रहा था। क्या फिगर था उनका बुड्डों का भी लण्ड खड़ा कर दे। कहीं से भी शादीशुदा नहीं लग रही थीं। भाभी की चूत एकदम साफ थी।
उन्होंने कहा- राज तुम तो मेरे पति के सामने बिल्कुल बच्चे लग रहे हो। नई उम्र लौंडे जैसे, तुम्हारी गाण्ड भी बहुत ही पतली सी है.. कुछ खाया-पिया करो। मैं- भाभी असली मजा तो पतलों के साथ ही आता है.. मोटे तो हर समय हाँफते रहते हैं।
भाभी- सही कहा राज.. मजा पतलों के साथ ही है। मुझे तुम्हारी लत सी लग गई है। मेरे पति एक तो बहुत मोटे हैं थोड़ी ही देर में हाँफने लगते है। एक तुम हो, जो मुझे थका देते हो। उनका काला लण्ड देखने को ही मन नहीं करता चूसूंगी क्या। एक तुम्हारा लण्ड है हर समय चूत में या मुँह में लेने का मन करता है।
मैं- भाभी आज मैं तुम्हें नहीं चोदूँगा। भाभी- तो कौन चोदेगा? यहाँ तो तुम ही नजर आ रहे हो। वो हँसने लगीं।
मैं- यही तो बात है.. रोज मैं तुम्हें चोदता हूँ.. आज आप मुझे चोदोगी। भाभी- अच्छा जी.. पर ये कैसे हो सकता है। मैं- जैसा मैं बताता जाऊँगा, आप बस करती जाना। भाभी- ठीक है जल्दी बताओ। मैं तो सुनकर ही गर्म हो गई हूँ।
मैं- ठीक है पहले मुझे गर्म करो।
वो मेरा लण्ड चूसने लगीं। जब लिंग पूरे उफान पर आ गया.. तो मैं बिस्तर पर लेट गया।
मैं- भाभी, अब आप मेरे ऊपर आ जाओ और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर सैट करो, फिर धीरे-धीरे अपनी कमर ऊपर-नीचे करो।
भाभी ने वैसा ही किया और लंड ‘फच्च’ की आवाज से अन्दर चला गया, भाभी कमर हिलाने लगीं, उन्हें बहुत मजा आ रहा था।
भाभी- राज आज ऐसा मैं पहली बार कर रही हूँ। मेरे पति ने ऐसा कभी नहीं कहा। आज से मैं तुम्हारी बीवी हूँ। अपने पति को भी चोदने नहीं दूँगी आज से.. बस तुम मुझे चोदोगे।
मैं- भाभी ऐसा मत करना। तुम तो मेरी गर्लफ्रेन्ड हो.. और बीवी उन्हीं की बनी रहो। उन्हें भी देना और मुझे भी.. नहीं तो उन्हें शक हो जाएगा।
भाभी उछल-उछल कर चुदने लगीं और आवाजें निकालने लगीं, मैं भी जोर-जोर से उनकी चूचियां दबाने लगा। जल्दी ही भाभी का काम हो गया और वो हाँफने लगीं।
भाभी- मेरा तो काम हो गया राज.. मैं थक भी गई हूँ। अब मैं और नहीं कर सकती। तुम क्या खाते हो तुम्हारा तो गिरता ही नहीं। हमेशा पहले मेरा ही निकल जाता है।
मैं- भाभी मेरे साथ सेक्स का यही तो मजा है। आओ मेरे बगल में लेट जाओ.. अब ऐसे करेंगे।
मैंने उन्हें अपने बगल में लिटाया और उनके होंठ अपने होंठों से लगाए। एक हाथ उनके गर्दन के नीचे डाला और उनकी एक टांग के नीचे अपनी एक टांग डाली। उनकी दूसरी टांग अपनी दूसरी टांग के ऊपर रखी, लण्ड को चूत के मुहाने पर सैट किया और उन्हें जोर से अपनी तरफ भींचा तो पूरा लण्ड उनकी चूत में घुस गया और धीरे-धीरे उनके होंठ चूसते हुए लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
भाभी- वाह राज.. बगल में लेटकर भी मजा लिया जाता है.. आज यह पहली बार जाना। तुमने मेरी जिन्दगी धन्य कर दी।
इस बार मैं धक्के कम और उनकी चूत की रगड़ाई ज्यादा कर रहा था। भाभी का तो बुरा हाल था, वो भी मुझसे चिपट कर चुदाई के पूरे मजे ले रही थीं। जल्दीबाजी थी नहीं.. इसलिए रूक-रूक कर हम तबियत से चुदाई कर रहे थे।
भाभी- राज मेरा होने वाला है। प्लीज तुम स्पीड तेज करो.. ताकि हम दोनों का एक साथ हो जाए।
मैंने भाभी को कस के पकड़ा और जोर-जोर से रगड़ाई शुरू कर दी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। अभी गिराने का कोई मन नहीं था, पर भाभी की बेकरारी देख नहीं पाया, सोचा एक बार फिर कर लेंगे और उनके साथ ही मैंने भी सारा माल उनकी चूत की गहराइयों में उतार दिया।
मैंने माल गिराने के बाद भी अपना लण्ड उनकी चूत से नहीं निकाला और उन्हें बांहों में भरकर आराम करने लगा और दूसरे राउण्ड के बारे में सोचने लगा।
भाभी और मैं थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे। लेटे-लेटे ही मैंने उनकी गाण्ड सहलानी शुरू कर दी, लण्ड को चूत में ही रहने दिया, अपनी सबसे छोटी उंगली में थूक लगाकर मैं उनकी गाण्ड के छेद में रगड़ने लगा और उसे गीली करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
भाभी समझ गईं कि मैं आगे क्या करने वाला हूँ- नहीं राज.. यह मैंने आज तक नहीं किया। सुना है उसमें बहुत दर्द होता है.. मुझे नहीं करवाना!
मैं- जो तुमने अभी तक किया क्या वो भी पहले कभी किया था? आप बस देखती रहो और मेरा साथ दो.. इस खेल में भी आपको बहुत मजा आएगा। बाक़ी पहली बार में तो हल्का सा दर्द होता ही है। लेकिन मजे के सामने वो कुछ भी नहीं होगा।
भाभी- ठीक है.. पर जो भी करना आराम से करना।
मैंने उनकी गाण्ड में उंगली डाल दी और उसे ढीली करने लगा। फिर मैंने अपनी उंगली में और उनकी गाण्ड दोनों में खूब सारा तेल लगाया और उंगली से उनकी गाण्ड के अन्दर तक तेल लगा दिया।
मैं- चलो भाभी, पहलवान को फिर से जवान करो।
भाभी ने लण्ड मुँह में ले लिया और जल्दी ही खड़ा कर दिया। मैंने भाभी को घोड़ी बनने को कहा, वो दोनों हाथों व घुटनों के बल झुक गईं। मैंने थोड़ा सा तेल अपने लण्ड पर तथा खूब सारा तेल उनकी गाण्ड के छेद पर लगाया।
मैं- प्लीज भाभी चिल्लाना मत। यह हमारी प्यार की परीक्षा है। अगर थोड़ा दर्द हो तो सहन करना।
मैंने लण्ड को गाण्ड के छेद के मुहाने पर सैट किया और उनकी दोनों चूचियां पकड़ी, फिर धीरे-धीरे घर्षण करने लगा।
भाभी को भी मजा आ रहा था। मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो भाभी कराहने लगीं। मैं- भाभी थोड़ा सहन कर लो.. अभी खूब मजा आएगा।
मैं जोर-जोर से उनकी चूचियां मसलने लगा। उनका ध्यान चूचियों के दर्द की तरफ गया.. तो मैंने एक जोर का धक्का लगा दिया। जिससे मेरा आधा लण्ड उनकी गाण्ड में घुस गया। भाभी ने अपनी पैन्टी अपने मुँह में डाल ली नहीं तो वो बहुत जोर से चिल्ला उठतीं।
मैंने उनकी चूचियां मसलना जारी रखा- भाभी कैसा लग रहा है? भाभी- राज प्लीज इसे बाहर निकाल लो। ऐसा लग रहा है कि कोई चाकू अन्दर गया है और उसने गाण्ड फाड़ दी है। मैं- भाभी बस हो गया। अब मजे ही मजे हैं।
मैं धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा, हर धक्के में लण्ड का दबाव गाण्ड में देने लगा, कुछ धक्कों में ही पूरा लण्ड अन्दर चला गया।
मैंने एक हाथ से उनकी चूत भी सहलानी शुरू कर दी और उसमें दो उंगलियां डाल दीं। भाभी का दर्द भी थोड़ा कम हो गया, भाभी को दोनों तरफ से मजा आने लगा।
अब मैं तेज-तेज कमर चलाने लगा, भाभी भी गाण्ड हिला-हिला कर साथ देने लगीं, दोनों को बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने उन्हें उल्टा लेटने को कहा और उनके ऊपर आकर जोर-जोर से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में मेरा काम होने वाला था, मैंने बताया- भाभी, मेरा होने वाला है। भाभी- राज मेरे मुँह में गिरा दो।
मैंने जल्दी ही लण्ड भार निकाला और लौड़े को कपड़े से पोंछ कर उनका मुँह माल से भर दिया.. जिसे वो पी गईं।
मैं- भाभी अब बोलो कैसा लगा गाण्ड मरवाना। भाभी- राज दर्द तो बहुत हुआ.. पर सच पूछो तो मजा भी बहुत आया।
हम दोनों थक गए थे इसलिए थोड़ा आराम किया, फिर मैं अपने कपड़े पहनने लगा।
भाभी- राज आज रात यहीं सो जाओ ना मेरे पास? मैं- नहीं भाभी मैं सुबह को यहाँ से निकल नहीं पाऊँगा, किसी को पता लग गया तो गड़गड़ हो जाएगी। अभी ठीक है निकल जाने दो।
मैं उन्हें एक प्यारी सी किस देकर बाहर निकल आया और अपने कमरे का दरवाजा धीरे से खोला और आराम से बिस्तर पर लेट गया। थकान की वजह से कब नींद आई, पता ही नहीं चला।
इस तरह मैंने पूरे 6 महीने भाभी के साथ अलग-अलग तरीके से चुदाई की। इस बीच वो एक बार प्रेग्नेन्ट भी हो गईं, जिसके लिए उन्हें गोलियां खानी पड़ीं। भाभी के पति की दूसरी जगह नौकरी लग गई तो उन्होंने कमरा चेन्ज कर लिया।
आजकल फिर मैं अकेला हो गया हूँ, देखो अगली चूत अब कब नसीब में होती है।
आपको कहानी कैसी लगी? अपनी राय मेल कर जरूर बताइएगा। आप इसी आईडी से मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। आपकी अमूल्य राय एवं सुझाव की आशा में आपका राज शर्मा [email protected]
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