This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
यह कहानी कुछ हद तक सच्चाई पर आधारित है। मैं उन मर्दों में से हूँ जिन्हें बेहद गर्म बीवियां मिली हैं और वह अपनी गर्मा-गर्म बीवी को अजनबी मर्दों के साथ अपने सामने चुदना देखना चाहते तो हैं.. लेकिन ऐसा कर नहीं पाते। इसलिए मैं आपसे अपनी कल्पना बाँट रहा हूँ। अपने विचार मुझे [email protected] पर लिखें।
‘आह.. उह जानू.. ह्म्म्म.. उह.. और करो.. पूरा बाहर निकाल कर एकदम से डालो..’ जगजीत टाँगें खोले मेरे नीचे पड़ी उत्तेजना में बड़बड़ा रही थी।
‘यह लो जानेमन..’ बोलते हुए मैंने पूरा लण्ड बाहर निकाल कर फिर से उसकी चूत में डाल दिया.. जिसके झटके से उसके मोटे-मोटे दोनों दूध के गुब्बारे और जोर से उछल पड़े। जवाब में जगजीत बोली- आह्ह.. और जोर से..
मैंने फिर से झटका लगाया और फिर से उसने कहा- और जोर से करो ना.. पता नहीं दम क्यों नहीं लगता आपसे.. ‘अरे यार ऐसे नहीं पूरा जाएगा.. तुम बेड के किनारे पर आकर कुतिया बनो.. मैं पीछे से चूत में डालता हूँ।’
यह कहकर मैं उठने लगा तो जगजीत ने मुझे पीठ से जकड़ लिया ‘अरे नहीं यार.. उस पोज़ में तुम्हारा जल्दी हो जाता है.. और मैं रह जाती हूँ।
मैं फिर से वापिस वैसे ही उसे चोदने लगा ओर होंठ चूसने लगा।
मेरी बीवी शुरू से ही मुझसे ज्यादा गर्म एवं रंगीली है। ऐसा नहीं है कि मेरा उसे चोदने का दिल नहीं करता या मेरी सेक्स के प्रति रूचि कम हो गई है.. बस ऐसे समझ लीजिये कि मैं उससे अच्छी तरह से खुल नहीं पाता और शर्म के मारे रह जाता हूँ।
स्कूल के समय से ही मेरा स्वभाव थोड़ा शर्मीला है और कुछ एक लोगों को छोड़कर मैं औरों से खुल कर कम ही बात कर पाता हूँ। अकेले में मुझे अपने आप में रहना अच्छा लगता है।
जब भी मुझे बाथरूम में मौका मिलता है.. मैं हाथ से हिलाकर लंड का पानी निकाल लेता हूँ। मैं मुठ मारने का बहुत शौकीन हूँ और लगभग रोज़ ही टट्टी करते समय मुठ मारने का मज़ा कर लेता हूँ।
मुझे लगा था कि शादी के बाद मेरी यह आदत चली जाएगी मगर ऐसा न हो सका।
मैं मनप्रीत सिंह 32 साल एक का 5’7″ लम्बाई वाला औसतन शरीर के साथ गोरे रंग का आम सा आदमी हूँ। ज्यादा मोटा नहीं हूँ.. लेकिन पेट दिखता है। कसरत करता हूँ.. लेकिन सारा दिन ऑफिस में बैठे रहने के कारण पेट निकल आया है। मेरे गुप्त अंग की लम्बाई लगभग 5″ है और मोटाई 2.5″ है।
मेरी और जगजीत की शादी को चार साल हो चुके हैं। मैं जगजीत कौर से शादी के लगभग 5 साल पहले मिला था। उस समय उसकी उम्र कुछ 18 साल रही होगी जब हम पहली बार मिले। दोनों को पहली बार देखते ही प्यार हो गया और फिर 5 साल प्रेम के बाद विवाह में बंध गए।
हमने शादी से अब तक खूब ऐश की है.. लेकिन अभी तक हमारा कोई बच्चा नहीं है.. जिसकी कामना हम पिछले दो सालों से कर रहे हैं।
‘उफ़.. कैसे कर रहे हो.. धीरे क्यों हो गए? अभी मलाई मत निकालना। मैंने इन्टरनेट पर पड़ा है कि औरत और मर्द जब एक साथ स्खलित होते हैं तो बच्चा ठहरने की संभावना ज्यादा होती है।’
जगजीत ने इशारे से कहा ताकि मैं जल्दी ना खर्च हो जाऊँ। ‘तुम्हारी झांटें तंग कर रही हैं.. इन्हें साफ़ रखा करो न..’ ये कहते हुए मैंने थोड़ा तेज़ पेलना शुरू किया।
‘घर में किसी को पता चल गया न कि बाल साफ़ किए हैं.. तो खुद भी पिटोगे और मुझे भी अच्छी खासी सुननी पड़ेगी।’ उसने जवाब दिया.. फिर वो मेरे तेज झटकों से मस्त होने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
‘हाँ बस यहीं.. यहीं.. ऐसे ही मारो मेरी फुद्दी.. जब तेरा सुपाड़ा झटके से अन्दर जाकर चोट करता है.. तो बहुत प्यारी सी गुदगुदी होती है.. हाय माँ.. क्या ज़ोर लगाया है सरदार जी.. आईईईई..’ ये कहते हुए जगजीत मुझसे लिपट गई।
मुझे ज्यादा थकावट हो रही थी.. इसलिए मैं ऊपर से उठा और लण्ड फुद्दी से बाहर आने की ‘पुक्क’ सी आवाज़ आई। ‘चलो यार कुतिया बनो न..’ कहकर मैं बेड से नीचे आकर खड़ा हो गया और जगजीत के पोजीशन में आने का इंतज़ार करने लगा।
मेरी थोड़ी सी नाराज़ बीवी ने कहा- क्या यार अब तुम जल्दी निकाल दोगे.. मुझे पता है।
मैं उसे उठकर बिस्तर के किनारे पर अपने पास आकर कुतिया बनते देख रहा था। कुतिया बनकर जब उसने अपनी छातियां बिस्तर पर रख लीं.. तो उसकी गांड पीछे से थोड़ी और खुल गई और चूतड़ एकदम टाइट हो गए।
आय हाय… क्या माल लगती है मेरी बीवी.. ऐसे पोज़ में।
मैंने अपने बाएं हाथ से उसकी गांड पर एक चांटा धर दिया और ‘चटाक’ की आवाज़ के साथ जगजीत बोली- आए हाय.. क्या करते हो.. दुखता है। ‘जब लौड़ा अन्दर लेती हो बहनचोद.. तब नहीं दुखता..’
कहते हुए मैंने दाएं हाथ से लण्ड को उसके चूत के खुले छेद पर रखकर धकेल दिया.. मेरी गोलियों तक सारा लण्ड अन्दर चला गया और साथ ही जगजीत की मादक सिसकारी निकल गई।
अब मैं एक लय में उसे पीछे से पेलने लगा। मद्धिम रौशनी में लौड़े को फुद्दी के अन्दर-बाहर होते हुए देखना बहुत ही सुखद अनुभव है.. यह आप सब जानते होंगे।
‘पीछे से गांड में डाल लूँ.. बिल्कुल धीरे से डालूंगा..’ मैंने थोड़ा झिझकते हुए पूछा।
आज तक मैंने कभी जगजीत की गांड में नहीं डाला था और ना ही उसने डालने दिया था। मुझे मालूम था वह ‘हाँ’ नहीं करेगी.. फिर भी मैं पूछ लेता हूँ।
‘हए रब्ब जी.. बहुत मज़ा आ रहा है.. जानू जो करना है वो करो.. ध्यान से.. जब निकलने लगे तो एकदम अन्दर तक पिचकारी छोड़ना। डेरे वाले बाबाजी के आशीर्वाद से इस महीने तो बच्चा ठहर ही जाएगा.. आह.. आह.. अन्दर और अन्दर…’ जगजीत ने चूत चुदवाते हुए जवाब दिया।
जगजीत पूरा मज़ा ले रही थी इतने में ही मुझे लगा कि मैं आने वाला हूँ और मैंने जगजीत, जो अभी भी अपने दूध बिस्तर पर घिस रही थी.. को जाँघों और पेट के बीच वाली दरार से पकड़ा और पीछे अपनी तरफ खींच लिया। मैंने अपनी कमर एकदम आगे कर रखी थी.. जिससे मेरा पूरा भार जगजीत की गांड पर आ गया और लण्ड जड़ तक अन्दर अपना बीज डालने लगा।
‘आह.. आह.. मेरा हो गया..’ अपने आप मेरे मुँह से निकल गया। ‘फिटे मू.. यार अभी तो मेरा हुआ भी नहीं.. इतनी जल्दी करते हो.. पांच मिनट भी नहीं कर पाते.. हटो ऊपर से निकल गया सारा.. अभी से छोटा भी होने लगा है..’
मेरी बीवी ने नाराज़गी जताई जो बिल्कुल जायज़ थी।
मैं हाँफते हुए पीछे हटा और अपना कच्छा ढूंढने लगा और जगजीत टाँगें साफ करने बाथरूम में चली गई। जब वो वापिस आई तो मैं बनियान कच्छे में बिस्तर पर लेट चुका था।
मैं जगजीत को नग्न अवस्था में कमरे में इधर-उधर अपने कपड़े इकट्ठा करते देख रहा था।
वह 5’1” की गोरी-चिट्टी पंजाबन लड़की थी.. जिसके मम्मे 34D साइज़ के थे। कमर से थोड़ी भारी थी और पेट की पूछो.. तो सिर्फ इतना जो नंगी घूमते देखो तो हिलता हुआ पता चलता था।
चूतड़ भी सेक्सी मॉडल्स जैसे उभरे नहीं थे.. बड़े-बड़े थे.. लेकिन एकदम समतल। जिस्म पर हल्के-हल्के बाल थे.. जिन्हें उसने कभी साफ़ नहीं करवाया था। जाँघों के बीच और बाजू के नीचे काले घने बाल थे.. जिन्हें भी कभी-कभार ही साफ़ देखा था।
मेरे दिल के एक कोने में उसके प्रति एक अजीब सी इच्छा थी कि उसका नंगा जिस्म किसी और मर्द के नीचे कैसा लगेगा। कई बार तरह तरह के मर्दों के साथ मैंने उसके सम्भोग की कल्पना करके अपना लंड हिलाया था.. लेकिन वो सब तो एक कल्पना ही थी।
‘पता नहीं इस बार भी हो पाएगा कि नहीं.. 10 दिन है बाकी माहवारी को..’ अपने कपड़े पहनते हुए वह बड़बड़ कर रही थी।
‘अरे यार क्या करूँ.. जब तुम मुझे मेरी कुत्ती बनकर.. अच्छी तरह फुद्दी खोल कर मज़ा देती हो.. तो रुका नहीं जाता.. और क्या मस्त गांड लगती है चोदते समय तुम्हारी..’ मज़ा लेते हुए मैंने कहा।
अपनी तारीफ सुनकर तो दुनिया की कोई औरत नहीं रुक पाती.. यह बात आपको माननी पड़ेगी। ‘आह हा हा.. बड़ा मूड बन गया जनाब का.. मेरा तो अभी हुआ भी नहीं था.. तुमसे तो पता नहीं.. बच्चा हो पाएगा कि नहीं। उधर आपकी प्रिय माता जी ने मेरी लेनी-देनी कर रखी है कि डॉक्टर से टेस्ट करवाओ.. कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है.. क्या कहूँ उन्हें?’ जगजीत ने एक लेक्चर सुना दिया।
‘कोई बात नहीं.. तो चली जाना चेकअप करवाने.. क्या फर्क पड़ता है..’ मैंने जवाब दिया। ‘मैं अकेली क्यों जाऊँगी? तुम भी चलना मेरे साथ.. आखिर पता तो चले कि कमी किसमें है..’ जगजीत बोली और बिस्तर पर दूसरी तरफ करवट लेकर लेट गई।
थकावट से पता नहीं चला कब नींद आ गई और सुबह का अलार्म बज गया।
सुबह उठा और तैयार होकर नाश्ता खाकर.. जो कि मेरी माँ ने बनाया था.. मैं काम पर निकल गया।
जगजीत थोड़ी ज्यादा देर तक सोती थी। मॉडर्न होने के कारण कभी माँ ने उसे जल्दी उठकर पाठ पूजा करने को नहीं कहा था। सुबह का नाश्ता माँ या कोमलदीप जो कि मेरे छोटे भाई जसप्रीत की बीवी थी.. दोनों में से कोई भी बना देता था।
कोमल मुझे एक आदर्श बीवी जैसी लगती थी। मैंने कभी भी उसे जसप्रीत से झगड़ा करते या ऊँचा बोलते नहीं सुना था। दोनों नाश्ता एवं रात का खाना इकट्ठे ही करते थे।
मेरे जाने के बाद मेरा भाई जसप्रीत निकलता था। पापा का जब भी दिल करता तब जाकर दुकान खोल लेते थे।
कोमलदीप 22 वर्ष की साधारण कद-काठी की लड़की थी। उसकी लम्बाई कुछ 5’4” होगी और कमीज के ऊपर से मुम्मे काफी छोटे दिखाई देते थे.. पतली सी कमर और पेट तो बिल्कुल भी नहीं।
बिना कपड़ों के कभी देखा नहीं है.. इस लिए उसके चूतड़ों के बारे में कुछ अंदाजा लगाना मुश्किल है। सुंदर नैन-नक्श और साफ़ रंग ऐसा कि देखते ही रह जाओ। छोटे-छोटे सोने के बुँदे.. हल्के गुलाबी रंग के कानों के पोपटों से लटकते हुए बहुत ही सुंदर लगते थे। ऐसी है मेरी छोटी भाभी।
जसप्रीत सिंह और कोमलदीप कौर की शादी को अभी 11 महीने ही हुए हैं। मेरे और कोमल दोनों में से किसी ने भी कभी एक-दूसरे को गलत नज़रों से नहीं देखा। मैं उसे कोमल बुलाता हूँ और वो मुझे भईया बुलाती है। उसकी कहानी फिर कभी लिखूँगा।
काम से जब रात को घर आया तो जगजीत घर नहीं थी। मैंने माँ से पूछा तो पता चला कि सुबह टेस्ट करवाया और फिर बाबा जी के पास गए। फिर उन्होंने हरजी के साथ पूजा शुरू कर दी और माँ को जाने का आदेश दिया। ‘बहू को वह अपने आप घर छोड़ देंगे.. तू खाना कहकर सो जा..’
माँ से यह सुनकर मुझे अजीब सा लगा लेकिन मैं दिल को समझाकर खाना खाकर सो गया। सुबह आँख खुली तो जगजीत वापिस नहीं आई थी। बाबा जी से डेरे पर फोन किया तो पता चला दोपहर तक आएगी।
मैं नाश्ता करके काम पर चला गया।
रात को जब घर आया तो जगजीत से मिला। थोड़ी सी खिली-खिली लग रही थी।
रात सबके साथ इकट्ठे खाना खाने के बाद जब मैं अपने कमरे में गया तो जगजीत से पूछा- क्या बात है जानेमन.. बहुत चहक रही हो.. और कैसी रही तुम्हारी पूजा?
उसने बताया कि दोपहर को घर आई और शाम को माँ के साथ टेस्ट की रिपोर्ट लेने गई थी। ‘तो इसमें ख़ुशी वाली क्या बात है?’ मैंने पूछा। ‘मेरी रिपोर्ट आ गई है और उसमें सब नार्मल है.. अब आपको भी अपना टेस्ट करवाना होगा..’ जगजीत ने कहा। ‘तो करवा लूँगा और कुछ हुक्म मेरी सरकार?’ मैंने शरारत से कहा।
जगजीत ने चुटकी ली- हुक्म भी सुनाते हैं.. लेकिन एक और बात बतानी है लेकिन नाराज़ मत होना.. वादा करो। मैंने सर हिलाकर बोलने के लिए कहा।
वह थोड़ा झिझकते हुए बताने लगी- कल माँ शाम को जब डेरे वाले बाबा जी के पास ले गईं.. तो मैंने बाबा जी को अपनी सारी व्यथा बयान कर दी कि हम बहुत समय से बच्चे की इच्छा कर रहे हैं लेकिन मायूसी ही हाथ लगी है। बाबा जी को शायद मुझ पर दया आ गई और उन्होंने माँ से कहा कि वह मुझसे अकेले में बात करना चाहते हैं और माँ की आज्ञा के बाद उनकी एक दासी मुझे उनके पूजा कक्ष के पिछले कमरे में ले गई।
अब डेरे वाले बाबा के किस चमत्कार से मुझे संतान की प्राप्ति होगी ये देखने और समझने का विषय है। आप सभी से इस कहानी का आनन्द लेते हुए मुझे मेल लिखने का निवेदन है.. मुझे अपने विचार जरूर लिखिएगा.. ताकि मैं आपको इस कहानी का पूरा मजा पूर्ण उत्साह के साथ दे सकूँ।
अपने मेल [email protected] पर लिखें! कहानी जारी है।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000